Amit Kumar Pandey

Crime

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Amit Kumar Pandey

Crime

ज़हर से मौत

ज़हर से मौत

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तारीख़ 9 जनवरी, सुबह के सात बज रहे थे। आज़मनगर शहर कोहरे की चादर से ढका हुआ था। अविनाश अपने बेड में पड़ा गरम रज़ाई के अंदर नींद के आग़ोश में था। वैसे भी अविनाश को सुबह 9 बजे से पहले उठने की आदत नहीं थी। माँ ने अविनाश के रूम में प्रवेश किया और बेड पर बैठकर अविनाश का सर सहलाने लगी।

“बेटा…..। ” पहली बार में अविनाश ने कोई जवाब नहीं दिया। फिर माँ ने उसे ज़ोर से झकझोरा।  

“बेटा उठो। ” 

“क्या हुआ माँ नौ बज गए क्या ?” 

“नहीं अभी सिर्फ़ सात बजे हैं। ” 

“तो फिर मेरी नींद क्यों डिस्टर्ब कर रही हो ? तुम्हें तो पता है न कि मैं सुबह नौ से पहले नहीं उठता हूँ। ”

“नीचे ड्रॉइंग रूम में इंस्पेक्टर मनोज तुम्हारा बेसब्री से इंतज़ार कर रहा है। कहो तो उसे मना कर दूँ। ” इतना सुनते ही अविनाश उठ बैठा।

“अरे माँ तुम उसे मना करोगी तो भी वो यहाँ से नहीं जाएगा। एक काम करो की उसे ऊपर मेरे बेडरूम में भेज दो और दो कप चाय भी लेते आना। ”

“हाँ हाँ क्यों नहीं, मैं तुम्हारी नौकरानी जो ठहरी ? मेरे मरने तक तुम मुझसे ही काम करवाओगे। बार बार कह रही है कि शादी कर लो……….। ”

“मरे तुम्हारे दुश्मन। शादी के बारे में बाद में सोचेंगे। अभी तुम मनोज को ऊपर भेज दो। ”

“अच्छा ठीक है। ” थोड़ी देर में इंस्पेक्टर मनोज ने अविनाश के बेडरूम में प्रवेश किया।

“भाई अविनाश इतनी सुबह डिस्टर्ब करने के लिए क्षमा माँगता हूँ। ” 

“अरे कोई बात नहीं, सोफ़े पर बैठो। ” थोड़ी देर में माँ ने चाय के साथ रूम में प्रवेश किया। अविनाश और मनोज ने चाय का प्याला उठा लिया और चाय की चुस्कियां लेने लगे।

“हाँ मनोज अब बताओ माजरा क्या है ?” 

“तुमने सचिन गोयल का नाम सुना है ?” 

“वहीं करोड़पति बिज़नेसमैन जिसका फलों का, जूस का, आचार वैगरह का बहुत बड़ा बिज़नेस है। ” 

“हाँ तुम ठीक कह रहे हो। यहाँ से क़रीब ४० किलोमीटर दूर उनका फ़ार्म हाउस है। सचिन गोयल अपनी पत्नी रीचा गोयल के साथ वहीं रहता है। आज सुबह ७ बजे के आस पास रीचा की लाश घर के पीछे लॉन में रखी हुई बेंच पर मिली। बात दरअसल ये है की फ़ार्म हाउस के बीचो बीच उनका बंगला है और चारों तरफ़ काफ़ी ज़मीन है। उसी ख़ाली ज़मीन पर बैठने के लिए बेंच लगे हुए हैं। खुले आसमान के नीचे उसी बेंच पर आज सुबह ७ बजे घर की नौकरानी को रीचा की लाश मिली। ये एक हॉमिसायड केस लगता है इसलिए आनन फ़ानन में डिपार्टमेंट ने इसे क्राइम ब्रांच को सौंप दिया। सब इंस्पेक्टर राहुल, चार कांस्टेबल के साथ फ़ार्म हाउस पहुँच गया होगा। मैं तुम्हें लेने के लिए यहाँ आ गया हूँ। बाक़ी बहुत जानकारी मुझे नहीं है। वहीं चल के पता चलेगा। ” 

“ठीक है तुम थोड़ा देरी इंतज़ार करो, मैं अभी तैयार होकर आता हूँ। ” क़रीब आठ बजे के आस पास अविनाश और मनोज गोयल फ़ार्म हाउस की तरफ़ चल दिए।  

“वैसे मनोज गोयल फ़ार्म हाउस है किधर ?”

“क़रीब ३० किलो मीटर यहाँ से रौनापार और रौनापार बाज़ार से दाहिने १० किलो मीटर पर फार्म हाउस है। ” उन दोनों को फ़ार्म हाउस पहुँचने में क़रीब ४५ मिनट लग गए। उन्हें फ़ार्म हाउस ढूँढने में कोई ख़ास दिक़्क़त नहीं हुई। अविनाश ने गाड़ी ले जाकर पोर्च के नीचे खड़ी कर दी। अविनाश और मनोज कार से उतरे। वो एक बहुत बड़ा फ़ार्म हाउस था जिसके बीचों-बीच एक कोठी थी और चारों तरफ़ बहुत ऊँची बाउंड्री वॉल थी। देखने से ऐसा मालूम पड़ रहा था की वो फ़ार्म हाउस कई ऐकड़ में फैला हुआ है। अविनाश और मनोज ने कोठी के अंदर प्रवेश किया। कोठी के अंदर बीचो बीच बहुत बड़ा हाल था जिसमें बहुत बड़े आकार का सोफ़ा रखा हुआ था। सोफ़े पर दो औरते बैठी हुई थी जो चेहरे से काफ़ी मायूस लग रही थी। हाल में एक तरफ़ सब इंस्पेक्टर राहुल और चार कांस्टेबल खड़े थे। मनोज को देखते हैं राहुल उसके पास आया और सैल्यूट मारा।

“राहुल क्या माजरा है ?” 

“सर अभी बहुत तो पता नहीं चल पाया है। वो आदमी देख रहे हैं जो सोफ़े के पीछे खड़ा है, वो इस फ़ार्म हाउस का केयर टेकर है। उसका नाम पप्पू है। उसे ही कुछ कुछ पता है। ”

“अच्छा लाश को सबसे पहले किसने देखा ?”

“काम वाली बाई तारा ने……….। वैसे फ़ोरेंसिक टीम आ गई है और वो अपना काम कर रही है। हमारे सिपाही भी चारो तरफ़ सर्च कर रहे हैं। सर, लाश इस घर के पीछे लान में रखी बेंच पर पाई गई थी। लाश अब भी बेंच पर ही है। जब फॉरेंसिक टीम अपना काम कर लेगी, उसके बाद पंचनामा करके लाश को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया जाएगा। ”

“ठीक है मनोज जब तक फॉरेंसिक अपना काम कर रही हैं तब तक कुछ पूछ ताछ कर लेते हैं। ” मनोज ने पप्पू को इशारा से अपने पास बुलाया। पप्पू पास आ गया।

मनोज बोला,-“तुम हमारे साथ बाहर चलो। ” पप्पू उन दोनो के साथ ड्राइंग रूम से निकल कर बाहर आ गया।  

इंस्पेक्टर मनोज बोला,-“पप्पू ये बताओ की ये सब कैसे हुआ और थोड़ा इस गोयल फ़ैमिली के बारें में बताओ ?”

“ये फ़ार्म हाउस इस ऐरिया में गोयल निवास के नाम से फ़ेमस है। इसमें सचिन गोयल अपनी पत्नी रीचा गोयल के साथ रहते हैं। सचिन की सौतेली माँ आरती गोयल और तलाक़ शुदा बहन रानी गोयल इस फ़ार्म हाउस के बग़ल में जो घर है उसमें रहती है। आप सबको तो पता ही होगा की सचिन साहब का बहुत बड़ा कारोबार है। उनकी फ़ैक्ट्री यहाँ से क़रीब दो किलोमीटर दूर है। जूस बनाने का, अचार बनाने का, मसाला बनाने का, सॉस बनाने का, और भी कई तरीक़े का कारोबार है। हज़ारों लोग फ़ैक्ट्री में काम करते है। मैं इस फ़ार्म हाउस का केयरटेकर हूँ। इस फार्म हाउस में जो खेती होती है उसका ज़िम्मा भी मेरे ऊपर है। इन सबके अलावा ऑफ़िस का भी कुछ काम देखता हूँ। एक ऑफ़िस बंगले में भी है। मेरे कहने का मतलब ये है कि फ़ैक्ट्री का एक ऑफ़िस यहाँ बंगले में भी है। रात में कभी कभी या छुट्टी के दिन सचिन सर यही ऑफ़िस में बैठकर फ़ैक्टरी का काम देखते हैं। रीचा मैडम का आज़मनगर शहर में चौक एरिया में अपना एक ब्यूटी पार्लर है। वो रोज़ सुबह नौ बजे के आस पास चली जाती है और रात में क़रीब नौ बजे तक वापस आती है। मेरा घर यहाँ से क़रीब ५ किलोमीटर दूर गाँव में है। आज सुबह सात बजे के आस पास घर की मेड तारा, रीचा मैडम को बेड टी देने के लिए उनके बेडरूम में गई तो वो वहाँ नहीं थी। घर में भी कही नहीं थी। जब उसने पीछे देखा तो उसने पाया कि लॉन में जो बेंच लगा है उस पर वो बेसुध हालत में पड़ी है। आनन फ़ानन में उसने सबसे पहले मुझे फ़ोन किया। मैं तुरंत ही आ गया। मैंने फ़ैमिली डॉक्टर नेगी को बुलाया और डॉक्टर नेगी ने डिक्लेयर किया कि रीचा मैडम अब इस दुनिया में नहीं है। डॉक्टर नेगी ने ही बताया कि मौत संदिग्ध हो सकती है क्योंकि होंठ नीले पड गए थे। थोड़ी देर में यहाँ बहुत भीड़ इकट्ठा हो गई। मैंने सीधे पुलिस को फ़ोन कर दिया। उसके बाद पुलिस भी आ गई और आप लोग भी आ गए। ”

“लेकिन अभी सचिन गोयल कहीं दिखाई नहीं दे रहे हैं। ”

“पता नहीं वो घर में नहीं हैं। कल जब मैं रात पौने आठ बजे के आस पास निकला था तो वो घर में ही थे। मैं बहुत देरी से ट्राई कर रहा हूँ पर उनका फ़ोन लग ही नहीं रहा है। हो सकता है वो जिस एरिया में हो वहाँ नेटवर्क वग़ैरह की प्रॉब्लम हो गई हो। उनकी गाड़ी भी पार्किंग में नहीं खड़ी है। रीचा मैडम की तो है। ” 

“गाड़ी वो दोनो ख़ुद ही ड्राइव करते हैं। ” 

“हाँ। ड्राइवर रखा ज़रूर है पर उसकी सेवा वे दोनो कम ही लेते हैं। ”

“गेट पर खड़े गार्ड को कुछ सचिन गोयल के बारें में पता होगा की वो कहाँ गए है। ?”

“दो गार्ड है। एक सुबह पाँच बजे से दोपहर एक बजे तक और दूसरा गार्ड दोपहर एक बजे से रात नौ बजे तक पहरा देता है। रात नौ बजे से सुबह पाँच बजे तक कोई गार्ड नहीं रहता है। कल रात और आज पहरा देने वाले गार्ड से मैने पूछ लिया है कि सचिन साहब के बारें में। उन्हें कुछ ख़ास नहीं पता है। रात वाला गार्ड कह रहा था की सचिन सर कल रात आठ के बाद कार से निकले थे और रात ९ बजे तक वो नहीं आए थे। उसके बाद वो गार्ड चला गया। अब रात गार्ड के जाने के बाद सचिन सर आए हैं या नहीं आए हैं ये किसी को नहीं पता। हाँ इतना है की रात नौ के आसपास रीचा मैडम अपने पार्लर से वापस आ गयी थी। ये गार्ड बता रहा था। अब उनके साथ क्या हुआ ये किसी को नहीं पता। आरती मैडम और रानी को भी सचिन सर के बारें में कुछ नहीं पता। ”

“मेड तारा कल रात कब गयी थी ?”

“वो सुबह सात बजे से शाम ७ बजे तक रहती है उसके बाद घर चली जाती है। कल शाम वो मेरे जाने से थोड़ा पहले गयी थी। ”

“पप्पू यहाँ cctv लगा है ?”

“नहीं सर। कभी ज़रूरत ही नहीं महसूस हुयी। ”

“ज़रूरत हमेशा थोड़ी महसूस होती है। ”

तभी सब इंस्पेक्टर राहुल बाहर आया और कहा,-“सर फॉरेंसिक ने अपना काम कर दिया है। रीचा के रूम से शराब की बोतल और ग्लास बरामद हुई है पर ज़हर की बोतल कहीं नहीं मिली। फॉरेंसिक ने सबूत अपने क़ब्ज़े में ले लिया है। बाक़ी देखने से मौत का कारण ज़हर हो सकता है क्योंकि होंठ नीले पड़ गए हैं। बाक़ी सब कुछ डिटेल पोस्टमार्टम के बाद ही पता चलेगा। ”

“रीचा के रूम से का क्या मतलब ?”

“मतलब ये है की रीचा और सचिन के अलग अलग बेड रूम हैं। ”

“ठीक है मनोज, पोस्टमार्टम रिपोर्ट आने के बाद ही आगे की कार्रवाई शुरू करेंगे। अभी तो तुम रीचा और सचिन दोनो का बेडरूम सील कर दो। लाश का पंचनामा करके पोस्टमार्टम के लिए भिजवा दो। ”

“अविनाश, आरती और रानी से कुछ पूछताछ कर ले ?”

“मेरे हिसाब से अभी ज़रूरत नहीं है। आओ घर का एक पूरा चक्कर लगा लेते रहे हैं। ” अविनाश और मनोज ने घर का मुआयना किया। रीचा की लाश अब भी लॉन में रखे बेंच पर पड़ी थी। अविनाश ने रुक कर रीचा की लाश का मुआयना काफ़ी देर तक किया।

“मेरे हिसाब से मनोज अब हमें चलना चाहिए। ” इसके बाद अविनाश और मनोज अविनाश की कार से आजमनगर लौट गए। रास्ते में अविनाश ने मनोज को क्राइम ब्रांच छोड़ दिया।

“मनोज जैसे ही पोस्टमार्टम रिपोर्ट आएगी मुझे तुरंत बता देना। और जो भी सबूत फॉरेंसिक ने बरामद किए हैं उसको मैं भी देखना चाहूँगा। ” 

“पोस्टमार्टम रिपोर्ट आने में एक दिन लग जाएगा। ” 

“ठीक है, तब तक मैं बेबी और राजू को गोयल फ़ैमिली के बारे में जानकारी इकट्ठा करने की कहता हूँ।

“अविनाश थोड़ा जल्दी करना, बहुत हाई प्रोफ़ाइल केस है इसलिए जल्दी से जल्दी हमें इसको सुलझाना होगा। ” इसके बाद अविनाश अपनी साई डिटेक्टिव एजेंसी वापस आ गया। आते ही उसने तुरंत राजू और बेबी को अपने केबिन में बुलाया और सुबह घटी  सारी घटना से अवगत करा दिया।

                                    २ 

बेबी बोली,-“तो सर क्या हमें पोस्टमार्टम रिपोर्ट के आने का इंतज़ार करना है ?”

“नहीं। तुम और राजू तुरंत ही फ़ार्म हाउस चले जाओ और सचिन गोयल की फ़ैमिली के बारे में जानकारी इकट्ठा करो। रीचा का पार्लर भी यहीं चौक में है। वहाँ से भी जानकारी मिल सकती है। ”

“ठीक है सर। ” इतना कहने के बाद राजू और बेबी केबिन से निकलकर चल दिए। उनके जाने के बाद अविनाश कम्प्यूटर पर कुछ काम करने लगा। पूरे दिन ना तो इंस्पेक्टर मनोज का फ़ोन आया और न ही राजू और बेबी दोबारा एजेंसी आए। शाम को क़रीब साढ़े छह बजे अविनाश ने अपनी एजेंसी बंद की और घर को चल दिया। अगले दिन १० जनवरी को दिन में क़रीब एक बजे के आस पास मनोज ने अविनाश को फ़ोन किया।

“मनोज लगता है पोस्टमार्टम रिपोर्ट आ गई है। ” 

“तुम बिलकुल ठीक समझ रहे हो। ”

“ठीक है मनोज मैं अभी आधे घंटे में तुम्हारे ऑफ़िस पहुँचता हूँ। ” मोबाइल रखने के बाद अविनाश तैयार होकर इंस्पेक्टर मनोज के पास चला गया। इंस्पेक्टर मनोज अपने केबिन में बैठा था।

अविनाश को देखकर बोला,-“आओ आओ अविनाश मैं तुम्हारा ही इंतज़ार कर रहा था। ” मनोज ने दो कप कॉफी का ऑर्डर किया। थोड़ी देर में चपरासी दो कप कॉफ़ी लेकर आया। अविनाश ने अपना सिगार जला लिया और दोनों कॉफी की चुस्कियां लेने लगे।

“मनोज, पोस्टमार्टम रिपोर्ट में क्या आया है ?” 

