पीपल का पेड़
पीपल का पेड़
उगते प्रभात की लालिमा सृष्टि के आंचल को प्रकाशमय करती हुई धरातल पर बिखरने लगी थी। पुष्पा अभी तक सो रही थी जबकि अलार्म ने तय समय पर उसे जगाने का भरपूर प्रयास किया था।नीम पर बैठे पंछियों के कलरव द्वारा उसे जगाने का प्रयास भी निरर्थक सा जाता लगा कि अचानक वह दो सितंबर है आज दो सितंबर यानी निशा का जन्मदिन..... अर्द्ध नींद में ये बोल बड़बड़ाते हुए उठी।
बच्चों में चाहे कैसा भी दिन हो? हर दिन कोई न कोई उत्सव जरुर बन जाता है।
पुष्पा ने जल्दी जल्दी मुंह धोया,चाय बिस्किट लिया और चल दी निशा के घर।मन ही मन सोचती जा रही थी कि मैं उसे सबसे पहले हैप्पी बर्थडे कहूंगी।
बच्चों की मित्रता को किसी भी पैमाने से नहीं नापा जा सकता। निशा के कमरे में जाकर देखा,वह अभी सो रही थी।धीमे कदमों से नजदीक जाकर पुष्पा जोर से बोली "हैप्पी बर्थडे निशा,लाओ मुंह मीठा कराओ क्योंकि मैंने तुम्हें सबसे पहले बधाई दी है। "निशा हड़बड़ाकर उठी, "तुमने तो डरा ही दिया। मुंह मीठा? वो किस बात का? तुम कोई गिफ्ट तो लाई नहीं।
पहले तुम मुझे कोई ऐसा उपहार लाकर दो जिसे मैं दोस्ती के नाम पर सालों तक संभाल कर रख सकूं।" बच्चों के जिद्द की कोई होड़ नहीं कर सकता।
पुष्पा ने कहा कि "ठीक है मैं तुम्हें पक्का ऐसा ही कोई गिफ्ट लाकर दूंगी।"
"वादा!... हां वादा!"
दोनों फिर अपने अपने गंतव्यों पर अग्रसर हो गई।आधा दिन बीत गया वह सोचती रही कि ऐसा कौनसा उपहार होगा जिसे वर्षों तक संभाल कर रखा जा सके? तभी उसे दादाजी के कमरे से नंदू ( छोटा भाई ) की हंसी सुनाई दी।वह तुरंत वहां चली गई।नंदू ने पुष्पा से कहा कि दादाजी ने बहुत अच्छी कहानी सुनाई है परन्तु वह खामोश खड़ी रही।
दादाजी ने पूछा कि "क्या हुआ है बेटा? ऐसे मुंह लटकाए गुमसुम सी क्यों खड़ी है? किसी ने डांटा है क्या?" वह बोली - "नहीं दादाजी ऐसी बात नहीं है", फिर पुष्पा ने दादाजी के स्नेह में सारी बातें खोल डाली।
"बस, इतनी सी बात?" दोनों बच्चे दादाजी की ओर ताकने लगे। "आओ... मेरे साथ! मैं तुम्हें एक ऐसा गिफ्ट दिखाता हूं जिसे हम सदियों तक भी संभाल कर रख सकते हैं।"
पुष्पा ऐसा सुनकर मुस्कुराई और बोली...."ऐसा कौनसा गिफ्ट है दादाजी?"
दादाजी ने पीपल के पौधे की ओर इशारा किया जो आंगन की दहलीज में पनप रहा था।
"पीपल का पेड़?"... पुष्पा ने कहा। "हां यही।"
सीमगर दादाजी पापा तो कहते हैं कि पीपल का पेड़ कभी घर में नहीं लगाना चाहिए वरना पाप लगता है।" दादाजी मुस्कुराए और बोले कि "मेरी प्यारी गुड़िया! इसके पीछे भी एक कहानी है, वो ये कि पीपल हर समय हमें प्राणवायु देता है यानी आक्सीजन , जिससे हम सब,जीव-जन्तु जीवित रहते हैं। इस पेड़ को कोई अपनी दैनिक आवश्यकता के लिए काटे नहीं इसलिए ऐसी कहानी बना दी कि पीपल को काटना, घर,खेत में लगाना पाप है। गुड़िया...पाप तो हर हरे पेड़ को काटने से भी लगता है। इसलिए तुम यह पौधा निशा बिटिया को गिफ्ट में दे सकती हो।इसे तुम बस स्टैंड,मरघट, सड़क किनारे या तालाब के पास निशा के हाथों से लगा देना। इस तरह अगर हर व्यक्ति अपने जन्मदिन पर पीपल का पेड़ लगाएगा तो हमारा पर्यावरण बिल्कुल शुद्ध हो जाएगा। फिर कोई बीमारी यहां नहीं पनपेगी। अच्छा दादाजी! फिर तो मैं भी मेरे जन्मदिन पर पीपल को ही लगाऊंगी। हां ठीक है प्यारी गुड़िया, अब इसे ले जाओ।"
पुष्पा ने पीपल का पौधा निशा को भेंट किया और अपने दादाजी की सभी बातें दोहराते हुए उसे बस स्टैंड पर लगा आए। इस अनमोल उपहार को देखकर सभी बहुत खुश हुए तथा निशा का जन्मदिन बड़ी धूमधाम से मनाया गया।।
