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dr. kamlesh mishra

Abstract

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जीवन एक पहेली

जीवन एक पहेली

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 मानव जीवन एक पहेली है। जिस तरह पहेली का हल ढूँढ़ना मुश्किल होता है उसी तरह मानव जीवन के  छिपे हुए रहस्यों को ढूंढना बड़ा कठिन होता है।जब वह अपने जीवन के रहस्य को नहीं जान पाता है और उसे जानने के लिए चलता रहता है, मगर जब जीवन का सच सामने आता है तो यदि अच्छा है तो हँसता है। और  बुरा है तो रोता है और डरता है कि भविष्य में क्या होगा और उसकी चिंता में अपने सुखद वर्तमान भी को भूल जाता है। कितना अजीब है यह मानव जो जीता तो है वर्तमान में लेकिन भविष्य की कल्पनाओं में उलझा रहता है। और उन्हें सुलझाने की कोशिश में लगा रहता है। नियति के प्रहारों को सहते हुए पत्थरों पर चलते हुए, हवाओं से टकराते हुए, वक्त के प्रतिकूल थपेड़े खाते हुए भी कभी अपने पथ में विराम नहीं लेता। कल्पना रूपी

सागर में जीवन की अनबूझ पहेली को सुलझाने में लगा रहता है। मगर अफसोस ! कि जब वह उस पहेली को सुलझाने में असफल होता है तो पश्चाताप करता हुआ नये पथ पर अग्रसर होता है। फिर वर्तमान को छोड़ कर भविष्य की तरफ मुड़ता है। सच ही किसी ने कहा है कि जीवन एक पहेली है। और उसे सुलझाने में मनुष्य इस जन्म से उस जन्म तक चलता रहता है।



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