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Man Singh Negi

Fantasy Inspirational

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Man Singh Negi

Fantasy Inspirational

जो होता है वह अच्छे के लिए होता है

जो होता है वह अच्छे के लिए होता है

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*जो होता है वह अच्छे के लिए होता है*


लेखक मान सिंह नेगी 

*गोली से भी तेज चलती है कलम* 


कभी-कभी दिल में ख्याल आता है। कैसे व्यक्ति गलती कर बैठता है।


कभी-कभी दिल में ख्याल आता है। कैसे व्यक्ति जाने अनजाने में गलती कर बैठता है।


सच्ची घटना पर आधारित उन गलतियों को उजागर करते हुए। 


मैं लेखक मान सिंह नेगी जिंदगी के वे कड़वे लम्हे अपने अनुभव से आप सबको बताना चाहता हूं।


अमित का जीवन सत्य की कसौटी पर बहुत ही आनंद में गुजर रहा था। 


जहां पर लोग उसकी सत्यता को देख कर कसमें खाते थे। वह कभी भी झूठ नहीं बोलता। 


अमित बहुत ही गुस्सैल है, परंतु मन का बहुत सच्चा है। 


यह बात सत्य है वह बहुत ही जल्दी गुस्सा हो जाता है। परंतु दिल का वह बहुत अच्छा है। 


अमित छोटी-छोटी बातों पर अपना बीपी ब्लड प्रेशर बढ़ा लेता है। 


परंतु वह कभी झूठ नहीं बोल सकता। 


एक दिन की बात है सुनील अनिल और अमित किसी काम को लेकर बड़े ही गंभीरता के साथ उसे पूरा करने में लगे हुए थे। 


हालांकि काम थोड़ा ज्यादा था लेकिन काम को निपटाना उन तीनों की नैतिक जिम्मेदारी थी। 


काम को पूरा करना उनका अपना कर्तव्य था।


वह काम जैसे ही पूरा हुआ तब पता चला इसमें कुछ अतिरिक्त समान आ गया है। 


उस अतिरिक्त सामान को देखकर अमित ने ना जाने क्यों और कैसे उसे छुपाने का प्रयास किया।


कहां तो यह भी जाता है विनाश काले विपरीत बुद्धि। 


हो सकता है यहां से मां सरस्वती ने उनकी बुद्धि ठीक वैसे ही हर ली हो ।


जैसे रावण विद्वान होते हुए भी कितने वेदों का ज्ञाता होते हुए भी अपने छोटे भाइयों अपनी पत्नी के समझाने के पश्चात भी नहीं समझा।


शायद इसे ही कहते हैं विनाश काले विपरीत बुद्धि। 


यहां पर अमित ने यह भी महसूस किया व्यक्ति को सालों साल लग जाते हैं भरोसा प्राप्त करने के लिए।


परंतु एक सेकेंड लगता है। एक पल लगता है उसे खराब करने के लिए। 


जैसे भूसा इकठ्ठा करने में कड़ी मेहनत और लंबा समय लगता है। 


परंतु माचिस की तीली लगते ही पल में वह स्वाहा हो जाती है।


अमित को वह गलती करके यह समझ आ रहा था। भगवान जो करता है अच्छा करता है।


वह यह तो नहीं समझ पा रहा था आज की यह गलती अच्छे के लिए हुई है या बुरे के लिए।


परंतु बड़े बुजुर्गों की कहावत है भगवान जो भी करते हैं अच्छा करते हैं।


जो भी होता है वह अच्छे के लिए होता है।


इसको स्वीकार करते हुए धीरे-धीरे अमित ने अपना जीवन पीछे मुड़ कर ना देखते हुए। आगे बढ़ने को ही बेहतर समझा। 


क्योंकि अमित की समझ में आ रहा था। 


जीवन चलने का नाम चलते रहो सुबह शाम।


अमित के समझ में यह आ गया था।


पिछड़ी बातें बिसार दे आगे की सुध ले।


वरना पश्चाताप की अग्नि आगे नहीं बढ़ने देगी। 


वरना पश्चाताप की अग्नि आने वाले उज्जवल भविष्य को भी बर्बाद कर देगी।


अमित ने सोचा जो कल हो गया है। उसे गुजरे हुए कल में ही रहने दो। 


क्योंकि जो कल अच्छा या बुरा हो चुका है। उसे कल तक में सिमट जाने दो। 


यदि भविष्य को बेहतर बनाना है। तो वर्तमान पर ध्यान देना ही होगा। 


परंतु यहां पर यह भी कहना चाहता हूं। कभी भी भूल से भी भूल न होने पाए।


भूल हो जाने के पश्चात भूल को स्वीकार करने के लिए भी बहुत बड़ा कलेजा चाहिए।


अमित ने अपनी भूल को स्वीकार करते हुए माना जीवन में पहली बार उससे इतनी बड़ी गलती हो गई है। 


वह क्यों हुई क्यों कर हुई इसका कारण वह समझ नहीं पाया। परंतु वह इतना समझ गया था एक छोटी सी गलती ने उसके चरित्र पर दाग लगा दिया।


जिसके कारण वह चाहते हुए भी किसी को कुछ नहीं बोल पा रहा है।


अमित को यह समझ आ गया था। *झूठ का जीवन जीना उसके लिए कठिन ही नहीं असंभव है।* 


वह यह भी जानता था उसकी गलती के कारण उसे कुछ भी नहीं मिलना।  


उसकी यह गलती ठीक उसी प्रकार थी। 


जैसे खाया पिया कुछ नहीं गिलास तोड़ा बारा आना।


अमित ने रोते-रोते सुमित से कहा जीवन में पहली बार इतनी बड़ी गलती हो गई।  


वह गलती उसे रात को सोने नहीं दे रही। 


यदि नींद आ भी जाए तो बेचैनी बार-बार दिल को सिकोड़ कर झकझोर कर उठा देती है।


अमित ने मन ही मन भगवान राधे कृष्ण से प्रार्थना की कभी भी जीवन में भूल से भी भूल ना हो।


अमित मन ही मन प्रार्थना कर रहा था। 


जाहे विधि राखे राम ताहि विधि रहियो। 


सच्चे व्यक्ति के लिए यही कहना चाहता हु। जो गलती अमित से हुई है। वह इस कहानी से सबक लेते हुए भूल से भी भूल ना करे। 


क्योंकि बहुत कठिन है सच्चे व्यक्ति का झूठा जीवन जीना।


इतिश्री


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