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dr. kamlesh mishra

Inspirational

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आदर्श नारी (गौरी देवी)

आदर्श नारी (गौरी देवी)

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गौरीदेवी उत्कल-नरेश स्वर्ण केशरी मुकून्ददेवकी सुशीला कन्या थीं। मुकुंद देवजी सोमवंशी क्षत्रिय थे। एक दिन कन्नौज के राजा विजयपाल राठौर-दक्षिण विजय करके लौटते है तो मुुकुन्ददेव केे यहाँ अतिथि बनकर आते है। राजा ने बडे प्रेेम से कान्यकुब्जधारी

का सत्कार किया महाराज नेे गौरीदेवी केे स्वाभाव,

सद्गगुण,विनय, और सौंदर्य पर विचार करकेे उन्हें अपनी पुत्रवधू बनानेे का बिचार किया। उन्होंने अपना यह बिचार मुकुंद देव केे सामनेप्रकट किया। उत्कल नरेेेश इस बात से बहुत प्रसन्न हुए। उन्होंने बड़ी धूमधाम के साथ गौरीदेवी का विवाह राजकमार जयचंद केे साथ कर दिया।

गौरी ने अपने सद्गगुणो से परिवार में प्रतिष्ठा प्राप्त  की। इनके गर्भ से एक कन्या उत्पन्न हुुई, जोअनेक सद्गगुणो से संंयुक्त होने के कारण संयोगिता नाम से प्रसिद्ध हुईं। यह वहीं इतिहास प्रसिद्ध संयुक्ता थीं। जो दिल्लीपति पृथ्वीराज चौहान की पत्नी बनी।


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