AMIT SAGAR

Drama Inspirational Others

4.7  

AMIT SAGAR

Drama Inspirational Others

झूठी नफरत

झूठी नफरत

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दुनिया में ऐसे बहुत से लोग हैं जो किसी ना किसी से बदला लेना चाहते हैं या किसी ना किसी से नफरत करते हैं। ये नफरत कभी किसी वजह से होती है तो कभी बेवजह होती है। इसी के साथ दुनिया मे लड़ाईयाँ भी बहुत हो चुकी है, जैसे हिन्दु- मुस्लिम, हिन्दु- सिख, और मुस्लिम- सिख और इससे अलग सास -बहु, भाई -भाई और कभी कभी तो पड़ोसी-पड़ोसी की लड़ाई और कारण बहुत अजीब बहुत विचित्र।

ऐसे ही किसी पुरानी बस्ती में एक बन्नेसिंह नाम का शराबी रहता था। शराबी के साथ साथ वो अपनी बस्ती का सबसे बैगेरत और बद्तमीज आदमी था क्योंकि उसे अपनी इज़्ज़त की कोई चिन्ता नहीं थी सोने पे सुहागा थी उसकी पत्नि वो कहते हैं ना हर एक जोड़ी भगवान ऊपर से ही बनाकर भेजता है कहने का मतलब है चन्डालपन में पत्नि, पति से बहुत आगे है। नाम है सीमा जिसको अपने हुस्न पर बहुत नाज है। पर नाज और घमंड मे बहुत अन्तर है वो ये सोचती है बस्ती के सारे मर्द उसे ताड़ते हैं पर उसके पति के डर से कोई उसे निगाह उठा कर देखने की हिम्मत नहीं कर सकता, जबकि ये पूरा सच नहीं है

उसी बस्ती में एक और निहायती सज्जन और शरीफ आदमी रहता था जो कि कोई भी गलत काम करने से बहुत डरता था और इस बात की चर्चा भी पूरे मोहल्ले में थी नाम था किशोर। पर कभी कभी सज्जन को भी सनक चढ़ जाती है। साथ ही किशोर और बन्नेसिंह में थोड़ा द्वेष भी था। वो दोनों जब भी आमने सामने से गुजरते थे तो कट्टर दुश्मन की तरह एक दूसरे को देखते थे। बन्नेसिंह किशोर से इसलिए चिढ़ता था क्योंकि किशोर उसे जरा भी तवज्जो नहीं देता था और किशोर उससे इसलिए चिढ़ता था क्योंकि बन्नेसिंह ने सारे मोहल्ले वालो की नाक में दम कर रखा था। उधर बन्नेसिंह की पत्नि ने सारे मोहल्ले में यह ढिंढोरा पीट रखा था कि कोई जरा भी उसकी तरफ आँख उठाकर देखे तो अपने पति से उसकी आँखें नुचवा लूँ उसे मोहल्ले से निकलवा दूँ उसका जीना हराम करवा दूँ । यह बात किशोर के कानों तक पहुँच गई बस फिर क्या था किशोर ने निर्णय किया कि सीमा को उसके घमण्ड का एहसास दिलाना है।


