जुदाई का अहसास भाग-1
जुदाई का अहसास भाग-1
मजंरी और मनोज एक दूसरे का ख्याल रखने वाले कप्पलस थे। बहुत प्यार था दोनों में, लोग उनको देख कर रश्क करते थे कि कमाल जोड़ी है।
जाने उनके जीवन को जैसे किसी की बुरी नज़र लग गई थी। बात -२ पर एक दूसरे पर तुनकना शुरू हो गया। बात -बात पर लड़ना-झगड़ना जैसे रोज का नियम बन गया हो। जब से मनोज अपने काम में बहुत ज़्यादा व्यस्त होने के कारण ना तो घर, ना ही घरवाली पर ध्यान दे पा रहा था तब से उनके बीच सदैव बैचैनी, नाराज़गी का माहौल अक्सर बन जाता।
यहाँ तक की मनोज का स्वभाव भी पहले जैसा हँसमुख नहीं रहा। हर वक़्त चिड़चिड़ापन मंजरी से बर्दाश्त नहीं होता था। वो जब उत्तर में ग़ुस्सा करती तो बात इतनी बढ़ जाती कि अब उनके बीच बातचीत भी कई -२ दिन बन्द रहती। मंजरी बहुत उदास रहने लगी।
अन्दर का ख़ालीपन उसे काटने दोड़ता। धीरे -२ डिप्रेशन हावी हो रहा था मंजरी पर। गोलियाँ लेकर सोई रहती अकसर, बात भी करती तो किससे ?