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Swapnil Ranjan Vaish

Inspirational

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Swapnil Ranjan Vaish

Inspirational

ख़ुद को बिकने से बचाया

ख़ुद को बिकने से बचाया

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"डॉक्टर अंजलि आपको इस हॉस्पिटल से निकाला जा रहा है ", हॉस्पिटल मैनेजमेंट में शामिल मैनेजर ने अंजलि से कहा।

"पर मैंने ऐसा किया क्या है सर, मैंने तो पिछले 6 सालों से भरपूर मरीजों को ठीक किया है, और इस महामारी के कठिन दौर में एक भी दिन ऑफ नहीं लिया तो मैंने ऐसा क्या कर दिया? "

" डॉक्टर अंजलि आपने अपने लास्ट मंथ का टार्गेट पूरा नहीं किया और कर्रेंट मंथ के भी टार्गेट्स पेंडिंग हैं, आपने पिछले दिनों कुछ कोरोना मरीजों का इलाज मुफ्त में भी किया था। अगर आपको समाज सेवा करनी है तो सॉरी, आपकी जगह इस हॉस्पिटल में नहीं। और याद दिला दूँ ये पहली बार नहीं हो रहा है, आपको पहले भी मुफ्त में इलाज ना करने के लिए मना किया गया था, पर लगता है आपको इस जॉब की कद्र ही नहीं है। प्लीज़ अपना रेसिग्नेशं जल्द से जल्द दे दीजिये "।

" मुझे पता है कि हॉस्पिटल के टार्गेटस पूरे नहीं किये मैंने, लेकिन उन गरीबों का इलाज मुफ़्त में करके मैंने उसकी फीस अपनी जेब से भर दी थी। और इस महामारी का फ़ायदा उठा मरीजों से मोटी मोटी फालतू की फीस लेकर मैं अपना ईमान बेच आपके हॉस्पिटल के सो कौलड टार्गेटस पूरे नहीं कर सकती। आप सभी को ये याद रहा, लेकिन वो सेर्जरीज़ नहीं जो करके मैंने इस हॉस्पिटल का नाम रौशन किया था ", और वो रोने लगी।

" डॉक्टर अंजलि, रूल्स आर रूल्स। वो किसी के लिए कैसी भी परिस्थिति में बदल नहीं सकते ", एक सीनियर डॉक्टर ने कहा

" सर ये सब मरीज़ मेरे अपने हैं, इनके साथ मैं सौदेबाज़ी नहीं कर सकती। यहाँ काम करना मेरा सपना था, लेकिन अपनी आत्मा बेच कर यहाँ काम नहीं कर सकती। अपने घर पर ही मैं मरीजों की सेवा करूँगी। इतने दिन आपके साथ काम किया, बहुत कुछ सीखने को मिला उसके लिए धन्यवाद, और कोई गलती हुई हो तो माफ़ी "।

डॉक्टर अंजलि ने इस महामारी में ख़ुद को बिकने से और अपने ईमान को मौत से बचा लिया।

अब वो बिना किसी टार्गेट के दबाव के अपने मरीजों को देखती है और डॉक्टर होने की पूरी ज़िम्मेदारी निभा रही है। 


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