Shashi Saxena

Horror

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Shashi Saxena

Horror

कब्रिस्तान की चीखें

कब्रिस्तान की चीखें

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वो चारों दोस्त 1 वर्ष बाद जौधपुर के श्याम रैस्टोरेंट में बैठे मस्ती से खाना खा रहे थे। खाने के‌ बाद अब शुरु हो गई आगे की योजना   


 चारों ही घुमक्कड़ मिले नहीं कि घूमने निकले नहीं ।

 अमित----- यार संजू आज पूरे साल बाद मिले हैं चलो फ्रेश होते हैं कहीं घूमने ‌चलते हैं

 संजय --- ‌  हां अभी तक जयपुर ही नहीं देखा। चलो इस बार हम जयपुर ही चलते हैं।

अमित----- अरे यार मेरी छोटी बहना प्रीती भी साथ चलने को जिद्द कर रही है ‌और अब तो उसने धमकी भी दे डाली।

संजय----  कैसी धमकी ?


 अमित ---यहीं कि नहीं ले गये तो फिर बंधवाना कभी राखी।

 अमित की बात सुनकर तीनों को हंसी आ गई।

रोहित----- ओ....यह तो बड़ी जबरदस्त धमकी है चलो फिर ले चलेंगे प्रीती को भी।

अमित------   अच्छा तो आप सब समझ रहे हैं प्रीती अकेली ही है।

आशीष-----तो फिर !!!!!?

 अमित-- ‌ ‌अरे भई उसकी दो खास सहेलियां ओर भी हैं

नियती और अवंतिका। बट डोंट वरी अवंतिका के पास अपनी खुद की कार है और ड्राइवर भी है।


और दो दिन बाद पूरी तैयारी करके वो सब चल पड़े जयपुर के भ्रमण पर।

  आगे चारों दोस्त 

पीछे की गाड़ी में तीनों सखियां जिसे ड्राइवर लखनिया

ड्राइव कर रहा था। 

 रोहित-------  संजू कितनी दूरी है ।

संजय----रोहित करीब 332 कि मी और 6 या 7 घंटे में पहुंच जायेंगे।


रास्ते में एक रैस्टोरेंट में रुककर सबने खाना खाया और फिर बड़ चले मंजिल की ओर।

 शाम 7 बजे वो अपने बुक कराये होटल अभिनीत पैलेस पहुंच गये। 

अगली प्रातः शीघ्र ही निवृत्त हो पर्यटन स्थल देखने निकल चले।

   हवा महल घूमने में ही पूरा दिन व्यतीत हो गया।


अमित----- ‌ये लड़कियां भी है  ना एक तो धीरे धीरे चलती है फिर एक एक चीज को ऐसे देखती हैं जैसे रिसर्च कर रहीं हों

 अवंतिका ------ और तुम तुम नहीं रुकते जगह जगह कितनी बार तो तुमने रोहित और आशीष को आवाज दे देकर बुलाया।


   संजय---अच्छा अवंतिका शांति रखो और अमित तुम भी।

हम चाहें दो दिन फालतू रुक जायेंगे लेकिन जायेंगे सब कुछ देखकर।  ही।

    जयपुर के रमणीक पर्यटन में वो लगातार 8 दिनों तक घूमते रहे । अति सुंदर अति मनोहारी अति आकर्षक अति अद्भुत।

 वापिस


 अब वो सब गाड़ियों में बैठ कर चल दिये वापिस‌ जौधपुर की ओर चल पड़े।


आगे की कार को संजू ड्राइव कर रहा था। और पीछे की कार को लखनिया।

     3 घंटे ड्राइव करने के बाद।

रोहित----लगता है संजू हम गलत रास्ते पर आ गये।

आशीष----  हां देखो ना कोई ढाबा ना कोई रैस्टोरेंट। जाते समय कितने सारे मिले थे ।भूख के मारे बुरा हाल हो रहा है।


1 घंटे और ड्राइव करने के बाद भी उन्हें कुछ नहीं मिला। वास्तव में वो लोग किसी गलत रास्ते पर आ गये थे दोनों ने कार रोक दी और एक पेड़ के नीचे बैठ गये। शायद कोई चलता राहगीर ही दिख जाये।