एक दिन सीमा अपनी छत के छज्जे पर खड़ी थी किशोर जब उधर से गुजरा तो उसने सीमा की ओर ऐसे देखा जैसे वो उसको घूर रहा हो सीमा ने भी आज कुछ अजीब महसूस किया पर ऐसा पहली बार हुआ था और सीमा ने इस बात को नज़रअंदाज़ कर दिया। सीमा का पति शराबी तो था ही वो रात को पीके आया और इधर उधर की हाँकने लगा। उधर किशोर भी गली से गुजर रहा था बन्नेसिंह ने उसे देखकर और जोर जोर से गाली देना शुरु कर दिया। किशोर समझ गया कि सीमा ने उसकी शिकायत की है पर सीमा ने तो आज शिकायत की ही नहीं थी, मन ही मन सोचने लगा कि यदि इसने मेरा नाम लेकर गाली दी तो इसकी खैर नहीं यही सोचते सोचते वो गली से गुजर गया। और इस तरह उस दिन लड़ाई होने से बच गई। किशोर फिर मन में विचारने लगा कि इन दोनों का घमण्ड तोड़ना जरूर है। अगले दिन फिर से वही नजारा था, सीमा अपने छज्जे पर खड़ी थी और किशोर जब गली से गुजरा तो उसकी निगाह सीमा के उपर कल से क्रूर थी। पर अब कि बार सीमा ने भी उसे नज़रअंदाज़ नहीं किया उसने भी मन में विचार बनाया कि आज इस किशोर को अपने पति से दो चार खरी खोटी सुनवानी ज़रुर है। जब उसका पति शाम को घर आया तो उसने अपने पति से कहा कि किशोर हमारे घर की ओर घूरते हुए जाता है। पत्नि की बात सुन वो शराब पिकर आया और रोजाना की तरह गाली बकनी शुरु कर दी, तभी किशोर वहाँ से गुजरा तो बन्नेसिंह की गालियों का अन्दाज भी बदल गया (अगर मेरे घर की तरफ कोई आँख उठाकर देखे तो उसकी आँखें फोड़ दूँ - बन्नेसिह) । किशोर समझ गया कि वो उसे ही गाली बक रहा है पर बन्नेसिंह ने अभी भी किशोर का नाम नही लिया और किशोर यही सोचता हुआ आगे बढ़ जाता है कि अगर यह मेरा नाम ले तो मैं इसको मज़ा चखाऊं। और वो दिन भी बिना लडा़ई के कट जाता है। अगले दिन फिर वही सब कुछ हुआ पर इस बार सीमा ने साफ साफ कह दिया कि किशोर मुझे रोज घूरता है और रात को बन्नेसिंह की गालियां भी घर से बीवी मे तब्दील हो गई यानि उसने कहा कि कोई मेरी बीवी को मेरे सामने घूर कर दिखाये उसको कच्चा चबा जाऊंगा और किशोर आज भी अपने नाम का जाप ना होने के कारण वहाँ से चला जाता है। अब जबकि बन्नेसिंह और किशोर की दुश्मनी का सारे मोहल्ले में चर्चा है तो वहाँ का माहौल भी काफी गरम हो चुका है। सभी की जुबां पर बस एक ही बात है कि जब इन दोनों की लड़ाई होगी खून ज़रुर बहेगा। किसी ना किसी के हाथ पाँव ज़रुर टूटेंगे। उधर मोहल्ले वाले भी उन दोनों को समझाने की जगह एक दूसरे के खिलाफ़ चिंगारियां छोड़ रहे थे, अगर बन्नेसिंह कुछ कहता तो फौरन नमक मिर्च लगाकर वो बात किशोर को बता दी जाती, और किशोर कुछ कहता तो बन्नेसिंह के पास बात छोंक भूनकर पहुँचती जिससे वो एक दूसरे से पहले से ज्यादा चिढ़ने लगे थे।

