Renu Poddar

Drama

1.4  

Renu Poddar

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कब तक

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714


आज, फिर सासु माँ ने सुबह से घर में कलेश किया हुआ था, उनकी चिल्लाने की आवाज़ें सुन कर गर्भवती मेघा तो बिल्कुल डर ही गयी। बात सिर्फ इतनी सी थी, की रात को मेघा का खाना खाने का मन नहीं था तो उसने अपने पति नितिन से अपने लिए पाव भाजी मँगवा ली थी, जो मेघा की सास सुमित्रा को बिल्कुल अच्छा नहीं लगा।


नितिन सुमित्रा जी का अपना बेटा नहीं था, इसलिए उन्हे नितिन का एक भी पैसा खर्च करना अच्छा नहीं लगता था और मेघा के ऊपर पैसा खर्च करना तो उन्हें बिल्कुल रास नहीं आता था। मेघा के पीहर में उसके मम्मी-पापा ने उससे कभी ऊँची आवाज़ में बात नहीं की थी इसलिए मेघा सासु माँ का ऐसा रूप देख कर डर जाती थी। उनकी शादी को अभी 6 महीने ही हुए थे, नितिन तो मेघा का बहुत ख्याल रखना चाहता था, पर माँ के डर से कुछ नहीं कर पाता था।


सुमित्रा जी की अपनी एक ही बेटी थी, वर्षा। वर्षा अभी कुंवारी थी। सुमित्रा जी अपना सब कुछ वर्षा को ही देना चाहती थी। वह तो नितिन की शादी ही नहीं करना चाहती थी, ताकि वो ज़िन्दगी भर बस उनके लिए कमा कर लाये पर दुनिया के दबाव से उन्हे नितिन की शादी करनी पड़ी, इसलिए वह जब देखो मेघा को हर बात में टोकती रहती थी। मेघा ने जब यह बताया कि वो गर्भवती है, तो सुमित्रा जी को ज़रा भी अच्छा नहीं लगा। नितिन के पिताजी का कुछ साल पहले देहांत हो गया था। वह नितिन और वर्षा दोनों को अपनी संपत्ति में से आधा-आधा हिस्सा देना चाहते थे। यह बात सुमित्रा जी को बिल्कुल रास नहीं आयी, इसलिए सुमित्रा जी हर वक़्त उनसे लड़ती रहती थी। बेचारे अंदर ही अंदर घुटने लगे और कुछ समय बाद अचानक से चल बसे। किसी को उनके मरने का कारण ठीक से पता नहीं चला।


नितिन सुमित्रा जी से बहुत प्यार करता था, इसलिए वह उनकी हर गलत बात को भी अनदेखा कर देता था। वह घर में शान्ति बनाये रखना चाहता था, परन्तु आज नितिन को भी बहुत गुस्सा आ रहा था की जरा सी पाव-भाजी लाने के पीछे सुमित्रा जी ने इतना बखेड़ा खड़ा कर दिया, फिर भी उसने मेघा को समझाया कि जो भी मुझसे मँगवाना हो चुपचाप मंगवा लिया करो माँ के सामने जाहिर मत किया करो। ऐसे ही दिन निकलते गए कुछ समय बाद मेघा ने एक बेटे को जन्म दिया। सुमित्रा जी और वर्षा बिल्कुल खुश नहीं थे। जैसे-तैसे दुनिया को दिखाने के लिए उन्होने रीति-रिवाज़ पूरे किये। मेघा ने अपने बेटे का नाम हर्ष रखा।


हर्ष जब तीन साल का था, तब उसकी बुआ वर्षा की शादी हो गयी पर वर्षा ससुराल में कहाँ टिकने वाली थी! कुछ समय के बाद अपनी ससुराल वालों से लड़-झगड़ कर वापिस अपने मायके आ गयी और अब तो दोनों माँ-बेटी ने रोज़ के ही घर में कलेश शुरू कर दिए। नितिन उनसे अलग होने की इसलिए नहीं सोच सकता था की दुनिया क्या कहेगी कि सौतेली माँ थी इसलिए उसे अकेला छोड़ दिया। बेचारी मेघा सब कुछ सहन करती रही। ऐसे ही समय निकलता गया। हर्ष बारह साल का हो गया। एक दिन सुमित्रा जी ज़रा सी बात पर बुरी तरह हर्ष को मारने लगी। नितिन नीचे अपने कमरे में था। वह जल्दी से भाग कर ऊपर गया। सुमित्रा जी हर्ष को छोड़ने को ही तैयार नहीं हो रही थी। नितिन हर्ष को छुड़वाने की कोशिश कर रहा था, एकदम से उसका नियंत्रण बिगड़ा और वह सीढ़ियों से गिरता चला गया। नितिन तभी चल बसा।


अब तो सुमित्रा जी ने मेघा को भी मारना-पीटना शुरू कर दिया। मेघा के मम्मी-पापा को लगा की किसी दिन मेघा की सास मेघा को मार ही न डाले, इसलिए वह मेघा और हर्ष को अपने घर ले आये। मेघा के भाई-भाभी ने शुरू में तो मेघा के साथ अच्छा व्यवहार किया पर धीरे-धीरे उन्हें मेघा के खर्चे खटकने लगे। मेघा ने घर में ही सिलाई का काम शुरू कर दिया ताकि वो अपना और हर्ष का खर्चा उठा सके पर मेघा की भाभी ने रोज़-रोज़ लड़-झगड़ के उसका जीना मुश्किल कर दिया। मेघा के भाई-भाभी के सामने उसके मम्मी-पापा की ज़रा भी नहीं चलती थी और न तो उनके पास इतना पैसा था की वो मेघा को लेकर अलग रहने लगे।


मेघा हर्ष की वजह से दूसरी शादी भी नहीं करना चाहती थी, इसलिए मेघा ने हिम्मत कर के वापिस अपने ससुराल जाने का निर्णय लिया। इसके लिए उसने पुलिस का सहारा लिया। पुलिस ने मेघा की सुनवाई पर सुमित्रा जी को अच्छी तरह धमका दिया की अगर मेघा या हर्ष को कोई भी हानि पहुँचाई तो कानून उन्हें छोड़ेगा नहीं। मेघा को घर में एक कमरा दे दिया गया और दूसरे रास्ते से उसका आने-जाने का रास्ता बना दिया गया। मेघा अब अपने बेटे हर्ष के साथ अपने ससुराल में रहने तो लगी, फिर भी उसके दिमाग में हर समय एक खौफ समाया रहता था। पर धीरे-धीरे उसने अपने अंदर हिम्मत लानी शुरू की और अपने बेटे हर्ष को भी हर परिस्थिति का सामना करना सिखाया।


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