   अमित-----  अरे यार संजू तू हमेशा ऐसे ही करता है।

मतलब पिछली बार भी तो ऐसा ही हुआ था जब सोनार गढ़ से आ रहे थे। आत्माएं मिली थी।

 ‌संजय---  तो क्या हुआ अच्छा ही तो हुआ ना। हम चारों को कितनी प्रसिद्धि मिली कि चार अजनबी लड़कों ने किस तरह रूपागढ़ी गांव का पुनर्निर्माण कराया।


 रोहित-----  तो क्या यहां भी किसी प्रसिद्धि का सपना देख रहे हो

अमित----हो सकता है उससे भी ज्यादा।

  अब रात को सफर करना तो बेवकूफी है। कल सुबह तक के लिऐ हम कहीं रुकने की जगह ढूंढते हैं


   वो सभी किसी सुरक्षित स्थान को ढूंढने के लिऐ अंदर जंगल की तरफ बड़ गये।

      तभी आगे जा रही तीनों लड़कियां भागती हुई वापिस आईं। वो बुरी तरह से हांफ रही थी।


 प्रीति-----वो....वो ....वो.....

आशीष-----अरे वो वो क्या आगे तो बोलो।

नियति---- वो वहां कब्रें ही कब्रें।

उन्होंने सर उठाकर देखा तो। पाया सामने बहुत बड़ा कब्रिस्तान है

 दूर दूर तक कब्रें ही कब्रें।


उन  सब की तो घिग्गी ही बंध‌ गई।

 हम इहां नाही रुकत लखनवा तो एकदम भाग लिया।

रात गहराने लगी थी अचानक कब्रिस्तान में से चीखने चिल्लाने की आवाजें आने लगीं। उन  सबका डर के मारे बुरा हाल हो गया।

पांव जैसे जड़ होकर जमीं पर ही चिपक गये। वहां से भागना 

तो क्या हिला तक  नहीं जा रहा था।


तभी अचानक मूसलाधार बारिश भी शुरु हो गई। वो सभी घनेरो वृक्षों के नीचे आ गये। उन्होंने कस कर एक दूसरे का हाथ पकड़ लिया। प्रीती और नियति का तो रोते रोते बुरा हाल हो गया था।

अवंतिका समझदार और निडर थी। चीखने की आवाज़ें बढती ही चली जा रहीं थी। और फिर उन सबने यह भी देखा कब्रों के ऊपर 

सफेद छायाऐं सी उड़ रही‌ हैं। उन सभी ने हिम्मत करके वहां से निकलने की योजना बनाई। भागो भागो 

और वो सभी उस अंधेरे में भी एक दूसरे के पीछे भागने लगे।


कहीं दूर से सियारों की हूं हहूं हूं और कुत्तों के भौंकनै की आवाज ने उस वीराने को ओर भी भयंकर बना दिया।

तभी भागम भाग में अवंतिका का पांव किसी पत्थर से टकरा गया।

वो  गिर गई और गिरते ही हाथ पड़ा किसी कांच जैसी वस्तु पर।

उसने वस्तु को उठाया अरे यह तो मोबाइल है सोचा शायद किसी आगे भागने वाले का गिर गया होगा। उसने झट अपनी जींस की जेब में ठूंस लिया।


 भागते भागते हांफते हांफते वो सड़क पर आ ही गये, और

जैसे तैसे गिरते पड़ते वो वहीं सड़क पर पसर गये।

 रोहित और आशीष कार में से मठ्ठी बिस्कुट और पानी की बोतलें

ले आये।

सबने मठ्ठी बिस्कुट खायै फिर पानी पिया तब जान में जान आई।


अवंतिका-----तुम में से क्या किसी का मोबाइल गिर गया?

  सबने अपने अपने मोबाइल चैक करे।

अवंतिका------फिर यह मोबाइल!!!!??

 आशीष---- फेंक दे फेंक दे कब्रिस्तान के मोबाइल को।

अवंतिका-----अच्छा फेंक दूंगी।


  तभी उन्होंने देखा दूर से कुछ लोग टार्च की रोशनियां फेंकते उधर ही आ रहे हैं। पहले तो वो सभी डर गये।

 जब वो टार्च वाले पास में आये तो देखा वो लखनवा था जो अपने साथ पास के गांव वालों को लेकर आया था।

 लखनवा वो तो बुरी तरह रोये जा रहा था, उन सबको सही सलामत देख कर उसने अंगोछे से अपने आंसू पोंछे ।


