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Asmita prashant Pushpanjali

Drama

0.8  

Asmita prashant Pushpanjali

Drama

जीवन साथी

जीवन साथी

2 mins
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"कृपया ध्यान दिजीये। नागपुर -रायपूर टाटा पँसेंजर कुछ ही समय मे प्लँटफार्म क्रमांक दो पर आ रही है।" रेल्वेस्टेशन पर अनाउंसमेंट होते ही आशा खडी हो गयी। अगले ही पल प्लेटफार्म पर खड़ी गाड़ी में जब उसने प्रवेश किया, तो प्रथम उसकी आँखें, बैठने के लिये खाली सीट ठुंठने लगी। आखीर एक जगह पर थोड़ी सी जगह मिल ही गयी।

आशा सिट पर बैठे, डिब्बे मे बैठे सभी यात्रियों को बारी बारी देखने लगी,तो उसकी नजर सत्तर साल की गोरीचिट्टी वृद्धा पर थम गयी। कान मे सोने के छुमके, गले में मंगलसुत्र और सर पर साड़ी का पल्लू, काफी घरंदाज लग रही थी वह। गाडी अपने गति से दौड़ते चलने लगी। तभी,"कुछ खाना है ?" वृद्धा का हमउम्र वृद्ध व्यक्ती उससे पुछने लगा।

"नहीं" में उसने सर हिलाया।

कुछ क्षण पश्चात,

"बाथरूम जाना है" वृद्धा ने पडोस मे बैठे उसी वृद्ध व्यक्ति से कहाँ-

"चलो।" उस

व्यक्तीने स्वयं खडे होते हुये, उसके दोनो हाथ थामे,वृद्धा खडी होने पर उसके आँचल को सवाँरकर उसे बाथरूम ले जाने लगा। वापस आने के पश्चात वृध्दा को सिट पर बिठा, फिर से उसके साडीके पल्लू सो सवाँर कर, पानी की बोतल खोल उसे पानी पिला दिया। और अपनी जगह बैठ गया।

अगले स्टेशन पर उन्हे उतरना था। जैसे स्टेशन पास आने लगा, वृध्द स्वयं उठकर हात मे बँग संभालते हुये आगे बढने लगा तो वह वृध्दा भी उसके पिछे चलने का प्रयास करने लगी।

"तुम वही बैठो। मै बँग दरवाजे के पास रखकर तुम्हे लेने आता हूँ।" यह सुन,वह सिट पर बैठ गयी। स्टेशन आते ही वृद्ध व्यक्तीने पिछे मुड वृद्धा की ओर हाथ बढ़ा दिया, तो वृद्धा भी हाथों में हाथ देते हुये। उठ खड़ी हुई।

गाड़ी रूकी, उरने वाले उतर गये, लेकिन आशा बस उसी वृद्ध जोड़ी को देखे जा रही थी। वह जीवनसाथी थे। गाड़ी से उतरकर एक दूजे साथ और एक-दूजे के पीछे-पीछे चले जा रहे थे।


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