जुदाई का अहसास - 4
जुदाई का अहसास - 4
एक -दूसरे के साथ रहना अब एक पल के लिये भी गंवारा नहीं था। एक पल भी बर्दाश्त नहीं कर सकते थे एक- दूसरे को। जब से तलाक़ के काग़ज़ कोर्ट में दिये तो कोर्ट ने छ: महीने साथ रहने का नोटिस दिया। उसके बाद तलाक़ होगा इन छ: महीनों में शुरू -२ में २-३ महीने तो दोनो ने एक ही घर में रहते हुए कोई बात नहीं की।लेकिन एक दिन मनोज बिमार पड़ा तो मंजरी चुपचाप बिना बात किये मनोज का पूरी रात ख्याल रखती रही और खाना तक नहीं खाया और सोई भी नहीं।जब मनोज ठीक हुआ तब मंजरी ने जाकर पानी पिया। मनोज अपने किये व्यवहार पर शर्मिंदा था पर कह नहीं पा रहा था। बस “थैक्स” ही कह पाया।
एक बार सब सोसाइटी वालो के साथ उन दोनो को पिकनिक पर मजबूरी में जाना पड़ा। वहाँ नदी किनारे टहलते हुऐ मंजरी का पावँ फिसल गया।और वो नदी में गिर पड़ी। मनोज देखते ही उसे बचाने नदी में कूद गया था जबकी मनोज को तैरना भी नहीं आता था। उन दोनो को किसी तरहा बचा लिया गया।लेकिन मंजरी अभी तक होश में नहीं आई थी तो मनोज उसका हाथ पकड़ कर तब तक बैठा रहा उसके पास जब तक मंजरी को होश नहीं आ गया।मंजरी समझ नहीं पा रही थी कि क्यूँ मनोज तैरना ना जानते हुए भी उसे बचाने कूद गया। और उसके चेहरे पर मंज़री को खोने का डर भी दिख रहा था। “क्या ये वही मनोज है जो उससे नफ़रत करने लगा था। जो उससे शराब पीकर हर दिन गन्दी गालियाँ देता था। “ 6 महीने के नोटिस जब से मिला है तब से उनके रिश्तो पर सवेंदनहींन बर्फ़ सी जमी हुई थी ,धीरे -२ पिघल रही थी। “जुदाई का अहसास “उन्हें अन्दर ही अन्दर हर पल कचोट रहा था। कि अब बस कुछ ही दिन बचे है -साथ रहने के फिर वो सदा के लिये इक -दूसरे से जुदा हो जायेंगे।
कोई झगड़ा नहीं फिर।
महसूस कर रहे थे दोनों लेकिन फिर वही इगो आड़े आ कर कहने से रोक देती।