 गांव वाले उन सभी को अपने साथ पास के गांव में ले गये।

लड़कियों को तो लखनवा ने कार में बिठा लिया।

और सभी लड़के गांव वालों के साथ पैदल ही चल पड़े।


अब पौ फटने लगी थी। नव प्रभात का आगमन हो रहा था। 

वो सभी गांव के सरपंच के घर थे। सभी बुरी तरह से भीगे हुए थे।

उन सभी को बदलने को वस्त्र दिये। गरम गरम चाय नाश्ता कराया।


ये बात गांव में बिजली की गति सी फैल गई कि चीखते कब्रिस्तान से सात युवक युवतियां जीवित वापिस आ गये।


सारा गांव सरपंच के घर के बाहर उमड़ पड़ा। प्रभु के इतने बड़े

चमत्कार को हर कोई देखना चाहता था। इसलिये उस दिन उन्हें वहीं रुकना पड़ा।


  सारे दिन गांव वाले उनसे रात की आप बीती सुनते रहे।

और औरतें तो लड़कियों को बार बार ऐसे गले लगा रही थी

जैसे कोई मां कई दिन बाद अपनी बिछुड़ी बेटी से मिली हो।

सत्य है गांव में प्रेम मोहब्बत वाली भारतीय संस्कृति तो  मौजूद है ही ।


सरपंच ने बताया कि रात को लखनवा उनके दरवाजे को जोर जोर पीट रहा था। उन्होंने दरवाजा खोला तो वो रो रोकर विनति कर रहा था। मेरे बच्चों‌ को बचा लो सरपंच जी वो कब्रिस्तान में फंस गये हैं


बरस हो गये उस रास्ते तो कभी कोई जाता ही नहीं। और पहुंच भी जाये तो जीवित कभी आता ही नहीं। रात भर वहां चीखने की आवाजें आती रहती हैं। इसलिए उसका नाम ही चीखता कब्रिस्तान पड़ गया।


रात में एक कमरे में खाना खाने क बाद वो सभी बैठे बातें कर रहे थे।

 अवंतिका----  मेरा मन इन सब बातों को मानने को तैयार नहीं

संजय----लेकिन अवंतिका हमने अपनी आंखों से देखा और कानों से सुना है ।

अवंतिका ---संजू फिर भी लगता है वहां कोई ओर रहस्य छुपा पड़ा है

अब सो जाते हैं सुबह फिर सफर करना है।


सुबह गांव वालों से विदा लेकर वो फिर चल पड़े जौधपुर की ओर 

अभी तो उन्हें चार घंटे ओर सफर करना है।


संजय ----लखना भैया। हमें माफ कर दो हमने आपके बारे में इतना ऊंटपटांग सोचा और आपने हमारी इतनी मदद की। लेकिन एक मदद और करना।

 लखन-- - वो क्या ‌?

संजय----घर पर यह घटना किसी को ना बताना वरना आगे से घूमने की इजाजत नहीं मिलेगी।

लखन----ठीक है नहीं बताऊंगा।


7 दिन बाद 

  सुबह सुबह ही संजय के मोबाइल की रिंग लगाया बजती चली जा रही थी ।

  संजय ने फौरन उठाया अवंतिका का फोन था ।

अवंतिका------हैलो संजू कहां हो?


संजय -- ‌‌अभी तक तो घर पर ही हूं लेकिन शाम को कोटा जा रहे हैं।

अवंतिका ---नहीं जाना तुम्हें कहीं भी।

संजय ----अरे अवंतिका क्या हो गया है तुम्हें हम चारों का कोटा का रिजर्वेशन है। कोचिंग क्लास शुरु होने वाली हैं

अवंतिका --- मुझे कुछ नहीं सुनना शीघ्र ही तुम चारों प्रीती और नियति को लेकर मेरे घर आ जाओ।


 11 बजे वो सातों अवंतिका की बैठक में बैठे थे।

 वो देखो T.V। की स्क्रीन पर


स्क्रीन पर वहीं कब्रिस्तान था। कोई वहां की वीडिओ रील बना रहा था। पहले कब्रें दिखी फिर एक कुआँ। अब धीरे धीरे कुएं से उतरती सीढ़ियां अब वो स्पीकर लगा ग्रामोफोन जिसमें से चीखने की आवाज़ें गूंज रही थी। तभी मोबाइल घूमा उन कैदी लड़कियों की ओर जो उस तहखाने में कैद थी। तभी चित्र आने बंद हो गये। 

