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ashok kumar bhatnagar

Inspirational

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ashok kumar bhatnagar

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“खुद के लिए उड़ान (8)"

“खुद के लिए उड़ान (8)"

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जब मैंने उस लड़के से उसकी जिंदगी के बारे में सवाल किया, तो उसने आत्मविश्वास से जवाब दिया, "मैं कंप्यूटर साइंस में पीएचडी कर रहा हूँ। यह मेरे लिए बहुत महत्वपूर्ण है, और मैं इसे पूरी लगन से करना चाहता हूँ।"

उसकी आँखों में एक चमक थी, जो उसके लक्ष्य के प्रति उसकी निष्ठा को दर्शाती थी। उसने बताया, "मैं एक बहुत ही टैलेंटेड व्यक्ति हूँ, लेकिन हर प्रतिभाशाली व्यक्ति की तरह, मुझे भी कुछ चुनौतियों का सामना करना पड़ता है। पीएचडी में स्कॉलरशिप मिलती है, जो मेरे लिए बहुत मददगार है। लेकिन इसके साथ कुछ अतिरिक्त खर्च भी होते हैं, और मैं एक गरीब परिवार से हूँ। मेरे परिवार में कोई भी मेरी मदद नहीं कर सकता।"

उसकी बातों ने मुझे गहराई से छू लिया। मुझे एहसास हुआ कि उसकी कठिनाइयाँ उसके आत्मविश्वास और मेहनत के पीछे एक बड़ी वजह थीं। उसने आगे कहा, "डॉक्टर विश्वास मेरे परिचित हैं। उन्होंने मुझे यह अवसर दिया है, और मैं इसे पहली बार कर रहा हूँ। मुझे पैसे की बहुत जरूरत है, और यही वजह है कि मैं यहाँ हूँ।"

उसकी ईमानदारी और स्थिति ने मुझे बेहद प्रभावित किया। मेरे दिल में उसके लिए सहानुभूति का एक ज्वाला जाग उठा। मैंने उसे कहा, "तुमसे मिलकर मुझे बहुत प्रेरणा मिली है। तुम्हारी मेहनत और संघर्ष को देखकर मैं वास्तव में प्रभावित हूँ।"

तब मैंने अपने बैग से एक बड़ा लिफाफा निकाला और उसमें से पाँच लाख रुपए निकालकर उसके सामने रख दिए। "तुम ये सारे पैसे रख सकते हो। मैं चाहती हूँ कि तुम अपनी पढ़ाई और जीवन के लिए इसका सही इस्तेमाल करो।" मैंने उसकी आँखों में देखा, और मैंने महसूस किया कि वह थोड़ी चौंक गया था।

लेकिन उसने झिझकते हुए रुपए लेने से मना कर दिया। "नहीं, मैं यह नहीं ले सकता," उसने कहा, उसकी आवाज में दृढ़ता थी। "यह बहुत बड़ी राशि है, और मैं ऐसा नहीं कर सकता। मैं अपने रास्ते खुद बनाना चाहता हूँ।"

उसका यह जवाब मुझे और भी प्रभावित किया। उसकी प्रतिबद्धता और आत्म-सम्मान ने मुझे यह समझाने में मदद की कि वह केवल एक साधारण डोनर नहीं था, बल्कि एक ऐसा व्यक्ति था जो अपनी मेहनत से अपनी जिंदगी का मार्ग प्रशस्त करने का इच्छुक था।

"तुम्हारी सोच सराहनीय है," मैंने कहा। "लेकिन यह मदद तुम्हारे लिए है। यह तुम्हारे संघर्ष को कम करने का एक तरीका है। कभी-कभी हमें मदद स्वीकार करने में भी हिम्मत दिखानी पड़ती है।"

वह थोड़ी देर सोचता रहा और फिर कहा, "मैं समझता हूँ, लेकिन मैं इसे खुद हासिल करने की कोशिश करना चाहता हूँ। मुझे अपने संघर्ष पर गर्व है।"

उसकी इस सोच ने मुझे और भी प्रेरित किया। मुझे महसूस हुआ कि वह अपने लक्ष्यों के प्रति कितना गंभीर था। मैंने महसूस किया कि इस बातचीत ने हमारे बीच एक गहरा संबंध स्थापित किया था—एक ऐसा संबंध जो ईमानदारी, सम्मान और प्रेरणा पर आधारित था।

