Jyoti narang

Inspirational

4.7  

Jyoti narang

Inspirational

खुद कमाकर मोबाइल लिया

खुद कमाकर मोबाइल लिया

2 mins
303


"भाई कल बाज़ार जाते हुए यह मेरा मोबाइल ठीक करा देना, बहुत खराब हो रहा है अब तो स्क्रीन भी चली गई है। जिनके नंबर याद है उनको ही फोन लगा पाती हूं,ओर मेसेज तो किसी के देख ही नी पाती हूं", रिया ने अपने भाई को बोला।


"हां ठीक है कल जाते हुए दे देना मैं के जाउंगा", समीर ने कहा।


पीछे खड़े उनके पापा(सुमित जी) सब सुन रहे थे।सुमित जी - "रिया, तुम नया मोबाइल ले लो ना कब तक इसे चलोगी। कितनी बार ठीक करवाया हैं।"


रिया - "नहीं पापा। अब तो मैं नया मोबाइल तभी लूंगी जब खुद कमाऊंगी।"


सुमित जी को रिया की बात सुनकर बहुत गर्व महसूस हुआ।ऐसा नहीं था कि सुमित जी रिया को मोबाइल नहीं दिला सकते थे लेकिन रिया कॉलेज से निकलकर अब जॉब ढूंढ रही थी तो उसे लगता था , अब वो मोबाइल खुद ही लेगी, पापा पर ओर बोझ नहीं बनेगी।कुछ दिनों में रिया को एक सरकारी स्कूल में पार्ट टाइम (कॉन्ट्रैक्ट टाइप) जॉब मिल गई। सैलरी बहुत ज्यादा तो नहीं लेकिन उसने हां कर दिया।खूब मेहनत से काम किया कोई भी देखता तो बोलता मैडम आप इतनी मेहनत क्यों करते हो यहां परमानेंट नहीं करते हैैं किसी को भी।रिया सबसे ये ही कहती कि मुझे बस अच्छे से पढ़ाना चाहे कोई कुछ भी कहे।


देखते देखते एक महीना निकल गया और सैलरी का दिन आ गया। आज उसके हाथ में उसकी मेहनत कि कमाई थी उसे बहुत खुशी हो रही थीं।दीवाली भी नज़दीक थी। सन्डे को दोनों भाई बहन मोबाइल लेने निकल गए।सबसे पहले उसने मम्मी के नाम का प्रसाद चड़ाया फिर पापा के लिए शर्ट ली, भाई को उसके पसंद के जुते दिलवाए ,अब मोबाइल लेने गए।


शॉपकीपर - "मैडम आपको कैसा मोबाइल चाहिए?"


रिया - "ऐसा कि जिसमें फोटो अच्छा आए, फेसबुक और व्हाट्सएप सब बहुत अच्छे से चले।"


बहुत सारे मोबाइल देखने के बाद एक मोबाइल पसंद आया जिसमें सारे फीचर भी थे और उसके बजट में भी था।घर आ कर सारा सामान पापा को दिखाया। सुमित जी आज गर्व से फूले नहीं समा रहे थे। उनके लिए यह सबसे सतरंगी पल थे।


Rate this content
Log in

Similar hindi story from Inspirational