Amit Kumar Pandey

Crime

4.2  

Amit Kumar Pandey

Crime

टेक्स्टाइल मिल में मौत

टेक्स्टाइल मिल में मौत

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१ 


१८ जनवरी शाम के ६:३० बज रहे थे। रोज़ की ही भाँति अविनाश अपनी साईं डिटेक्टिव एजेंसी में बैठा था। राजू और बेबी घर जा चुके थे। अविनाश के केबिन का दरवाजा खुला।


“क्या मैं अंदर आ सकता हूँ?” अविनाश ने नजर उठाकर देखा तो पाया कि इंस्पेक्टर मनोज सामने खड़ा था।

 

“तुम्हें कब से इजाजत लेने की जरूरत पड़ गई। ” 


“किसी के भी केबिन में प्रवेश करते समय इजाज़त जरूर लेनी चाहिए। ”


“अच्छा ठीक है। अंदर चलो आओ। ” अंदर आकर इंस्पेक्टर मनोज अविनाश के सामने वाली चेयर पर बैठ गया और अपने डंडे को मेज पर रख दिया।


“क्या बात है तुम आज खुद ही चले आए?”


“क्यों? मेरा आना तुम्हें पसंद नहीं आया। ”


“अरे भाई मित्रों का आना हमेशा सुखद होता है। ”

 

“बाहर ठंड बहुत है। ऐसा करो कि पहले एक कप कॉफी पिलाओ। ”

 

“तुम बैठो। राजू और बेबी जा चुके है। मैं कॉफी लेकर अभी आया। ” अविनाश अपनी सीट से उठा और करीब 10 मिनट बाद दो कप कॉफी लेकर आया। इंस्पेक्टर मनोज ने सिगरेट सुलगा लिया और अविनाश ने अपना सिगार जला लिया। दोनो कॉफी की चुस्कियां लेने लगे।


“हाँ मनोज चलो अब तो बताओ कोई खास बात?” 


“तुम मेरे साथ किशनगढ़ चल सकते हो क्या?”


“किशनगढ़! क्यों कोई खास बात?”


“किशनगढ़ बाज़ार से करीब १० किलोमीटर ऊपर पहाड़ी पर एक टेक्सटाइल मिल है ‘मेहता टेक्सटाइल मिल’। उसकी  मालकिन शिल्पी मेहता आज सुबह अपने बेड रूम में मृत पाई गई। लोकल पुलिस ने थोड़ी बहुत तफ्तीश की है।  शिल्पी मेहता वहां की बहुत ही मानिंद महिला थी। फिलहाल हमारे कमिश्नर साहब ने मुझे यह केस देखने को कहा है । इस केस में लोकल पुलिस मेरी मदद करेगी। ”

 

“लेकिन लोकल पुलिस ने कुछ तो तफ्तीश की होगी। ” 


“हाँ लोकल पुलिस की नजर में यह आत्महत्या का केस है। ”


“तो क्या घर वालों ने शिल्पी मेहता की इस मृत्यु पर शक जाहिर किया है?" 


“नहीं, किसी घर वालों ने कोई भी शक जाहिर नहीं किया है। पर ऊपरी प्रशासन लोकल पुलिस की छानबीन से बहुत संतुष्ट नहीं है। उस टेक्सटाइल मिल में करीब करीब ढाई सौ वर्कर काम करते हैं। वो मिल उस एरिया के बहुत ज़्यादा लोगों को रोजगार देती है। इसलिए प्रशासन बहुत फूंक फूंक के कदम रख रहा है। ” 


“तुम मुझसे क्या चाहते हो?”

 

“चलो एक बार तुम भी मेरे साथ चल चलो। तुम्हारे लिए मैंने कमिश्नर साहब से परमिशन ले ली है। पुलिस गेस्ट हाउस है वहां पर। उसमें हम दोनों के रहने की व्यवस्था हो जाएगी। अगर वाकई आत्महत्या होगी तो हम भी अपनी रिपोर्ट दे करके वापस चले आएंगे। ”

 

“ठीक है मुझे कोई दिक्कत नहीं है। कब निकलना है?”

 

“कल सुबह। किशनगढ़ पहाड़ी इलाका है। करीब यहां से डेढ़ सौ किलोमीटर की दूरी पर है और उससे भी 10 किलोमीटर दूर टेक्सटाइल मिल है। हम लोग किशनगढ़ में ही रुकेंगे। वहाँ ठंड बहुत ज्यादा है और बहुत ज्यादा बारिश भी हो रही है इसलिए अपने ठंड की व्यवस्था पूरी कर लेना। ”


“तुम अपनी पुलिस की जीप रहने दो, मैं अपनी कार ले करके चलूंगा। ”


“मेरे लिहाज से यही सही रहेगा। कल सुबह हम लोग ६ बजे के आसपास निकलेंगे। ”


“ठीक है। कल १९ जनवरी सुबह ६ बजे मैं तुमको तुम्हारे घर से पिकअप कर लूंगा। अभी मैं राजू और बेबी को फोन करके बता दे रहा हूं। ” इसके बाद अविनाश ने राजू और बेबी को फोन करके बता दिया की वो कल सुबह इंस्पेक्टर मनोज के साथ एक केस के सिलसिले में किशनगढ़ जा रहा है। उसको आने में कुछ दिन लग सकते हैं। इस बीच यदि कोई भी उसके  बारे में पूछे तो उसको यह मत बताना कि मैं कहां गया हूँ। इतना कहकर अविनाश ने फोन रख दिया।


“चलो मनोज अब एजेंसी बंद करके घर वापस चलते हैं। ” इसके बाद अविनाश ने अपना कोट पहना,गोल हैट लगाया, अपनी रिवाल्वर अपनी पैंट में खोसी और एजेंसी बंद करके वे दोनो अपने-अपने घर की तरफ चल दिए। दूसरे दिन १९ जनवरी को सुबह 6:00 बजे करीब वे दोनो किशनगढ़ के लिए निकल पड़े। १०० किलोमीटर तक रास्ता प्लेन था पर उसके  बाद पहाड़ी रास्ता शुरू हो गया। रह रह कर बारिश होने लगी और हवा भी काफ़ी ठंडी चल रही थी।


“अविनाश, रास्ता काफ़ी खतरनाक हो गया है। क्या तुम्हें गाड़ी चलाने में दिक्कत महसूस हो रही है?”

 

“रह रह करके जो बारिश हो रही है इसकी वजह से थोड़ी दिक्कत आ रही है। ” 


“धीरे धीरे चलो कोई जल्दी नहीं है। ”


“तुम चिंता ना करो मैं तुमको सही सलामत पहुँचा दूँगा। ” क़रीब ११ बजे के आसपास वे दोनों किशनगढ़ थाने पहुंचे। किशनगढ़ थाने का इंस्पेक्टर पवन कुमार सिंह उनका पहले से इंतजार कर रहा था। इंस्पेक्टर पवन उन दोनों से बहुत गर्मजोशी से मिला।


“आइए आइए मैं आपका इंतजार कर रहा था। मुझे हेड क्वार्टर से चिट्ठी मिल गई थी। ”


मनोज पवन से बोला,-“इनसे मिलिए ये हैं प्राइवेट डिटेक्टिव कैप्टन अविनाश। आजमनगर और उसके आसपास जो भी केस मेरे पास आते हैं उसको हल करने में ये मेरी काफी मदद करते हैं। इसलिए खास तौर पर कमिश्नर साहब से मैंने रिक्वेस्ट करके इनको भी अपने साथ ले लिया है। इस केस में ये हमारी मदद करेंगे। ”


“बहुत अच्छा। आप लोग बैठिए। मौसम बहुत ठंडा है। अभी मैं आप लोगों के लिए चाय का इंतजाम करता हूं। ” इंस्पेक्टर पवन ने उन दोनों के लिए चाय मंगवाई।  


मनोज बोला,-“क्या बात है पवन यहां अक्सर बारिश होती रहती है?” 


“हां। यहां की बारिश का कोई ठिकाना नहीं है। हम लोग तो परमानेंट अपने साथ रेनकोट रखते हैं। यहाँ का मौसम भी काफ़ी ठंडा रहता है। ” 


“हाँ आते समय हमने काफ़ी महसूस की। क्यों अविनाश?”


“हाँ ये बात तो है। ”


पवन बोला,-“इस केस की फाइल मैंने तैयार कर रखी है। चाय पी करके मैं आप लोगों को फाइल दे देता हूं। ” तब तक नौकर तीन कप चाय ले करके आया।


चाय पीने के दौरान अविनाश पवन से बोला,-“इन्स्पेक्टर पवन आप कुछ बताइए कि आपने अब तक क्या तफ्तीश की है ?”


“देखिए ‘मेहता टेक्स्टायल मिल’ यहां से करीब १० किलोमीटर दूर है। मिल में क़रीब ढाई सौ वर्कर काम करते हैं। १२५  पहले शिफ्ट में और १२५ दूसरी शिफ्ट में। कंपनी की मालकिन शिल्पी मेहता थी। १७ जनवरी की रात या १८ जनवरी की सुबह ३ से ४ के बीच उसकी मृत्यु हो गई। उसकी लाश उसके बेडरूम में क़रीब १८ जनवरी की सुबह ११ बजे पायी गयी। ”


“मौत की वजह?”


“पोस्टमार्टम रिपोर्ट के अनुसार शिल्पी ने दारू के साथ ढेर सारी नींद की गोलियां खा करके अपनी जान ले ली। पोस्टमार्टम रिपोर्ट भी यही कहती है और हमारी तफ्तीश से भी यही पता चला कि जिस ग्लास से उसने शराब पी उस पर सिर्फ उसी की उंगलियों के निशान है और उस ग्लास में नींद की गोलियों के अंश भी मिले हैं। सबूत से हमने कोई  कोई छेड़खानी नहीं की है। वो सब शिल्पी के रूम में वैसे ही पड़े हुए हैं। ”


“वैसे आप लोग को शिल्पी के रूम से क्या बरामद हुआ है?”


“फ़ाइल में फ़ोटो सहित सब कुछ है। वैसे हमें शिल्पी के रूम में रखी सेंटर टेबल पर से चार ग्लास,एक दारू की बोतल, एक खाने की थाली,एक सिगरेट,लाइटर और दो पानी के जग बरामद हुए है। ”


“और इन सबपे किसके किसके फ़िंगर प्रिंट मिले हैं?”


“एक ग्लास पे शिल्पी के, एक ग्लास में शिल्पी के पति घनश्याम के, एक ग्लास पे शिल्पी के सेक्रेटेरी डेनियल के और एक ग्लास पे शिल्पी की बड़ी बहन 

शालू के। ”


“पानी के जग से?”


“एक पानी के जग पे सभी के निशान है। मेरा मतलब है शिल्पी, घनश्याम, डेनियल और शालू। पर दूसरे पानी के जग पे कोई निशान नहीं मिला है। । ”


“और दारू की बोतल पे से?”


“नयनतारा के अलावा सभी चारों के।  ”


“मतलब शिल्पी, घनश्याम,डेनियल,और शालू के। और सिगरेट?”