लेकिन मोबाइल आन था तो कुछ देर तक तो भागने की आवाज आती रही फिर स्क्रीन ब्लैक।


अवंतिका----- आया कुछ समझ में।

संजय ---हां अवंतिका मेरी समझ में पूरी कहानी कौंध गई। सुनो

कोई पत्रकार या जासूस उस कब्रिस्तान का राज़ लेने के लिए वहां

गया उसने जितनी रील बनाई वो हम सबने देख ली। अंत में उस पर दुश्मन की नज़र पड़ ही गई। दुश्मन। उसको पकड़ने के लिये उसके पीछे भागा। वो भागते भागते तहखाने के बाहर आ गया वो तीव्र गति से भागा। और शत्रु के हाथ में आने से पहले उसने अपना यह मोबाइल पेड़ो की तरफ फेंक गया।


 अवंतिका ---- ओह न जाने कौन था वो दुश्मन ने उसे जिंदा नहीं छोड़ा होगा।

लेकिन मरने से पहले यह सुराग छोड़ ही गया।

संजय --- ‌लेकिन अवंतिका तुमको यह सुराग कैसे मिला।

अवंतिका---- याद है तुम्हें जब हम पेड़ो से सड़क की तरफ भाग रहे थे तब मैं गिर गई थी। गिरते ही मेरा हाथ इस मोबाइल पर पड़ा।

तुम में से किसी का समझ कर मैंने इसे उठा लिया।

तुम सब से मैंने पूछा तो तुम सबने कहा हमारे मोबाइल हमारे पास  हैं। आशीष ने तो यह भी कहा था फेंको इस कब्रिस्तान के मोबाइल को। लेकिन मेरा जासूसी दिमाग तभी कौंध गया था कि इसमें अवश्य कोई रहस्य मिलेगा। संजू कहा था ना मैंने गांव में कि इस कब्रिस्तान की चीखों के पीछे जरूर कोई रहस्य है।


संजय ---हां अवंतिका मान गये तुम्हारे जासूसी दिमाग को ।लेकिन यह बात तुमने सात दिन बाद क्यों बताई।

अवंतिका --- अरे इसमें कोई चार्जर नहीं लग रहा था। तब मैंने इसे स्पेशलिस्ट को दिया। कल रात को ही वो मुझे दे गया था । मैंने इसे कन्फर्म किया। और फिर सुबह ही तुम्हें बुला लिया।

और सुनो यह वीडियो करीब 6 महीने पुराना है।

सबसे पहले मैं इसे तुम सबके वाट्स ऐप पर सेंड करती हूं और फिर तुम सब इसे अपने सर्किल में फैला देना।


अमित ---चलो अब हम इस मोबाइल को लेकर S.Pके पास चलते हैं और आगे की कार्यवाही करते हैं।


पता लग चुका था वो मोबाइल एक युवा जासूस विनोद का था जिनका मृत शरीर उन्हीं की कार में करीब 6 मास पूर्व मिला क्यों कि उनका सिर व्हील पर था। सिर में से खून बह रहा था। यह समझ कर कि किसी ट्रक से टक्कर हो गई होगी ऐक्सीडेंट केस समझ लिया था।


कब्रिस्तान पर छापा मार कर एक बहुत बड़े गैंग को पकड़ा गया जो युवतियों का अपहरण करके उस तहखाने में कैद रखता था।

और उसकी जड़ें विदेशों तक फैली हुई थी।


दो दिन बाद हर अखबार हर न्यूज चैनल पर यह खबर सुर्खियों में थी। 

 चार छात्रों और तीन छात्राओं के अदम्य साहस से चीखते कब्रिस्तान के रहस्य पर से पर्दा उठा और सामने प्रकट हुई जासूस विनोद की महानता जिन्होंने अपनी जान की परवाह न करके उस चीखते कब्रिस्तान की वीडियो रील बनाकर वीरता की एक अपूर्व मिसाल कायम की।

 राष्ट्रपति की ओर से सभी छात्र छात्राओं को वीरता प्रमाण पत्र के साथ प्रत्येक को 1 लाख रु की राशि से सम्मानित किया जायेगा।।

और जासूस विनोद की पत्नी सुनीता देवी को अपने पति के इस बलिदान पर वीरता प्रमाण‌ पत्र और 10 लाख रु के चैक से सम्मानित किया जायेगा।


सारा हिंदुस्तान तन्मय और खुश होकर इस समाचार को देख रहे थे। और देख रहे थे वो गांव वाले भी ।



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