जब मैंने उससे कहा, "ठीक है। लेकिन तुम्हें उतने रुपए लेने होंगे जितने रुपए डॉक्टर विश्वास उसे दे रहे हैं। यदि वह ऐसा नहीं करेगा, तो मैं उससे कॉन्ट्रैक्ट खत्म कर दूंगी," तो उसने एक पल के लिए मुझसे नजरें चुराई। उसकी शर्मिंदगी चेहरे पर साफ झलक रही थी। मैं जानती थी कि यह उसके लिए एक कठिन परिस्थिति थी, लेकिन मैंने उसे ईमानदारी से अपने पैसों का मूल्य समझाने की कोशिश की।

उसकी नजरों में थोड़ी अनिश्चितता थी, लेकिन वह धीरे-धीरे समझने लगा। मैं चाहती थी कि वह अपने हक के लिए खड़ा हो, क्योंकि यह न केवल उसके भविष्य के लिए महत्वपूर्ण था, बल्कि मेरे लिए भी यह ज़रूरी था कि वह अपने द्वारा किए गए कार्य का मूल्य समझे। अंततः, बड़ी मुश्किल से, उसने केवल एक लाख रुपए स्वीकार किए और कहा, "इतने ही रुपए डॉक्टर विश्वास ने देने को कहा हैं।"

उसकी इस बात ने मुझे बहुत प्रभावित किया। उसकी ईमानदारी और सादगी ने मेरे दिल को छू लिया। मैंने महसूस किया कि वह पैसे को एक साधारण लेन-देन नहीं मानता, बल्कि उसके लिए यह एक नैतिक जिम्मेदारी थी। इस भाव ने मुझे उसके प्रति और भी ज्यादा आकर्षित किया।

एक पल के लिए, मैंने मन में सोचा कि काश मैं उसे अपने सीने से लगा सकूँ और उसे वह प्यार दे सकूँ, जो उसकी ईमानदारी और सच्चाई के लिए वह काबिल था। मैं चाहती थी कि वह जानता हो कि उसकी मेहनत और नैतिकता का मैं कितना सम्मान करती हूँ। लेकिन मैं जानती थी कि मुझे अपनी भावनाओं को नियंत्रित करना होगा। 


 उसने बड़े शर्माते हुए मुझसे कहा, "यदि आज्ञा हो तो मैं एक प्रश्न पूछना चाहता हूं।" उसकी आवाज में एक हल्की घबराहट थी, जैसे वह मेरे विचारों को समझने के लिए उत्सुक था। मैंने सहमति में सिर हिलाया, और उसे आगे बोलने का इशारा किया।

"आप एक सुंदर, समझदार, बहुत पढ़ी-लिखी और नौकरी करने वाली महिला हैं," उसने कहा। "आप शादी करके बच्चा कर सकती थीं। फिर यह सब क्यों?" उसकी आँखों में जिज्ञासा और थोड़ी सी नासमझी झलक रही थी। यह प्रश्न उसके मन में खदबड़ा रहा था, और अब जब उसने इसे खुलकर पूछा, तो मैंने महसूस किया कि यह उसके लिए एक महत्वपूर्ण मुद्दा था।

मैंने थोड़ी देर मुस्कुराते हुए उसका चेहरा देखा। उसकी सादगी और मासूमियत ने मुझे छू लिया। फिर मैं खिलखिला कर बोली, "प्रश्न तो आपका अच्छा है। किंतु इसका उत्तर समझने के लिए आपको स्त्री बनना होगा, और वो आप इस जन्म में बन नहीं सकते।"

मेरे इस उत्तर पर वह झेप गया। उसकी आँखें थोड़ी चौड़ी हो गईं, और उसके चेहरे पर हलका सा लालिमा छा गया। मैं समझ गई कि मेरे जवाब ने उसे थोड़ी असहजता में डाल दिया था। लेकिन यह भी सच था कि मेरे शब्दों ने उसे एक महत्वपूर्ण सच से अवगत कराया था—महिलाओं की स्थिति और उनके अनुभवों को समझना सरल नहीं होता।

उसने थोड़ी देर के लिए चुप रहकर मेरे उत्तर पर विचार किया। फिर उसने कहा, "मुझे लगता है कि आपने बहुत गहरा जवाब दिया है।" उसकी आवाज में एक प्रकार का सम्मान था, जैसे उसने मेरे शब्दों का सही अर्थ समझा हो।

इसके बाद के दिनों में, मैं अपने गर्भावस्था की प्रक्रिया में व्यस्त हो गई। मैंने डॉक्टर विश्वास के साथ नियमित चेकअप किए और अपनी सेहत का खास ख्याल रखा। हर दिन, जब मैं अपने बच्चे की हलचल महसूस करती, तो मुझे अपने जीवन का नया अर्थ मिल जाता। यह अहसास मुझे मजबूत बनाता था और मेरी मानसिकता को सकारात्मक दिशा में ले जाता था।


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