“कुछ भी ख़ास नहीं। रीचा की मौत रात १२ से १ के बीच हुयी होगी। मौत का कारण हार्ट का फेल होना जिसकी वजह ज़हर है। अब रीचा ने ये ज़हर खुद पिया या चुपके से किसी ने शराब में मिला दिया, इस बात का हमें पता लगाना होगा। ये ज़हर शराब के माध्यम से उसके शरीर में गया। रीचा के पेट से काफ़ी मात्रा में शराब बरामद हुयी। रीचा के रूम से जो दारू की ग्लास बरामद हुई है उसपे सिर्फ़ और सिर्फ़ रीचा के उंगलियों के निशान है। बाक़ी दारू की बोतल पे से रीचा के अंगुलियों के निशान और एक कोई और निशान बरामद हुआ है। वो निशान किसका है इस बात का पता नहीं चला है पर इतना है कि घर में मौजूद लोगों से वो मैच नहीं करता। यह क़यास लगाया जा सकता है कि उस बोतल को सचिन भी पहले इस्तेमाल कर सकता है,तो ऐसी दशा में दूसरा निशान सचिन का हो सकता है। पर सचिन अभी कहाँ है ये किसी को नहीं पता। उसका मोबाइल अब भी out of reach है। ग्लास में थोड़ी सी शराब बची थी उसमें भी ज़हर था और दारू की बोतल में भी ज़हर था। अब ये हत्या है या आत्महत्या है, ये हमें पता लगाना होगा। बाक़ी पोस्ट मार्टम रिपोर्ट में कुछ भी नहीं लिखा है। अब ज़हर कौन सा है इसका पता डिटेल पोस्ट मार्टम के बाद पता चलेगा। उसके आने में थोड़ा समय लग सकता है। ” अविनाश ने मनोज के मेज़ पे रखी रिपोर्ट उठा ली और उसमें लगी फ़ोटो को ध्यान से देखने लगा।

“बड़ी अजीब सी बात है मनोज इतनी भीषण ठंड में रीचा बाहर बेंच पे क्या कर रही थी वो भी नंगे पैर। शरीर पे भी सिर्फ़ नाइट ड्रेस है, कोई गरम कपड़ा नहीं। ”

“हो सकता हो रीचा ने खुद ही ज़हर पिया हो और जब बेचैनी हुयी हो तो बाहर बेंच पे जा के बैठ गयी हो और वहीं हार्ट फेल हो गया हो। अब बेचैनी में कौन चप्पल पहनेगा। मेरा ऐसा सोचना है। हो कुछ भी सकता है। ” मनोज को ऐसा लग रहा था की अविनाश उसकी बात ध्यान से सुन रहा है पर वो कुछ और ही सोच रहा था।

“अब इसका जवाब तो डिटेल छान बीन से ही पता चलेगा। ”

“तुम चाहो तो पोस्टमार्टम रिपोर्ट की कॉपी तुमको दे दे। ”

“अभी इसकी ज़रूरत नहीं है। वैसे मैंने राजू और बेबी को गोयल फ़ैमिली के बारे में पता लगाने के लिए कल ही भेज दिया था। ”

“गुड। तुम इस केस पर ज़ोर शोर से लग जाओ। मेरी कहीं भी ज़रूरत होगी तो मुझे बताना। बहुत हाई प्रोफ़ाइल केस है इसलिए हम सबको मिलके इसको जल्द से जल्द हल करना होगा। अब चाहे ये सुसाइड हो या हत्या हो। ” 

“अच्छा चलो अभी मैं चलता हूँ। ” क्राइम ब्रांच से निकलकर अविनाश सीधे अपने एजेन्सी दोबारा चला आया। राजू और बेबी अभी अपना काम ख़त्म करके नहीं आए थे। अविनाश कंप्यूटर पर कुछ काम करने लगा। क़रीब पाँच बजे के आस पास राजू और बेबी ने केबिन में प्रवेश किया।

“क्या हुआ तुम लोगों के चेहरे से काफ़ी थकावट लग रही है। ” 

“हाँ सर बाहर इतनी ज़्यादा ठण्ड है कि हालत ख़राब हो गयी। ऊपर से ये राजू बाइक से मुझे घुमा रहा है। सर रुकिए मैं अभी काफ़ी बनाकर ले आती हूँ। ” क़रीब १० मिनट बाद बेबी ने तीन कप कॉफ़ी के साथ प्रवेश किया। तीनों ने अपनी अपनी कप पकड़ ली। अविनाश ने सिगार जला लिया और कश लेने लगा। अविनाश ने राजू और बेबी से पोस्टमार्टम रिपोर्ट साझा की।

“अब तुम लोग बताओ की तुम लोगों ने क्या पता किया ?”

राजू ने बोलना शुरू किया,-“सर मैने और बेबी ने कुछ कुछ जानकारी इकट्ठा की है………। ”

“तो फिर शुरू हो जाओ। ” 

“सचिन गोयल करोड़पति आदमी है। उसकी उम्र क़रीब ५५ साल के आस पास है। उसकी पत्नी रीचा गोयल की उम्र क़रीब ३५ साल के आस पास है। मेरा मतलब है दोनों की उम्र में काफ़ी फ़ासला है। सचिन ने काफ़ी समय तक शादी नहीं की। ये बात सही है कि सचिन गोयल को बिज़नस विरासत में मिला था पर उसने उसको बहुत आगे बढ़ाया। यही वजह है कि उसने क़रीब ४५ की उम्र में रीचा से शादी की। अब रीचा से उसकी मुलाक़ात कब और कहाँ हुयी इस बारे में हम लोगों को जानकारी नहीं है। सचिन की माँ बहुत पहले मर गयी गई थी। उसके बाद उसके पिताजी ने आरती से शादी कर ली। रानी इसी आरती की लड़की है और सचिन की सौतेली बहन है। रानी की शादी आज से क़रीब पाँच साल पहले हुई थी पर उसके पति की मृत्यु शादी के दो तीन महीने बाद ही एक्सीडेंट में हो गई। तब से रानी आरती के साथ फ़ार्म हाउस के बग़ल वाले घर में रहती है। आरती और रानी का तो कोई ख़ास अतीत है नहीं। बाक़ी सचिन और रीचा ड्रिंक बहुत करते हैं। रीचा और सचिन में बिलकुल नहीं पटती है, अक्सर झगड़ा होता है। शायद यही वजह है की आरती और रानी बग़ल वाले घर में रहते हैं। मेरा मतलब है आज के जमाने में हर कोई फ़्री रहना चाहता है वो भी बिना बंदिशों के। बाक़ी रीचा का अपना आज़मनगर में ब्यूटी पार्लर है। ब्यूटी पार्लर अच्छा चलता है। रीचा ख़ुद रोज़ कार ड्राइव करके अपने फ़ार्म हाउस से अपने पार्लर तक आती है। रीचा और सचिन का बेड रूम अलग अलग है। ये तो हमें पता ही है। रीचा और सचिन रोज़ रात में बहुत ज़्यादा ड्रिंक करके, खाना खाकर सो जातें है। यही दोनो की आदत है। ” 

“ये सब बातें तुम लोगों को कैसे पता लगी ?” 

“सर मेड तारा को हमने १ हज़ार रूपए दिए तब जाकर उसने बताया। सर आज़मनगर का एक बिसनेसमैन है कमल नेगी, रीचा का उससे अच्छा सम्बंध है। ”

“मैं तुम्हारा मतलब नहीं समझा। ”

“तारा ये बता रही थी कि यदि सचिन शहर में उपस्थित नहीं होता है मेरा मतलब है सचिन की गैर हाजिरी में, रीचा अक्सर फार्म हाउस से रात में ग़ायब रहती है। तारा ने अक्सर रीचा को कमल के साथ रोमांटिक बात करते सुना है। कमल नेगी कभी कभी फ़ार्म हाउस भी आता है। ”

“क्या ये बात सचिन को नहीं पता है ?” 

“जब कभी रीचा शहर में नहीं रहती है तो सचिन भी रात में औरतें को बुलातें है। वैसे भी सचिन बिसनेस के सिलसिले में अक्सर बाहर रहते हैं। दोनो ही अपनी अपनी दुनिया में मस्त है। ”

“तो फिर रीचा की मौत की वजह ?वैसे आस पास के लोगों का क्या कहना है कि रीचा ने सुसाइड किया हो सकता है या कुछ और वजह ……….। ”

“इस बारे में तो कहना मुश्किल है। जितना मुँह उतनी बात। ”

तब तक बेबी बोली,-“रीचा काफ़ी बोल्ड और बेबाक़ औरत थी तो वो ज़हर खाकर आत्महत्या क्यों करेगी ?”

“पर सर रीचा का क़त्ल करके किसी को क्या फ़ायदा होगा ? किसी भी क़त्ल के पीछे कोई मोटिव होता है ?”

“राजू अब ये तो मुकम्मल तफ़्तीश के बाद ही पता चलेगा। और कुछ………। ” 

“तारा ने बताया कि सचिन और रीचा की गैरहाजिरी में सचिन की विधवा बहन रानी अक्सर फ़ार्म हाउस में आती है। तारा का इशारा फ़ार्म हाउस के केयर टेकर पप्पू की तरफ़ था। ”

“अच्छा ! सचिन के अपने सौतेली माँ आरती से कैसे संबंध है ?” 

“तारा के हिसाब से बहुत कम ही वो दोनों आपस में बात करते हैं। मैंने प्रॉपर्टी को ले करके जानकारी लेनी चाही पर तारा इसके बारे में कुछ नहीं बता पाई। बाक़ी पप्पू से हमने बात करने की कोशिश नहीं की। ”

“ठीक किया। बाक़ी जानकारी धीरे धीरे मिल जाएगी। चलो तुम लोगों ने काफ़ी जानकारी दे दी। ”

“राजू अभी सबके बयान ले पाना मुश्किल है। इसलिए तुम लोग सबके एक महीने के कॉल रिकॉर्ड निकलवा लो। सब इंस्पेक्टर राहुल से सबके फ़ोन नंबर पता कर लो। ”

“ठीक है सर। ” इसके बाद राजू और बेबी केबिन से बाहर चले गए। थोड़ी देर बाद अविनाश भी एजेन्सी बंद करके घर चला गया। रात में १० बजे के आस पास उसने मनोज  को फ़ोन किया और सारी जानकारी से अवगत कराया।

“मनोज ज़रा पता करो कि सचिन वापस आया की नहीं ?”

“सचिन ११ जनवरी मतलब कल तक वापस आ जाएगा। उसको जानकारी दे दी गयी है। वो पिथौरागढ़ गया हुआ है। लाश आज देर रात गोयल फ़ैमिली को दी जाएगी। मेरे हिसाब से अविनाश १२ जनवरी मेरा मतलब है परसों हम तुम बयान लेने के लिए जा सकते है। ”

“सबसे कह देना कि परसों सब लोग घर में ही उपस्थित रहेंगे। तब तक मैं एक काम करता हूँ कि मैं सबके कॉल रिकॉर्ड्स निकलवा लेता हूँ। ”

“ठीक है। यदि कोई समस्या आएगी तो मुझे बता देना। ” अविनाश ने फ़ोन रख दिया।

                                      ३

अगले दिन, ११ जनवरी को राजू और बेबी एजेंसी नहीं आए। अविनाश भी पूरा दिन ख़ाली ही बैठा रहा और शाम को घर चला गया। उसके अगले दिन, १२ जनवरी को  सुबह क़रीब ११ बजे के आस पास इंस्पेक्टर मनोज ने अविनाश को फ़ोन किया।

“मनोज कुछ ख़ास ?”

“आओ चलो सबके बयान लेने फ़ार्म हाउस चलते हैं। ” 

“हाँ ये ठीक रहेगा। राजू और बेबी को वैसे मैंने सबके कॉल रिकॉर्ड्स निकलवाने के लिए भेजा हुआ है। जब तक वो लोग आते है तब तक हम लोग ये काम निपटा लेते हैं। तुम वेट करो मैं अपनी कार से आता हूँ। और हाँ सचिन और रीचा के रूम की चाबी ले लेना। तलाशी के बाद रूम खोल देंगे। ” 

“ठीक है। ” फ़ोन रखने के बाद अविनाश ने अपना कोट पहना, गोल हैट लगायी, अपनी लाइसेंसी पिस्टल कोट की जेब में रखी और क्राइम ब्रांच चल पड़ा। वहाँ से मनोज को लेते हुए क़रीब ४५ मिनट में वे लोग फ़ार्म हाउस पहुँच गए। अविनाश ने कार ले जाकर पोर्च के नीचे खड़ी कर दी। वे दोनो कार से निकल करके सीधे हाल में चले गए। सोफ़े के  एक तरफ़ पप्पू खड़ा हुआ था जो उन दोनो को देखते ही पास आ गया। हॉल में और भी लोग बैठे थे।

“जी सर कहिए। ” 

मनोज ने कहा,-“हमें सचिन गोयल से बात करनी है। ” पप्पू ने सोफ़े पर बैठे एक आदमी की तरफ़ इशारा किया जो देखने से काफ़ी मायूस लग रहा था। पप्पू ने धीरे से सचिन गोयल की कान में कुछ कहा। सचिन ने उन दोनो को अपने बग़ल में बैठने का इशारा किया।

इंस्पेक्टर मनोज ने कहा,-“सचिन जी मुझे आपकी पत्नी रीचा की मृत्यु का दुःख है। चूँकि डॉक्टर ने उनकी मौत को संदिग्ध बताया है इसलिए ये केस क्राइम ब्रांच को सौंप दिया गया है। क्योंकि आप इस शहर के बहुत मानिंद आदमी है इसलिए पुलिस डिपार्टमेंट कोई भी रिस्क लेना नहीं चाहता है। ये हैं मेरे मित्र प्राइवेट डिटेक्टिव कैप्टन अविनाश, ये इस केस में पुलिस की मदद करेंगे। ” 

“जी कहिए। ” 

“देखिए हमें आपकी फ़ैमिली मेम्बर से अकेले में बात करनी है। ”

“ठीक है आप लोग मेरे साथ मेरे ऑफ़िस आ जाइए। ” सचिन गोयल सोफ़े से उठकर हाल के दाहिने साइड में स्थित एक रूम में घुस गया। वो बहुत बड़ा रूम था और रूम में चारो तरफ़ शीशे की आलमारी रखी थी जिसमें फाइलें रखी हुई थी। रूम के बीचो बीच एक मेज़ रखा हुआ था जिसके एक तरफ़ रिवाल्विंग चेयर रखी हुयी थी और मेज़ की दूसरी तरफ़ चार ख़ाली कुर्सी रखी हुयी थी। सचिन जाकर रिवाल्विंग चेयर पर बैठ गया और मनोज और अविनाश को मेज़ के दूसरी तरफ़ रखी चेयर पर बैठने का इशारा किया। सचिन ने मेज़ पर रखे हुए सिगरेट के पैकेट सिगरेट निकाला और उसे जला लिया।  

“जी पूछिए आपको क्या पूछना है ?” मनोज ने अविनाश की तरफ़ देखा।

“आपको तो पता ही चल गया होगा कि आपकी पत्नी रीचा की मृत्यु का कारण ज़हर है। आपको क्या लगता है कि आपकी पत्नी रीचा की हत्या हुई है या उसने सुसाइड किया है। ” 

“मैं इस बारे में भला क्या बता सकता हूँ ? कोई रीचा को क्यों ज़हर देकर मारना चाहेगा। उसकी किसी से क्या दुश्मनी  ?”

“इसका मतलब आप भी मानते हैं कि उसने आत्महत्या की हो सकती है ?”

“सही बात तो यही है कि वो आत्महत्या भी क्यों करेगी ? मेरे हिसाब से उसे किसी बात का कष्ट तो था नहीं। इसलिए मेरे समझ में कुछ भी नहीं आ रहा है। ”

“चलिए उसका पता तो हम लगा ही लेंगे कि यह सुसाइड है या सोची समझी हत्या। सबसे पहले आप बताइए कि रीचा से आपकी मुलाक़ात कब और कैसे हुयी थी ?”

“रीचा से मेरी मुलाक़ात क़रीब १० साल पहले आसाम में हुई थी। रीचा आसाम की रहने वाली थी। जिस होटल में मैं रुका हुआ था रीचा उस होटल की रिसेप्शन स्टाफ़ में थी। वहीं से हमारा प्यार हो गया और थोड़े दिन बाद हमने शादी कर ली। हालाँकि रीचा के माँ और भाई शादी के ख़िलाफ़ थे क्योंकि रीचा से मैं उम्र में काफ़ी बड़ा था लेकिन रीचा ने किसी की सुनी नहीं और वो अपना घर बार छोड़कर मेरे साथ यहाँ चली आयी। ” 

“आप लोगों के आपस में रिलेशन कैसे थे ?”

“शुरू में साल दो साल तो ठीक रहा बाद में हम लोगों के बीच काफ़ी झगड़े होने लगे। ” 

“झगड़े होने की कोई ख़ास वजह ?” 

“पति पत्नी के बीच झगड़े होने की ज़्यादातर वजह नहीं होती है। ” 

“मगर झगड़ा इतना भी नहीं होता है कि पति पत्नी के अलग अलग रूम में रहने लगे। ” इस बात का सचिन ने कोई जवाब नहीं दिया।

“आप इतने अच्छे खासे पैसे वाले लोग हो, रीचा को ब्यूटी पार्लर खोलने की क्या ज़रूरत पड़ गई। ” 

“रीचा ने ब्यूटिशियन का कोर्स किया हुआ था। फिर उसने ज़िद पकड़ी तो मैंने पार्लर के लिए फंड कर दिया। हालाँकि मैं इसके सख़्त ख़िलाफ़ था। पार्लर खोलने के बाद रीचा अपना ज़्यादातर वक़्त अपने पार्लर में गुजारती थी। धीरे धीरे हम दोनों के बीच दूरियाँ बहुत बढ़ गई। ”

“जिस रात रीचा की मौत हुयी आप कहाँ थे ?”

“मैं ८ जनवरी की रात क़रीब रात आठ बजे के बाद पिथौरागढ़ के लिए निकल गया था। ”

“नौ जनवरी की सुबह सात बजे के आस पास आपकी मेड तारा को रीचा की लाश आपके लॉन में रखी बेंच पर मिली। उसके बाद आपको काफ़ी फ़ोन किया गया लेकिन आपका फ़ोन स्विच ऑफ़ जा रहा था। आपके केयर टेकर पप्पू को भी नहीं पता था कि आप कहाँ जा रहें है ?”

“कुछ नेटवर्क प्रॉब्लम हो गया था और पहाड़ का मौसम भी काफ़ी ख़राब था। जैसे ही मैं पहाड़ से प्लेन में आया तो मोबाइल में नेटवर्क आने लगा और तभी मुझे पप्पू से पता चला कि रीचा अब इस दुनिया में नहीं है। मैं पिथौरागढ़ जा रहा हूँ ये बात मैने जाने से पहले रीचा को बता दी थी। ”

“आप क्यों गए थे ?”

“बिसनेस के सिलसिले में १० जनवरी को मेरी एक बहुत बड़ी मीटिंग थी। आप चाहें तो वहाँ के होटल से पता कर सकते है। ९ जनवरी को सुबह से ही सिग्नल प्रॉब्लम हो गयी थी और दोबारा जब मैं हल्द्वानी रात में पहुँचा तब कहीं जाकर मोबाइल में सिग्नल आया। जैसे ही सिग्नल आया रानी से मुझे पता चला की रीचा अब इस दुनिया में नहीं हैं। फिर मैं बिना रुके सीधे आजमनगर चला आया। ” 

“आपके पास एक ही मोबाइल नंबर है ?” 

“हाँ, मैं एक ही नंबर इस्तेमाल करता हूँ और जहां तक मुझे पता है रीचा के पास भी एक ही नम्बर था ?”

“जहां तक आपको पता है ?इसका मतलब रीचा के पास और कोई भी मोबाइल नम्बर हो सकता था। ” सचिन ने मुँह बिचका दिया।

“सचिन जी रात में रीचा ने जो शराब पी थी, उस ग्लास और बोतल दोनो में ज़हर था। इस बारे में आप क्या कहेंगे ?”

“देखिए रोज़ रात को रीचा को शराब पीने की आदत थी। ख़ास तौर से वो रम ही पीती थी। ये बात भी सही है कि वो शराब का ग्लास लेकर शांति से खुले आकाश के नीचे बेंच पे बैठ जाती थी और काफ़ी देर तक पीती रहती थी। पीने के बाद खाना खाकर सो जाती थी। ये उसकी आदत थी तो हो सकता है कि ८ जनवरी की रात भी उसने ऐसा ही किया हो। वो ग्लास लिए बेंच पर बैठी हो और वहीं पर ज़हर की वजह से मर गयी हो। मैं तो सिर्फ़ आपको उसकी आदत के बारे में बता रहा हूँ। बाक़ी ऑफ़िस से आने के बाद मैं भी रोज़ रात को शराब पीता हूँ और खाकर सो जाता हूँ। शायद यही वजह हैं कि मैंने अपनी सौतेली माँ और बहन को बग़ल वाले घर में रखा है। बाक़ी आप समझदार है। ”

“वो सब तो ठीक है लेकिन अगर उसने सुसाइड किया है तो सुसाइड की कोई वजह तो होनी चाहिए। आख़िर उसके जीवन में क्या कष्ट था। कम से कम पति होने की हैसीयत से आपको पता तो होना ही चाहिए। ”

“देखिए हम दोनों एक घर में रह रहे थे पर बिलकुल अजनबियों की तरह। बस सोसाइटी में दिखाने के लिए वो मेरी पत्नी थी बाक़ी मेरा उससे कोई ख़ास संबंध नहीं था। ”

“आपके पिताजी की मृत्यु कब हुयी ?”

