खनकाट
खनकाट
....प्रथम को सिगरेट पीने की आदत थीI वो भी साधारण सी नहीं, स्पेशल वाली! शुरुआती तौर पर पहले हफ़्ते में वह एक या दो पीता था।
फिर एक दो पैकेट तक बात पहुँचती चली गई।
कोलेजियन दोस्तों ने पहले पहल उसे जबरन पिलाई थीं।
फिर तो वो खुद ही उस नशीली लत का शिकार बनता चला गया।
उसका एक कारण था अमला, उसकी प्रेयसी!
जिससे मिलने - बिछड़ने के ग़म में वो और भी कुंठित होने लगा। और अमला से बेतकल्लुफ़ न हो पाने के ग़म में सिगरेट की लत से जुड़ता चला गया।
कॉलेज में उसके कई अच्छे दोस्त भी थे। पर कहते हैं ना, की बुराई की गर्त में अपनी मर्ज़ी से डूबते हो।
तब बचाने वाले कम ही मिलते हैं।
और अगर मिल भी जायें ग़र सच्चे यार दोस्त, तो बेड़ा पार हो जाता है।
बस, अच्छे दोस्त परखने की नज़र होनी चाहिए। वरना अल्लाह बचायें उन नौजवानों से!
बस, ऐसे ही एक दिन कम अच्छे दोस्तों की टोली के लीडर ने प्रथम को अपने भाई की शादी में आने का न्यौता दिया। और अपने साथ टोयोटो कार में चलने का आग्रह भी किया।
प्रथम को मटरगश्ती करने का अंतरंग ख़याल आया। और क्या सूझी कि दोस्तों के साथ बाराती बनकर न जाते हुए वह अकेले ही प्राइवेट बस से अहमदनगर पहुँच गया।
और वहाँ अचानक प्रथम की नशीली लत ने सिगरेट का उसे तलब्दार बना दिया। अनजान नगर और अनजाने लोग!
अजनबी शहर में पूछे तो भी किससे!? क्योंकि वो साधारण सी सिगरेट तो पीता नहीं था। ऐसा कि नुक्कड़ पे लगी पान की दुकान से खरीद लाता। उसे तो स्पेशल वाली सिगरेट पीने की लत थीं।
काफ़ी समय यूँ ही फ़िज़ूल की चहलकदमी में गुज़र गया।
आख़िरकार वह नगर के बस स्टैंड पर नाटकीय तौर पर झूमने की और बदहवासी में गाना गाने की एक्टिंग करने लगा।
उसनें
दोनों हाथों से एक बोतल पकड़ी हुई थी। और वह ऐसा जता रहा था कि वह उसे खोलने की कोशिश करता हो। और बोतल हाथ से सरकती जाती हो। और वो उसे नीचे से कैच करता हो।
इसी उधेड़बुन में वहाँ से
बीस-बाईस साल का एक नौजवां गुज़रा।
पहले तो उसने बारीकियों से प्रथम की करतूतों का मुआयना किया।
फिर,
उसने प्रथम के नक़ली कोशिशों को अंजाम देने का सोचा।
और उसको मदद करने हेतु वह बोतल का ढक्कन अपने दाँतो से खोलने लगा।
और बोतल से गिर रही वह चीज़ अपने पास रखें गिलास में थोड़ी सी उड़ेलकर खुद ही पीने लगा।
यकायक प्रथम की अक्ल का ताला खुल गया। और गिलास भरकर पीने वाले उस नौजवां से पूछा, जनाब थोड़ा हमें भी दिलवाओगे?
तब उस नौजवां ने पहले तो प्रथम को नीचे से ऊपर तक तराशा।
और फिर खिलखिलाते हुए बोला, जितनी जोरों की खनकाट हो ज़ेब में तुम्हारे!!
प्रथम को अहमदनगर में इस क़िस्म की होशियारी की अपेक्षा न थीं।
और, वो हैरानगी में उस बन्दे से अपनी तलबगार सिगरेट माँगने के बजाय उसी की होशियारी का क़ायल हो गया।
और,
हैरतअंगेज बात तो यह हुई कि, प्रथम की स्पेशल वाली सिगरेट की बुरी लत छूट गई। और वो विश्व भर में मिमिक्री करने वाला पहला इंसान बना।