काली रानी
काली रानी
"चलो नानी! सोने का समय हो गया, अब कहानी सुनाओ।"
"कौन सी कहानी सुनाऊँ?"
" वही हमारी फेवरेट वाली।"
"या अपनी फेवरेट वाली सुनाऊँ।" ठीक है नानी ! तुम अपनी फेवरेट वाली कहानी सुनाओ।"
" तो सुनो बच्चों। चुपचाप सुनना। हल्ला मत करना। एक बार की बात है एक राज्य में एक राजा अपनी दो रानियों के साथ रहता था। उसकी एक रानी गोरी थी और एक रानी काली थी। वह अपनी गोरी रानी को बहुत मानता था लेकिन काली रानी को बिल्कुल नहीं मानता था। काली रानी को एक अलग कमरे में रहने के लिए कहता था और गोरी रानी को हमेशा अपने साथ रखता था। एक बार की बात है, राजा को युद्ध में जाना पड़ा। उसने अपनी गोरी पत्नी को कहा कि ,"तुम भी चलो मेरे साथ।" पर वह बोली ,"नहीं मेरा रूप रंग खराब हो जाएगा। मैं मर भी सकती हूँ। मैं वहाँ नहीं जाऊँगी।" तब काली रानी ने कहा," मैं चलूँगी आपके साथ। मैंने आपका साथ निभाने का वचन दिया है। मरते दम तक आपके साथ रहूँगी।" राजा अपनी काली रानी को लेकर युद्ध के मैदान में चल पड़ा। वहाँ दुश्मनों ने राजा को बंदी बना लिया।"
"फिर क्या हुआ नानी?"
"तब काली रानी ने हिम्मत दिखाई और राजा को आज़ाद करने में भरपूर मदद की। राजा को सही सलामत लेकर युद्ध जीत कर दोनों वापस अपने राज्य की ओर आ गए। वहाँ राजा ने बताया कि काली रानी ने युद्ध में कितनी मदद की। ये सुनकर सभी बहुत खुश हुए। राजा जान चुका था कि केवल रूप रंग से कुछ फर्क नहीं पड़ता। जब तक कि हम अपने अंदर के गुणों को ना देखें और उसने तुरंत गोरी रानी को निकाल दिया।और काली रानी के साथ रहने लगा ।और उसे पूरा सम्मान दिया जिसकी वह हक़दार थी।"
"वाह! नानी क्या कहानी सुनाई है? मज़ा आ गया।"
" बच्चों बताओ हमें इस कहानी से क्या सीख मिलती है ?"
"हमें यह सीख मिलती है नानी कि हमें कभी भी किसी के रूप रंग को देखकर उसका मज़ाक नहीं उड़ाना चाहिए। हमें उसके गुणों से उसे अपनाना चाहिए और उसे प्यार करना चाहिए।" "बहुत खूब! चलो अब सो जाओ। बहुत रात हो गई है। गुड नाइट।"