“रानी के पैदा होने के कुछ समय बाद ही वो चल बसे थे। ” 

“अपनी माँ और बहन के बारे में कुछ बताइए ?” 

“आरती मेरी सौतेली माँ है पर मेरा उनसे वैसा रिलेशन नहीं है जैसा एक सगी माँ और बेटे के बीच होता है। पर आपस में ऐसी कोई नाराज़गी भी नहीं है और रहा रानी के बारें में तो वो मुझसे उम्र में छोटी है। मेरे उससे संबंध अच्छे हैं। मैंने उसकी शादी बहुत धूमधाम से की थी लेकिन शादी के तुरंत ही बाद उसके हसबेंड की एक्सीडेंट में मृत्यु हो गयी। फिर वो अपना ससुराल छोड़ कर यहाँ आ गई। इसका मुझे कोई एतराज़ नहीं है। रानी अपनी माँ के साथ आराम से बग़ल वाले घर में रहती है। ”

“आपकी कोई संतान नहीं है ?”

“नहीं। ”

“सुना है आपने इतना बड़ा बिज़नेस अपने दम पे खड़ा किया है। ”

“आपने सही सुना है। पिताजी का कारोबार था पर वो इतना बड़ा नहीं था। मैंने इस बिज़नस को खड़ा करने में बहुत मेहनत की है। या यूँ कहिए मैंने अपनी पूरी जवानी इस बिज़नस को दे दी। ”

“आपकी माँ और आपकी बहन को कोई एतराज़ नहीं है कि आप इस प्रॉपर्टी के अकेले के मालिक हैं ?”

“उन लोगों को अब तक कोई ऐतराज नहीं है। बाक़ी जो बिज़नस मैंने अपने दम पे खड़ा किया है उसका मैं मालिक हूँ। एक बात मैं आपसे साफ़ साफ़ बता देना चाहता हूँ कि प्रॉपर्टी को ले करके कभी हमारे बीच में कोई डिस्प्यूट नहीं रहा है। रीचा ने भी कभी प्रॉपर्टी को लेकर कोई डिस्कशन मुझसे किया ही नहीं। वो अपने ब्यूटी पार्लर में ही मस्त रहती थी। ”

“अगर सब कुछ इतना अच्छा था तो…………….। ठीक है सचिन जी अगर मुझे ज़रूरत हुई तो मैं आपसे फिर बात करूँगा। ” 

“आपने मेरा और रीचा का बेड रूम सील क्यों किया हुआ है ?”

“बात दरअसल ये थी कि आप उस समय उपस्थित नहीं थे तो हमें लगा कि कहीं सबूतों से कोई छेड़खानी ना हो जाय इसलिए हमने रूम को सील कर दिया था। अभी मैं और मनोज एक बार रूम की तलाशी ले ले फिर आप अपने बेड रूम प्रयोग कर सकते हैं। ”

“धन्यवाद। अब मैं चलूँ ?”

“हाँ पर शहर छोड़ कर नहीं जाइएगा जब तक पुलिस ना कहें। ”

“पर मेरा जाना ज़रूरी है। ”

“क्यों ?”

“बात दरअसल ये है कि हल्द्वानी पुलिस ने मेरी कार ज़ब्त कर ली। ”

“क्यों ?”

“रात १० बजे के आस पास हल्द्वानी में गाड़ी की चेकिंग चल रही थी पर मेरे पास गाड़ी के पेपर नहीं थे। पुलिस ने गाड़ी ज़ब्त कर ली। कोर्ट में पेपर दिखा करके गाड़ी छूटेगी। ”

“गाड़ी के पेपर कैसे छूट गए ?”

“पेपर ऑफ़िस में रख कर गाड़ी सर्विसिंग के लिए दी थी। दोबारा कार में रखना भूल गया। ”

“तो क्या दिक़्क़त है ?गाड़ी के पेपर के साथ किसी और को हल्द्वानी कोर्ट भेज दीजिए। ज़रूरत होगी तो मनोज वहाँ के पुलिस से बात भी कर लेंगे। ”

“ठीक मैं देखता हूँ। हालाँकि मेरे पास एक कार और भी हैं। ” 

“तो आप हल्द्वानी से यहाँ तक कैसे आए ?”

“प्राइवेट टैक्सी हायर करके। एक तो मैं वैसे भी रीचा की मौत से घबराया हुआ था ऊपर से गाड़ी भी ज़ब्त हो गयी। ”

“आप पुलिस को अपनी प्रॉब्लम बता सकते थे। ”

“मैं कोशिश की थी पर वे नहीं सुने। ” अविनाश ने मनोज की तरफ़ देखा।

“अबे मेरी तरफ़ क्यों घूर रहे हो। मैने थोड़े इनकी गाड़ी ज़ब्त की है। ”

“क्या अब मैं जा सकता हूँ ?”

अविनाश बोला,-“हाँ हाँ क्यों नहीं। अगर आपको कोई एतराज़ न हो तो आप अपनी माँ आरती को अंदर भेज दें। हमने अकेले में उनसे कुछ बात करना चाहते हैं। ”

“क्यों नहीं। ” इतना कहने के बाद सचिन गोयल वहाँ से उठकर चला गया। ५ मिनट बाद ही एक वृद्ध महिला ने रूम में प्रवेश किया। वो आकर सचिन की चेयर पे बैठ गयी।

“आरती जी मुझे इंस्पेक्टर मनोज कहते हैं और ये हैं प्राइवेट डिटेक्टिव कैप्टन अविनाश। आपको तो पता ही है कि आपकी बहू रीचा की मृत्यु का कारण ज़हर है। अब वो ज़हर उसको दिया गया या उसने ख़ुद खाया, हम इसकी छानबीन कर रहे हैं और इसी सिलसिले में आपसे दो चार सवालात करना चाहते हैं। ”

“जी पूछिए। आप रीचा से आख़िरी बार कब मिली थी। ”

“मेरी उससे ज़्यादा बातचीत नहीं होती थी। पाँच छह दिन पहले मैंने उसको बाहर जाते देखा था। मैं कभी कभी फ़ार्महाउस में आती हूँ अन्यथा मैं अपने घर में ही अपनी लड़की के साथ पड़ी रहती हूँ। रानी ज़रूर दिन में फ़ार्म हाउस का चक्कर लगा आती है। ”

“८ जनवरी आप शाम को कहाँ थी ?” 

“आठ को दिन में मैं अपनी लड़की के साथ कुछ ख़रीदारी करने के लिए आज़मनगर शहर गई थी। शाम को क़रीब छह बजे के आस पास हम लोग लौट आए थे। ठण्ड बहुत ज़्यादा थी इसलिए मैं जाकर अपने रूम में रज़ाई में पड़ी हुई थी। ९ बजे के आस पास मैंने और रानी ने इकट्ठा खाना खाया था। उसके बाद रानी अपने रूम में चली गई और मैं अपने रूम में TV देखती रही और थोडी देर बाद सो गयी। सुबह ७ बजे के आस पास तारा ने मुझे बताया कि रीचा लॉन में रखें बेंच पर बेसुध पड़ी है। पहले डाक्टर फिर पुलिस भी आ गई। आगे की कहानी आपको पता ही है। ”

“अच्छा रीचा का चाल चरित्र कैसा था ?”

“मुझे इस बारे में नहीं पता है। ”

“इसका मतलब वो चरित्र से अच्छी नहीं थी। ” 

“मैंने कहा ना कि मुझे इस बारे में पता नहीं है। ” 

“सुना है रीचा शराब बहुत पीती थी। ”

“पीती होगी। ये कोई ज़रूरी नहीं है कि हर शराब पीने वाली महिलाओं का चरित्र अच्छा नहीं होता। ”

“आपका अपने लड़के सचिन से कैसा रिलेशन है ?”

“बहुत अच्छा नहीं तो बहुत ख़राब भी नहीं। इतना बड़ा कारोबार है वह अकेले संभालता है और हमें कभी किसी चीज़ की कमी नहीं रहती। रानी की शादी उसने धूमधाम से की थी। अब रानी की क़िस्मत ख़राब निकली तो उसमें किसी का क्या दोष। ”

“रीचा की मौत की कुछ वजह बता सकती है। ”

“नहीं मुझे इस बारे में कुछ भी नहीं पता है। ” 

“ठीक है अब आप जा सकती है। आप अपनी लड़की रानी को अंदर भेज दीजिए। ” आरती के जाने के क़रीब १० मिनट बाद रानी रूम में आयी। वो एक पैतीस साल की बहुत ही ख़ूबसूरत सी दिखने वाली महिला थी। वो आकर चेयर पर बैठ गयी।

“मुझे प्राइवेट डिटेक्टिव अविनाश कहते हैं। हम आपसे रीचा की मौत के संबंध में दो चार सवालात करना चाहते है। ” रानी ने हामी भरी।

“रीचा की मौत हत्या या आत्महत्या ?”

“मुझे इस बारे में कुछ भी नहीं पता। ”

“लेकिन आप तो अक्सर फ़ार्म हाउस जाती है ख़ास करके दिन में जब रीचा और सचिन फ़ार्म हाउस में नहीं रहते हैं। ” 

“अरे भाई यह फ़ार्म हाउस मेरा भी है। मैं जब चाहूँ तब जाऊँ। इसमें आपको कोई एतराज़ है क्या ?”

“नहीं। आप बुरा मान गयी। अच्छा ८ जनवरी की शाम को आप कहाँ थी ?”

“जहाँ तक मुझे याद आ रहा है कि शॉपिंग से आने के बाद मैने खाना बनाया और ९ बजे तक मैने और मा ने खाना खा लिया था। उसके बाद मैं अपने रूम में आ गयी। कुछ देरी टीवी देखा उसके बाद सो गयी। सुबह तारा से रीचा के बारें में पता लगा। ”

“अच्छा आप बुरा ना मानें तो एक बात पूछूँ। आप लोगों के पास पैसे की तो कोई कमी नहीं है। फिर भी आप दूसरी शादी के बारे में नहीं सोचती। ”

“मुझे नहीं लगता कि मुझे इसकी ज़रूरत है। आगे की ज़िंदगी जीने के लिए मेरे पति की याद ही काफ़ी है। ”

“आप कहाँ तक पढ़ी लिखी है। ” 

“हाँ मैं ग्रेजुएट हूँ। ” 

“आपके भाई का इतना बड़ा कारोबार है। आप चाहें तो उनका हाथ भी बटा सकती हैं। ”

“सोचा तो मैंने भी कई बार पर सचिन भाई इसके लिए राज़ी नहीं होते हैं। वो बार बार कहते हैं कि मुझे किस चीज़ की कमी है। चूंकि वो उम्र में मुझसे बड़े हैं इसलिए मैं उनसे बहुत बहस नहीं कर पाती। ये बात सही है कि सौतेले होने के बावजूद भी उन्होंने किसी चीज़ की कमी नहीं रखी है। ”

“आपकी भाभी रीचा का चाल चरित्र कैसा था ?”

“इतना तो मुझे पता है कि वो एक नंबर की दारू बाज थी। पर जो औरत शराब पीती है क्या वो चरित्र से भी ख़राब होती है, ऐसा तो नहीं है। हाँ ये अलग बात है कि सोसायटी में औरतों का शराब पीना बहुत अच्छा नहीं माना जाता है। ”

“ठीक है रानी जी आप जा सकती है। पप्पू को अंदर भेज दीजिए। ” इसके बाद रानी वहाँ से चली गयी और थोड़ी देर बाद पप्पू आया पर वो कुर्सी पर बैठा नहीं। वो खड़ा ही रहा।  

अविनाश ने पूछा,-“अच्छा पप्पू को एक बात बताओ ८ जनवरी की रात को तुमने कितने बजे फ़ार्म हाउस छोड़ा था ?”

“शाम क़रीब ७:४५ बजे के आस पास। जब सचिन सर ने मुझसे कहा की अब मैं जा सकता हूँ तो मैं चला गया। ” 

“तब तक मेड तारा जा चुकी थी। ”

“हाँ सर। ”

“तब तक रीचा पार्लर से नहीं आयी थी ?”

“नहीं सर। मेरे जाने तक तो मैडम नहीं आयी थी। ” 

“तुमको रीचा के बारें में सुबह तारा ने बताया था ?”

“हाँ सर। ”

“तुम्हें कुछ पता है रीचा की मौत के बारें में ?कोई ऐसी बात जिससे इस केस पे कुछ रोशिनी पड़ सके। ”

“नहीं सर मुझे कुछ नहीं पता है। ”

“ठीक है तुम जा सकते हो। तारा को अंदर भेज दो। ” थोड़ी देर बाद तारा अंदर आयी और हाथ जोड़कर खड़ी हो गई।

“तारा मैं जो भी पूछूँ उसका सही सही जवाब देना। ”

“हाँ सर। ”

“तुमको पता है कि रीचा मैडम की मौत कैसे हुई ?”

“हाँ सर ज़हर की वजह से। ”

“तुमको क्या लगता है उन्होंने ज़हर क्यों खाया होगा ?” 

“मुझे इस बारे में कुछ भी नहीं पता है। ”

“अच्छा जब तुम सुबह आयी तो फ़ार्महाउस का दरवाज़ा बंद था ?" 

“हाँ। ” 

“तो फिर तुम फार्म हाउस में कैसे घुसी ?”

“मैंने तीन चार बार घंटी बजायी। जब किसी ने दरवाज़ा नहीं खोला तो मैं फार्म हाउस के पीछे गई। पीछे का दरवाज़ा खुला हुआ था। सबसे पहले मैने बेड टी बनायी और मैडम के कमरे में चली गयी लेकिन मैडम रूम में नहीं थी। मैने मैडम को पूरे घर में खोजा पर वो कहीं नहीं मिली। इसके बाद मैं पीछे लॉन में चली गयी। जाते ही मेरी निगाह मैडम पे पड़ गई जो बेंच पे बेसुध पड़ी हुई थी। मैं साहब को जगाने के लिए रूम में आयी पर वो भी रूम में नहीं थे। तुरंत मैने पप्पू भैया को फ़ोन कर दिया। बग़ल में जाकर आरती मैडम और रानी मैडम को बुला लायी। आगे की कहानी सबको पता ही है। ”

“तारा तुम चाहती हो की मैडम की मौत का राज पता चले। ”

“हाँ सर। इसी परिवार से हमारी रोज़ी रोटी चलती है। बल्कि आस पास के बहुतों के घर की रोज़ी रोटी चलती है। ”

“तो फिर तारा हमें कोई ऐसी ख़ास बात बताओ जिससे इस केस में हमें मदद मिल सके। ” तारा सकपका गयी।

“सर मुझे जो कुछ पता था मैंने आपको बता दिया। बाक़ी आप कुछ भी पूछिए अगर मुझे पता होगा तो ज़रूर जवाब दूंगी। ” अविनाश मुस्कुरा दिया।

“ठीक है तुम जा सकती हो। ” तारा वहाँ से चली गयी।

“क्या हुआ अविनाश किसी के बयान से कुछ पता लगा। ”

“किसी के बयान में विरोधाभास नहीं हैं। सब के सब एक ही भाषा बोल रहें हैं। ”

“अभी क्या करना है ?

“सचिन और रीचा के बेडरूम की तलाशी ले लेते हैं। चाबी तुम साथ ले आए हो ना। ”

“हाँ। ”

“तो आओ चलें। ” अविनाश और मनोज सबसे पहले सचिन के बेडरूम में घुस गए। दोनों ने दस्ताने पहन लिए। सचिन का बेडरूम बहुत बड़ा था। दीवार से लगकर बीचो बीच एक बेड पड़ा हुआ था। बेड के एक साइड में सोफ़ा सेट और सेंटर टेबल रखे थे। बेड के दूसरे साइड में थोड़ी दूरी पर एक फ्रिज रखी थी। अविनाश ने फ्रिज खोला। पूरी फ्रिज दारू की बोतल से भरी थी। अविनाश ने सारी बॉटल तो एक बार ध्यान से देखा और फ्रिज को बंद कर दिया। रूम में एक दीवाल पे वार्ड रोब था। अविनाश ने वार्ड रोब खोला। उसमें सचिन के कपड़े भरे पड़े थे। अविनाश ने पूरी वार्ड रोब की स्कैनिंग बहुत ध्यान से की पर उसे कुछ भी ख़ास नहीं मिला। वाश रूम में भी कुछ ख़ास नहीं मिला।

“मनोज मुझे लग रहा है कि यहाँ पे कुछ ख़ास नहीं है। अब हमें रीचा के रूम की तलाशी लेनी चाहिए। ” 

“चलो चलतें हैं। ” इसके बाद मनोज और अविनाश रीचा के बेड रूम में चले गए। रीचा का रूम भी सचिन जैसा ही शानदार था। अविनाश ने पूरे रूम का बहुत बारीकी से मुआयना शुरू किया। अविनाश को बेड के नीचे की अंदर साइड में एक कांच का टुकड़ा मिला। अविनाश ने वो टुकड़ा उठा लिया और सबूत के तौर पर एविडेन्स बैग में रख  लिया।

“मनोज, इस कांच के टुकड़े को देखने से तुम्हें क्या लगता है ?” 