खैर चौथे दिन जब किशोर सीमा को घूरता हुआ जा रहा था तो उसके पाँव के आगे एक ईंट आ गई और वो गिरने से बच गया। किशोर बहुत छोटी छोटी बातों को बहुत गहराई से सोचता था। ठोकर लगने वाली बात पर वो मन ही मन विचार करने लगा कि यह ठोकर मुझे क्यों लगी है, कहीं इसलिए तो नहीं कि मैं बेवजह किसी से लड़ाई मोल ले रहा हूँ या फिर इसलिए कि मैं ऊपर देख के चल रहा था दोनों ही कारणों में चोट मुझे ही लगनी थी और फिर उसने विचार बनाया कि आगे से कभी ऊपर देखकर नहीं चलेगा। सीमा आज जली भुनी बैठी थी उसने आज तो फैसला कर ही रखा था कि पति को इतना भड़काउंगी कि वो किशोर का खोपड़ा ही फोड़ दे। चार दिन से रोज मुझे घूर रहा है आज अपने पति से इसकी मरम्मत ज़रुर करवानी है। उधर बन्नेसिंह भी मन में विचार कर रहा था कि कहीं मेरी पत्नि मुझसे झूठ तो नहीं बोलती, लेकिन वो झूठ क्यों बोलेगी उसे क्या फायदा हो सकता है झूठ बोलकर। लेकिन किशोर भी तो गलत आदमी नहीं है उसने आज तक किसी को सिर उठाकर नहीं देखा औरत तो छोड़ो वो तो आदमियों से भी कम ही बात करता है। फिर उसने सोचा कुछ भी हो अपनी पत्नी पर तो विश्वास करना ही होगा। उस दिन बन्नेसिंह और ज्यादा शराब पीकर आया जिसके दो कारण थे पहला तो उसको किशोर पर अत्याधिक गुस्सा आ रहा था और गुस्से में इन्सान कितनी पी रहा है पता ही नहीं रहता, दूसरा उसको आज तनख्वाह मिली थी। बन्नेसिंह जरुरत से ज्यादा नशे में हो गया था नशे का फायदा उठाकर किसी ने उसके सारे पैसे निकाल लिये पर नशे के कारण उसे कुछ खबर ही नहीं, वो जैसे तैसे घर आया और लगा गाली देने पर उससे संभला भी नहीं जा रहा था। आज उसने २ बार किशोर का नाम लेकर भी गाली दी, पर किशोर ने सोचा आज तो इससे संभला भी नहीं जा रहा मैं इससे क्या कहूँ । इस तरह चौथा दिन भी कट गया । पर पाँचवे दिन लड़ाई होने से कोई भी नहीं टाल सकता था। दोनों तरफ गुस्से का ज्वालमुखी फट रहा था। बन्नेसिंह जब सुबह उठा तो उसने यह जाना कि उसकी पूरे महिने की तनख्वाह जेब से निकल चुकी है इससे उसका क्रोध सातवें आसमान पर पहुँच गया और मन में सोचा या तो आज किशोर मार खायेगा और अगर मेरी पत्नि ने झूठ बोला है तो वो मार खायेगी। उधर सीमा ने भी सोचा कि आज उसने मुझे घूर कर देखा तो पति से पहले मैं ही उसका सिर फोड़ दूँगी पर किशोर तो कल ही तय कर चुका था कि आज उपर देख कर नहीं चलना है शरीफ हूँ और शरीफ ही रहूँगा। इसके बाद भी अगर मुझे किसी ने गाली दी तो फिर उसका बुरा हाल होगा। बन्नेसिंह उस दिन काम पर नहीं गया वो पास में ही अपने दोस्त के घर में छिप गया और यह जानने की कोशिश की क्या वाकई उसकी पत्नि सच बोलती है या बात कुछ और है । किशोर गली की तरफ आया तो गिरने की डर की वजह से वो नीचे देखता हुआ वहाँ से गुजर गया। बन्नेसिंह यह सब देख रहा था किशोर का शरिफो जैसा व्यवहार देखकर वो सोचने लगा कि मेरी पत्नि ही रोज मुझसे झूठ बोलती है आज तो इसकी खैर नहीं। पर सीमा आज हैरान रह गई कि आज इसने मुझे देखा क्यों नहीं । पर वो अपना नाम छोटा नहीं होने देना चाहती थ। उसने रोजाना की तरह आज फिर अपने पति से किशोर की शिकायत की पर बेचारी को यह नहीं पता था कि पति आज सबकुछ अपनी आँखो से देख चुका है बस फिर क्या था झूठ बोलने पर उसने अपनी पत्नि की बहुत धुनाई की इतनी कि फिर कभी ना तो उसने झूठ बोला और ना ही कभी छज्जे पर गई। 

इसलिये कहते हैं 

नफरत के बीज यूँ ना बिखेरो दोस्तों 

विनाश की उपज दूर तक फैल जायेगी 


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