कहानी
कहानी
मैं ------- हूं
ठक -ठक -ठक ! घड़ी रात के बारह बजा रही थी
सोचा मेरा वहम होगा । इतनी रात को कौन दिल का दरवाजा खटखटा रहा है। कौन है? उत्तर मिला मैं हूं। मैं कौन?
अरे उठो कब तक अपने को चारदीवारी में बंद रखने की चाहत है। मैंने तुम्हें कोई धोखा नहीं दिया। मैं कल भी तुम्हारे साथ था, आज भी हूं और कल भी रहूंगा। मुझे कोसना छोड़ दो। मैं बेवफा नहीं हूं, बस तुम्हारे चेहरे पर फिर से वही मुस्कान देखना चाहता हूं। आजाद पंछी की तरह घूमो -फिरो, अपनी जिंदगी उसी अंदाज में जियो जैसे पहले। मुझे बुरा भला कुछ मत कहो। जिंदगी जीने का नाम है। अपना और अपनो का जीवन खुशियों से भर दो। अपनी सेहत का ध्यान रखो। जान है तो जहान है। अपनी इच्छाओं को इतनी छूट मत दो कि वो तुम्हारे चेहरे की रौनक ही छीन ले। हर हाल में खुश रहो।
इस महामारी में तुमने मुझे खूब कोसा, मैंने तुम्हारा साथ नहीं छोड़ा। बस मैं मजबूर था, क्या करता तुमने हालत ही ऐसे बना दिए कि मुझे ये कदम उठाना पड़ा, वो भी सबकी भलाई के लिए। परिवर्तन जीवन की राह में आया वो मुकाम है, जो जीवन के सही मूल्य से मुलाकात कराता है। तुम कहती हो मैं बदल गया। बदल गया तो क्या हुआ, तुम्हें आगे सोच समझ कर कदम उठाने की प्रेरणा भी तो दी है। मेरे साथ कदम से कदम मिला कर चलो, जीवन की हर हसरत पूरी होगी। मैं जैसा भी हूं तुम्हारा हूं।
मैंने झुंझला कर पूछा - पर तुम हो कौन? जो इतना भाषण दे रहे हो।
वह बोला -तुम मुझे नहीं जानती मैं स -म-य हूं।
समय