“मुझे तो दारू की बोतल का टूटा हुआ टुकड़ा लगता है। ”

“मुझे भी ऐसा ही लग रहा है। इसकी भी फॉरेंसिक जाँच करवा लेंगे। ” अविनाश ने रीचा की वार्ड रोब खोली। वो भी कपड़ों से भरी हुयी थी। वार्ड रोब में अविनाश को एक अख़बार की कटिंग का प्रिंट आउट रखा हुआ मिला। अविनाश ने वो कटिंग उठा ली और उसको खोलकर ध्यान से पढ़ने के बाद उसने वो कटिंग इंस्पेक्टर मनोज को पकड़ा दी। मनोज ने भी इस कटिंग को ध्यान से पढ़ी।

“अविनाश ये कटिंग तो क़रीब १२ साल पहले की है। ये रीचा के वार्ड रोब में क्या कर रही है ?” अविनाश ने मनोज को चुप रहने का इशारा किया।

अविनाश ने धीरे से बोला,-“इस कटिंग प्रिंटआउट से फिंगरप्रिंट उठवाने की कोशिश करो। ” अविनाश ने कटिंग की फ़ोटो अपने मोबाइल से खींच ली। इसके बाद फिर अविनाश ने पूरे रूम का मुआयना किया लेकिन उसे कुछ भी नहीं मिला। अविनाश ने रीचा का पर्स भी चेक किया पर उसमें भी कुछ ख़ास नहीं मिला। उसके बाद वो दोनों रूम से बाहर आ गए।  हाल में सभी उसका इंतज़ार कर रहे थे।

उन दोनों को देख करके सचिन बोला,-“आप लोगों ने दोनो रूम की तलाशी ले ली। ” 

“हाँ। अब आप लोग रूम का यूज़ कर सकते हैं। मनोज अब चलो यहाँ से चलते हैं। सचिन जी ऐसे मुश्किल वक़्त में भी समय देने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद। अगर फिर कोई ज़रूरत होगी तो हम आप लोगों से ज़रूर मिलेंगे। ”

मनोज ने कहा,-“जब तक हम ना कहें शहर कोई भी छोड़ेगा नहीं । ”

“ठीक है। ” अविनाश और मनोज कार में बैठकर वापस चल दिए। रास्ते में एक चाय की दुकान पे अविनाश ने गाड़ी रोक दी।

“आओ मनोज ठण्ड बहुत है एक एक कप चाय पी के चलतें हैं। ” अविनाश कार से उतरकर चाय की गुमटी के पास चला गया।

“भाई दो कप कड़क चाय देना। ”

“अभी लो साहब। ”

“यार यहाँ कहीं पेट्रोल पम्प है। ” 

“नहीं साहब। ये रोड वैसे ही काफ़ी सुनसान है। आपको पेट्रोल पम्प रौनापार चौराहे पे मिलेगा। ” अविनाश दो कप चाय लेकर अपनी कार के पास आ गया। मनोज सिगरेट फूंक रहा था। अविनाश ने एक कप मनोज को पकड़ा दी। कार का टेक लेकर दोनो चाय की चुस्कियाँ लेने लगे।

“अविनाश क्या समझ में आया ? मैने तो पेपर कटिंग बहुत ध्यान से पढ़ी नहीं। ”

“यही समझ में आया कि आज से क़रीब १२ साल पहले रीचा पेशे से एक हाई प्राइस्ड काल गर्ल थी और किसी बड़े आदमी को ब्लैकमेल करने के चक्कर में जेल गई थी। वो न्यूज़ पेपर की कट्टिंग कलकत्ता की थी। ”

“एक बात तो साफ़ है कि सचिन को ये बात रीचा से शादी के वक्त तो नहीं पता होगी अन्यथा वो रीचा से शादी नहीं करता। तो क्या कोई इस कटिंग के ज़रिए रीचा को ब्लैकमेल कर रहा था जिसकी वजह से रीचा ने सुसाइड कर लिया। ” 

“पहली दृष्टि में तो ऐसा ही लग रहा है। ”

“तो क्या इस बारे में सचिन को नहीं पता होगा ?”

“पेपर की कट्टिंग की फ़ोटो खींचकर प्रिंट आउट लिया गया है। कटिंग पुरानी लग रही है पर ये प्रिंटआउट बहुत पुराना नहीं लग रहा है। इसका मतलब हाल में ही रीचा को ब्लैकमेल किया जा रहा था। ”

“लेकिन कटिंग रीचा तक कैसे पहुँची ?”

“मनोज कोई भी ज़रिया हो सकता है। अब हमें ब्लैकमेलिंग वाले ऐंगल पर भी सोचना होगा। मैं राजू और बेबी को इस काम में लगाता हूँ। ”

“रीचा कलकत्ता के एक जेल में बंद थी तो हमें वहाँ से रीचा के बारें में जानकारी मिल सकती है। ”

“लेकिन बात इतनी पुरानी है कि कोई कुछ बता नहीं पाएगा। अगर कोई सफलता हाथ नहीं लगी तो वो भी ट्राई करके देख लेंगे। अब तो कॉल रिकॉर्ड्स को स्कैन करना और भी ज़रूरी हो गया है। चलो वापस चलते हैं। गाड़ी में पेट्रोल भी काफ़ी कम है। रौनपार चौराहे पे पेट्रोल लेना होगा। ” चौराहे पे पेट्रोल लेते हुए अविनाश ने क्राइम ब्रांच के सामने कार रोक दी।

“मनोज, वो ग्लास का टुकड़ा और प्रिंटआउट पर से फिंगर प्रिंट्स मैच करवा लेना। ”

“हाँ ठीक है। ” 

“पर फॉरेंसिक एक्सपर्ट्स ने सबके हाथ के निशान लिए थे लेकिन सचिन का तो लिया नहीं था क्योंकि वो था ही नहीं। ”

“उसकी चिंता मत करो। मैं एक्सपर्ट्स को भेज करके सचिन के फ़िंगरप्रिंट भी ले लूँगा। ” 

“ज़रा जल्दी करना। ” इतना कहकर अविनाश मनोज को छोड़ते हुए अपनी एजेंसी वापस आ गया। अभी तक राजू और बेबी आए नहीं थे। क़रीब एक घंटे बाद वे दोनों भी वापस आ गए।

                                      ४

बेबी बोली,-“सर हम लोगों के बिना कल से आप बोर हो गए होंगे। ”

“अरे कहा, मैं और मनोज गोयल फ़ार्म हाउस चले गए थे। ” इसके बाद अविनाश ने राजू और बेबी को सारे घटना से अवगत करा दिया।

“सर आपको लगता है की टूटा कांच का टुकड़ा और पेपर कटिंग का प्रिंटआउट ये दोनो सबूत हैं। ”

“अभी पता नहीं हैं बेबी। फ़िलहाल ये दोनो सबूत मनोज फॉरेंसिक को सौंप देगा। जैसे ही कोई रिपोर्ट आएगी वो मुझे इत्तला करेगा। अच्छा चलो तुम लोग बताओ कि सबके कॉल रिकॉर्ड ले करके आ गये। ”

“हाँ सर। ” फिर तीनों ने मिलकर सबके कॉल रिकॉर्ड स्कैन करना शुरू किया। आधे घंटे तक किसी ने किसी से कोई बात नही। फिर अविनाश ने चुप्पी तोड़ी।  

“बेबी तुम्हें पप्पू के कॉल रिकॉर्ड से क्या मिला है ?"

“सर वही बात जो तारा ने कन्फर्म की थी। पप्पू की लगातार बात है सचिन गोयल की बहन रानी से हो रही है। ”

“बात करने का समय क्या है ?”

“रात में १० बजे के बाद क्योंकि क़रीब आठ बजे तक तो वो फार्म हाउस में ही रहता है। और सर बात का समय भी बहुत ही लंबा है मेरा मतलब दो घंटे से तीन घंटे तक। बाक़ी आठ जनवरी की रात में क़रीब ८ बजे के बाद पप्पू के मोबाइल की लोकेशन उसके घर के आस पास ही दिखा रही है। इसका मतलब वो सही बोल रहा है। पर सर ८ की रात में पप्पू की बात रानी से केवल एक बार हुयी है वो भी मात्र  ५ मिनट के लिए। ”

“किस समय ?”

“रात ८:३० बजे। ”

“इसका मतलब बेबी मतलब पप्पू और रानी के बीच आशनायी चल रही है। ”

“लगता तो सर ऐसा ही है। ” अविनाश राजू की ओर मुखातिब हुआ।

“राजू तुम्हें सचिन गोयल के कॉल रिकॉर्ड से क्या पता लग रहा है ?”

“सचिन गोयल के रेकार्ड में बहुत से नंबर है जिससे उन्होंने पिछले १ महीने से बात की है कि पर ऐसा कुछ भी संदिग्ध तो नहीं दिखाई दे रहा है। सचिन ने ८ जनवरी की रात क़रीब १० बजे के आस पास रीचा से बात की थी वो भी सिर्फ़ २ मिनट के लिए। ये सचिन और रीचा की लास्ट कॉल है। बाक़ी मोबाइल लोकेशन के हिसाब से भी सब कुछ ठीक ही लग रहा है। ”

“और रानी के कॉल रिकॉर्ड्स में क्या है ?”

“सर रानी ने ज़्यादातर बात पप्पू से ही की है। मेरा मतलब पप्पू और रानी के रेकार्ड मैच हो रहे है। बाक़ी रानी के कॉल रिकॉर्ड में कुछ भी संदिग्ध नहीं। ” 

“और राजू, रीचा के कॉल रिकॉर्ड्स क्या कहते हैं ?” 

“पिछले एक महीने में रीचा की बात तो कमल नेगी से काफ़ी हुई है। और सबसे ख़ास बात ये है कि ८ जनवरी की रात साढ़े ९ के आस पास उसकी बात कमल नेगी हुई है। ”

“और कुछ ख़ास ?”

“सर चार ऐसे नंबर है जो संदिग्ध लग रहे हैं। ”

“ऐसा क्यों है ?”

“क्योंकि वो नंबर स्टेट के बाहर के है। जैसे तीन मिनट के लिए जिस नम्बर से बातचीत हुई है वो कलकत्ता का है। इसी तरह एक नम्बर मुंबई का है, एक नंबर जयपुर का है, एक नम्बर पूना का है। सर हो सकता हो ये ब्लैकमेलिंग की कॉल हो। लेकिन सर एक बात बता दूँ कि इस नंबर की डिटेल नहीं पता लग पाएगी। ” अविनाश ने दो मिनट आंखें बंद की।

“राजू इतना पता करो कि ये कमल नेगी कौन है और इसका क्या बैक ग्राउंड है। बेबी तुम कल रीचा के ब्यूटी पार्लर जाओ और ये पता करने की कोशिश करना कि क्या पिछले कुछ दिनों से रीचा परेशान थी। मेरा मतलब है ब्यूटी पार्लर में काम करने वाले कर्मचारी ने रीचा के व्यवहार में इधर कुछ दिनो में कोई परिवर्तन देखा था। रीचा का बैंक एकाउंट स्टेटमेंट भी निकलवा लेना। ”

“एस सर। ”

“और राजू एक बात का ख्याल रहे की तुम सिर्फ़ कमल नेगी के बारे में पता करोगे, उससे बातचीत नहीं करोगे। ठीक है अब तुम लोग काफ़ी थक गए हो अपने घर जा सकते हो। मैं भी कुछ देर में घर चला जाऊँगा। राजू और बेबी केबिन से चले गए। थोड़ी देर बाद अविनाश भी एजेन्सी बंद करके अपने घर चला गया। रात में खाना खाने के बाद अविनाश टेरेस पर टहलते हुए इस केस के बारें में सोचने लगा पर उसे अभी कुछ समझ में नहीं आ रहा था। इसी बीच इंस्पेक्टर मनोज का फ़ोन आ गया।

“हाँ भाई मनोज कैसे याद किया ?”

“जो दोनों सबूत आज बरामद किए थे उसकी फॉरेंसिक रिपोर्ट आ गयी है। जो ग्लास का टुकड़ा रीचा के बेड के नीचे से बरामद हुआ था उस पर रीचा के फिंगरप्रिंट हैं। वो ग्लास का टुकड़ा शराब की बोतल था। उस टुकड़े पर ज़हर के ट्रेसेज़ है। ”

“अच्छा। और वो पेपर कटिंग ?”

“उस पेपर कटिंग पे सिर्फ़ और सिर्फ़ सचिन गोयल के हाथ के निशान है। ”

“अच्छा। ”

“लेकिन अविनाश पेपर पर से तो रीचा के हाथ के निशान तो मिलने चाहिए थे, नहीं तो ब्लैकमेलिंग वाला ऐंगल कैसे साबित होगा ?”

“हो सकता हो रीचा ने कटिंग को अभी पढ़ा ही ना हो। ये बात संदेहास्पद तो है पर इससे ज़्यादा संदेहास्पद ये हैं कि पेपर पर सचिन गोयल की अंगुलियों के निशान हैं। इसका मतलब सचिन रीचा के पास्ट से अवगत हो गया था। ”

“अविनाश कहीं ऐसा तो नहीं कि सचिन ने ही शराब में ज़हर मिला दिया और फिर पिथौरागढ़ चला गया। इधर जैसे ही रीचा ने शराब पी, थोड़ी देर बाद मार गयी। सचिन ने ऐसा ज़ाहिर करने की कोशिश की जैसे ब्लैकमेलिंग की वजह से रीचा ने ज़हर खाकर ख़ुदकुशी कर ली। ”

“ऐसा है तो बहुत ही सिंपल केस है। वैसे मनोज तुम्हारी बात में दम तो है कि हो सकता हो सचिन को रीचा के पुरानी ज़िंदगी के बारे में पता लग गया हो और नफ़रत और ग़ुस्से में उसने शराब में ज़हर मिला दिया हो। पेपर कटिंग का आलमारी में रखना इस प्लान का एक हिस्सा हो क्योंकि पेपर कटिंग पे सिर्फ़ और सिर्फ़ सचिन के हाथ के निशान है। पर इसे हमें साबित करना होगा क्योंकि सचिन कोई राह चलता आदमी नहीं है जिस पर हम कोई भी इल्ज़ाम लगा दे। ठीक है चलो इस डायरेक्शन में भी सोचते हैं। अभी फ़ोन रख रहा हूँ। ” फ़ोन रखने के बाद अविनाश अपने रूम में जाकर सो गया।  

                                            ५

अगले दिन हर रोज़ की तरह वो क़रीब १० बजे के आस पास अपनी साई डिटेक्टिव एजेंसी पहुँच गया। राजू और बेबी काम की वजह से आए नहीं थे। पूरे दिन अविनाश केस की उधेड़बुन में ही लगा रहा। क़रीब शाम को ४ बजे के आस पास राजू और बेबी वापस आए।  

अविनाश ने बिना समय गवाए कहा,-“हाँ तो बेबी ये बताओ कि तुमने रीचा के बारें में क्या पता किया ?” 

“सर आपके कहे मुताबिक़ मैं रीचा का पिछले दो महीने का एकाउंट स्टेट्मेंट का प्रिंट आउट ले आयी हूँ। ” बेबी ने एकाउंट स्टेटमेंट का प्रिंटआउट अविनाश को पकड़ा दिया। अविनाश ने ध्यान से अकाउंट स्टेटमेंट स्कैन किया।  

“बेबी, इस अकाउंट स्टेटमेंट में कोई भी ट्रांजेक्शन ऐसा नहीं है जिस पर डाउट किया जा सके। ”

“मैने चेक कर लिया है सर। लेकिन सर पैसे देने के तो और भी कई मोड होते हैं। और एक बात और है सर ?”

“वो क्या ?

“हो सकता हो ब्लैकमेलिंग पैसे की बजाय किसी और चीज़ की हो ? रीचा काफ़ी ख़ूबसूरत थी और जवान थी……….। ”

“मैं तुम्हारे कहने का मतलब समझ रहा हूँ। अच्छा, रीचा के ब्यूटी पार्लर से क्या पता किया ?”

“रीचा बहुत ही बोल्ड महिला थी। मेरा मतलब है बोल्ड एंड ब्यूटीफुल। वो किसी से नहीं डरती थी। जिस रात उसकी मौत हुई उस दिन भी वो ब्यूटी पार्लर में क़रीब ८ बजे तक थी। किसी भी कर्मचारी को ऐसा नहीं लगा कि वो रत्ती भर भी परेशान थी। बल्कि जाते हुए रीचा ने सबको दूसरे दिन के सारे काम याद दिलाए थे। सर कोई औरत जो थोड़े समय बाद आत्महत्या करने जा रही हूँ उसका ऐसा रवैया तो नहीं होता है। ” 

तब तक राजू बोला ,-“लेकिन बेबी सुसाइड कभी कभी इंस्टैंट रिएक्शन भी होता है। ” 

“पता नहीं राजू मैं इस बात से सहमत नहीं हूँ। कोई औरत अगर वाक़ई पिछले कई दिनों से ब्लैकमेल हो रही है तो उसका मूड वाक़ई कई दिनों से ख़राब होगा पर यहाँ ऐसा कुछ भी नहीं पता लग रहा है। पता नहीं सर मुझे जितना उसके बारे में पता लगा है मैं ब्लैकमेलिंग को लेकर सुसाइड वाले ऐंगल को रूल आउट करती हूँ। क्या होता अगर उसके पिछले लाइफ़ के बारे में सचिन को पता चल जाता। बहुत होता वो उसको तलाख दे देता। रीचा खुद अपने पैरो पे खड़ी थी। मुझे तो सर इसमें कोई और ही झोल नज़र आ रहा है। ” अविनाश ने एक गहरी साँस ली और अपना सिगार जला लिया।

“और राजू तुमने कमल नेगी के बारे में क्या पता किया ?” 

“सर कमल लेगी भी इस एरिया का ठीक ठाक बिज़नेसमैन हैं। करोड़पति तो नहीं लेकिन अच्छे ख़ासे पैसे वाला है। उसका कॉस्मेटिक का, औरतों के गारमेंट्स का अच्छा ख़ासा कारोबार है। शायद इसी सिलसिले में कमल नेगी और रीचा के बीच काफ़ी बातें होती होगी। कमल नेगी शादी शुदा नहीं है। रीचा उससे मिलने के लिए उसके ऑफ़िस में अक्सर जाती है। कमल नेगी भी चरित्र का बहुत अच्छा आदमी नहीं है। मैं ये बात इसलिए कह रहा हूँ कि ऐसा पता चला है की कुछ दिन पहले किसी औरत ने उसके ऊपर काफ़ी आरोप लगाए थे और कमल नेगी को जेल भी हो गई थी। बाद में कमल नेगी ने रुपया देकर इस मामले को रफ़ा दफ़ा किया था। और ये बात सभी को पता है तो मैं ये कह सकता हूँ कि ये बाद रीचा को भी पता होगी। अब रीचा यदि किसी ऐसे आदमी से बात कर रही है, मिल रही है वो भी खुलेआम तो ये बात तो कही जा सकती है कि रीचा भी अच्छी औरत नहीं थी और न ही उसे किसी का डर था। अब रीचा का सम्बंध केवल बातचीत तक था या उससे भी आगे था, ये तो कमल नेगी से बात करके पता चल सकता है पर आपने उससे बात करने के लिए मना किया था। ”

“नहीं उसकी ज़रूरत नहीं है। उससे बात मैं ख़ुद करूँगा। राजू तुम मुझे कमल लेगी का फ़ोन नंबर और ऐड्रेस मैसेज कर दो । मैं आज शाम ही उससे मिलने उसके घर जाऊँगा। अभी तुम लोग जाओ बहुत थक गए हो। तुम लोगों ने लगातार बहुत अच्छा काम किया है। ”

“हाँ सर अब हम चलते हैं। ” राजू और बेबी केबिन से निकल गए। उन दोनो के जाने के बाद अविनाश ने कुछ समय और इस केस पर माथापच्ची की। क़रीब ७ बजे के आस पास वो अपनी कार से कमल नेगी के घर की तरफ़ चल दिया। कमल नेगी का घर बलरामपुर इलाक़े में था। वहाँ पहुँचने में अविनाश को क़रीब ३० मिनट लग गया। कमल का घर बहुत बड़ा था। बाहर एक गार्ड पहरा दे रहा था। अविनाश ने अपनी कार रोकी और बाहर निकल गया।

उसने गार्ड से पूछा,-“क्या कमल नेगी साहब घर पे है। ” उस गार्ड ने तुरंत इंटर्काम पे कमल को फ़ोन किया और फ़ोन रखने के बाद बोला कि सर वो पूछ रहे हैं कि आप कौन हैं और उनसे क्या चाहते है।

“अपने साहब से बोलो कि मैं प्राइवेट डिटेक्टिव अविनाश हूँ और मुझे क्राइम ब्रांच के इंस्पेक्टर मनोज ने भेजा है। मैं उससे रीचा की मौत के बारे में जानकारी चाहता हूँ। ” गार्ड ने तुरंत कमल को फिर इन्फॉर्म कर दिया। फ़ोन रखने के बाद उसने अविनाश से बोला कि सर आप कार सहित अंदर जा सकते है। अविनाश कार में बैठ गया और गार्ड ने दरवाज़ा खोल दिया। अविनाश ने कार ले जा करके पोर्च के नीचे खड़ी कर दी और कार से निकल कर घर के अंदर चला गया। वो जैसे ही हाल में घुसा एक नौकर आया और अविनाश से बोला कि सर ने आपको अपने बेडरूम में बुलाया है। अविनाश उस नौकर के पीछे चलते हुए कमल नेगी के रूम तक पहुँच गया। कमल बेडरूम में रखे हुए सोफ़े पर बैठा था और सामने टेबल पे शराब और सोडे की कई बोतल रखी थी। कमल शराब पी रहा था। अविनाश को देखते हुए उसने उसे सोफ़े पे बैठने का इशारा किया। कमल देखने से कोई ४० साल का डैशिंग सा लगने वाला आदमी था।

“माफ़ कीजियेगा कमल साहब मैंने आपको ठंड की रात में परेशान किया। पर मैं आपका ज़्यादा वक़्त नहीं लूँगा। चूंकि मामला मौत का है इसलिए बस दो चार सवालात आपसे करना चाहता हूँ। मुझे डिटेक्टिव अविनाश कहते हैं। रीचा की मौत क्राइम ब्रांच के इंस्पेक्टर मनोज हैंडल कर रहे हैं और मैं इस केस में उनकी मदद कर रहा हूँ। ” 

“आपको अपना परिचय देने की ज़रूरत नहीं है। मैं आपको जानता हूँ। ” 

“शुक्रिया। ”

“पूछिए आप क्या पूछना चाहते हैं ?” 

