जनमानसिकता
जनमानसिकता




एक समय की बात है ।एक बड़े और मशहूर नगर में एक महान चित्रकार रहता था । चित्रकार ने एक बहुत सुन्दर तस्वीर बनाई और उसे नगर के चौराहे
मे लगा दिया और नीचे लिख दिया कि जिस किसी को , जहाँ भी इस में कमी नजर आये वह वहाँ निशान लगा दे । जब उसने शाम को तस्वीर देखी
उसकी पूरी तस्वीर पर निशान ही निशान थे और तस्वीर एकदम से ख़राब हो चुकी थी। यह देख वह बहुत दुखी हुआ । उसे कुछ समझ नहीं आरहा था
कि अब क्या करे वह दुःखी बैठा हुआ था । तभी उसका एक मित्र वहाँ से गुजरा उसने उस के दुःखी होने का कारण पूछा तो उसने उसे पूरी घटना बताई ।उसने कहा "एक काम करो कल दूसरी तस्वीर बनाना और उसमे लिखना कि जिस किसी को इस तस्वीर मे जहाँ कहीं भी कोई कमी नजर आये उसे
सही कर दे ।
उसने अगले दिन यही किया । शाम को जब उसने अपनी तस्वीर देखी तो उसने देखा की तस्वीर पर किसी ने कुछ नहीं किया । वह संसार की मानसिकता
समझ गया कि कमी निकालना , निंदा करना , बुराई करना आसान , लेकिन उन कमियों को दूर करना अत्यंत कठिन होता है ।
जब दुनिया यह कह्ती है कि अब तो हार मान लो और आशा धीरे से कान में कह्ती है कि एक बार फिर प्रयास करो । चयन आपका है - जिंदगी का सीमित लम्हा आईसक्रीम की तरह है, टेस्ट करो तो भी पिघलती है और वेस्ट करो तो भी पिघलती है !!
अतः जिंदगी के हर लम्हे को टेस्ट करना सीखो वेस्ट तो होन ही है!