नैनों से बह रही है मन की विकलता अधरों पर खामोशी नहीं जीवन में सरलता। नैनों से बह रही है मन की विकलता अधरों पर खामोशी नहीं जीवन में सरलता।
हम आप कितना भी खेल खेले लेकिन भगवान का खेल निराला होता है हम आप कितना भी खेल खेले लेकिन भगवान का खेल निराला होता है
भविष्य में क्या होगा और उसकी चिंता में अपने सुखद वर्तमान भी को भूल जाता है। भविष्य में क्या होगा और उसकी चिंता में अपने सुखद वर्तमान भी को भूल जाता है।
उसने ऐसा महसूस किया कि मन की उमंग आनंदोत्सव मना रही हो। उसने ऐसा महसूस किया कि मन की उमंग आनंदोत्सव मना रही हो।