“आठ जनवरी की रात क़रीब साढ़े ९ के आस पास रीचा ने आपसे बात की थी ?” 

“हाँ, क्यों ?” 

“और नौ को सुबह रीचा अपने लॉन की बेंच पर मरी हुई मिली। पोस्टमार्टम रिपोर्ट से यह साबित हो गया कि जो शराब रीचा ने पी थी उस बोतल और ग्लास दोनों में ज़हर था। अब हम ये साबित करने में लगे हुए हैं कि ये आत्महत्या है या सोची समझी हत्या। ” 

“तो अभी आप किसी नतीजे पर पहुँचे हैं। ”

“जो सबूत बरामद हुए हैं उससे तो यही लगता है कि हो सकता हो रीचा ने आत्महत्या की हो क्योंकि रीचा को ब्लैकमेल किया जा रहा था। ” 

“अगर आपको एतराज़ ना हो तो क्या बता सकते हैं कि रीचा को किस बात के लिए ब्लैकमेल किया जा रहा था। ” अविनाश ने अपने मोबाइल से वो पेपर कटिंग कमल को दिखा दी।

“ये देखिए कमल जी, ये हमें रीचा की अलमारी से बरामद हुआ था। ये कटिंग १२ साल पुरानी है। इस न्यूज़ पेपर की कटिंग में ये छपा हुआ था कि रीचा क़रीब १२ साल पहले हाई प्राइस्ड कॉल गर्ल थी और किसी बड़े आदमी को ब्लैकमेल करने के चक्कर में उसे जेल भी हुई थी। अगर ये बात बाहर आ जाती तो हो सकता था कि रीचा की बहुत बदनामी होती। आख़िरकार आज रीता करोड़पति थी और अपना अच्छा ख़ासा ब्यूटी पार्लर चलाती थी। ” 

“लेकिन ये भी तो हो सकता है कि किसी ने उसके शराब में ज़हर मिला दिया हो…………….। ”

“हम भी यही तो जानने की कोशिश कर रहे हैं कि वाक़ई उस रात क्या हुआ होगा और क्या कारण था इसके पीछे। इसलिए आप रीचा से अपने संबंध के बारे में कुछ भी छुपाईये नहीं। सब कुछ साफ़ साफ़ बता दीजिए। ” कमल ने सिगरेट जला लिया। उसने अविनाश को भी सिगरेट ऑफ़र किया लेकिन अविनाश ने मना कर दिया।

“देखिए मुझे ये बात कहने में कोई भी संकोच नहीं है कि रीचा से मेरे जिस्मानी ताल्लुकात थे। ८ जनवरी को रात साढ़े ९ के आस पास मेरी रीचा से बात हुयी थी। सचिन गोयल कहीं बाहर गया हुआ था तो वो कह रही थी की क्यों न हम भी एक साथ वक़्त गुज़ारे वो भी कहीं बाहर। मैं इसके लिए तैयार हो गया था। हम भी एक दो दिन के लिए कहीं बाहर जाने वाले थे। पर दूसरे दिन रीचा की मौत की खबर आ गयी और प्लान चौपट हो गया। ”

“रीचा से आपके संबंध कब से हैं। और क्या रीचा आपके पास आते थी या आप भी कभी फार्म हाउस जाते थे। ”

“रीचा से मेरे सम्बंध क़रीब ३-४ साल से थे और ज़्यादातर वही मेरे पास मेरे बंगले में  आती थी। ” 

“क्या आपको रीचा इधर बीच परेशान दिखाई दे रही थी। ” 

“वो कभी भी परेशान होने वाली औरत नहीं थी। बल्कि मैंने उससे कहा कि था कि वो चाहें तो वो अपने पति सचिन को तलाक़ देकर मुझसे शादी कर सकती है। ” 

“पर वो कह रही थी कि अब वो दोबारा शादी के बंधन में फँसना नहीं चाहती। वो एक स्वतंत्र विचारों वाली औरत थी। ”

“मुझे भी कोई ऐतराज नहीं था। हम दोनो की ज़रूरत पूरी हो रही थी। ” 

“क्या आप बता सकते हैं कि सचिन से रीचा के संबंध क्यों अच्छे नहीं थे। ” 

“एक तो रीचा और सचिन में उम्र का अंतर बहुत ज़्यादा था। दूसरा सचिन भी कोई दूध का धुला हुआ थोड़ी है। वो भी तो जब बाहर जाता है तो होटल में लड़कियों के साथ…………..। अब वो मर्द है तो उसे सब करने की छूट है और रीचा औरत है तो उसे कुछ भी करने की छूट नहीं है। ” 

“तो क्या सचिन को रीचा और आपके संबंध के बारे में पता है ?” 

“देखिए उसे पता हो या ना हो ये तो मैं नहीं जानता। पर इतना ज़रूर है कि रीचा को इससे कोई बहुत फ़र्क नहीं पड़ता । इसलिए मुझे आश्चर्य हो रहा है कि उसे कौन ब्लैकमेल कर सकता है। ” 

“लेकिन उसको मारने से भी किसी को क्या फ़ायदा ?” 

“हो सकता हो एक पति की जलन जाग गयी हो ?” 

“सचिन………। ”

“वो पता करना आपका काम है। ”

“एक बात और पूछूँ। ” 

“बिलकुल शौक़ से पूछिए। ” 

“क्या रीचा के किसी और से भी संबंध थे ?” 

“मैं कह नहीं सकता हूँ और अगर होंगे भी तो मुझे कोई आश्चर्य नहीं है। ” 

“आठ जनवरी की रात आप कहाँ थे ?”

“बिलकुल इसी जगह बैठा ड्रिंक ले रहा था। ” 

“जानकारी देने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद। यदि ज़रूरत हुई तो दोबारा मिलूंगा। ” 

“बेशक। पर अगली बार आपको मेरे साथ ड्रिंक लेना पड़ेगा। ”

“ज़रूर। गुड नाईट। ” कमल के घर से निकल कर अविनाश अपने घर चला गया। घर पहुँचकर उसने खाना खाया और उसके बाद वो रोज़ की तरह टेरेस पर ठहरने लगा। अचानक उसने राजू को फ़ोन लगा दिया। ” 

“यस सर। ” 

“राजू कमल नेगी के कॉल रिकॉर्ड्स से ये पता करो की आठ तारीख़ की रात में कमल के मोबाइल की लोकेशन कहा कहाँ कहाँ थी। उसका नम्बर तुम्हें रीचा के कॉल रेकार्ड से पता चल जाएगा। ” 

“ठीक है सर कल मैं आपको पता करके बताता हूँ। ” फ़ोन रखने के बाद अविनाश ने इंस्पेक्टर मनोज को फ़ोन लगा दिया।  

“हाँ अविनाश बोलो लगता है अभी भी केस के बारें में सोच रहे हो। ”

“तुम्हें तो मेरा पता ही है जब तक केस हल नहीं हो जाता तब तक मेरे दिलो दिमाग़ पे वही चलता रहता है। मुझे रीचा और सचिन के कार की तलाशी लेनी है। ” 

“कार की तलाशी तो पहले लेनी चाहिए थी। अब क्या फ़ायदा होगा ?सारे सबूत तो ग़ायब हो  चुके होंगे। ”

“अरे भाई तब कार के तलाशी की कोई वजह तो होनी चाहिए थी। ”

“तो क्या अब वजह पता लग गयी है ?”

“कुछ ख़ास मिल नहीं रहा है तो मैं एक चांस ले रहा हूँ। कभी कभी ऐसा भी करना चाहिए। ” 

“तो कल चलतें हैं फार्म हाउस। पर दिन के समय तो सचिन मिलेगा नहीं। ” 

“अच्छा। तो कल शाम को सात बजे के आस पास तुम्हारे साथ ही फ़ार्महाउस चल चलेंगे और वहीं दोनों के कार की तलाशी ले लेंगे। पर तुम किसी को इस बारें में बताना नहीं। ”

“ठीक है। मैं कल शाम को तुम्हारा इंतज़ार करूँगा। ” अविनाश ने फ़ोन रख दिया और अपने रूम में चला गया।

                                               ६

अगले दिन अविनाश और बेबी पूरे दिन एजेंसी में ही बैठे रहे हैं। इस केस पर उन्होंने कोई ख़ास काम नहीं किया। अविनाश अपने केबिन में बैठा केस की उधेड़बुन में लगा रहा। शाम के वक्त राजू कमल नेगी के कॉल रिकॉर्ड्स लेकर अविनाश के पास आया।  

“सर जैसा आपने कल रात कहा था मैं कमल के कॉल रिकॉर्ड ले आया हूँ। ८ जनवरी के पूरे दिन तो क्या पिछले एक महीने में भी कमल की मोबाइल की लोकेशन फ़ार्म हाउस के आस पास नहीं थी। ” अविनाश ने एक नज़र कॉल रिकॉर्ड्स पे डाली और उसे मेज़ पे रख दिया।

“वैसे आज शाम को मैं और मनोज फ़ार्म हाउस जाएंगे। मैं सोच रहा हूँ की रीचा और सचिन के कार की एक बार तलाशी ले ली जाए। तुम और बेबी अब चले जाओ। फ़ार्महाउस में जो कुछ होगा उसकी रिपोर्ट तुम लोगों को दे दूँगा। ” राजू चला गया।

शाम को क़रीब साढ़े छह बजे के आस पास अविनाश ने एजेन्सी बंद की और इंस्पेक्टर मनोज को लेने क्राइम ब्रांच पहुँच गया। इंस्पेक्टर मनोज के साथ अविनाश क़रीब आठ बजे के आस पास फ़ार्म हाउस पहुँचा। अभी सचिन अपने ऑफ़िस से आए नहीं थे लेकिन केयरटेकर पप्पू फार्म हाउस में मौजूद था। वो दोनो सीधे कार खड़ी करके हाल में घुस गए।

उनको देखते ही पप्पू आ गया और बोला,-“सर आप लोग आज फिर ?” 

मनोज ने कहा,-“जब तक हम किसी नतीजे पर नहीं पहुँचेंगे हम आते रहेंगे। क्या सचिन घर में उपस्थित है ?” 

“नहीं सर अभी तो वो ऑफ़िस से आए नहीं है। ”

“अरे तुम अभी तक गए नहीं ?”

“जैसे सचिन सर आ जाएँगे मैं चला जाऊँगा। दरअसल मैं उनका इंतज़ार ही कर रहा हूँ। ”

“रीचा की कार कहाँ खड़ी है ?”

“सर गैराज में खड़ी होगी। रीचा मैडम और सचिन सर की कार का गैराज अलग अलग है। ”

“हमें वो कार एक बार देखनी है। ” 

“मैं कार की चाबी और गैराज की चाबी दोनो लेकर आता हूँ। आप लोग सामने गैराज तक चलिए। ” अविनाश और मनोज गैराज तक चले गए। कुछ देरी में पप्पू चाबी लेकर आया और मनोज को पकड़ा दी।  

मनोज बोला,-“पप्पू, तुम यहाँ से चले जाओ। ” अविनाश और मनोज ने दस्ताने पहन लिए और कार की तलाशी शुरू की। कार के पीछे वाली सीट के नीचे उन्हें एक जोड़ी बाथरूम स्लीपर दिखाई दिया और कार की दोनो हेड लाइट टूटी हुयी थी।  

अविनाश ने पप्पू को बुलाया और बाथरूम स्लीपर दिखाते हुए पूछा,-“पप्पू ये बाथरूम स्लीपर किसकी है ?”

“शायद रीचा मैडम की हो। ” 

“ये शायद क्यों कह रहे हो ?इसके बारे में कौन सही बता सकता है। ” 

“शायद तारा क्योंकि पूरे घर की साफ़ सफ़ाई वही करती है। ” 

“तारा अभी फ़ार्म हाउस में है। "

“हाँ अभी वो भी गई नहीं है। ”

“ठीक है उसको तुरंत बुलाओ। ” पप्पू गया और मेड तारा को बुलाकर ले आया।  

अविनाश ने तारा से पूछा,-“तारा ये बाथरूम स्लीपर ध्यान से देख करके बताओ कि ये किसका है ?”

“तुम निश्चित हो। ” 

“सर खाना बनाने से लेकर पूरे घर की सफ़ाई भी मैं ही करती हूँ। मुझे नहीं पता होगा तो किसको पता होगा। ”

“ठीक है तारा तुम जा सकती है। ” अविनाश ने वो स्लीपर रीचा की कार में वापस रख दिया। “पप्पू,रीचा के कार की दोनो हेड लाइट टूटी हुयी है। क्या तुम्हें इस बारें में कुछ पता है ?”

“नहीं सर। रीचा मैडम खुद अपनी कार ड्राइव करती थी। अब ये तो उन्हें ही पता होगा कि ये हेड लाइट कब से टूटी हैं। ” इसके बाद अविनाश ने कार का इग्निशन ऑन कर दिया।  

“मनोज देखो रीचा के कार में बिलकुल भी पेट्रोल नहीं है। पेट्रोल पम्प तो यहाँ से १० किलोमीटर की दूरी पर है।  आश्चर्य की बात हैं की रीचा अपने कार में इतना कम पेट्रोल कैसे रख सकती है। इन लोगों के पास पैसे की तो कोई कमी नहीं है फिर क्या कारण हो सकता है ?” अविनाश ने कार बंद कार दी।

“चलो मनोज अब घर के अंदर ही बैठकर सचिन का इंतज़ार कर लेते हैं। बाहर काफ़ी ठंड है। ” क़रीब आधे घंटे बाद सचिन घर में दाख़िल हुआ। उसे अविनाश और मनोज को देखकर बहुत आश्चर्य हुआ।

“अरे आप लोग फिर से ?”

मनोज बोला,-“क्यों आपको कोई एतराज़ है ?अरे भाई आपकी पत्नी की मृत्यु संदिग्ध हालत में हुई थी और अभी तो ये भी नहीं पता चला की मौत आत्महत्या थी या हत्या ?” 

“लेकिन मेरे पास अब आपको बताने के लिए अब कुछ भी नहीं है। ” 

“ये आपने कैसे सोच लिया कि आपके पास बताने के लिए कुछ भी नहीं है। अभी तफ़तीश जारी है। प्लीज़ आप थोड़ा और सहयोग करें। अभी अभी हमने रीचा के कार की तलाशी ली है। हमें उसकी कार से कुछ भी ख़ास नहीं मिला है। हम आपके कार की भी तलाशी लेना चाहते हैं। ” 

“अगर मैं मना कर दूँ तो…….। ” 

मनोज ग़ुस्से में बोला -“तो हम ऊपर से तलाशी लेने का ऑर्डर ले आएँगे। ” 

“तो ठीक है कल आप जब ऑर्डर ले करके आना तब आप कार की तलाशी शौक़ से ले लेना। लेकिन अभी तो मैं आपको तलाशी लेने नहीं दूँगा। ” अविनाश और मनोज ग़ुस्से से वापस चल दिए। अविनाश ने सचिन के फ़ार्म हाउस से थोड़ी दूर आगे कार को खड़ा कर दिया।  

“मनोज कार की तलाशी अभी ही लेनी होगी। ”

“लेकिन सर्च वारंट कल से पहले नहीं मिल पाएगा। सचिन इस ऐरिया का काफ़ी मानिंद आदमी है।  हम उस पर दबाव नहीं डाल सकते हैं। अगर उसने शिकायत कर दी तो हम मुश्किल में आ जाएँगे। ” 

“लेकिन मनोज थोड़ा रिस्क तो हमें भी लेना पड़ेगा अन्यथा इतनी मेहनत का क्या फ़ायदा। ” 

“तुम किसी दिन मुझे मरवाओगे। अच्छा मुझसे क्या चाहते हो। ”

“सब इंस्पेक्टर राहुल को चार कांस्टेबल के साथ हम लोगों से तुरंत यहीं मिलने के लिए कहो। ”

“ठीक है। ” मनोज ने सब इंस्पेक्टर राहुल को फ़ोन कर दिया। क़रीब आधे घंटे में सब इंस्पेक्टर राहुल, चार कांस्टेबल के साथ मनोज और अविनाश से फ़ार्म हाउस से थोड़ा सा पहले मिला।  

मनोज ने राहुल से कहा,-“राहुल, संदेह के आधार पर सचिन गोयल को गिरफ़्तार कर लो। अगर वो चार्ज पूछेगा तो बता देना कि अपनी पत्नी रीचा को ज़हर देकर मारने के आरोप में तुम उसे गिरफ़्तार कर रहे। और सचिन की किसी से बातचीत नहीं करने देना, ख़ास तौर से SP साहब से। बाक़ी कल सुबह देखी जाएगी। हम लोग छुपकर यहीं इंतज़ार कर रहें हैं। सब इंस्पेक्टर राहुल चला गया। अविनाश ने कार सड़क से नीचे उतार दी और कार की लाइट बंद करके वे दोनो इंतज़ार करने लगे। क़रीब आधे घंटे बाद सब इंस्पेक्टर राहुल की जीप उधर से गुजरी।  

“लगता है अविनाश काम हो गया। सब इंस्पेक्टर राहुल ने सचिन को गिरफ़्तार कर लिया। अब जो करना है जल्दी करो ?” अविनाश ने कार तुरंत ही स्टार्ट की और सचिन के फ़ार्म हाउस की तरफ़ सीधे मोड दी। थोड़ी ही देरी में अविनाश ने कार ले जाकर के पोर्च के नीचे खड़ी कर दी। अविनाश और मनोज कार से बाहर निकलें।  

उनको देखते ही पप्पू बोला,-“अरे सर आप लोग फिर आ गये। पर सचिन सर को तो पुलिस पकड़ के ले गई। ”

अविनाश ने बनावटी आश्चर्य करते हुए बोला,-“किस इल्ज़ाम है ?” 