“ऐश ट्रे में एक सिगरेट बरामद हुयी है जो बहुत थोड़ी सी जली है। मेरा मतलब है थोड़ी सी पी करके शिल्पी ने बुझा दी होगी। इम्पोर्टेड सिगरेट है बिलकुल पतली और लम्बी। ”


“हाँ। और कुछ। ”


“बाक़ी हमने रूम में मोबाइल,पर्स और लैप्टॉप की तलाशी ली थी। शिल्पी के पर्स में औरत के डेली यूज़ के सामान, क्रेडिट कार्ड, वैगरह। बाक़ी आलमारी में दवायी के कुछ पत्ते थे। ”


“खाने की प्लेट के बारें में आपने नहीं बताया?”


“खाना नयनतारा ने रात ९ बजे शिल्पी को सर्व किया था। सबसे ख़ास बात ये है की नींद की गोलियों के अंश सिर्फ़ और सिर्फ़ शिल्पी की यूज़ की हुयी दारू की ग्लास से मिले हैं। बाक़ी हमें पूरे रूम से कुछ भी ख़ास नहीं मिला। ”


“कोई सुसाइड नोट नहीं बरामद हुआ। ”


“नहीं। ”


“फिर आत्महत्या की वजह?”


“बात यह है कि शिल्पी काफी दिन से डिप्रेशन का शिकार थी। किशनगंज के एक बड़े डॉक्टर पाली सेनगुप्ता ही उनका इलाज कर रहे थे। मैंने डॉक्टर सेनगुप्ता से कल बात की थी उन्होंने बताया कि शिल्पी डिप्रेशन का शिकार थी और रात में नींद की गोली ले करके सोती थी। नींद की गोली के अंश दारू की गिलास में पाए जाने की वजह से कोई शक की गुंजाइश नहीं है। शिल्पी ढेर सारी नींद की गोली दारू के साथ पी गई और १७ जनवरी की रात ३ और ४ के बीच गोली की ओवर डोज़ से मर गयी। पोस्टमार्टम रिपोर्ट भी यही कहती है। ”


“१८ जनवरी को  सबसे पहले शिल्पी को किसने देखा था?”


“बात दरअसल यह है कि शिल्पी मेहता का बंगला फैक्ट्री के अंदर ही है। शिल्पी का ऑफिस बंगला में ही नीचे वाले फ्लोर पे है। फ़ैक्टरी बंगला से कुछ दूरी पे है। पर है सब एक ही बाँउंड्री के अंदर। जब शिल्पी सुबह ११ बजे तक अपने रूम से उतर करके नीचे अपने ऑफिस में नहीं आयी तो उनके सेक्रेटेरी डेनियल को चिंता होने लगी। डेनियल उनके बेडरूम में जा करके दरवाजा खटखटाया। हालांकि शिल्पी मेहता बहुत ही कड़क लेडी थी। किसी की हिम्मत नहीं है कि उनको कोई बेवजह डिस्टर्ब कर सके लेकिन ज्यादा से ज्यादा १० बजे तक वह अपने ऑफिस में चली जाती थी। ११ बजे तक जब वह नहीं आई तब डेनियल ने उनके बेडरूम का दरवाजा खटखटाया लेकिन कोई उत्तर नहीं मिला।  डेनियल के साथ शिल्पी की मेड नयनतारा भी थी। जब बहुत देरी तक अंदर से कोई जवाब नहीं मिला तो फिर वे दोनो रूम में घुस गए। ”


“एक मिनट?रूम का दरवाज़ा खुला हुआ था। ”


“हाँ। ये बात मैंने भी पूछी थी। शिल्पी के रूम का दरवाज़ा चिपका हुआ ही रहता था। बंद तो वो शायद ही कभी करती रही हो। ये बात हमें नयनतारा ने बतायी। बाक़ी बेवजह उन्हें कोई डिस्टर्ब नहीं करता था। ”


“वे दोनो अंदर घुसे। शिल्पी अपने बेड पर बेसुध पड़ी हुई थी। आपाधापी में डॉक्टर को बुलाया गया।  हालांकि डॉ सेन गुप्ता ही आए और उन्होंने बाद में डिक्लेअर किया कि उनकी मृत्यु हो गई है। उसके बाद पुलिस को इत्तला की गई। बाकी जो मैंने तफ्तीश की है वह मैं आपको बता ही चुका हूं और काफ़ी कुछ इस फ़ाइल में लिखा है। क्योंकि शिल्पी इस ऐरिया बहुत ही मानिंद औरत थी इसलिए शायद ऊपरी महकमा ने ये केस आपको सौंप दिया। मुझे यह हिदायत दी गई है कि मैं इस केस में आपकी पूरी हेल्प करूँ। जिस रूम में शिल्पी मरी हुई पाई गई थी उस रूम को लॉक कर दिया है। उसकी चाबी मैं आपको दिए दे रहा हूं। आप लोगों के रहने का इंतजाम यहां के गेस्ट हाउस में कर दिया गया है। पर मैं एक माफी चाहूंगा कि आप दोनों लोगों को एक ही रूम शेयर करना पड़ेगा। ”


अविनाश ने कहा,-“मुझे कोई प्रॉब्लम नहीं है। ” अविनाश ने शिल्पी के रूम की चाबी और पोस्टमार्टम रिपोर्ट की फ़ाइल उठा ली ।


“पुलिस चौकी के ठीक पीछे गेस्ट हाउस है। आपके नाम से रूम बुक है। आप वहां जाकर के फ्रेश हो लीजिए। आप चाहेंगे तो मेहता टैक्सटाइल मिल में आपके साथ चल चलूंगा। वैसे मिल यहां से सीधी १० किलोमीटर दूर है। आपको कोई भी मेहता टेक्सटाइल मिल पहुंचा देगा। ”


मनोज बोला,-“ओके पवन अभी तो हम थोड़ा फ्रेश होंगे। काफी थक गए हैं। हम अपने ढंग से तफ्तीश करेंगे यदि आपकी जरूरत हुई तो हम आपको शामिल कर लेंगे। आप शिल्पी के सेक्रेटेरी डेनियल को हमारे बारे में बता देना। ” 


“ठीक है। ” इसके बाद अविनाश और मनोज थाने से निकलकर गेस्ट हाउस चले गए। रूम में पहुँच कर उन्होंने कपड़े चेंज किया, फ्रेश होकर नाश्ता किया।


“अविनाश क्या करना है?अभी चलना है कि कुछ देरी आराम करना है। ”


            २


“मेरे हिसाब से तो हमें अभी चलना चाहिए हालांकि थकावट हो रही है। ” अविनाश और मनोज कार से मेहता टेक्सटाइल मिल की तरफ चल दिए। करीब १० किलोमीटर चलने के बाद उन्हें ‘मेहता टेक्सटाइल मिल’ का बोर्ड दिखाई दिया। वे मिल के अंदर सीधे प्रवेश कर गए और दरवाजे पर खड़े गार्ड से पूछा कि शिल्पी के सेक्रेटेरी डेनियल कहां मिलेंगे। गार्ड ने उन्हें शिल्पी का बंगला दिखा दिया। अविनाश ने गाड़ी बंगला के पोर्च के नीचे खड़ी कर दी।  अविनाश और मनोज कार से निकलकर सीधे हाल में प्रवेश कर गए।  उनको देखते ही एक करीब २५ साल की महिला आई और बोली कि आपको किससे मिलना है?

अविनाश ने पूछा,-“ जी आप कौन है?”


“मैं शिल्पी मैडम की मेड और इस घर की केयर टेकर नयनतारा हूं। ”


“मिस्टर डेनियल कहां मिलेंगे?" 


“मिस्टर डेनियल अपने ऑफिस में होंगे। ” हाल से दाहिने साइड एक दरवाजे की तरफ नयनतारा ने इशारा कर दिया।  दरवाज़े पर एक बोर्ड लगा था जिसपर लिखा था ‘शिल्पी मेहता’। मनोज और अविनाश अंदर घुस गए। वो एक छोटा सा रूम था जिसमें एक कुर्सी पर एक आदमी बैठा हुआ था और उस एक छोटे रूम से लगा एक बहुत बड़ा सा रुम था जो देखने से ही लग रहा था कि शिल्पी मेहता का ऑफिस होगा।


उस आदमी ने नज़र उठा कर देखा और पूछा,-“जी कहिए, मैंने आपको पहचाना नहीं। ” 


मनोज बोला,-“मैं इंस्पेक्टर मनोज और ये है मेरे मित्र डिटेक्टिव अविनाश। ”


“प्लीज बैठिए। इन्स्पेक्टर पवन ने बताया था कि आप लोग शिल्पी मैडम की मौत की तफ्तीश करने आए हैं। शिल्पी मैडम का अंतिम संस्कार हम लोगों ने कल रात में ही कर दिया था। अच्छा बताइए आप क्या जानना चाहते हैं?”


अविनाश ने कहा,-“मुझे आपकी मैडम शिल्पी मेहता के बारे में पूरी जानकारी चाहिए। ”


“जी मैं मेरा नाम डेनियल है। मैं मेहता टेक्सटाइल मिल में काम करता हूँ शिल्पी मैडम का सेक्रेटेरी बनकर। शिल्पी  मैडम ही इस मिल की कर्ता धर्ता थी। मेहता टेक्सटाइल मिल भी इसी कैंपस में है। क़रीब ढाई सौ वर्कर काम करते हैं। ए शिफ्ट सुबह ७ बजे से ३ बजे तक चलती है। बी शिफ्ट ३ बजे से रात ११ बजे तक चलती हैं। १२५ महिलाएं ए शिफ्ट में काम करती है और करीब १२५ ही महिलाएं बी शिफ्ट में काम करती हैं। कुछ पुरुष कर्मचारी भी है लेकिन वो सिर्फ़ देखरेख के लिए हैं। २५० महिलाएं सब आसपास के एरिया की हैं। इन सभी महिलाओं के लिए कंपनी की बस की पूरी सुविधा है। कंपनी की बस उनको उनके घर से उठाती है और शिफ़्ट खतम के बाद उनको उनके घर छोड़ती हैं। जैसा की आप देख रहे हैं की मैडम ने अपना ऑफ़िस यहीं अपने बंगला में बनाया है। मैं और मैडम ही इस ऑफ़िस में बैठते हैं। बाक़ी ज़रूरत के हिसाब से मैडम फ़ैक्टरी चली जाती थी। मैडम करीब सुबह १० बजे अपने ऑफिस में यही चली आती थी और यहीं से सारा काम देखती थी। हमारे यहां सीसीटीवी लगा हुआ है इसलिए मैडम यही से सबपे नजर रख लेती थी । मैडम अपने ऑफिस में शाम ७ बजे तक बैठती थी। ”


तब तक अविनाश बोला,-“शिल्पी मैडम की क्या उमर रही होगी?”


"क़रीब ५० साल के आस पास। ”


“और आपकी?”


