जीवन के फेफड़े
जीवन के फेफड़े
पर्यावरण विभाग दल की गाड़ियां धूल उड़ाती हुई गांव पहुंची। कारों की छत के कार्नर पर लगे स्पीकरों से एक ही नारे की भरमार थी - " वृक्ष लगाओ,धरा बचाओ" , " हरा भरा परिवेश होगा, खुशहाल जीवन शेष होगा " बीच - बीच में देशभक्ति तराने से मन रोमांचित हो उठता जब सुनाई देता - " मेरे देश की धरती सोना उगले, उगले हीरे मोती,मेरे देश की धरती। "
बच्चों की टोली पर्चे पाने की आश में गाड़ियों के पीछे दौड़ते हुए चौगान में पहुंचे। एक एक कर पूरा ग्रामीण चौगान बच्चों, युवाओं और बुजुर्गो से लबालब हो गया।
सब हैरानी से गाड़ियों से उतर रहे कोट-पैंट वाले व्यक्तियों को घूरने लगे। उनका स्वागत हुआ।चौगान शोरगुल था,इसी बीच एक विभागीय अधिकारी खड़ा हुआ और संबोधित करते हुए बोला -
" प्यारे किसान भाइयों, युवाओं एवं बच्चों ! "
चौगान शांत हो गया।
" आप सोच रहे होंगे कि अचानक से इतनी गाड़ियां कहां से आ धमकी। "
परिचय के तौर पर सबका परिचय दिया गया और एक पौधों से भरी गाड़ी की ओर इशारा कर बोला - " कि दिनों-दिन धरती का तापमान बढ़ रहा है जिसकी वजह देशभर में अंधाधुंध पेड़ों की कटाई है, ये पेड़ ही जीवन के फेफड़े हैं अगर इन्हें ही नष्ट कर दिया गया तो धरती पर जीवन भी समाप्त हो जाएगा।"
तालियां बजी ( गड़ गड़........ )
" वर्षा न होने का कारण भी यही है तथा पर्यावरण दूषित होने से बीमारियां फैल रही है। "एक बुजुर्ग बोला - " साहब! म्हारे खाण न दाणा ना होवे तो और के करां? "
वह बोला - " आपकी बात भी सही है किन्तु हम आवश्यकता से अधिक पाने के लिए अपने खेतों से पेड़ों को कटवा कर बेच देते हैं।"
एक कहावत है " एक काटो, दो लगाओ " इससे पर्यावरण संतुलन बना रहेगा।
" किसान भाइयों! सरकार ने मुहिम चलाई है कि प्रत्येक पंचायत में मुफ्त में पौधे वितरित कर हर घर को पांच - पांच पौधे दिए जाएं।"
तालियां बजी ( गड़ गड़........ )
बच्चे पौधों को लेने की जल्दबाजी करने लगे।
ठहरो! एक ओर व्यक्ति बोला -" हर घर का एक - एक सदस्य यहां नाम लिखवा कर पौधे प्राप्त करेगा।हर पौधे पर पांच रुपए सरकार आपके बैंक खातों में महीने पर डालती रहेगी।"
ऐसा सुन कतारें लग गई।
" मुफ्त में अगर राख भी दे तो जनता लेने पहुंच ही जाती है। "
" क्या सरकार कहे तभी हमारी यह जिम्मेदारी बनती है? नहीं, इस भूमि के प्रत्येक मनुष्य का कर्तव्य है कि अधिक से अधिक वृक्षारोपण करें।"
तभी चौगान के बीचोंबीच से चार गाड़ियां कटे हुए दरख़्तों से भरी हुई गुजरी।
बच्चे चिल्लाए - " जीवन के फेफड़े जा रहे हैं, वो देखो जीवन के फेफड़े जा रहे हैं।"
सभी की नजरें झुक गई।
" उड़ती हुई उस धूल में सभी नारे हवा हो गये।"