“वो कह रहे थे अपनी पत्नी रीचा को ज़हर दे करके मारने के इल्ज़ाम में। उन्होंने सचिन सर को किसी से बात भी करनी नहीं दी। उनका मोबाइल भी ज़ब्त कर लिया। लेकिन आप लोग दोबारा क्यों क्यों आए है ?”

“तुम्हारे साहब ने अपने कार की तलाशी हमें लेने नहीं दी थी। इसलिए हम लोग उनके कार की तलाशी लेने आए हैं। चुपचाप कार का लॉक खोल दो। ” पप्पू घर के अंदर गया और सचिन के रूम से उसकी कार की चाबी लेकर आ गया। पप्पू ने दूर से ही सचिन की कार का लॉक खोल दिया। अविनाश और मनोज गैराज में सचिन के कार की तलाशी लेने लगे। बहुत मेहनत के बाद भी उनको सचिन के कार में से कुछ भी नहीं मिला।

“अब क्या करना है अविनाश ?”

“अभी यहाँ से चलो रास्ते में बताता हूँ। ” अविनाश ने अपनी कार वापस आजमनगर की तरफ़ दौड़ दी। ”

“अविनाश, किस सबूत के आधार पे हमने सचिन को पकड़ा है ? सिर्फ़ वो रीचा के आलमारी से मिला प्रिंट आउट जिस पे सिर्फ़ और सिर्फ़ सचिन के हाथ के निशान है। इसका मतलब सचिन पहले से रीचा के बारे में सब कुछ जानता था। और हो सकता हो उसी ने रीचा को ब्लैकमेल किसी से करवाया हो। और सचिन ये साबित करने में लगा हुया है कि रीचा ने ब्लैकमेलिंग की वजह से आत्महत्या की। पर वास्तव में उसी ने ज़हर देकर रीचा की हत्या की। पर ठोस सबूत के अभाव में ये सब सिर्फ़ एक अनुमान है। और जिस तरह से हमने उसको पकड़ा है कल निश्चित कोई बवाल होने जा रहा है…………….। तुम कुछ कहते क्यों नहीं ?”

“मेरी लिए अभी एक काम कर सकते हो। ”

बको। ”

“भाई नाराज़ मत हो। अभी के अभी हल्द्वानी पुलिस से बात करके सचिन के ज़ब्त कार की तलाशी करवा दो। अगर कुछ बरामद होता है तो फ़ोरेंसिक जाँच करवा के रिपोर्ट मँगवा लो। ”


“तुम्हारे दिमाग़ में क्या चल रहा होता है मैं कभी समझ नहीं पाता। चलो ये भी कर लेता हूँ। ऐसा करो मुझे घर की बजाय क्राइम ब्रांच में छोड़ देना। ” इसके बाद थोड़ी देर में अविनाश ने मनोज को क्राइम ब्रांच उतार दिया।

“मनोज थोड़ा जल्दी करवाना नहीं तो हमें कल सचिन को छोड़ना होगा। ” मनोज बिना कुछ बोले ऑफ़िस में घुस गया।

मनोज को छोड़ते हुए अविनाश अपने घर चला आया। खाना खाकर वो लगातार टेरेस पर टहल ही रहा था और रिपोर्ट के आने का इंतज़ार कर रहा था। उसकी आँखों से नींद कोसों दूर थी। क़रीब रात २ बजे के आस पास इंस्पेक्टर मनोज उसको फ़ोन आया।  

“मनोज रिपोर्ट आ गयी क्या ?”

“हाँ उसी का मैं भी इंतज़ार कर रहा था। सोचा तुमको रिपोर्ट बता दूँ तब घर चलते हैं। ” 

“हल्द्वानी पुलिस को सचिन की कार से एक लिक्विड भरी शीशी बरामद हुयी थी। वो लिक्विड पोटेशियम सायनाइड है। रिपोर्ट मुझे मेल हो गयी है। शीशी पर से किसी के भी फिंगरप्रिंट नहीं मिले हैं। कार से एक सफ़ेद कलर का दस्ताना भी बरामद हुया है। लगता है सचिन ने सायनाइड से भरी हुयी शीशी को इसी दस्ताने पहन कर पकड़ा था क्योंकि सायनाइड ख़तरनाक होता है। बाक़ी गाड़ी के पेपर कार में ही थे। सचिन ने हमसे झूठ बोला था। वजह कुछ और रही होगी। ”

“मुझे वजह समझ में आ रही है। ” 

“अब क्या करना है ?” 

“कुछ नहीं कल १० बजे के आस पास सचिन से बातचीत कर लेंगे। ” 

“लगता है तुम किसी नतीजे पर पहुँच गये हो ?” 

“चलो अब कल ही बात करेंगे। गुड नाइट। ”                                            

अगले दिन सुबह १० बजे के आस पास अविनाश इंस्पेक्टर मनोज के पास पहुँच गया। इंस्पेक्टर मनोज ऑफ़िस आ चुका था।

“आओ अविनाश मैं तुम्हारा ही इंतज़ार कर रहा था। अभी तक सचिन लॉकअप में है। पर बिना किसी ठोस सबूत के उसको बहुत देरी तक रोक नहीं पाएंगे। ” 

“ज़रूरत भी नहीं है। उसको अपने केबिन में ले लाओ। ” मनोज ने राहुल से सचिन को लाने के लिए कहा। राहुल थोड़ी देर में सचिन को मनोज के केबिन में छोड़ गया। अब केबिन में सिर्फ़ मनोज, सचिन और अविनाश थे। मनोज ने अपने ड्रॉ से सिगरेट की डिब्बी निकाली और सचिन की तरफ़ बढ़ा दी। सचिन ने डिब्बे में से एक सिगरेट निकाला और मेज़ पर रखी माचिस से उसे सुलगा लिया। पहला ही कस उसने लम्बा खींचा और ढेर सारा धुआँ उड़ेल दिया।  

“इंस्पेक्टर मनोज आपने मुझे बिना किसी सबूत के कल रात जेल में बंद करवा दिया। शायद आपको पता नहीं है कि मैं कौन हूँ ? अपने लिए मैं सबसे बड़ा वक़ील करूँगा। आपको मुझे नाहक़ परेशान करना बहुत भारी पड़ेगा। ” 

मनोज बोला,-“देखिए सर मुझे पता है कि आप इस शहर के बहुत रईस आदमी हैं। ” 

“तो क्या ऐसे आदमी के साथ आप अपराधियों जैसा सलूक करेंगे। ” 

“देखिए हमारा मक़सद सिर्फ़ और सिर्फ़ आपकी पत्नी की मौत का रहस्य जानना है। ” 

“तो क्या आपको पता लग गया रीचा के मौत के रहस्य के बारे में ?”

अविनाश बोला,-“हाँ हमें पता लग गया। ” 

“क्या पता लगा आपको ?”

“यही कि आपने अपनी पत्नी रीचा को ज़हर देकर मार डाला। ” 

“ये क्या बेवक़ूफ़ी है। मुझे अभी के अभी अपने वकील से बात करनी है। आप लोग मुझपे ज़बरदस्ती दबाव नहीं बना सकते। ”

अविनाश बोला,-“सचिन गोयल मैं इस फ़ील्ड में कोई नया नहीं हूँ। ” 

“मनोज, सचिन गोयल को फॉरेंसिक रिपोर्ट दिखाओ। ” मनोज ने अपने मोबाइल से सचिन को रिपोर्ट दिखा दी।

“ये कैसी रिपोर्ट है ?”

अविनाश बोला,-“कल रात हल्द्वानी पुलिस को आपकी कार से एक जोड़ी सफ़ेद दस्ताना और एक लिक्विड से भरी हुयी सील बंद शीशी बरामद हुयी। उस शीशी में जो लिक्विड था वो साइनाइड है। ऐसा ये रिपोर्ट कहती है। आप चाहें तो हल्द्वानी पुलिस से बात कर सकतें हैं। ” सचिन को ठंड में भी पसीना आने लगा। वो जल्दी जल्दी सिगरेट फूकने लगा।

“आप तो कह रहे थे की गाड़ी के पेपर आप कार में रखना भूल गए थे। पर वो तो कार में ही थे। और एक ख़ास बात, जो अख़बार की कटिंग आप रीचा के आलमारी में रख छोड़े थे उस पर सिर्फ़ और सिर्फ़ आप के ऊँगलियों के निशान हैं। इसका मतलब आपने वो कटिंग जान बूझ कर रीचा के आलमारी में रख छोड़ी थी। उस पेपर कटिंग में आपकी पत्नी रीचा का 12 साल पुराना काला चिट्ठा है। इसका मतलब कि रीचा के अतीत के  बारे में आपको जानकारी हो गयी थी। ये हमें निश्चित है कि जब आप पहली बार १० साल पहले रीचा से मिले थे तब आप रीचा के बारे में नहीं जानते थे कि रीचा कभी काल गर्ल थी और किसी आदमी को ब्लैकमेल करने में वो जेल भी जा चुकी थी। ”

“तब मुझे पता होता तो मैं उससे शादी क्यों करता। ” 

“कहानी बहुत ही साधारण है। जब आपको ये पता लगा कि रीचा का चरित्र कैसा है तो आप उससे पीछा छुड़ाने के बारें में सोचने लगे। पहले तो आपने उसे अपने परिचय से जगह जगह से ब्लैकमेल करवाने की कोशिश की पर मुझे लगता है कि ब्लैकमेलिंग से रीचा को कोई फ़रक ही नहीं पड़ा। उसके बाद आपने पेपर कटिंग का प्रिंटआउट ले जाकर रीचा की आलमारी में डाल लिया। आठ जनवरी की रात आपने रीचा के शराब में सायनाइड मिला दिया। रीचा को रोज़ शराब पीने की लत थी। ज़हर मिलाकर आप पिथौरागढ़ के लिए चले गए-

रीचा ने शराब पिया और रात में वो मर गयी। आपका इरादा बहुत ही सीधा था। जैसे ही रीचा की लाश का पोस्टमार्टम होगा तो पता चलेगा कि उसकी मृत्यु ज़हर से हुई है। जब घर की तलाशी ली जाएगी तो आलमारी में रखा प्रिंटआउट बरामद हो जाएगा। दूसरा उसकी कॉल रिकॉर्ड से भी हमें ये पता चल जाएगा कि रीचा को पिछले कुछ दिनों से संदिग्ध कॉल आ रही थी। पुलिस यही मानेगी कि बदनामी के डर से रीचा ने सुसाइड कर लिया। पर रीचा ने अलमारी में रखा प्रिंटआउट खोलके भी नहीं देखा था क्योंकि उस प्रिंटआउट पे सिर्फ़ और सिर्फ़ आपके ऊँगलियों के निशान थे-

पर जब मैंने लोगों से पूछताछ की तो हमें ये पता चला कि रीचा तो बहुत बोर्ड औरत थी। कमल नेगी से उसके सम्बंध खुलेआम थे। रीचा खुले आम दारू पीती थी। उसे काफ़ी दिनों से अलग अलग स्टेट्स से अननोन नंबर से कॉल आ रहा था। अब कोई किसी को ब्लैकमेल क्यों करेगा ? पैसे के लिए या उससे संबंध बनाने के लिए या किसी के कहने पर। कॉल काफ़ी दूर से आ रहे थे तो संबंध बनाने का तो मतलब नहीं है। बाक़ी हमने उसका अकाउंट भी चेक किया था किसी भी क़िस्म का कोई ट्रांजेक्शन नहीं हुआ था। तो फिर इतनी दूर से कोई किसी को ब्लैकमेल क्यों कर रहा था। किसी के कहने पर। देखिए यदि कोई आदमी या औरत ब्लैकमेल नहीं होना चाहेगा तो आप उसे ब्लैकमेल नहीं कर सकते। जो गलती रीचा ने १२ साल पहले की थी उसकी सजा पहले ही भुगत चुकी थी। बाक़ी उसे किस चीज़ का डर था। आपसे से कोई संबंध ही नहीं था। कमल उससे शादी के लिए तैयार था पर वो ही नहीं शादी के लिए तैयार थी- 

इस पूरे घटनाक्रम में मुझे एक बात समझ में आयी कि एक्चुअल में ब्लैकमेलिंग सिर्फ़ दिखाई जा रही थी पर उसके पीछे की कहानी दूसरी थी। आपको पता था की रीचा ब्लैक्मेल होने वालों में से नहीं है। सिर्फ़ ब्लैक्मेल दिखाकर हत्या को आत्महत्या बनाना आपका का मक़सद था-

देखिए सचिन हमारे पास और भी सबूत है। हम साबित कर सकते हैं की हत्या आपने ही की है। जहां से आपने साइनाइड लिया था पुलिस ने उस सोर्स को भी ट्रैक कर लिया है। ” इतना कहकर अविनाश ने मनोज को आँख मारी। सचिन ने पहली सिगरेट पीने के बाद ऐश ट्रे में डाली और मनोज से दूसरी सिगरेट लेकर जला ली।

“देखिए इन सब बातों की कोई ज़रूरत नहीं है। मैने ही रीचा का क़त्ल किया है। मैंने ही उसकी दारू की बोतल में ज़हर मिलाया और पिथौरागढ़ के लिए निकल गया। मैने ही उसकी आलमारी में ब्लैकमेलिंग वाला प्रिंटआउट रखा। मेरे ही कहने पर पिछले कुछ दिनों से उसे लोग जगह जगह से ब्लैकमेल कर रहे थे। इन सब बातों के पीछे मेरा एक ही मक़सद था कि पुलिस को ये लगे की रीचा ने  ब्लैकमेलिंग की वजह से आत्महत्या की है। मुझे पता था की रीचा ब्लैकमेल नहीं होगी। और मैं ये भी जानता हूँ कि मेरे अनुपस्थिति में वो कमल नेगी के साथ और भी पता नहीं कितने लोगों के साथ ऐश करती थी। ”

अविनाश ने सचिन को बीच में टोका,-“आपकी कार से सील बंद सायनाइड की शीशी बरामद हुयी थी तो क्या रीचा के शराब के बोतल में अपने जिस शीशी से सायनाइड मिलाया था वो कोई और शीशी थी ?अगर वो कोई और शीशी थी तो एक एक्स्ट्रा शीशी आपने किसी और के लिए भी रखी थी ?”

“मैं सब बताता हूँ………। शादी के दो-तीन साल बाद मेरा रीचा से संबंध टूट गया था। धीरे धीरे उसका मेरे तरफ़ से मन उचट रहा था। शायद इसकी वजह उम्र का फ़ासला हो सकता है। ”

“क्या जब रीचा शहर में नहीं रहती थी तो ऐश करने के लिए आप लड़कियाँ नहीं लाते हैं। ” 

“हाँ मैं ले आता हूँ। और जब भी मैं दूसरे शहर में रहता हूँ तो औरतों के साथ रात गुज़ारता हूँ। लेकिन मैं मर्द हूँ। ” 

“तो आप मर्द हैं तो आप कुछ भी करने का अधिकार है। उसमें रीचा को जान से मारने की क्या ज़रूरत थी ?आप चाहते तो उसे तलाक़ दे सकते थे। ”

“रीचा मुझे तलाक़ देने के लिए नहीं तैयार थी। हालाँकि जैसा हमारे बीच चल रहा था मुझे उससे कोई एतराज़ नहीं था। हम लोगों के बीच उम्र का फ़ासला होने की वजह से वो मेरे साथ लम्बे समय तक खुश नहीं रह पाई है और मैं उसको ख़ुश नहीं कर पाया। तभी मेरे समझ में आ गया कि पैसा हर चीज़ का हल नहीं है। इधर कुछ दिनों से मुझे उसके प्रति भारी नफ़रत हो गयी थी। क़रीब अभी से छः महीने पहले मैं आसाम गया हुआ था जहाँ मेरी मुलाक़ात उससे १० साल पहले हुई थी। मैं उसी होटल में अक्सर रुकता हूँ। रीचा जिस एरिया में रहती थी, उस एरिया का एक वेटर था मदन वो उस होटल में काम कर रहा था। ऐसे ही बातों बातों में उसने मुझे बताया कि किसी ज़माने में वो रीचा का बॉयफ़्रेंड था। जब बात खुलने लगी तो उसने मुझे पेपर की कटिंग की फ़ोटो दिखा दी। ”

“बड़ी अजीब सी बात है कि मदन ने इतने साल पुराना पेपर संभाल कर रखा हुआ था। ” 

“मैंने भी उससे यही पूछा था। "

“उसे बहुत धक्का लगा था। जब ये न्यूज़ छपी थी तभी से मदन ने रीचा से संबंध तोड़ लिया था पर पेपर अपने पास सुरक्षित रख लिया था। बाद में मदन ने पेपर की फ़ोटो मुझे मोबाइल में दे दी। मैं जानता था कि वो ब्लैकमेल नहीं होगी और मेरा उसे ब्लैकमेल करने का कोई इरादा भी नहीं था।  मैने सोच लिया था की इसी ब्लैकमेलिंग के ज़रिए मैं रीचा को ज़हर देकर मार सकता हूँ। जो की बाद में आत्महत्या समझी जाएगी। मैने ८ की रात सायनाइड रीचा के शराब की बोतल में मिला दी। रीचा के आलमारी में प्रिंट आउट रख दिया। उसके बाद मैं पिथौरागढ़ के लिए निकल गया।  रास्ते में मैने शीशी फ़ेक दी। क़रीब रात १० बजे के आस पास मैने रीचा को फ़ोन किया था सिर्फ़ ये जानने के लिए की वो ज़िंदा है कि मर गयी। मुझे ये उम्मीद थी कि वो अब तक मर चुकी होगी। पर उसने फ़ोन उठाया और कहा की वो शराब पी चुकी है और अब खाना खाने जा रही है। उसके बाद वो सो जाएगी। मैं सन्न रह गया। मुझे लगा कि ज़हर या तो नक़ली होगा या मैने मात्रा बहुत कम मिलायी होगी या कोई और वजह होगी। इसी वजह से मैने लौटते वक्त रात में हल्द्वानी से उसी आदमी से एक शीशी और ले ली। मुझे इसके लिए बहुत पैसा देना पड़ा था। मैने सोचा कि अगर वो इस बार बच गयी है तो कम से कम अगली बार ना बचे। दूसरी सायनाइड की शीशी लेकर मैं चल पड़ा। हल्द्वानी से बाहर निकलते समय भारी पुलिस चेकिंग हो रही थी। मेरे आगे पीछे बहुत गाड़ियाँ थी। जैसे ही मैं चेकिंग पोस्ट पे पहुँचा तब तक रानी का फ़ोन आ गया की रीचा मर चुकी है। मैने चैन की साँस ली पर मैं बहुत ही असमंजस में था। मुझे लगा कि अगर तलाशी के दौरान पुलिस को सायनाइड और दस्ताना बरामद हो गया तो मैं फँस जाऊँगा। मेरी कार ऐसी जगह फँसी थी कि मैं दस्ताना और शीशी कहीं फ़ेक भी नहीं सकता था। अपने जेब में रख भी नहीं सकता था क्योंकि पुलिस तलाशी बहुत बारीकी से ले रही थी। मुझे किसी भी हाल में तलाशीं होने से कार को और अपने आप को रोकना था। तुरंत की मेरा दिमाग़ चला और मैने पुलिस से कह दिया की मेरे पास गाड़ी के पेपर नहीं हैं। पुलिस ने मेरी कार एक साइड कर दी और कार का चालान कर दिया। मुझसे कार की चाबी ले ली। जबकि गाड़ी के पेपर कार में ही थे। । मैने पुलिस से कह दिया की मैं कोर्ट में पेपर दिखा कार गाड़ी छुड़ा लूँगा। इस सब प्रक्रिया में पुलिस तलाशी लेना भूल गयी। मैं चुप चाप वहाँ से खिसक लिया। उसके बाद प्राइवेट टैक्सी हायर की और यहाँ चला आया। बाक़ी की कहानी आपको पता है।    हालाँकि मैं जानता था कि मैं पकड़ा जाऊँगा और मुझे इसका कोई अफ़सोस नहीं है। मैं अपना गुनाह क़बूल करता। ”