“३० साल। ”


“ठीक है जारी रखिए। ”


“शाम ७ बजे ऑफिस छोड़ने के बाद मैडम अपने बेडरूम में चली जाया करती थी। उसके बाद जब तक वो किसी को ना बुलाए कोई उनके बेडरूम में जाता नहीं था सिवाय घर वालों के। वो बहुत की कड़क और रिज़र्व महिला थी। उनसे फ़ालतू बात करने की हिम्मत किसी की नहीं होती थी। रात में अपने रूम में खाना खा करके वही सो जाती थी। ”


“उनके शौक़ क्या थे?” डेनियल ये सुनके के सकपका गया।


“शिल्पी मैडम सिगरेट और शराब की बहुत शौक़ीन थी। रात ११ बजे के बाद ही वो सोती थी। ”


“क्यों?”


“उनका एक डेली का रूटीन था। मैडम के बेडरूम की खिड़की से मेहता टेक्सटाइल का बोर्ड और गेट दिखाई देता है।  मैडम रात ११ बजे खिड़की पर खड़ी हो जाती थी। रात ११ बजे जब फैक्ट्री बंद होती थी तो गेट पर खड़ा गार्ड बी शिफ़्ट में आयी सारी महिलाओं की गिनती करता था और मैडम की खिड़की के नीचे आकर वो गिनती बताता था। ये गिनती ३ बजे आने वाली महिलायों की गिनती से मैच करनी चाहिए। एक भी महिला की गिनती गड़बड़ होती थी तो बस नहीं जा सकते थी। मैडम महिलाओं की सुरक्षा को लेकर के काफी काफी अलर्ट रहती थी। फिर मैडम के आदेश पर एक-एक करके बस निकलती थी और उनको छोड़ करके आती थी। ऐ शिफ़्ट का भी यही रूटीन था। पर सुबह के समय ये चेक करना सुरक्षा अधिकारी की ज़िम्मेदारी थी पर रात के समय वो काफ़ी अलर्ट थी,खुद चेक करती थी। रात में जब सारी बसें चली जाती थी तो दरबान गेट बंद कर देता था। हर रात वाली बस में दो गार्ड नियुक्त होते थे। अब पता नहीं उनके न रहने में क्या होगा?”


“आप कहां रहते हैं?”


“वैसे तो सारा स्टाफ बाहर ही रहता है पर मैडम ने मुझे मिल में एक रूम दे रखा है। मैं वही रहता हूं। ” 


“और कुछ ख़ास बात। ”


“मैडम सिगरेट खाना खाने के बाद ही पीती थी। चाहे वो सुबह का हो या रात का हो। मेरा मतलब है जब वो रात में खिड़की के पास खड़ी होती थी तो उनके हाथ में सिगरेट होती थी। वही सिगरेट पीने के बाद वो सो जाती थी। यही उनका डेली का रूटीन था। ”


“मैडम के परिवार के बारे में मुझे कुछ बताइए। ” 


“टेक्स्टाइल मिल मैडम के पिता जी ने शुरू की थी। पर उस समय वो काफ़ी ख़राब हालत में थी। मैडम की एक बड़ी बहन है शालू और शालू का एक लड़का है रॉकी। शालू के पति की मृत्यु के बाद शालू अपने लड़के रॉकी के साथ यही आ गयी थी। इन दोनो बहनो का एक भाई भी था। वो भाई भी अपनी पत्नी के साथ शादी के एक साल बाद ऐक्सिडेंट में मर गया। उसकी एक लड़की है रोज़ी। रोज़ी और रॉकी की लगभग एक ही उम्र के है। रोज़ी को भी शालू ने पाला है। बाक़ी भाई की मृत्यु के बाद इस टेक्स्टायल मिल को शिल्पी ने चलाया। मैडम ने अपनी मेहनत से इस कंपनी को एक नया मुक़ाम दिया। मैडम ने अपनी सारी जिंदगी इस कंपनी को दे दी। कंपनी का आज जो भी वजूद है, मार्केट में जो भी वैल्यू है सारी की सारी मेहनत मैडम की है। ”


“मैडम के पति?”


“घनश्याम ठाकुर नाम है उनका। यही किशनगढ़ में एक स्कूल है उसमें कला के टीचर है। पर जितना मुझे पता है घन श्याम से उनका कोई बहुत मेलजोल नहीं था। ”


“इस बंगले में शिल्पी के साथ कौन कौन रहता है। ” 


“बंगले के फ़र्स्ट फ़्लोर पे शिल्पी के बग़ल वाला रूम शालू का है। ग्राउंड फ़्लोर में हाल के दाहिने तरफ़ ये ऑफ़िस है। हाल के बीच से सीढ़ी फ़र्स्ट फ़्लोर तक गयी है। हाल के बाएँ साइड तीन कमरे है। एक कमरा शालू के लड़के रॉकी का है। दूसरा कमरा भतीजी रोज़ी का है। तीसरा कमरा पति घनश्याम का है। उसके बग़ल में किचन है जिसमें मेड नयनतारा रहती है। बाक़ी मैं मिल में रहता हूँ। ”


“इसका मतलब शिल्पी और बड़ी बहन शालू फ़र्स्ट फ़्लोर पे और शालू का लड़का रॉकी, भतीजी रोज़ी और पति घनश्याम ग्राउंड फ़्लोर पे रहते है। मैं सही हूँ डेनियल?”


“हाँ। इस पूरे एरिया ही नहीं आसपास के एरिया में मैडम का बहुत ही नाम है। महिलाओं के लिए मैडम ने बहुत काम किया है। ”


“अगर सब कुछ इतना अच्छा था तो शिल्पी मेहता ने आत्महत्या क्यों की?” 


“इस बारे में मैं कुछ नहीं बता सकता। मैंने तो आपको सिर्फ इतना बताया जितना मुझे पता था। लेकिन ये बड़े लोग हैं। ,इनकी जिंदगी में जितना दिखाई देता है एक्चुअल बहुत कुछ ऐसा होता है जो नहीं दिखाई देता। ” 


“१७ जनवरी को आप मैडम से आख़िरी बार कब मिले थे?”


“शाम ७ बजे मैं मैडम के साथ उनके रूम में गया था। मैंने मैडम के साथ एक ड्रिंक लगाया।  कुछ और डिस्कशन किया और क़रीब ८:०० बजे के आस पास मैं अपने रूम में चला गया। ”


“अच्छा इसका मतलब इसलिए रूम में बरामद एक ग्लास पर से आप के हाथ के निशान मिले। ”


“आपको शिल्पी के व्यवहार कुछ ख़ास परिवर्तन दिखायी दिया। ”


“नहीं। ”


“जब तक आप रूम में थे कोई शिल्पी से मिलने आया था। ”


“दरअसल जैसे ही शिल्पी के पति घनश्याम आए मैं चला गया था। इसलिए घनश्याम की शिल्पी से क्या बात हुयी ये मैं नहीं बता सकता। ”


“ओ के। धन्यवाद मिस्टर डेनियल हम आपसे मिलते रहेंगे। चलो मनोज शिल्पी मैडम का रूम एक बार देख ले। ” इसके बाद अविनाश और मनोज ऑफिस से निकल कर फर्स्ट फ़्लोर पर पहुँच गए। उनको बैडरूम पहचानने में कोई दिक्कत नहीं हुयी क्योंकि पुलिस ने ‘प्लीज डू नॉट क्रॉस’ का बैनर लग रखा था। मनोज और अविनाश ने दस्ताने पहन लिया।  रूम में घुसने से पहले अविनाश ने अचानक पीछे मुड़कर देखा तो पाया कि नयनतारा उन दोनों को लगातार घूरे जा रही थी। अचानक इस तरीके से अविनाश के देखने पर वह हड़बड़ा करके किचन में चली गयी। मनोज और अविनाश रूम में घुस गए। वो एक बहुत बड़ा रूम था। रूम में एक एक डबल बेड लगा हुआ था जो कि देखने से लग रहा था कि लाखों से ऊपर का होगा। बेड के दोनों तरफ़ साइड टेबल रखे थे जिन पर लैंप रखा था। रूम के दाहिने साइड में एक सोफा सेट रखा था और बीच में एक बहुत बड़ी सी टेबल रखी थी। सोफ़े के पीछे वाश रूम का दरवाज़ा था। दरवाजे के ठीक सामने वाली दीवार पर बीचोबीच एक बहुत बड़ी सी खिड़की थी जिसपर पर्दे लटक रहे थे। अविनाश ने धीरे से पर्दों को खींच दिया तो बाहर से रोशनी अंदर आने लगी। अविनाश ने खिड़की का कांच सरकाया। उसे वहां से साफ-साफ मिल का एंट्रेंस गेट दिखाई दे रहा था।  अविनाश ने अपनी जेब से मैग्नीफाइंग ग्लास निकाला और ध्यान से खिड़की के चारों तरफ देखा। उसे कोई निशान नहीं दिखाई दिया खासकर के जूतों के।  


मनोज बोला,-“अरे भाई अविनाश तुमने तो अभी से तफ्तीश शुरू कर दी है। हो सकता है ये वाकई आत्महत्या हो और तुमने तो हत्या मानकर तफ्तीश शुरू कर दी। ”


“नहीं यार मैं तो बस यूं ही देख रहा था। ” अविनाश और मनोज सोफे पर बैठ गए। सोफे के सामने जो टेबल रखी थी उस पर एक दारू की बोतल पड़ी थी। मेज़ पर दारू की बोतल के अलावा चार ग्लास रखे थे जिससे शिल्पी, शालू, डेनियल और घनश्याम ने दारू पी थी। इसके अलावा ऐश ट्रे,एक पानी से भरा जग और खाने की प्लेट रखी थी। अविनाश ने ध्यान से ग्लास और बोतल को देखा उस पर हाथ के निशान स्पष्ट दिखाई दे रहे थे। मेज़ पर ऐश ट्रे रखा था जिसमें मोर ब्रांड की सिगरेट थोड़ी सी जली हुयी रखी थी।


“मनोज सिगरेट देखकर ऐसा लग रहा है कि इसे मात्र एक चौथायी ही पिया गया है, इसके बाद बुझा दी गयी है। लेकिन क्यों? शिल्पी ने पूरी सिगरेट क्यों नहीं पी?”


“अरे यार तुम हर चीज़ को शक की निगाह से देख रहे हो। हो सकता है कि शिल्पी का पूरी सिगरेट पीने का मन ना होगा। ” 


“हाँ ऐसा हो सकता है। पर खाना भी उसने ना के बराबर के बराबर खाया है। ”


अविनाश ने मेज़ पर पड़ा लाइटर उठाया, उसे उलट पलट कर देखा और उसे वापस मेज़ पर रखा दिया। अविनाश ने फाइल खोल करके देखा। फाइल में पूरे रूम की फ़ोटो लगी थी। अविनाश ने फ़ोटो से उस ग्लास को पहचान लिया जिससे शिल्पी ने दारू पी थी।


अविनाश में ध्यान से ग्लास को उठा करके देखा और बोला,-“मनोज इसमें अभी भी नींद की गोलियों के अंश पड़े हुए हैं। ” इतना कहकर अविनाश सोफे से उठ गया और बेड के पास चला गया। बेड के दोनों साइड साइड टेबल पर लैंप रखा हुआ था। एक साइड टेबल पर पानी से भरा हुआ जग रखा हुआ था। अविनाश ने पानी ने भरा जग उठाया उसपर कई हाथ के निशान थे।


“अविनाश मेरे मन में कुछ संदेह उत्पन्न हो रहा है। ”


“वो क्या?”


