जमाना हमसे है जमाने से हम नहीं

जमाना हमसे है जमाने से हम नहीं

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जमाना हमसे है, हम जमाने से से नही यह कुछ इस तरह की भावना को लिए विमल नामक युवक अपनी मंज़िल की तलाश कर ही रह था। कि अचानक एक थियेटर के मालिक से मुलाकत हुई। विमल जी को पैसे की सख्त जरूरत थी तो सोचा ईश्वर ने मौका दिया है तो लाओ अपनी क़िस्मत को आजमा ही लेता हूँ।

विमल जी ने प्रैक्टिस करना शुरू कर दिया। बहुत मेहनत किया तो नाटक में बहुत ज्यादा सराहना मिली। कुछ पैसा मालिक ने दिया कुछ पब्लिक द्वारा इनाम भी मिला। शाम को घर लौटते समय सोचा की आज तक बाबू जी के पैसे से सब्जी जाती है। तो क्यों न आज सब्जी फल और माँ की दवा मैं ले चलूँ। घर के सभी लोग खुश हो जायेंगे।

विमल ने साग सब्जी और माँ की दवा सब लेकर घर पहुँचा तो पहली बार बेटे की कमाई से घर मे समान आया तो माँ पिता दोनो ख़ुशी से विह्वल हो गए। माँ जानकी जी उसमे से फल और सब्जी लेजाकर आने लड्डू गोपाल को चढ़ा दीं। बोली मुझे पता है। जैसे आपने बड़ी मन्नत से दिया है वैसे इसका कोई न कोई रास्ता भी आप ही देंगे। विमल के अंदर किसी भी प्रकार की कोई गलत आदत नही थीं।

एक दिन विमल को स्टेज पर सिगरेट पीकर मुह से धुंआ छोड़ना था। जो करने से पीछे हटने लगा। साथियों ने बहुत समझाया कि भाई तुम्हे पीने के लिए कोई थोड़ी कह रहा है। बस एक बार करना है तुम्हारी वजह से सब बिगड़ जाएगा। प्लीज भाई एक बार कर दो यह नाटक सबसे अच्छा है इसमें हम सभी को अच्छा खासा पैसा मिल जाएगा। तुझे क्या भाई तुम्हारे पापा कमाते हैं तुम करो या न करो। बस एक बार मेरे बारे में भी सोच लो। मेरे ऊपर ही सारी फैमली का बोझ है।

फिर विमल भावुक होकर यह ड्रामा करने को तैयार हो गया। और इतना अच्छा गया यह नाटक की कहिए न अब तो बहुत सारे लोग कोई 500 कोई 100 रुपये इसी तरह बहुत सारा इनाम मिला । आज के नाटक का इनाम उस बच्चे को दे दिया जिसने बहुत रिक्वेस्ट किया था। और मलिक का दिया हुआ पैसा लेकर घर वापस चला गया।

फिर दूसरी नौकरी की तलाश जारी रखी। अंत मे मीडिया की नौकरी मिली। जहाँ सिगरेट पीकर सब रात में जागकर रात की ड्यूटी करते थे। एक दिन अपने पुराने सभी दोस्तों के साथ मिला और बोलाएक समय था। मैं नाटक करने के लिए सिगरेट को हाथ लगाने का मन नही था। आज जहाँ हम बैठते हैं वहां लोगों की मजबूरी होती है लोग जागने के लिए सिगरेट पीते हैं।

बहुत लोगों का हमने छुड़ाया है। अभी बहुत लोग हैं जिनका छुड़ाना है। "ये जमाना हमसे है हम जमाने से नही। ये आदत हमसे हैं हम आदत से नहीं। "

आज की कहानी कैसी लगी आप सभी को हम अपनी आदत खुद से बिगाड़ते हैं। जब कि हमे पता होता है कि यह हमारी सेहत के लिए हानिकारक है। चाहें ओ चाय ,कॉफी,या तम्बाकू या सिगरेट इत्यादि। हम चाहे तो हमारे अंदर कोई गलत आदत न रह पाए और हम नही चाहेंगे तो जिसको जिसको आना है सारी गलत आदतें हमारे हम सभी के अंदर प्रवेश करेंगी।


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