Shailaja Bhattad

Inspirational

5.0  

Shailaja Bhattad

Inspirational

जोत से जोत जला

जोत से जोत जला

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"माँ, जब आप रंग बनाओगी हमें भी बुला लेना। अभी हम बाहर खेलने जा रहे हैं।"

"रंग बनाओगी? यह क्या कह रहे हैं बच्चे? कोहली।" सृष्टि ने जो कि कोहली की सहेली थी और घर मिलने आई हुई थी। उत्सुकतावश पूछा। 

"दरअसल हम लोग हर साल होली पर घर पर ही फूलों से, सब्जियों से विभिन्न रंग बनाते हैं। फूल हम मंदिर से लेकर आते हैं जो दूसरे दिन मंदिर से बाहर फेंके जाते हैं। इस तरह हम वेस्ट से रंग बनाते हैं । इनसे बने रंगों से होली खेलने से त्वचा व आँखें सुरक्षित रहती है और दूसरे दिन न कोई बीमार पड़ता है ना ही ज्यादा पानी खर्च होता है और इस सबमें बच्चे भी सहभागी बनते हैं इसलिए उन्हें बहुत कुछ सीखने को तो मिल ही रहा है साथ ही वे पर्यावरण के प्रति हमसे भी ज्यादा जागरूक हो रहे हैं।"

"वाह ! कोहली तुम्हारा जवाब नहीं । कितनी अच्छी बात कही तुमने। हम लोग भी अब ऐसे ही रंग बनाएंगे। कितने जागरूक अभिभावक हो तुम लोग हमेशा तुम्हारे यहां आकर मुझे कुछ न कुछ नया सीखने व समझने को मिलता है।"

"मुझे खुशी है सृष्टि इस बार भी मैं जोत से जोत जला पाई।"


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