“पानी से भरे दो दो जग। जो जग मेज़ पर है उसपर निशान नहीं है पर जो जग साइड टेबल पर है उस पर चारो के निशान है। और सबसे ख़ास बात केयर टेकर नयनतारा के कहीं भी निशान नहीं हैं। ”


“अब ये बात तो नयनतारा ही बता सकती है। ” अविनाश रूम में रखी बुक शेल्फ की तरफ़ बढ़ गया। बुक शीशे की आलमारी में रखी हुयी थी। अविनाश ने आलमारी खोली, किताबों पर एक नज़र डाली और बुक शेल्फ बंद कर दिया। बुक शेल्फ के बग़ल में कपड़ों की आलमारी थी। अविनाश ने वो आलमारी भी खोली। पूरी आलमारी कीमती कपड़ों से भरी पड़ी थी। आलमारी में एक साइड पे कुछ दवाई रखी हुयी थी और कुछ ‘मोर ब्रांड’ सिगरेट के डब्बे। अविनाश ने उसे ध्यान से देखा और मोबाइल में उन दवाई की फ़ोटो खींच ली। और वापस आकर सोफ़े पर बैठ गया और सर खुजलाने लगा।


“अविनाश, शिल्पी की यूज़ की हुयी ग्लास के अलावा नींद की गोली के अंश किसी में भी नहीं है इसीलिए तो सब लोग सुसाइड की तरफ इशारा कर रहे हैं। शिल्पी ने बोतल से दारू गिलास में उड़ेली होगी। उसमें नींद की गोली डाली होगी और खाकर सो गई होगी। धीरे धीरे रात ३ से ४ के बीच वो मर गई होगी। हां अब यह है कि दवा खाने और मरने के बीच में यदि कोई उसके बेडरूम में आया होता और किसी को पता लग गया होता और समय पर डॉक्टर आ गया होता तो हो सकता है की वह बचाई जा सकती थी। अब तुम खुद अंदाजा लगाओ कि करीब करीब ७घंटे बाद मतलब दिन में ११ बजे रूम में घुसा गया तब पता चला कि वह मर गई है। ऐसे में तो कोई भी आदमी या औरत मर ही जाता। अविनाश ने बेड के नीचे झांका क्योंकि अभी बारिश हो करके हटी थी और बादल थे इसलिए रूम में थोड़ा अंधेरा था।


“यार मनोज टॉर्च लाना तो हम भूल गए।  ऐसा करो जरा मोबाइल का टॉर्च जलाओ। ” मनोज ने अपने जेब से मोबाइल निकाला और उसका टॉर्च जलाकर बेड के नीचे दिखाने लगा। अविनाश बेड के नीचे देखने लगा।


“अविनाश क्या कुछ मिला ?”


"मनोज बेड के नीचे एक गोल्डन कलर की बटन है। ” अविनाश ने बटन उठा लिया और वह बटन मनोज को थमा दी। मनोज ने उसे अपने रूमाल में रखकर अपने पैंट की जेब में रख लिया। अविनाश ने काफ़ी देरी तक रूम के फ़र्श का मुयायना किया पर उसे और कुछ नहीं मिला। अविनाश फिर से बेड पर बैठ गया और शिल्पी की फाइल को उठा लिया। वो फ़ाइल में लगी शिल्पी की फोटो को ध्यान से देखने लगा।


“यार मनोज एक बात तुम ध्यान से देखो। ये लाश की फोटो काफी क्लोज से ली गई है। जो ड्रेस शिल्पी ने पहनी है उस ड्रेस पर 7 गोल्डन बटन लगी हुई है। ध्यान दो की चौथी बटन टूटी हुई है। ये वही बटन है जो अभी हमें बेड के नीचे से मिली है। ”


“इससे क्या साबित होता है?कपड़े पहनते समय टूट गयी होगी। ” 


“मनोज, शिल्पी करोड़पति थी। ऐसा ड्रेस पहनना उसे शोभा देता। और प्रायः लोग रात में सोते समय नाइट ड्रेस पहनकर सोते है। पर शिल्पी ने ऐसा क्यों नहीं किया?”


“अविनाश तुम ये भी ना भूलो कि उसी रात उसने आत्महत्या की। आत्महत्या करने वाले की मानसिक अवस्था का अंदाज़ा लगाना मुश्किल होता है। हो सकता हो ऐसे में कपड़े बदलने का ध्यान ना आया हो। ”


“हाँ हो सकता है। चलो इस बारे में बाद में विचार करेंगे। हो सकता हो कपड़ा पहनते समय टूट गया हूं और साफ सफाई करते समय बेड के अंदर चला गया हो। अविनाश ने विंडो का कांच लगाया और पर्दा खींच दिया।


“चलो मेरे हिसाब से जितना मुझे देखना था मैंने देख लिया है। अब अगर जरूरत होगी तो दोबारा तलाशी ले लेंगे। ”


“अविनाश अब क्या करना है, घर वालों से भी मिलना है?” 


“मेरे हिसाब से तो आज मिलना सही नहीं है। सभी लोग मानसिक तौर पे परेशान होगे। और हम लोग काफी थक भी गए हैं कल मुलाकात करेंगे। ” इसके बाद उन्होंने दरवाजा बंद किया और रूम से नीचे आए। सीढ़ी के पास डेनियल खड़ा था।


“आप लोगों ने मैडम का रूम देख लिया। ”


अविनाश बोला,-“हां हमने मैडम का रूम देख लिया। वैसे तो हमें उनके रिलेटिव से पूछताछ करनी थी पर आज सब लोग काफी उदास होंगे तो हम उनसे कल बात करेंगे। ”


“हां यह सही रहेगा। ”


“लेकिन आप से तो कुछ बात कर सकते है अगर आप परेशान ना हो तो। ”


“नहीं मैं ठीक हूँ। आप मुझसे पूछ सकते हैं। ”


“वैसे शिल्पी मैडम के नहीं रहने के बाद अब इस फैक्ट्री की देखभाल कौन करेगा?” 


“शायद मैडम की भतीजी रोजी मेहता। मैडम उनको काफ़ी पसंद करती थी। ”


“आपको कब पता चला की मैडम मर गयी हैं?”

 

“बात दरअसल यह है कि जब मैडम १८ जनवरी को ११ बजे तक नहीं आई तो मैंने उनकी केयर टेकर नयनतारा को लिया और उनके रूम के सामने जा करके खड़ा हो गया। हमने रूम का दरवाज़ धीरे से धक्का दिया तो वह खुल गया। मैंने तो उनके बेडरूम में घुसने की कोशिश नहीं की पर नयनतारा अंदर गयी। थोड़ी ही देर में वो वापस आ गइ और बोली की मैडम की साँस नहीं चल रही है और मैडम बेसुध हो करके बेड पर पड़ी हुयी है। फिर मैं नयन तारा के साथ अंदर गया तो मैंने भी महसूस किया कि उनकी सांस नहीं चल रही थी। फिर मैंने नयनतारा से कहा कि जा करके उनकी बहन और उनकी भतीजी को बुला लाए। थोड़ी देर बाद उनकी भतीजी और अब बहन भी आ गए। फिर डॉ सेन गुप्ता को फोन किया गया। जिन्होंने आकर डिक्लेअर किया कि उनकी मृत्यु हो गई है। इसके बाद पुलिस को फ़ोन कर दिया गया। ”


अविनाश फाइल खोली और शिल्पी की फोटो डेनियल को दिखाई और पूछा,-“डेनियल, क्या आपकी शिल्पी मैडम ने १७ जनवरी के दिन में यही पोशाक पहनी थी जो इस फ़ोटो में है?”


“हां सर मैडम ने दिन में यही पोशाक पहने थी। ” 


“ठीक है चलो मनोज। ”

 

“सर एक रिक्वेस्ट करनी थी। ” 


“वो क्या?”


“बात दरअसल यह है कि एक फ़ाइल नहीं मिल रही है। अगर आप इजाज़त दे तो मैं वो फ़ाइल एक बार मैडम के रूम में भी देखना चाहता हूँ। शायद बुक शेल्फ वैगरह में पड़ी हो। ”


अविनाश ने कुछ सोचा और बोला,-“हां मैंने बुक सेल्फ तो देखी थी। मनोज रूम की तलाशी तो हमने ले ही ली है। पुलिस ने भी ले ली है।  एक काम करो की इन्स्पेक्टर पवन से कह दो कि रूम में जो सारे जो संदिग्ध सामान है उसको अपने कब्जे में ले ले और रूम की चाबी घर वालों को हैंड ओवर कर दे। अब मुझे नहीं लगता कि रूम से हमें कुछ खास से मिलने वाला है। ”


मनोज बोला,-“ठीक है मिस्टर डेनियल रूम की चाबी आप लोगों को सौंप दी जाएगी। ”


“बहुत बहुत धन्यवाद सर। ” इसके वे दोनो गेस्ट हाउस पहुंचे, उन्होंने लंच किया और लंच करने के बाद में सो गए। हल्की हल्की बारिश अब भी हो रही थी। वातावरण में नमी और ठंड दोनो थी। शाम को उनकी नींद करीब ६ बजे के आसपास खुली। हालाँकि अब बारिश नहीं हो रही थी पर हवाएँ काफी जोर की चल रही थी और जरूरत से ज्यादा ठंड थी। उठने के बाद उन दोनो चाय पी।


              ३


चाय पीते हुए अविनाश बोला,-“मनोज क्यों ना डॉक्टर सेनगुप्ता से आज बात कर ही ली जाय। । जरा इंस्पेक्टर पवन से डॉक्टर सेनगुप्ता का पता पूछ लो और कह दो कि डॉ सेनगुप्ता पूछताछ में हमारी मदद करें। ” मनोज ने तुरंत ही इंस्पेक्टर पवन को फोन लगा दिया।


पवन बोला,-“हेलो मनोज साहब कैसे हैं?” 