“ठीक है मनोज जब इन्होंने अपना गुनाह क़बूल कर लिया है तो तुम इनको जेल में बंद कर दो और चार्जशीट दाखिल  कर देना। ” 

मनोज ने राहुल को बुलाया और सचिन गोयल को जेल में बंद करने का आदेश दे दिया। राहुल सचिन गोयल को ले के चला गया।  

“आश्चर्य है अविनाश सचिन ने बड़ी आसानी से अपना गुनाह क़बूल कर लिया……..। और तुमने झूठ क्यों बोला की तुम्हें ज़हर के सोर्स का पता चल गया। ” 

“कम से कम इसी बहाने सचिन ने अपना गुनाह क़बूल तो कर लिया। पर अब तुम हल्द्वानी पुलिस को फ़ोन करके सायनाइड के सोर्स का पता लगाने को कहो। अगर अदालत में सचिन पलट गया तो हम कुछ भी नहीं कर पाएँगे। याद रखो सचिन का वकील ये भी कह सकता है कि कार ज़ब्त करने के बाद पुलिस ने ही जान बूझ कर दस्ताने और शीशी कार में रख दी तो हमारे पास क्या जवाब होगा। यदि पुलिस ने ये दस्ताने और शीशी सचिन के साथ कार में बरामद की होती तो और बात होती पर अफ़सोस………। इसलिए ज़हर के सोर्स का पता लगवाओ। हमारे पास सचिन के इक़बाल-ए-जुर्म के अलावा कुछ भी नहीं है। ”

“ठीक मैं कोशिश करता हूँ। ”

“ठीक है अभी मैं चल रहा हूँ। ” क्राइम ब्रांच से निकलने के बाद अविनाश थोड़ी देर में एजेन्सी पहुँच गया। अविनाश ने राजू और बेबी को बुलाया और सुबह की सारी घटना से अवगत करा दिया।  

सब कुछ सुनकर बेबी बोली,-“आपको ऐसा नहीं लग रहा है कि ये केस बहुत आसानी से हल हो गया। ये तो आपके स्तर का केस नहीं था। ”

“देखो बेबी हमारा काम है गुनहगार को सजा दिलाना और बेगुनाह को न्याय। ठीक है अभी तुम लोग जाओ। ” राजू और बेबी केबिन से चले गए। उनके जाने के बाद अविनाश ने सिगार जला लिया और अपनी रिवाल्विंग चेयर पे पसर गया । वो बहुत देरी तक इसी मुद्रा में बैठा रहा। शाम को क़रीब ५ बजे राजू और बेबी अपने अपने घर को चले गए लेकिन अविनाश गुमसुम बैठा ही रहा। क़रीब छह बजे के आस पास उसने एजेन्सी बंद की और इंस्पेक्टर मनोज के पास पहुँच गया।  


“क्या हुआ भाई अब तो केस भी हल हो गया है और अभी मैंने तुमको दूसरे किसी केस पे लगाया नहीं है तो फिर तुम यहाँ किसलिए ?” 


“क्यों तुमसे बिना मतलब के मिलने नहीं आ सकता हूँ। ”

“बिलकुल आ सकते हो। हम लोगों के बीच में रिलेशन हमारी दोस्ती की वजह से ही है लेकिन मुझे पता है अभी तुम्हारे दिमाग़ में कुछ और चल रहा है। शांति से बैठ जाओ और मुझे बताओ। ” अविनाश मनोज के सामने वाली चेयर पे बैठ गया।  

“पता नहीं मनोज मैं बड़ी उलझन में हूँ। अभी भी मेरे मन में कुछ माकूल शक हैं जिनका निवारण किए बिना मुझे चैन नहीं पड़ सकता। ” 

“माकूल शक। अब ये क्या बवाल है ?”

“अच्छा मेरे साथ अभी सचिन गोयल के फ़ार्म हाउस चल सकते हो। ”

“तुम्हारे साथ तो मैं चाँद पर भी चल सकता हूँ लेकिन क्या फ़ायदा है। ”

“फ़ायदा और नुक़सान से ज़्यादा मन की शांति चाहिए। ”


“भाई ये बहकी बहकी बातें मत करों। तुम्हारा सही होना हमारे डिपार्टमेंट के लिए बहुत ज़रूरी है। तुरंत चलो फ़ार्म हाउस। ” 

“मनोज, मैं रीचा की डिटेल पोस्ट मार्टम रिपोर्ट की फ़ाइल एक बार देखना चाहता हूँ। ” मनोज अपने ड्रॉ से निकाल कर फ़ाइल अविनाश को पकड़ा दी। अविनाश ने एक बार पूरी फ़ाइल को पढ़ा और मनोज को लौटा दी। मनोज ने वापस फ़ाइल ड्रॉ में रख दी।  

“अब चलें मनोज। ”

“हाँ। ” अविनाश और मनोज अविनाश की कार से फ़ार्म हाउस की तरफ़ चल दिए। रास्ते के दौरान अविनाश ने मनोज से कोई बात नहीं की। अविनाश ने कार ले जाकर सीधे पोर्च के नीचे खड़ी कर दी। फ़ार्महाउस वीरान पड़ा था। वे दोनो कार से निकालकर हॉल में घुस गए। पप्पू वहीं सोफ़े पर बैठा था। उन दोनों को देखते ही पप्पू खड़ा हो गया।


“सचिन सर, रीचा मैडम के हत्या में जेल में चले गए। समझ में नहीं आ रहा कि इतनी बड़ी फ़ैक्ट्री का क्या होगा ? अपने अलावा उन्होंने सबको फ़ैक्ट्री के कामों से दूर रखा है। रानी बहुत चाहती थी की वो फ़ैक्ट्री के काम में हाथ बताए पर उन्होंने उसको भी दूर रखा। ” 

अविनाश बोला,-“उसकी चिंता करने की ज़रूरत नहीं है। फ़ैक्ट्री के बोर्ड मेंबर्स देख लेंगे। जेल में रह कर भी फ़ैक्ट्री देखी जा सकती है। ”

प लोगों ने बताया नहीं कि अब आप लोग क्यों आएँ हैं ?” 

“तारा अंदर है ?” 

“हाँ। ”

“उसको यहाँ भेज दो। हम कुछ बात करना चाहते हैं। ” पप्पूको तारा को बुला लाया।

अविनाश बोला,-“तारा एक बात बताओ की ९ जनवरी की सुबह जब तुम आयी थी तो तुमने रीचा के रूम की कोई सफ़ाई की थी ?”

“नहीं सर। जब रीचा मैडम की लाश मिल गई तो उसके बाद तो मेरे हाथ पाव फूल गए थे। ऐसे में घर की सफ़ाई कौन करेगा। थोड़ी देर में पुलिस भी आ गई थी और रूम को सील कर दिया गया था। इसलिए ९ जनवरी  की सुबह रूम की सफ़ाई करने का सवाल ही नहीं पैदा होता है। ”

“ठीक है। बहुत ध्यान से याद करके एक बात और बताओ कि क्या ९ जनवरी से पहले तुमने रीचा मैडम के रूम से कोई शराब की टूटी हुयी बोतल की सफ़ाई की थी ?” 

“नहीं सर जहां तक मुझे याद मुझे रूम की सफ़ाई में कभी कोई ग्लास के टुकड़े नहीं मिले। ” अविनाश सर खुजलाने लगा।

“ठीक है तारा अब अपने घर तुम जहाँ सकती हो। ” तारा फार्म हाउस से चली गयी।

“अच्छा पप्पू याद करके एक बात बताओ की ८ की शाम को आरती या रानी फार्म हाउस तो नहीं आयी थी ?”

“नहीं सर। अगर रानी या आरती मैडम दिखायी दी होती तो मैं आपको पहले ही बता चुका होता। पर सर अब आप इतने सवालात क्यों कर रहे हैं ?अब तो अपराधी को आपने पकड़ लिया है। ”

“अपराधी पकड़ा गया है पर अदालत में उसके ख़िलाफ़ पुख़्ता सबूत पेश करना होगा नहीं तो सचिन बच सकता है।  किसी भी आदमी को सजा तब ही मिलती है जब अदालत में उसका गुनाह साबित होता है। अभी हमारे पास सचिन के स्वयं गुनाह क़बूल करने के अलावा कोई सबूत नहीं हैं जो वो आसानी से अदालत में मुकर सकता है। इसलिए हम कोई भी कसर छोड़ना नहीं चाहते हैं। देखो मैं तुमसे फिर गुज़ारिश करता हूँ कि तुम हमें सच सच बताओ कि क्या तुमने सचिन को रीचा की शराब की बोतल में ज़हर डालते देखा था ?क्या तुम चाहते हो कि सचिन, रीचा की हत्या की सजा से बच जाय। अगर ऐसा हुआ तो सब कुछ खतम हो जाएगा। ” ये सवाल सुनते ही पप्पू के दिमाग़ पर बल पड़ गया।  

“तुम्हारा चेहरा देखने से मुझे ऐसा ही लग रहा है कि कोई तो बात है जो तुम जानते हो। बता दो नहीं तो इस गुनाह के तुम भी हिस्सेदार हो जाओगे। ” पप्पू परेशान हो गया।

“नहीं सर, मैंने कुछ भी नहीं किया है तो गुनाह की हमें क्यों सजा मिलेगी ?”

“तो फिर सही सही बताओ की तुम क्या जानते हो ?”

“हाँ सर मैंने सचिन को ८ जनवरी की शाम को शराब में कुछ मिलाते हुए देखा था। पर वो क्या था इस बात का पता मुझे ९ जनवरी की सुबह चला जब रीचा मैडम सुबह मरी हुयी पायी गयी। ”

“तुमने उसी समय क्यों नहीं बताया ?”

“सर उस समय मैं बहुत डर गया था और मुझे क़ानून के लफड़े में भी नहीं फँसना था। कहीं ये बात सचिन सर को पता लग जाती तो सर मेरी तो नौकरी चली जाती। सचिन सर तो बड़े आदमी हैं वो अपना देख लेंगे। पर मैं तो साधारण आदमी हूँ मेरी नौकरी चली गयी तो मैं कहीं का नहीं रहूँगा। ” 

“मनोज अब हमारे पास पुख़्ता सबूत इकट्ठा हो गया है। तुम बस हल्द्वानी पुलिस से रिक्वेस्ट करो की वो जल्दी से जल्दी ज़हर के सोर्स को ट्रैक करें। इधर पप्पू की गवाही सचिन को फाँसी के तख्ते तक पहुँचा देगी। कल सुबह पप्पू को सचिन के पूरे परिवार के साथ क्राइम ब्रांच बुला लेते हैं। वहीं सचिन और उसके पूरे परिवार के सामने पप्पू का बयान रिकॉर्ड कर लेंगे। इसके बाद सचिन अपने गुनाहों से बच नहीं पाएगा। जब पप्पू को गवाह के रूप में अदालत में पेश किया जाएगा तो सचिन नहीं बच पाएगा। यही वजह है कि मैं पूरे दिन से चिंतित था कि सचिन के गुनाह क़बूलने  के बाद भी मेरे पास कोई ठोस सबूत नहीं था। पप्पू कल तुम आरती, रानी और तारा तीनों को लेकर क्राइम ब्रांच १० बजे के आस पास चले आना। और हाँ इन तीनों को सही बात मत बताना। बस ये कहना की रूटीन पूछताछ के लिए  इंस्पेक्टर मनोज ने सबको बुलाया है। ”

“ठीक है सर मैं ऐसा ही करूँगा। ” 

“चलो मनोज अब वापस चलते हैं। ” इसके बाद मनोज और अविनाश अविनाश की कार से वापस लौट आए। मनोज के घर छोड़ते हुए अविनाश अपने घर चला गया। आज वो काफ़ी संतुष्ट था। उसने राजू और बेबी को फ़ोन करके कल १० बजे क्राइम ब्रांच आने के लिए कह दिया। इसके बाद खाना खाकर सो गया।

                                               ८

अगले दिन सुबह १० बजे के आस पास अविनाश क्राइम ब्रांच पहुँच गया और सीधे जाकर इंस्पेक्टर मनोज से उसके केबिन में मिला ।  

“आओ अविनाश मैं तुम्हारा ही इंतज़ार कर रहा था। पप्पू सबके साथ पहले ही आ गया है। ” 

“याद है ना कि सारी बातें रेकार्ड करनी हैं। ”

“तुम उसकी चिंता मत करो। बग़ल वाले रूम में पप्पू सबके साथ बैठा है। सचिन भी बैठा है। उस रूम में रिकॉर्डिंग की सुविधा है। ”

“गुड। ” थोड़ी ही देर में राजू और बेबी भी आ गए।

“चलो मनोज अब बग़ल वाले रूम में चलें। ” मनोज जाकर रिवाल्विंग चेयर पर बैठ गया। इंस्पेक्टर मनोज के सामने वाली चेयर पे सबसे पहले सचिन, उसके बाद रानी, फिर आरती और सबसे लास्ट में पप्पू बैठा था। उनकी नौकरानी तारा एक साइड खड़ी थी। मेज़ के दूसरे साइड सब इंस्पेक्टर राहुल, बेबी और राजू खड़े थे। इंस्पेक्टर मनोज की बग़ल वाली चेयर पे अविनाश बैठा था। अविनाश ने अपना सिगार जला लिया।

मनोज बोला,-“अविनाश, शुरू करो। ” 

जैसे ही अविनाश कुछ बोलने को हुआ कि सचिन ने ग़ुस्से से बोला,-“मुझे यहाँ क्यों बुलाया गया है ?मैंने तो पहले ही अपना गुनाह क़बूल कर लिया है। ” 

“सचिन जी गुनाह तो आपने क़बूल कर लिया है लेकिन अभी भी कुछ फॉर्मेलिटी बाक़ी है। आपको अभी भी कुछ सवालों के जवाब देने है। और वो आपको देने ही पड़ेंगे। ”

“ठीक है पूछिए”।  

“आपने रीचा की शराब की बॉटल में कब सायनाइड मिलाया था। ” 

“८ जनवरी को क़रीब 8 बजे के आस पास।  सायनाइड मिलाने के तुरंत बाद मैं निकल गया था। ” 

“आपको पता है कि आपको ऐसा करते हैं आपकी मुलाजिम पप्पू ने आपको देख लिया था। ” 

“नहीं मुझे इस बारे में जानकारी नहीं है। ” 

“तो क्या पप्पू तुम इस बात से सहमत हूँ कि तुमने सचिन को रीचा के शराब के बोतल में ज़हर मिलाते हुए देखा था। ”


“हाँ सर। फार्म हाउस से निकलने से पहले मैं सारे घर का एक चक्कर लगा कर देख लेता हूँ। उसी दौरान मैने सचिन सर को रीचा के शराब के बोतल में एक छोटी शीशी से कुछ मिलाते हुए देखा था। इन्होंने हाथ में सफ़ेद कलर का दस्ताना पहना हुआ था। ये देखने के बाद मैं तुरंत ही फार्म हाउस से बाहर चला गया। इसका अंदाज़ा मुझे दूसरे दिन हुआ की सचिन ने शराब में ज़हर मिलाया था। पर मैं शुरू में चुप था क्योंकि मुझे अपनी नौकरी नहीं खोनी थी। मुझे लगा कि कुछ भी हो सचिन सर तो इस क्राइम में फ़सेंगे नहीं तो मैं क्यों अपना मुँह खोल कर दुश्मनी लूँ। पर जब सबूत की ज़रूरत हुयी तो मैं राज़ी हो गया। ”

अविनाश ने बोला,-“कोई बात नहीं पप्पू, तुमने बहुत हिम्मत का काम किया है जो अपने मालिक के ख़िलाफ़ गवाही देने के लिए तैयार हो गए। ” पहले मैं आप सब को बताता हूँ की सचिन ये सब कैसे किया और इसके पीछे का मक़सद क्या था ?” इसके बाद अविनाश ने सचिन से कल हुयी अपने सारे वार्तालाप से सबको अवगत करा दिया। सब बड़े ध्यान से सुन रहे थे।

“और इस तरह कल सुबह सचिन ने अपना गुनाह क़बूल कर लिया। पर मेरे मन एक बात थी जी खटक रही थी। और वो  बात ये थी की अगर रीचा ने ८ जनवरी की रात नौ बजे से शराब पीना शुरू किया तो उसकी मौत रात १२ से १ के बीच कैसे हुयी। सायनाइड बहुत ख़तरनाक ज़हर होता है इसलिए रीचा की मौत शराब पीने के थोड़ी देर में हो जानी चाहिए थी। यही भ्रम सचिन को भी हो गया था जब उसने रीचा को रात १० बजे फ़ोन किया था। और इसी वजह से उसने हल्द्वानी से दूसरी सायनाइड की शीशी ख़रीदी जो हल्द्वानी पुलिस को उसके कार से बरामद हुयी। ख़ैर सचिन और मेरा शक जायज़ था- 

अब मैं आपको पूरा वाक़या बताता हूँ कि क्या हुआ होगा। सचिन, रीचा के शराब में ज़हर मिलाकर क़रीब रात ८ बजे के बाद पिथौरागढ़ की तरफ़ निकल दिया। सचिन ने जाने से पहले ही पप्पू को फ़ार्म हाउस से बाहर भेज दिया था। पर फार्म हाउस का चक्कर लगाते वक्त पप्पू ने सचिन को रीचा के शराब में ज़हर मिलाते हुए देख लिया। इसलिए पप्पू के मन में उत्सुकता जाग उठी होगी। मुझे लगता है कि पप्पू अपने घर गया और थोड़ी देर बाद वापस फार्म हाउस आ गया। । जैसे ही सचिन कार लेकर पिथौरागढ़ जाने के लिए निकले पप्पू वापस फ़ार्म हाउस आ गया। क्यों पप्पू मैं सच बोल रहा हूँ न की तुम दोबारा उस रात वापस फार्म हाउस आए थे ?”

