जुदाई का अहसास - 6
जुदाई का अहसास - 6
ख़ुश होना चाहिये था उनको फिर क्यूँ दोनो इतनी पीड़ा महसूस कर रहे थे। क्यूँ लग रहा था जैसे ये जुदाई दोनो बर्दाश्त नही कर पायेंगे “जुदाई “ ये भयानक शब्द सोच -सोच कर उनकी जान निकली जा रही थी जैसे। मन भर रहा था दोनो का। “कोगराचुलेशन “ मंजरी ने मनोज को कहा -"आख़िर जो तुम चाहते थे वही हुआ।"
“तुम्हें भी बधाई हो आख़िर तुम जीत ही गई। तलाक़ देकर तुमने जीत हासिल कर ही ली।"
"तलाक़ लेकर कोई जीत हासिल कर सकता है ??" मंजरी कहने लगी।
“ तुम ही बताओ ?? थोड़ी देर चुप रहने के बाद कहा - "आख़िर तुम्हारा चरित्रहीन स्त्री से पीछा छूटा .. अब तो ख़ुश हो।"
मनोज ने कहा -"वो मेरी बहुत बड़ी भूल थी, मैं मानता हूँ कि तुम्हारे अहम को बहुत चोट पहुँचाई है। हर पुरूष भूल जाता है कि उसके ये शब्द स्त्री के ह्रदय को कितनी चोट पहुँचाते है मन आत्मा लहूलुहान कर देते है ...और उसका स्वाभिमान तोड़ने वाले को वह स्त्री कभी माफ़ नही कर सकती। मुझे ये बात नहीं कहनी चाहिये थी मैने बहुत गन्दी बात की है।
क्यूँ उसने ग़ुस्से में, ईगो में आकर मंजरी पर लांछन लगाये जिनका कोई आधार नही था। बहुत पछता रहा था मनोज अब ...