“ठीक है। ” 


“किसी निर्णय पर अभी पहुँचे की नहीं। ”


“अभी नहीं पर तफ़तीश जारी है। अभी हम लोगों ने शिल्पी मेहता के रिलेटिव से बहुत बातचीत नहीं की है। हमारा प्लान उनसे कल बातचीत करने का है। सबसे पहले तो डॉ सेन गुप्ता का पता हमें दे दीजिए और उनको फोन कर दीजिए कि हम अभी उनसे इस केस के सिलसिले में मिलना चाहते हैं। ”


“ठीक है मैं फ़ोन कर दे रहा हूँ और उनसे कह दे रहा हूँ की वो आपकी पूछताछ में मदद करें। डॉक्टर सेनगुप्ता शाम को अपने क्लीनिक में ही रहते हैं। ”


“ये तो और भी अच्छा है। दूसरा ये है कि शिल्पी का मैनेजर डेनियल कह रहा था कि शिल्पी ने ऑफिस की कुछ फाइलें अपने बेडरूम में रख रखी है। तो एक काम कीजिएगा कि जितनी भी संदिग्ध चीजें हैं उन सब को आप अपने कब्जे में ले करके उनके बेडरूम की चाबी डेनियल को हैंड ओवर कर दीजिए। ”


“मैं पहले ही कर देता लेकिन बस आप लोगों की वजह से ही रुका हुआ था। कल मैं अपनी एक टीम को भेज करके समान को अपने कब्जे में ले लेता हूं और बेडरूम की चाबी उनके मैनेजर को हैंड ओवर कर देता हूँ। ”


फ़ोन रखने के बाद मनोज बोला,-“अविनाश, पैदल ही चलेंगे। डॉ सेन का क्लिनिक यहां से बहुत दूर नहीं है। ” थोड़ी देर में इंस्पेक्टर मनोज और अविनाश डॉ सेन गुप्ता के क्लीनिक में पहुंच गए। इंस्पेक्टर मनोज ने अपना और अविनाश का परिचय डॉक्टर सेनगुप्ता को दिया।


वे बड़े अदब से बोले,-“हां आइए आइए,इन्स्पेक्टर पवन का फोन आया था। आप लोग शिल्पी के बारे में मुझसे कुछ बात करना चाहते हैं। ”


अविनाश ने कहा,-“क्या शिल्पी आपकी रेगुलर पेशेंट थी। ”


“हाँ। मैं उनका फ़ैमिली डॉक्टर हूँ। ”


“क्या शिल्पी मेहता डिप्रेशन का शिकार थी?”


“हां शिल्पी डिप्रेशन का शिकार थी। ”


“डिप्रेशन की कोई खास वजह?”


“कोई भी बीमारी बिना किसी वजह के तो होती नहीं। हालांकि पेशेंट की जानकारी को किसी से साझा तो नहीं किया जाना चाहिए लेकिन अब चूँकि वो इस दुनिया में नहीं है इसलिए मुझे कोई एतराज नहीं है। शिल्पी की उम्र करीब 50 के आसपास थी। उनकी उनके हस्बैंड घनश्याम से बिल्कुल ही नहीं पटती थी। उनके हस्बैंड एक दूसरे दुनिया में जी रहे हैं। वो बार बार उन पर तलाक़ के लिए दबाव डाल रहे थे। हालाँकि शिल्पी एक बहुत ही कड़क महिला थी। बहुत ही सफल बिजनेसमैन थी। इस एरिया के करोड़पति में उनकी गिनती होती थी। उनके हस्बैंड को इन सबसे से कोई मतलब नहीं था। वो एक पेंटर है। बहुत बढ़िया चित्रकारी करते हैं। मैं उनको भी अच्छी तरह से जानता हूँ। मेरा मतलब है दोनों के विचारों में कोई मेल ही नहीं था। एक को पावर और पैसा चाहिए था और दूसरे को आत्मसंतुष्टि। ”


“आपके निगाह में कौन सही था?” डॉक्टर ने एक गहरी साँस ली।


“पता नहीं। अब मैं मुद्दे पर आता हूं। उन दोनों के बीच कोई फिजिकल रिलेशन नहीं था। कोई इमोशनल रिलेशन नहीं था। दुनिया में हर इंसान की अपनी एक जरूरत है। शिल्पी की भी थी। सारी जरूरत पैसे से तो नहीं पूरी हो सकती है। जब आदमी बहुत ऊपर पहुँच जाता है तो उतना ही अकेला भी हो जाता है। इसी अकेलेपन को दूर करने के लिए शिल्पी शराब,सिगरेट,नींद की गोली का सहारा लेती थी। धीरे-धीरे वो डिप्रेशन का भी शिकार हो गयी। जो लोग उनके आसपास हैं जैसे उनकी बड़ी बहन है या उनकी भतीजी या और भी लोग है वो सिर्फ पैसे के लिए सटे हुए हैं। शिल्पी  का कोई अपना बच्चा तो है नहीं। यही सब वजह थी शिल्पी के परेशान होने की। ”


अविनाश ने अपने मोबाइल में पड़ी हुयी दवा की फ़ोटो दिखायी और पूछा,-“यहीं दोनो दवा आपने शिल्पी को लिखी थी। ”


“हाँ। एक नींद की है और दूसरी डिप्रेशन की है। मेरा ख़याल है की शिल्पी ने ढेर सारी नींद की गोली खाकर आत्महत्या की। ” 


“हाँ पोस्ट मोर्टम रिपोर्ट भी यही कहती है। तो क्या शिल्पी इतनी परेशान थी कि वह सुसाइड तक पहुंच सके। ”


“देखिए जब आदमी डिप्रेशन में होता है, अकेले होता है तो कुछ भी कर सकता है। शिल्पी अपनी फैमिली लाइफ को ले करके परेशान थी। हो सकता है कि बहुत सी बातें मुझसे भी शेयर ना की हो। मैं तो सिर्फ वो बता रहा हूं जो मुझे पता है।  आत्महत्या तो एक स्टेट ऑफ माइंड है। कभी कभी लोग बिना किसी ठोस वजह के भी आत्महत्या कर लेते है। इस बारे में मैं कह नहीं सकता।  हां अगर उन्होंने सुसाइड किया तो मुझे कोई बहुत आश्चर्य नहीं हुआ। ”


“और कोई खास बात जो आप हमें बताना चाहें। ” 


“नहीं मेरे हिसाब से मैंने आपको सब बता दिया है। ”

 

“ओके डॉक्टर सेनगुप्ता जानकारी और समय देने के लिए बहुत-बहुत धन्यवाद। अब हम चलते हैं। ”जब वो दोनो क्लिनिक से निकले तो काफ़ी अंधेरा हो चुका था। मौसम ख़राब होने की वजह से बाज़ार में भीड़ भाड़ भी कम थी।  


“कुछ भी कहो मनोज,मौसम का बड़ा आनंद आ रहा है। तुम्हारी वजह से इतनी खूबसूरत जगह देखने को मिली। ” थोड़ी देर में वे गेस्ट हाउस वापस आ गए।


“आओ मनोज दो पैग रम के लगाते हैं फिर खाना खाते हैं। ”


“क्या बात है मन तो मेरा भी यही कर रहा था। ” ड्रिंक करने के बाद दोनों ने खाना खाया।


“अविनाश, अब मैं तो बिस्तर में जा रहा हूं। ”


“ठीक है पर मैं अभी फायर प्लेस के पास बैठता हूं। मैं शिल्पी की पोस्ट मोर्टम फाइल को एक बार ध्यान से पढ़ना चाहता हूँ। ” अविनाश इन्स्पेक्टर पवन द्वारा दी फाइल को ध्यान से पढ़ने लगा।


जब मनोज से नहीं रहा गया तो उसने रज़ाई मे से बैठे बैठे बोला,-“ बार-बार फ़ाइल को पढ़ने से कुछ बदल तो नहीं जाएगा। ”


“नहीं मनोज एक बात मुझको बार बार खटक रही है। यदि शिल्पी ने ढेर सारी नींद की गोली खायी थी तो दवा का रैपर तो कहीं मिलना चाहिए था। रूम की तलाशी के दौरान तो हमें कहीं मिला नहीं। ”


“हो सकता हो शिल्पी ने दवा खाने के बाद उसे रूम की खिड़की से बाहर फ़ेक दिया हो। अब यहाँ इतनी तेज हवा चलती है की वो कहीं उड़ गया हो। और अगर शिल्पी ने कहीं बाहर फ़ेका होगा तो उसके मिलने के चान्सेज़ कम हैं। और अगर मिल भी गया तो उससे क्या साबित करोगे?तुम जबरदस्ती बाल की खाल निकालने पर तुले हो। डॉक्टर सेनगुप्ता भी आत्महत्या को रूल आउट नहीं कर रहे है। अविनाश मुझे लग रहा है कि हमें भी इस केस को सुसाइड डिक्लेअर कर देना चाहिए और कल निकल लेना चाहिए। ”


“अब हम इतनी दूर आए हैं तो सबके बयान तो एक बार लूंगा ही फिर मैं किसी नतीजे पर पहुचूँगा। कल २० जनवरी सुबह १० बजे के आसपास टेक्सटाइल मिल चलते हैं। सब के बयान भी ले लेंगे। ” 


“ठीक है भाई जैसी तुम्हारी मर्ज़ी। ” इसके बाद अविनाश ने फाइल मेज पर रखी और अपने बेड पे आकर सो गया।  दूसरे दिन मौसम कुछ हद तक साफ था पर ठंड काफी थी। अविनाश और इंस्पेक्टर मनोज तैयार हो करके सीधे मेहता टैक्सटाइल मिल चल दिए। वे सीधे शिल्पी के बंगले के अंदर प्रवेश कर गए। शिल्पी का मैनेजर डेनियल ऑफिस में आ चुका था। वे ऑफ़िस में चले गए।


मनोज ने कहा,-“डेनियल हमें केयर टेकर नयनतारा से मिलना है और अकेले में मिलना है। ”


“ठीक है सर मैं नयनतारा को ऑफ़िस में भेज दे रहा हूं। ” 


मनोज ने कहा,-“जब तक हम ना बुलाएँ आप यहाँ मत आइएगा। ”


“ठीक है सर। ” थोड़ी देर में नयनतारा आ गयी और उन दोनो के सामने खड़ी हो गयी।


अविनाश ने पूछा,-“नयनतारा तुम शिल्पी की मेड हो। ”


“हां सर। ” 


“इस पूरे घर की देखभाल तुम करती हो। ” 


“हां सर। मैं यहाँ रहती भी हूं।  मेरा गांव यहां से २० किलोमीटर दूर है।


“तुम यहाँ कब से काम कर रही हो?” 


“मुझे तो यहां रहते हुए मात्र अभी १५दिन ही हुए हैं। ” 


“तो तुमसे पहले कौन काम करता था ?”


“सर मुझसे पहले कमला नाम की एक औरत काम करती थी। ”


“अच्छा तो तुम मात्र १५दिन से ही काम कर रही हो। अच्छा एक बात बताओ की तुम्हारे शिल्प की मैडम की मृत्यु १८ तारीख की सुबह या मेरा मतलब है १७ नजनवरी की रात में ३ से ४ के बीच हुई थी। तुमने पिछले १५ दिनों में कोई ऐसी खास बात नोटिस की हो जिसकी वजह से हमें यह पता लग सके कि उन्होंने आत्महत्या क्यों की है? तुम मुझे १७ तारीख़ के शाम के बारें में विस्तार से बताओ। ”


“शाम ७ बजे मैंने उनके रूम में एक दारू की बोतल, एक जग पानी और चार ग्लास रखी थी। ”


“वो रोज़ लगभग ऐसा ही करती थी। ”


“हाँ। ये उनका डेली का रूटीन था। ऑफ़िस से आने के बाद वो दारू पीती थी। ”


“लेकिन किसी पर भी तुम्हारे हाथ के निशान नहीं पाए गए। ऐसा क्यों ”


“मैं हमेशा दस्ताने पहनकर सर्व करती हूँ। ”


“ठीक है जारी रखो। ”


“जिस समय तुमने दारू सर्व की उस समय वहाँ पे कौन था?”