“ये आप क्या कह रहे है ?मेरे तो कुछ समझ में नहीं आ रहा है। ”

“मेरी पूरी कहानी सुनने के बाद सब कुछ समझ में आ जाएगा। पप्पू ने मुझे ये बताया था कि उसे ये नहीं पता था कि सचिन पिथौरागढ़ जाने वाले हैं पर मुझे पता है कि ये झूठ बोल रहा है। दूसरे गार्ड की ड्यूटी रात ९ बजे खतम होती है लिहाज़ा पप्पू पीछे के रास्ते फ़ार्म हाउस में घुस गया। आगे से ये इसलिए नहीं जा सकता था की इसे कहीं कोई देख न ले। लगभग ९ बजे के आस पास रीचा आयी। आने के बाद रीचा इससे ज़रूर मिली होगी पर इसने देर से रुकने का कोई बहाना बनाया होगा। आने के बाद रीचा ने फ़्रेश होकर नाइट गाउन पहना और शराब पीने के लिए जैसे ही बोतल उठायी, शराब की बोतल फ़र्श पर गिरकर टूट गयी। अब उस समय घर में कोई था नहीं तो रीचा ने इसको बुलाया और बताया कि शराब की बोतल ज़मीन पर गिरकर टूट गयी है लिहाज़ा पप्पू सारी सफ़ाई कर दे और सचिन के रूम से दूसरी शराब की बोतल लाकर दे दे। पप्पू ने  वैसा ही किया पर शराब की बोतल का एक टुकड़ा बेड के नीचे चला गया जो मुझे तलाशी के दौरान मिला। अब पप्पू को अपना प्लान फेल होता नज़र आया। ”

“मनोज बोल,-“कैसा प्लान ?”

“अभी पता चल जाएगा मनोज। चूंकि ये फ़ार्म हाउस का केयरटेकर है। खेती, बाग़वानी वग़ैरह करता है तो इसके पास ज़हर के रूप में सल्फास मौजूद था। इसने रीचा के कहे मुताबिक़ सचिन के रूम से शराब की बोतल उठायी और उसमें चोरी से सल्फ़ास मिला दिया। रीचा ने उसी बोतल से शराब पीना शुरू किया। सल्फ़ास ने धीरे धीरे असर करना शुरू किया क्योंकि सल्फ़स सायनाइड की तरह ख़तरनाक नहीं है पर आसानी से उपलब्ध हो सकता है। शराब पीने के दौरान रीचा ने कमल नेगी से बात की और उसके बाद सचिन ने रीचा से बात की। रीचा ने सचिन से बता दिया कि उसने शराब पी लिया है। वो अब खाना खाकर सोने जा रही है। ये बात सचिन ने हमें बतायी थी। इसी वजह से सचिन को भ्रम हो गया की लगता है सायनाइड ने अपना असर नहीं किया पर करता कहाँ से वो ज़हर सायनाइड नहीं बल्कि सल्फ़ास था। और इसी भ्रम में सचिन ने हल्द्वानी ने दूसरी सायनाइड की शीशी ख़रीदी-

मुझे ऐसा लगता है सचिन से बात करने के तुरंत बाद ज़हर ने अपना असर करना शुरू कर दिया होगा क्योंकि रीचा ने खाना नहीं खाया था क्योंकि उसके पेट से सिर्फ़ शराब के अंश मिले थे ना की खाने के। अब चूंकि पप्पू घर में ही था इसलिए रीचा ने पप्पू को बुलाया होगा और कहा होगा कि उसकी तबीयत कुछ ख़राब हो रही है। वो उसे डॉक्टर के पास ले चलें- 

अब सचिन की कार तो थी नहीं इसलिए सचिन ने रीचा की कार की चाबी लेकर रीचा को कार के पीछे बैठा दिया। रीचा की तबियत ख़राब हो रही थी इसलिए रीचा ने कपड़े भी नहीं बदले। रीचा ने सिर्फ़ बाथरूम स्लीपर पहना और नाइट गाउन पहने कार में बैठ गयी। पप्पू ने रीचा की कार स्टार्ट की और डॉक्टर के पास ले जाने का बहाना करते हुए कार को धीरे धीरे इधर उधर टहलाने लगा। पप्पू को रीचा को डॉक्टर के पास नहीं ले जाना था। जैसे जैसे रीचा की हालत ख़राब होने लगी होगी तो वो बहुत रीऐक्ट कर नहीं पायी होगी। कार भगाते भगाते जब पप्पू ने देखा कि रीचा पीछे बेसुध हो गई है तो इसने कार वापस ले आ करके कार को पार्किंग में खड़ा कर दिया- 

अब चूंकि पप्पू को कार चलाने की बहुत प्रैक्टिस तो है ही नहीं इसलिए पार्किंग में खड़ा करते समय हेडलाइट दीवार से सट गयी। हड़बड़ाहट में भी आदमी ऐसा कर देता है। कार की हेड लाइट उसी वक्त टूटी होगी क्योंकि हेडलाइट पहले टूटी होती तो रीचा उसको रिपेयर करा चुकी होती क्योंकि उसको रात के वक्त लौटना होता है। चूँकि रीचा रोज़ गाड़ी पार्किंग में खड़ा करती है तो ऐसे में किसी को भी अंदाज़ा हो जाता है पर पप्पू को अंदाज़ा नहीं लगा और पप्पू ने गाड़ी ठोक दी। रीचा की कार की तलाशी के दौरान हमें रीचा की कार में पेट्रोल ना के बराबर दिखा था। रीचा जो की लगातार आजमनगर शहर से आ जा रही थी उसके कार में इतना कम पेट्रोल, बात कुछ खटक रही थी। वो इसलिए था की पप्पू ने रीचा को कार में बैठाकर उस रात बेवजह घुमाया था। हालाँकि ये कोई फुल प्रूफ़ बात नहीं है पर संदेहास्पद है- 

फिर पप्पू ने कार के पीछे से रीचा को उठाया और ले जाकर के फ़ार्म हाउस के पीछे वाली बेंच पे बैठा दिया। रीचा उस वक्त मरी नहीं रही होगी पर बेसुध ज़रूर हो गयी होगी। रीचा की लगभग ये आदत थी कि वो दारू पीते हुए बाहर बेंच पर खुले आकाश के नीचे बेंच पर बैठ जाती थी। पप्पू ने ऐसा सिर्फ़ इसलिए किया ताकि सबको ये लगे रीचा ने अपनी रोज़ की आदत को उस दिन भी फ़ॉलो किया था। पर जल्दीबाजी में पप्पू से  बाथरूम स्लीपर कार के अंदर ही छूट गया। अन्यथा आप ही बताओ की रीचा जब रोज़ खुद ही कार ड्राइव करती थी तो वो किस दशा में बाथरूम स्लीपर पहनकर अपने ही कार के पीछे वाली सीट पर बैठेगी। पप्पू को पता था कि रीचा अब उठने वाली नहीं है। इसने रीचा के मरने तक इंतज़ार किया होगा क्योंकि किसी भी हालत में ये रीचा को मेडिकल हेल्प नहीं दिलाना चाहता था। रीचा के मरने के बाद पप्पू चुपचाप फ़ार्म हाउस से निकल गया। फार्म हाउस का दरवाज़ा अंदर से बंद था पर पीछे वाला दरवाज़ा खुला हुआ था। ताकि पुलिस यही सोचे की रीचा ज़हर पीने के बाद बेंच पे जा करके आराम से बैठ गई और वहीं मर गयी। इसी वजह से पीछे का दरवाज़ा खुला रह गया। बाक़ी दूसरे दिन की कहानी सबको पता है । क्यों पप्पू मेरा अंदाज़ा सही है की ग़लत- 

“अब तुम अपनी इस बात से मुकर भी नहीं सकते क्योंकि तुमने ख़ुद क़बूला है कि तुमने सचिन को ज़हर मिलाते हुए देखा था। मैं यही तुम से क़बूलवाना चाहता था और तुम मेरे झाँसे में आ गए। बात दरअसल ये है की तुम्हारा रानी से अफेयर चल रहा है। तुम्हें ये पता था कि सचिन की रहते यह संभव नहीं था की तुम रानी से शादी कर सको। तुम्हारे अलावा और कोई सल्फ़ास शराब की बोतल में नहीं मिला सकता-

जब सचिन को तुमने ज़हर मिलाते हुए देखा तो तुमको ये अंदाज़ा हो गया कि रीचा अगर रास्ते से हट गई तो सचिन तो आज नहीं तो कल उसके मौत के जुर्म में फँस जाएगा। उसके बाद तुम आराम से रानी से शादी कर सब कुछ अपने क़ब्ज़े में कर सकोगे। इसी वजह से तुम उस रात जाने के बाद दोबारा वापस आए ताकि रीचा को किसी भी क़िस्म की कोई मेडिकल एड ना मिल सके। पर जब रीचा के हाथ शराब की बॉटल टूट कर गिर गयी तो तुम्हें अपना प्लान फ़ेल होता नज़र आया। जल्दबाज़ी में सचिन के रूम से लाई गई शराब में तुमने सल्फास मिला दिया-

मुझसे भी एक गलती हो गई शायद पहली बार मैंने डिटेल पोस्टमार्टम रिपोर्ट को पढ़ा नहीं। सचिन से बात करने के बाद मैने मान लिया कि रीचा की मृत्यु सायनाइड ज़हर से हुई है। सचिन ने खुद ही ये बात क़बूल ली थी। डिटेल में जब पोस्टमार्टम रिपोर्ट पढ़ी तब पता चला कि रीचा की मौत सल्फास नामक ज़हर के खाने से हुई है। मुझे संदेह शुरू से ही हो रहा था पर मैं भी क्या करता। जैसे ही मैं इस केस के बारे में कुछ और सोचता, इससे पहले की सचिन ने अपना गुनाह क़बूल कर लिया-

पर तब भी कुछ बातें ऐसी थी जो जिसका जवाब मुझे नहीं मिला रहा था। जब पप्पू ने टूटी हुई बोतल को साफ़ किया तो एक काँच का टुकड़ा बेड के नीचे चला गया। पूछ ताछ के दौरान तारा ने बताया था कि उसकी नॉलेज में कोई भी शराब की बोतल नहीं टूटी थी और दूसरे दिन से पुलिस ने रूम को सील कर दिया था जिसकी वजह से सफ़ाई नहीं हो पायी थी तो वो टुकड़ा कब बेड के नीचे पहुँचा-

जब मैंने रीचा की कार की तलाशी ली तो रीचा के कार में पेट्रोल बिलकुल नहीं था। ये कोई बहुत बड़ा सबूत नहीं है लेकिन इस पर विचार किया जा सकता है।  रीचा बहुत पैसे वाली थी और पेट्रोल पम्प यहाँ से दूर है तो क्या इस दशा में वो कार में बिलकुल पेट्रोल नहीं रखेगी। फिर पार्क करते समय हेडलाइट का टूट जाना और कार की पीछे वाली सीट रीचा का स्लीपर पाया जाना-

जब भी कोई आदमी आत्महत्या करता है तो वो क्या करेगा ?बोतल से शराब ग्लास में उड़ेलेगा और ग्लास में ज़हर मिलाकर पी जाएगा। ना की ज़हर बोतल में मिला लेगा और मज़े ले ले कर पीएगा। ये कोई रूल नहीं हैं पर ये बातें शक पैदा करती हैं- 

रीचा की लाश फ़ार्म हाउस की बेंच पे मिली थी। इतनी ठंड में उसने कोई गर्म कपड़ा नहीं पहन रखा था और वो नंगे पैर थी। क्या ऐसा वो डेली रूटीन में करती। अगर वो आत्महत्या करने जा रही होती तो भी वो ऐसा नहीं करती। ये बात इस तरफ़ इशारा कर रही थी की उसको बाद में बेंच पर रखा गया है।

अगर रीचा की मृत्यु सायनाइड नामक ज़हर से नहीं हुयी तो सल्फ़ास किसने दिया। इसलिए मैंने कल ड्रामा किया और पप्पू को घेरे में ले लिया। मनोज एक काम करो की फार्म हाउस में जहाँ पप्पू  अपनी खेती बारी का सामान रखता है वहाँ सल्फास की गोली मिल सकती हैं। राहुल को भेजकर उसे अपने क़ब्ज़े में ले लो। ” 

मनोज बोला,-“वो सब तो ठीक है पर क्या रानी इस साज़िश में पप्पू के साथ मिली हो सकती हैं ?”

“रानी पप्पू से प्यार तो करती थी पर वो इस साज़िश में शामिल नहीं होगी क्योंकि पप्पू ने प्लान बोतल टूटने के बाद बनाया था। उसके बाद से उसने उस रात रानी से बात नहीं की थी। पर पप्पू का इरादा वापस फार्म हाउस जाने का ज़रूर था इसलिए पप्पू ने उस रात सिर्फ़ रानी से थोड़ी देर बात की थी। बाक़ी पप्पू इस बात को बताएगा की रानी इस साज़िश का हिस्सा थी या नहीं। ”

पप्पू बोला,-“नहीं सर रानी को इस साज़िश के बारें में कुछ नहीं पता था। मुझे नहीं पता था कि आप मुझे फँसाने के लिए इतनी बड़ी साज़िश रच रहे हैं। हाँ मेरा रानी से संबंध था और हम दोनों की शादी करने की इच्छा थी। पर मुझे पता था कि सचिन इसके लिए कभी भी राज़ी नहीं होता। जब मैंने सचिन को ज़हर मिलाते हुए देखा तो मुझे अपना प्लान सफल होता नज़र आया। मेरे मन में ये था कि अगर सचिन बच भी जाता तो भी किसी न किसी तरीक़े से मैं इसको फाँस लेता। वैसे भी ज़हर मिलाते हुए मैंने इसे देखा था इसलिए ये अब मेरे क़ब्ज़े में होता। ये पिथौरागढ़ जा रहा है ये बात मैने सुन ली थी। जो भी दलील आपने दी वो अक्षरशः सही है-

सचिन के जाने के बाद मैं फ़ार्म हाउस में पीछे के रास्ते से आया। मेरे आने का सिर्फ़ और सिर्फ़ एक ही मक़सद था कि यदि रीचा ज़हर पीने के बाद किसी हेल्प के लिए फ़ोन करें या किसी डॉक्टर को बुलाएँ तो उसे ऐसा करने से रोकना।  पर यहाँ तो कहानी उल्टी पड़ गई। उसके हाथ से बॉटल गिरी और टूट गई। फिर मैंने सचिन के रूम से दूसरी शराब की बॉटल ली और उसमें सल्फास मिला दिया। जैसे ही रीचा की तबीयत बिगड़ी उसने मुझे तुरंत ही बुलाया था। मैं तो फ़ार्म हाउस में उपस्थित था। पहले मैंने जानबूझ करके डॉक्टर को बुलाने का नाटक किया। जब बहुत समय तक डॉक्टर नहीं आया तो मैंने रीचा से कहा कि बेहतर होगा कि वो अपनी कार की चाबी मुझे दे दे। मैं उसे अस्पताल ले जाना चाहता हूँ । वो मेरे जाल में फँस गई। मैं कार से उसको काफ़ी देरी टहलता रहा। धीरे धीरे उसकी हालत ख़राब हो रही थी। वो काफ़ी वोमिटिंग कर रही थी। बीच में मैंने कार रोक करके उसको वोमिटिंग भी कराई थी। थोड़े समय बाद वो अपने आप बेहोश हो गई। मैं कार वापस ले आया और पार्किंग में खड़ा कर दिया। आप बिलकुल सही बोले। पार्किंग में खड़ा करते समय ही हेड लाइट दीवार से लग गई पर मैंने ये ध्यान नहीं दिया था उसमें पेट्रोल कितना बचा है। इसके बाद मैंने रीचा को गोद में उठाया और लॉन में पीछे बेंच पे रख दिया। इसी जल्दीबाज़ी में स्लीपर कार के पीछे सीट के नीचे रह गई। ”

“पर तुम उसे मरने के लिए रूम में भी तो छोड़ सकते थे। लॉन के बेंच में रखने की क्या वजह थी ?”

“सर इसकी कुछ वजहें थी।  मुझे लगा कि कहीं ऐसा तो न हो कि उसे थोड़ा बहुत होश आ जाए और वो किसी को अपने सहायता के लिए फ़ोन कर दे क्योंकि उसके रूम में लैंडलाइन भी था, मोबाइल उसका रखा हुआ था। बाक़ी ये बात सही है की रीचा की खुली आकाश के नीचे बैठ कर शराब पीने की आदत थी इसलिए भी मैने उसको बाहर छोड़ दिया ताकि पुलिस को ये स्वाभाविक लगे। रीचा को अगर रूम के अंदर छोड़ देता तो पीछे वाले दरवाज़े को अंदर से कैसे बंद करता। हालाँकि तब ये दलील दी जा सकती थी की हो सकता हो रीचा ने ही खुला छोड़ दिया हो। उस समय जो जल्दबाज़ी में मेरी समझ में आया मैंने किया। और मैंने तब तक इंतज़ार किया जब तक रीचा की साँसे बंद नहीं हो गई। इसके बाद मैंने फ़ॉर्म हाउस का दरवाज़ा अंदर से लॉक किया। पीछे का दरवाज़ा खुला ही छोड़ दिया और दीवार लांग करके बाहर चला गया। मैंने एक तीर से दो शिकार किए थे। रीचा मर गई थी, सचिन जेल में चला गया था। इसके बाद मैं चुपचाप रानी से शादी करता और इसकी फ़ैक्ट्री पर क़ब्ज़ा कर लेता पर क़िस्मत को कुछ और मंज़ूर था……………। ” 

“पप्पू अगर गुनाह करके बच जाना इतना आसान होता तो हर आदमी हर आदमी को मार करके बड़ा आदमी बन जाता। मेरे हिसाब से मनोज अब केस खतम हुआ। सचिन और पप्पू को सजा देना अब अदालत का काम है। अब तो असली गुनहगार पप्पू है। पर सचिन को भी बख्शा नहीं जा सकता। ये मुझे नहीं पता है कि अदालत सचिन को इस गुनाह के लिए कितनी सजा देगी। मेरा काम असली गुनहगार को पकड़ना है। गुनाह किस परिस्थिति में हुआ है ये सोचना मेरा काम नहीं है। वैसे भी क़ानून कभी किसी को ख़ुद न्याय करने का अधिकार नहीं देता नहीं तो हमारे समाज का स्ट्रक्चर टूट जाएगा। पता नहीं किन परिस्थितियों में सचिन ने रीचा की हत्या की बात सोची। उसे अगर कोई दिक़्क़त थी तो उसे क़ानून के पास जाना चाहिए था। ऐसी कोई समस्या नहीं है जिसका हल ना हो। रानी जी अब आप कंपनी की देखभाल कीजिए क्योंकि बहुत लंबे समय तक सचिन बाहर आने वाले नहीं है। अब आप तीनों जा सकती है। ” तारा, रानी और आरती रूम से चले गए।

“अविनाश तुम्हारे दिमाग़ में क्या चल रहा होता है ये बताना बहुत मुश्किल होता। वाक़ई मैं तो ये समझ रहा था कि तुम सचिन के ख़िलाफ़ और सबूत इकट्ठा कर रहे हो। मुझे क्या पता था कि तुम पप्पू को घेर रहे हो। ”

“जब पप्पू ने क़बूल लिया की उसने सचिन को ज़हर मिलाते हुए देखा था तभी मैं समझ गया की आगे की सारी करामात इसी ने की है। अब मैं चल रहा हूँ। चलो राजू और बेबी अपने एजेंसी चला जाय। गुड डे मनोज। ”

“थैंक्स एंड गुड डे अविनाश। राहुल,पप्पू और सचिन को लॉक अप में बंद कर दो और इनके ख़िलाफ़ चार्ज शीट फ़ाइल करने की तैयारी करो। ”


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