Meenakshi Kilawat

Abstract

4.7  

Meenakshi Kilawat

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"जिसके बिना जीवन नहीं"

"जिसके बिना जीवन नहीं"

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  जिसके बिना जीवन नहीं वह अद्वितीय प्रकृति है, जहां प्रेम है वहपर सुरीला साज संगीत है ,तान है वहां कोई पैर में घुंघरू बांधे होगी मीरा ।भाव में ही सब कुछ है।दुनिया में सबसे प्रेम करो,किसी से भी द्वेश मत करो,अन्यथा अपना ही नाश होता है।द्वेश का अर्थ होगा अपना क्रोध और होगा अपना विध्वंस और मिटाने वाला बहुत ज्यादा आनंदित हो जाता है,एवं खतरनाक भी होता है,क्योंकि जब कोई किसी को मिटाना चाहते हो, तो तुम भी बिना मिटे नहीं रह सकते, जो हत्या करता है वह खुद की आत्महत्या भी कर रहा होता है ,जो दूसरों को दुख पहुंचाता है,जो अपने दुख के कारण, दूसरों को नरक में धकेल रहा है, वह स्वयं भी नरक की सीढ़ियां उतर रहा है, उसे पता होनी चाहिए यह बात।दुनिया में विध्वंस करके कोई सृजन को उपलब्ध नहीं हो सकता, मिटाने वाला खुद कोही मिटा रहा होता है, जो गड्ढे दूसरों के लिए खोदता है, वही खुद उसी गड्ढे में गिर जाता है।नकारात्मकता छोड़कर दुनिया में जीवन जीना चाहिए नकारात्मकता नरक का द्वार है।जीवनका अंधकार उसे पकड़ लेता है,और उसकी प्रार्थनाएं या भक्ती व्यर्थ हो जाती है। क्योंकि द्वेष से उठती लपटे उसे भस्म कर देती है। ना हीं प्रार्थना का अंकुर खिलता ना फलता है।

    हर इंसान को लीन होकर जीना चाहिए,रिश्ते संभालना है तो किसी की गलतियां ना निकाले,पैसा एवं ताकत कभी किसी के पास रूक नहीं सकता,संकट को ना घबराए वह किसी भी समय हमको जीवन जीने की संधि देता है।वे दोनों साथ साथ चलते हैं,जीवन में संकट ना हो तो हमको राह भी नहीं मिलती।बड़ का वृक्ष बहुत ऊंचा और विशाल होता है।वह उतना ही जमीन में 

रहता है।इस वजह से वहां कभी गिरता नहीं है।अगर आप भी प्रेम से विशाल रुक्ष की तरह फैल जाए एवं, अच्छे लोगों का साथ पकड़े तो हमारा जीवन विशाल वृक्ष की तरह मजबूत होगा।हमारा जीवन कैची की तरह नहीं होना चाहिए जीवन में हमको लीन होकर सुई बनकर रहना चाहिए,यह सुई जोड़ने का काम करती,एवं एक टुकड़े के दो टुकड़े कर देती हैं।जीवन में हमको कुछ बातें सहेज कर रखनी होती है,जैसे विश्वास, वचन, रिश्ता,मित्रता एवं प्रेम यह अगर तुट जाती है तो आवाज नहीं होती,विपरीत जीवन में दर्द बहुत होता है।



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