“डेनियल सर थे। फिर मैं वहाँ से चली गयी। रात ९ बजे के आसपास मैंने उनके रूम में उनका खाना रख दिया था और जग में पानी भर दिया था। ”


“उस समय वहाँ पे कौन था?”


“डेनियल सर जा चुके थे। उस समय वहाँ पे शालू मैडम थी। ”


“उसके बाद। ”


“थोड़ी देर बाद शालू मैडम अपने कमरे में आ गयी मैंने शालू मैडम को उनके रूम में खाना दिया। उसके बाद घनश्याम सर के रूम में भी खाना रखा। उसके बाद मैं नीचे अपने किचन में आकर आराम करने लगी। किचन में मैडम के ऑफ़िस और रूम से इंटर्काम लगा है जिससे के ज़रिए वो मुझे किसी भी काम के लिए किसी भी वक्त बुला सकती हैं। हालाँकि मेरे पास मोबाइल भी है। ”


“उसके बाद। ”


“फिर करीब १०:४५ बजे के आसपास शिल्पी मैडम ने मुझे इंटरकॉम से फोन किया था कि मैं एक जग पानी ले करके आऊँ। मैंने एक जग पानी उनके रूम में और रख दिया था। ” 


“अच्छा जब आपने रूम में प्रवेश किया दोबारा जग का पानी लेकर के तो शिल्पी क्या कर रही थी?”


“वो खिड़की से बाहर की तरफ देख रही थी और सिगरेट पी रही थी। ” अविनाश नयनतारा को भी फ़ाइल में लगी फ़ोटो दिखायी।


“नयनतारा इस फ़ोटो को ध्यान से देखो। ये ड्रेस शिल्पी ने दिन में ऑफ़िस में पहनी थी। क्या यही ड्रेस पहनकर शिल्पी सिगरेट पी रही थी। ”नयनतारा ने ध्यान से फ़ोटो को देखा।


“जब मैं खाना देने आयी तब तक तो शिल्पी ने यही ड्रेस पहना था। पर मैं जब दोबारा पानी का जग रखने आयी तब मैं नहीं बता सकती क्योंकि मैडम ने रूम में अंधेरा कर रखा था शायद वो सोने की तैयारी में थी। मैंने पानी का जग रख दिया। उन्होंने कोई जवाब नहीं दिया। मैंने दरवाजा बंद किया और चली गई। ”


“तुमने रोज़ी और रॉकी को खाना नहीं दिया?”


“रॉकी तो जेल में बंद हैं। रोज़ी कहीं बाहर घूमने गयी थी तो उन्होंने मना किया था। ”


“तुमको यहाँ किसने जॉब पे लगाया?”


“कमला जब यहां से जाने लगी तो उसी ने मुझे यहां लगाया था उसी समय मैडम ने मुझसे मुश्किल से ५ मिनट बात की थी। उसके बाद कमला मुझे यहां का सारा काम समझा कर चली गई थी। ” 


"कमला ने क्यों छोड़ी?”


“कमला की शादी हो गई है। शादी यही हुई है। उसके हस्बैंड की किशनगढ़ मार्केट में दुकान है। ” 


“तुमको क्या लगता है तुम्हारी मैडम ने क्यों आत्महत्या की होगी?”


“सर मैं इस बारे में कुछ भी नहीं बता सकती। मैं आपको इतना बता सकती हूं कि उस रात बहुत जोर से हवाएं चल रही थी और रह रह करके बारिश हो रही थी जिसकी वजह से मौसम में काफी ठंडक थी। ” 


“अगर कोई घूम के रात में आता है तो दरवाज़ा तुम खोलती हो। ”


“सभी घर के लोगों के पास तो इस घर की चाबी है। ”


“ सीसीटीवी कहाँ कहाँ लगा है?”


“सर जितना मुझे पता है सीसीटीवी सिर्फ बंगले के बाहर लगा हुआ है। बंगले के अंदर कहीं नहीं लगा हुआ है। फ़ैक्टरी का मैं नहीं बता सकती। ” 


“ठीक है तुम जा सकती हो। डेनियल को अंदर भेज देना। ” नयनतारा चली गयी पर दरवाज़े से वापस आ गयी।


“सर एक बात याद आ गयी सोचा वो भी बता दूँ। ”


“जब मैडम ने दोबारा जग का पानी मंगाया था वो इंटर्काम पे खाँस रही थी। ” ये सुनकर मनोज और अविनाश हँसने लगे। नयनतारा झेंप गयी।


मनोज ने कहा,-“माफ़ करना नयनतारा। तुम इतनी छोटी सी बात बताने के लिए लौटी तो हम लोगों को हंसी आ गयी। अब तुम जा सकती हो। ” नयनतारा के जाते ही डेनियल आ गया।


अविनाश ने कहा,-“हम शिल्पी की बड़ी बहन शालू से मिलना चाहते हैं। ”


“शालू मैडम नहीं होंगी क्योंकि वह अपने लड़के की जमानत कराने के लिए कोर्ट गई हैं। ”


“उनकी भतीजी रोजी से मुलाकात करा सकते हो। ” 


“हां रोज़ी अपने रूम में होंगी लेकिन वह सो रही होंगी। ” 


मनोज ने कहा,-“उनको जगा दो और उनसे कहो कि हम उनसे ऑफिस में तुरंत मिलना चाहता हैं। ” डेनियल वहाँ से चला गया। करीब २० मिनट बाद रोज़ी ऑफ़िस में आयी। रोजी एक निहायत ही खूबसूरत लड़की थी। उम्र करीब २५ से ३० साल के बीच लग रही थी। उस समय उसने नाइट ड्रेस पहना हुआ था और आँखें नशे में लाल थी।  


आते ही उसने गुस्से में पूछा,-“बताइए आप लोग कौन हैं और मुझसे क्या पूछना चाहते हैं?”


“मैडम मुझे इंस्पेक्टर मनोज कहते हैं। मैं क्राइम ब्रांच में काम करता हूँ। हम मैडम शिल्पी मेहता की मौत की जांच कर रहे हैं और उसी के बारें में आपसे कुछ सवाल पूछना चाहते हैं। इसलिए नींद के आग़ोश से बाहर आइए और हमारी सारी बातों का सही सही जवाब दीजिए। ” शिल्पी चुपचाप कुर्सी पर बैठ गयी।


अविनाश ने पूछा,-“शिल्पी मेहता ने आत्महत्या कर ली इस बारे में आप क्या कहेंगी?क्योंकि कहीं कोई सुसाइड नोट बरामद नहीं हुआ इसलिए शायद घर वाले ही इस पर कुछ प्रकाश डाल सके। ”


“कोई इंसान आत्महत्या करता है तो इसके बारे में वही जानता होगा। दूसरा कोई कैसे बता सकता है ? मुझे पता होता कि शिल्पी उस रात आत्महत्या करने वाली है तो मैं उनको आत्महत्या करने देती क्या?”


“फिर भी कोई ऐसी वजह होगी जिसकी वजह से वो परेशान होती होंगी। ”


“मेरे हिसाब से तो उनके जीवन में सब कुछ था। हाँ शिल्पी बुआ की उनके पति से नहीं पटती थी पर ये तो शुरू से ही था। ”


“ना पटने की कोई खास वजह?”

 

“शिल्पी शुरू से ही बहुत कड़क मिजाज की महिला थी। वो किसी से कभी सीधे मुँह बात ही नहीं करती थी वो चाहे उनके पति ही क्यों ना हो। यह बात सही थी कि यह सारा कारोबार उन्होंने अकेले बल पर खड़ा किया था। इसका मतलब यह थोड़ी है कि आप आदमी को आदमी ही न समझो। हम तो छोटे से ही उनके पास जाने से भी डरते थे। शालू बुआ ने ही हमें और रॉकी को बड़ा किया है। घनश्याम सीधे-साधे चित्रकार हैं। छोटी सी नौकरी करते हैं। सारा समय अपनी चित्रकारी में और अपने दोस्त सोफिया में मगन रहते हैं। ”


“घनश्याम का सोफिया के साथ चक्कर है यह बात आप इतने दावे से कैसे कह सकती हैं?”


“यह बात तो सभी को पता है। वो मैडम पर कई बार तलाक के लिए दबाव भी डाल रहे थे लेकिन मैडम उनको तलाक देने के लिए तैयार नहीं थी। आपको विश्वास नहीं होगा १८ तारीख को शिल्पी बुआ की मौत हुई है और परसों उन्होंने सोफिया के साथ इंगेजमेंट घोषित कर रखी है। ”


“आप १७ की रात का आप अपना रूटीन हमें बताएँगी। ” 


“मैं रात में करीब १:०० नाइटक्लब से वापस आई थी और अपने रूम में जा करके सो गयी। मैं रात ९:०० बजे अपनी कार से निकली थी। मैंने ८:०० बजे ही शिल्पी बुआ से इजाज़त ले ली थी। ”


“जिस समय आप शिल्पी के रूम में गयी उस समय रूम में कोई था?”


“उनके पति घनश्याम थे। उनके और शिल्पी के बीच बहस भी हो रही थी। क्या हो रही थी ये मुझे नहीं पता। ” 


“आप उस नाइट क्लब में अकेले थी या किसी के साथ ?”


“यह मेरा प्राइवेट मसला है। ” 


“जी मैडम प्राइवेट को पब्लिक करना पड़ेगा आपके लिए यही सही रहेगा। ”


“मैं डेनियल के साथ थी। मैं डेनियल से प्यार करती हूँ और उससे शादी करना चाहती हूँ। ”


“क्या शिल्पी मेहता इस शादी के खिलाफ नहीं थे?" 


“नहीं वह तो बार-बार मुझसे और डेनियल से शादी करने के लिए कहती थी। ”


“फिर आपने शादी क्यों नहीं की?" 


“डेनियल कुछ आनाकानी कर रहा है। डेनियल कह रहा है की अभी कुछ घर की ज़िम्मेदारी है जब वह पूरी हो जाएंगी  तब हम शादी करेंगे। ठीक है मुझे कोई एतराज नहीं है। ” 


“आप क्या काम करती हैं?" 


