झूठा किस्सा
झूठा किस्सा
इस महीने में ये तीसरा लव लेटर था अनु का। राजीव उसकी भावनाओं को चोट नहीं पहुँचाना चाहता था पर उसे जल्दी ही कुछ करना होगा। यही सोचते हुए वो क्लास में पहुँचा और बच्चों से बोला-"आज पढाई नहीं करेंगे।
आज मैं आप सबको एक कहानी कहानी सुनाऊँगा। कहानी तब की जब मैं आपकी उम्र का था। मैं तब सातवीं क्लास में था जब मुझे प्यार हुआ मेरी इंग्लिश टीचर से । मुझे पूरा यकीन था की ये कोई हल्की फुल्की फीलिंग नहीं सच्चा प्यार है ।
मैं दिन में ही सपने देखने लगा, अपनी खूबसूरत टीचर के साथ अपनी खूबसूरत ज़िंदगी के ।
मैं कुछ और पढ़ना ही नहीं चाहता था। बस इंग्लिश , मेरी टीचर और मैं !!
बाकी कुछ नज़र ही नहीं आता था ।
और फिर एक दिन मैंने एक कार्ड ख़रीदा और चल दिया अपनी टीचर को प्रोपोज़ करने ।
गधा था में... है ना…
आप लोग खुद ही सोच कर देखिये….एक १३ साल का लड़का अपनी टीचर को प्रोपोज़ कर रहा है...हँसी आई न सबको।
राजीव ने एक गहरी सांस ली,और बोला-" ऐसा ही होता है जब हम नए नए इस किशोर उम्र में आते हैं। कोई एक चेहरा , एक व्यक्ति एक हल्की सी मुस्कान, और कभी कभी तो किसी के बोलने का तरीका ही काफी होता है हमारे दिल पर, असर दिखने के लिए और हम उस प्रभाव को ही प्यार समझ लेते हैं ।
इतना भरोसा होता है हमें अपने प्यार पर की अगर कोई हमें कुछ समझाना चाहे भी, तो हम नहीं समझते। क्योंकि तब हम प्यार और आकर्षण के बीच की उस दुविधा में उलझे होते हैं।
पर मेरे साथ ऐसा नहीं था मेरा प्यार सच्चा था। वो कोई आकर्षण नहीं था प्यार था।
अब राजीव ने सीधे अनु की तरफ देखा अनु सहम सी गयी।
राजीव ने आगे बोलना शुरू किया-"हाँ वो प्यार ही था जो मुझे मेरी टीचर से हुआ और मैं अब भी उन्हें प्यार करता हूँ।
फर्क सिर्फ इतना है की मैं उन्हें एक मार्ग दर्शक, एक प्रेरणा रूप में प्यार करता हूँ , जीवन साथी के रूप में नहीं ।
क्योंकि १३ साल की उम्र प्रेरणास्त्रोत चुनने की होती है जीवन साथी नहीं !!
सही कहा ना मैंने...
क्लास के सारे बच्चे मुस्कुरा रहे थे पर सबसे सकारात्मक मुस्कान अनु की थी ।
राजीव खुश था एक टीचर होने के नाते उसने अपनी तरफ से पूरी कोशिश की, अनु को सही गलत समझाने की।
कई बार जीवन की सच्चाई समझाने के लिए ऐसे झूठे क़िस्से भी सुनाने पड़ते हैं।