“मैं स्नातक हूँ। मेरी इच्छा फ़ैक्टरी के कामों में हाथ बटाने की है। ”


“चलिए अब आपकी ये इच्छा पूरी हो जाएगी। शिल्पी अब रही नहीं तो फ़ैक्टरी आपको ही देखनी पड़ेगी। डॉ सेन गुप्ता से हमारी बातचीत हुई। उन्होंने मुझे यही बताया कि वह डिप्रेशन की मेडिसिन खाती थी। जब कभी उनको नींद नहीं आती थी वह नींद की गोली भी लेती थी। ” 


“यह बातें सबको पता है। यह कोई बहुत नई बात नहीं है। लेकिन शिल्पी अपने काम को लेकर,अपने बिजनेस को लेकर बहुत ही एक्टिव महिला थी। इस एरिया में बहुत उनका नाम था। काफी सोशल वर्क वह किया करती थी खासकर के औरतों को लेकर के तो उन्होंने बहुत ही काम किया था। ” 


अविनाश ने एक नजर रोज़ी को देखा और बोला,-“ठीक है रोज़ी जी आप जा सकती हैं। ”


“मनोज, शालू और उसके हस्बैंड घनश्याम से मुलाकात तो रात में ही करेंगे। एक काम करते हैं कि मेरे ख्याल से हमें इन सबसे बात करने से पहले शिल्पी की पुरानी मेड कमला से बात करनी चाहिए। कमला काफी दिन से यहाँ पर थी। उसे काफी कुछ पता होगा।


“हां तुम सही कह रहे हो। किशनगढ़ बाजार में उसका घर है। चलो एक बार उससे भी मिल लेते है। ” वे दोनो वहाँ से निकलकर सीधे कमला के घर पहुंच गए।  कमला का घर एक बहुत ही छोटा सा घर था। ग्राउंड फ़्लोर पर जनरल स्टोर था जिसपर उसका हस्बैंड बैठा हुआ था। फ़र्स्ट फ़्लोर पे आवास था।


मनोज ने उसके हस्बैंड से कहा कि उसे आपकी पत्नी कमला से कुछ बातचीत करनी है। बात दरअसल यह है कि उनकी पुरानी मालकिन की मौत हो गई है। उसे सिर्फ कमल से दो-चार सवाल करना हैं लेकिन अकेले में।  इसके बाद उसके हस्बैंड ने कमला को बुला दिया। कमला उनको लेकर किसी एकांत जगह पर चली गयी।


“मुझे शिल्पी मैडम के बारे में जान कर बहुत ही दुख हुआ और उससे भी ज्यादा दुख तब हुआ जब मुझे पता चला की उन्होंने आत्महत्या कर ली। ” 


अविनाश ने कहा,-“हम तुम्हारी फ़ीलिंग की क़द्र करते हैं। हम शिल्पी के बारें में तुमसे कुछ पूछना चाहते हैं। इसलिए मैं जो कुछ पूछूं उसका बहुत ही इमानदारी से जवाब देना। और हां यह बात तुम बिल्कुल मन से निकाल दो कि इस पूरे केस में तुम कहीं भी फस रही हो। तुम तो पहले ही नौकरी छोड़ करके जा चुकी हो। ”


“सर सबसे पहले आप मेरे एक सवाल का जवाब दीजिए कि क्या आपको शक है कि शिल्पी मैडम ने आत्महत्या नहीं की है। ” 


“देखो अभी हमें कुछ शक है इसलिए तफ़तीश करना ज़रूरी है। जब तक सबके बयान सामने नहीं आ जाएंगे तब तक कुछ भी कह पाना बहुत मुश्किल होगा। ”


“ठीक है पूछिए क्या पूछना चाहते हैं?” 


“तुमने शिल्पी के यहाँ कितने दिन काम किया है?” 


"सर जब मैं करीब 1८ साल की थी तब से मैं उनके यहां काम कर रही हूँ। मैंने क़रीब ९ साल उनके यहाँ काम किया।  चलो अब घर के सभी मेंबर के बारे में सब कुछ बताओ।  क्योंकि तुम घर की केयरटेकर थी इसलिए तुमको सबके बारे सबसे अच्छा पता होगा। ”


“सर वैसे तो काफी कुछ आपको पता लग गया होगा। शुरू में टैक्सटाइल मिल इतनी बड़ी नहीं थी। मिल शिल्पी और शालू मैडम के पिताजी की थी। उनके पिताजी की अचानक मृत्यु के बाद शिल्पी और शालू के बड़े सबसे बड़े भाई ने फ़ैक्टरी सम्भाली। लेकिन १ साल के अंदर उनकी और उनकी पत्नी की मृत्यु एक ऐक्सिडेंट में हो गई। तब शिल्पी मैडम की नयी नयी शादी घनश्याम के साथ हुयी थी। शिल्पी मैडम अपना ससुराल छोड़कर अपने पति साथ यहीं चली आए और मैडम ने सारा मिल का कारोबार अपने ऊपर ले लिया। लेकिन जैसे ही शिल्पी मैडम ने मिल का काम अपने ऊपर लिया मिल को चार चांद लग गए। फ़ैक्टरी दिन दूनी रात चौगुनी तरक्की करने लगी। और धीरे धीरे मैडम करोड़ों में खेलने लगी। मुझे ऐसा लगता है मैडम फ़ैक्टरी से जितनी क़रीब होती गयी घनश्याम सर से उतनी ही दूर। ”


“तुम्हारी शालू मैडम कब रहने आई ?"


“भाई की मृत्यु के 1 साल बाद शालू मैडम के पति के भी मृत्यु हो गयी। फिर उसके बाद से वह अपने लड़के रॉकी के साथ यहीं चली आई। एक ही बिल्डिंग में सभी लोग रहते हैं। शिल्पी मैडम अपने फ़ैक्टरी के काम में व्यस्त रहती थी  और शालू मैडम रोज़ी और रॉकी का पालने में। मेरी शादी को 6 महीने हो गए हैं। मेरे हस्बैंड को बहुत प्रॉब्लम हो रही थी तो फिर मैंने नौकरी छोड़ दी। ”


“अच्छा एक बात बताओ शालू मैडम का बिहेवियर कैसा है?” 


“शालू मैडम शिल्पी मैडम से करीब ३ साल बड़ी है मेरा मतलब है क़रीब ५३ साल की हैं । शालू मैडम नेचर से बहुत ही अच्छी है। अब हम क्या बताएं सर, बनाने वाले ने शिल्पी और शालू मैडम की क़द काठी बिलकुल एक जैसा बनायी है लेकिन दोनो का दिल देखिए एक एक फूल की तरह मुलायम तो दूसरा पत्थर की तरह कठोर। शालू मैडम हमेशा मेरा ध्यान रखती थी और शायद यही एक वजह है कि शालू मैडम की वजह से मैं वहां पर काफी दिन तक टिक गई। शिल्पी मैडम किसी की भी तनिक भी इज्जत नहीं करती थी। ”


“शालू का लड़का रॉकी कैसा है?” 


“बहुत ही बिगड़ैल और घटिया लड़का है। अभी कुछ दिन पहले मैडम ने उसको अपनी फैक्ट्री में काम पर रखा हुआ था लेकिन वो वहां तो कुछ और करने लगा था। वहां काम करने वाली औरतों पर गलत निगाह डालने लगा था।  इसलिए मैडम ने एक दिन सारे स्टाफ़ के सामने उसको थप्पड़ मार करके नौकरी से निकाल दिया। अब दिन भर आवारागर्दी किया करता है। जब सब कुछ फ्री का मिल रहा हो तो काम करने की जरूरत ही क्या है। ”


“रोजी के बारें में कुछ बताओ। ”


“रोज़ी भी साहब ऐसी ही है। डेनियल के प्यार में पागल है। डेनियल के साथ देर रात तक नाइट क्लब में रहती है। मैंने तो उसे शराब और सिगरेट दोनों पीते हुए देखा है। ”


“शिल्पी मैडम इतनी कड़क है तो क्या वह रोज़ी को ये सब करने देती हैं। ”


“अब यही बात तो मुझे भी समझ में नहीं आती। पर यह बात निश्चित है कि वह कभी भी रोजी मैडम को कुछ बोलती नहीं है और इसके विपरीत रॉकी को तो बिल्कुल पसंद नहीं करती हैं। ” 


“उनके हस्बैंड घनश्याम के बारे में बताओ। ” 


“काफ़ी कुछ तो आप लोगों ने पता कर लिया होगा। सर कभी भी मैंने शिल्पी को उनके रूम में हस्बैंड के साथ सोते हुए नहीं देखा।  उनके हस्बैंड का अलग रूम था।  घनश्याम जी से उनकी बिल्कुल ही नहीं पटती थी। ” 


“ना पटने की कोई खास वजह ?”


“सर जब किसी को थोड़े समय में ही इतनी सफलता मिल जाती है तो वो आदमी को आदमी नहीं समझता है । घनश्याम यही पास के स्कूल में टीचर है। वह चाहती थी कि वह टीचर की नौकरी छोड़ करके उनके बिजनेस में उनका  हाथ बताएँ। वह इसके लिए कतई तैयार नहीं थे। बाकी अंदरूनी क्या बात है ये मुझे नहीं पता। मैं आपको सिर्फ वो बता रही हूं जो मुझे शालू मैडम से पता चला है। ”


“ मैंने सुना है घनश्याम ने तलाक के लिए अर्जी दे रखी है। ”


“उनको तलाक की अर्जी दिए करीब एक साल हो गए हैं। उनका अपने ही स्कूल में एक लड़की है सोफिया उससे चक्कर चल रहा है। वह उसी से शादी करना चाहते हैं। मैडम और मैडम के बिजनेस में उनका कोई भी इंटरेस्ट नहीं है। ”


“कमला तुम अपना मोबाइल नम्बर हमें दे दो और मैंने तुमसे जो कुछ पूछा है उसका जिक्र किसी से नहीं करना। अब हम चल रहे हैं। ” कमला अपने घर चली गई और मनोज और अविनाश वापस चला पुलिस गेस्ट हाउस आ गए। आने के बाद उन्होंने लंच किया।


“अब क्या प्रोग्राम है अविनाश?"


अभी हम लोग दो-तीन घंटे आराम कर लेते हैं। इसके बाद वापस मेहता टेक्सटाइल मिल एक बार चल चलेंगे। अभी मुझे घनश्याम और शालू इन दोनों के बयान लेने हैं। ”


“क्यों रॉकी के बयान की जरूरत नहीं है?


“मुझे नहीं लगता कि अभी रॉकी के बयान की जरूरत है। ” दोनों की नींद शाम को 5:00 बजे के आसपास खुली। चारों तरफ घनघोर अंधेरा हो रहा था और बारिश भी हो रही थी।  ठंड दिन की अपेक्षा काफी बढ़ गई थी।


“अविनाश तुम अपना काम जल्दी खत्म करो तो हम लोग यहाँ से निकल ले। यहां का मौसम बहुत खराब हो रहा है।  ठंड बहुत ज्यादा हो रही है और ऊपर से हमें कोई आउटपुट नजर आता दिखाई नहीं दे रहा है। मुझे तो यह अब भी क्लियर आत्महत्या का ही केस लग रहा है। ”


“ठीक है आज और सबके बयान ले लेते हैं।  इसके बाद देखेंगे की क्या किया जा सकता है क्या नहीं किया जा सकता है? अगर कुछ भी बयान से हासिल नहीं होता है तो कल तक हम लोग लौट जाएंगे। ” उन्होंने शाम की चाय और स्नेक्स लिया। अविनाश अपनी गाड़ी से धीरे-धीरे मेहता टेक्सटाइल की ओर चल पड़ा। अविनाश ने गाड़ी बंगले के पोर्च के नीचे खड़ी कर दी। वे सीधे बंगले के अंदर घुस गए और ऑफ़िस में चले गए। डेनियल अभी भी ऑफिस में बैठा हुआ था। उनको देखते ही डेनियल खड़ा हो गया।







            ४


“डेनियल एक काम करो की तुम शालू को ऑफ़िस में भेज दो। ”


“ठीक है सर। ” थोड़ी देर बाद शालू ने ऑफ़िस के अंदर प्रवेश किया। कमला सही बोल रही थी। शालू की क़द काठी बिल्कुल शिल्पी से मिलजुल रही थी। उसका चेहरा काफी उदास था। वह आकर अविनाश के सामने चेयर पर बैठ गई।  


“कल मैं दिन में थी नहीं इसलिए आपसे बात नहीं हो पाई थी। डेनियल ने मुझे कल बताया था कि आप लोग शिल्पी के मौत की तफ़तीश कर रहे हैं। ”


अविनाश बोला,-“शालू जी आपकी उम्र कितनी होगी?” 


"करीब ५३ साल। शिल्पी मुझसे करीब ३ साल छोटी थी। बड़े भाई की मौत के करीब 1 साल बाद ही हमारे हस्बैंड की मृत्यु हो गई। उसके बाद मैं यही चली आई। मैंने रोज़ी और रॉकी दोनों को ही पाला है। लेकिन इस समय तो दोनों हद से बाहर है। ”


“क्यों क्या हुआ?” 


“रॉकी तो कोई काम धाम करता नहीं है। शिल्पी रॉकी से काफी परेशान रहती थी। बीच में उसने कंपनी में भी लगाना चाहा तो उसने वहाँ औरतों को छेड़ दिया। जिसकी वजह से शिल्पी ने उसे थप्पड़ भी मार दिया था। दिनभर आवारागर्दी करता रहता है। दूसरा उसे पीने की भी लग लग गई है। उसका अब क्या किया जाए मेरी परवरिश में तो कमी नहीं थी। ”


“रोजी में क्या दिक्कत है?” 


“रोज़ी भी डेनियल से इश्क बाजी के चक्कर में फस गई है। उसके साथ देर रात नाइट क्लब में रहती है। उसने भी दारु सिगरेट पीना शुरू कर दिया है। मैंने उसको उसकी मां की तरह पाला है लेकिन अब हमारी तरफ नजर उठा करके देखती भी नहीं है। ” 


“बड़ी अजीब सी बात है की रॉकी और रोज़ी लगभग एक ही तरीक़े के हैं पर शिल्पी रॉकी को एकदम पसंद नहीं करती थी और रोज़ी को कुछ कहती नहीं थी। ”


“अब यह बात तो शिल्पी ही जाने कि वो रोज़ी को इतना पसंद क्यों करते थी?”


“एक बात बताइए की रोज़ी और डेनियल का अफ़ेयर चल रहा है। ये बात सभी को पता है पर क्या शिल्पी इस अफेयर के खिलाफ नहीं थी?” 


“मेरे हिसाब से तो खिलाफ नहीं थी। शिल्पी तो बार-बार यह भी कह रही थी कि डेनियल रोज़ी से शादी कर ले लेकिन डेनियल ही नहीं तैयार हो रहा था। ”


“बड़ी अजीब सी बात है की इतनी कड़क महिला अपने एक मुलाज़िम से रोज़ी की शादी के ख़िलाफ़ नहीं थी?आपके प्रति उसका व्यवहार कैसा था?”


“ठीक ही था। मेरा उससे कोई बहुत मतलब नहीं था। जब उसे जरूरत होती थी तो मुझे बुला लेती थी। कभी-कभी मैं भी उसके पास चली जाया करती थी। ” 


“जिस रात शिल्पी ने आत्महत्या की उस शाम आप उनके रूम में गई थी?”


“मैं नहीं गई थी शिल्पी ने मुझे खुद ही बुलाया था। ”


“शिल्पी ड्रिंक कर रही थी?”


“हाँ। मुझे भी अब ड्रिंक की आदत लग गई है तो मैंने उसके साथ एक पेग पिया था। ”


“वहाँ कोई और भी था?”


“नहीं। बात दरअसल यह थी कि शिल्पी की आत्महत्या से २ दिन पहले रॉकी ने बार में किसी से झगड़ा कर लिया था जिसकी वजह से रॉकी को जेल हो गई। शिल्पी ने मुझे इसलिए बुलाया था कि मैं रॉकी की जमानत करा दूं। मैंने शिल्पी से बहुत रिक्वेस्ट किया कि कुछ दिन रॉकी को जेल में पड़े रहने दो उसको सबक आ जाएगा। लेकिन उसने कहा कि इससे उसकी बदनामी हो रही है । ”


“आप शिल्पी के रूम में कितने बजे तक थी।


“शायद ९ बजे तक। जैसे ही नयनतारा ने खाना रखा मैं भी उठकर अपने कमरे में चली गयी,खाना खाया और सो गयी। ” 


“एक बात बताइए शालू जी कि शिल्पी की जो इतनी बड़ी प्रॉपर्टी है वह किसकी होगी?”


“मेरे हिसाब से पूरी प्रॉपर्टी ३ हिस्से में बटेगी। घनश्याम,मेरे और रोज़ी में। ”


“क्या शिल्पी ने कोई वसीयत बनाई थी?”


“शालू कुछ सोचने लगी। पता नहीं यह बात कितनी सही है पर वो एक ड्राफ्ट वसीयत की बात कर रही थी। ”


“आपको पता है वो वसीयत में क्या लिख रही थी?” 


“वसीयत के हिसाब से वह अपने हस्बैंड को पूरा बेदखल कर रही थी। क़रीब ७० फ़ीसदी रोज़ी को और ३० फ़ीसदी मुझे दे रही थी। ”


“आप तो काफी नाराज ही हुई होगी। आपका लड़का है तो उस हिसाब से आपको काफ़ी काम मिल रहा था। ”


“मैं तो बहुत खुश थी कि उसने मुझे अपनी पूरी प्रॉपर्टी का ३० परसेंट दिया है। ”


“लेकिन रोजी को ७० फ़ीसदी दे रही थी तो आपको गुस्सा तो आया ही होगा। ”


“मेरे लिए पूरी प्रॉपर्टी का ३० परसेंट भी बहुत है। और दूसरी सबसे बड़ी बात यह है कि शिल्पी कहां जाने वाली थी। ”


“इसका मतलब अगर वह वसीयत वाकई होगी तो रोज़ी को ज़्यादा फायदा हुआ है अन्यथा तीनो लोगों को बराबर मिलेगा। ”


“हां। पर मैंने वसीयत देखी नहीं है। ”


“कुछ घनश्याम के बारे में बताइए हालाँकि काफ़ी कुछ हमें पता है। इसलिए वो बात हमें बताइए जो किसी को न पता हो। ”


“घनश्याम अपने साथ काम करने वाली सोफिया से शादी करना चाहता है। इस बात को ले करके घनश्याम और शिल्पी में काफी झगड़ा भी होता था। आत्महत्या वाली शाम को मैंने घनश्याम को शिल्पी के रूम में देखा था। घनश्याम शिल्पी से रिक्वेस्ट करता था कि वह उसको तलाक़ दे दे। क्यों उसकी जिंदगी बेकार कर रही है पर शिल्पी नहीं मानती थी। मैं घनश्याम को ग़लत नहीं मानती। ” 


“अच्छा। एक बात बताइए कि आपको लगता है कि शिल्पी ने आत्महत्या की होगी। ”


“और मौत की क्या वजह हो सकती है? उसने ढेर सारी नींद की गोलियां खाई हुई थी।  देखिए अब उसके मन में क्या चल रहा था यह तो मुझे नहीं पता है पर गोलियाँ तो वो लेती थी। ”


“आपको वो उस शाम परेशान दिखी थी। ”


“शिल्पी परेशान होने वाली औरत नहीं परेशान करने वाली औरत थी। ”


“तो फिर आत्महत्या की क्या वजह?”


“शायद पति से दूर रहना, बच्चे नहीं होना, किसी से बहुत मेल जोल नहीं करना ये सब वजह हो सकती है। ”


“इतनी सफल औरत के लिए ये बातें कोई बहुत मायने नहीं रखती। ”


“आप ही दूसरी वजह बताइए आत्महत्या करने की। ” 


“मैं आत्महत्या करने की वजह नहीं मैं तो हत्या करने की वजह ढूंढ रहा हूं। ”


“अगर आपको वसीयत को लेकर संदेह है तो उसे आप ढूंढ सकते हैं। ”


“शिल्पी मेहता का लीगल एडवाइजर कोई था?”


“मिस्टर रवि चंदानी। वो ही कल रॉकी की जमानत करा रहें थे। ”


“क्या आप हमें रवि मनचंदानी का मोबाइल नंबर दे सकती हैं?"


“हाँ हाँ क्यों नहीं?” शालू ने रवि मनचंदानी का मोबाइल नंबर का दे दिया।


“ठीक है शालू आप जा सकती हैं। ” उसके जाने के बाद ऑफिस में बैठे बैठे अविनाश ने रवि मनचंदानी को फोन लगा दिया।


अविनाश ने कहा,-“मैं डिटेक्टिव अविनाश और इन्स्पेक्टर मनोज शिल्पी के ऑफ़िस में बैठे हैं। हम शिल्पी के मौत के केस पर काम कर रहे हैं। उसी सिलसिले आपसे कुछ जानकारी चाहते हैं। ”


“हुकुम करिए। ”


“जिस रात शिल्पी ने आत्महत्या की क्या उस पूरे दिन में आपकी मुलाकात शिल्पी से हुई थी या कोई फोन पर बात हुई थी?”


“शिल्पी मैडम से मेरी पिछले १० दिन से कोई बातचीत नहीं हुई है। ”


“उनकी बड़ी बहन शालू कह रही हैं कि उनके दिमाग में एक अपनी वसीयत बनाने का आईडिया था। ”


“शिल्पी ने किसी भी वसीयत के बारे में ना कोई डिस्कस किया है और नहीं मेरे नॉलेज में कोई वसीयत रजिस्टर्ड है। मैं शिल्पी मैडम का सारा लीगल काम देखता हूं। अब उनके मन में कुछ रहा हो और उन्होंने शालू से डिस्कस किया हो तो मैं नहीं बता सकता। पर मुझे किसी वसीयत के बारें में कुछ पता नहीं है। ”


“ठीक है रवि जी जानकारी देने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद। ”


“हां मनोज अब क्या किया जाए?”


“घनश्याम से भी मिल लेते हैं। ताकि पूरा प्रकरण खतम हो जाए। ” शालू के जाने के बाद डेनियल वापस कमरे में आ गया।


“डेनियल जी हम लोगों को घनश्याम से भी मुलाकात करनी है। ” 


“घनश्याम साहब अपने रूम में हैं। आप लोग मिल सकतें हैं। ” अविनाश और मनोज उठे और सीधे घनश्याम के रूम के सामने पहुंच गए। अविनाश ने धीरे से दरवाज़े पर दस्तक दी।


“घनश्याम उठा,उसने दरवाजा खोला और बोला,-“कहिए आपको क्या काम हैं?” घनश्याम एक क़रीब ५० साल का साधारण सा दिखने वाला आदमी था।


“मैं इन्स्पेक्टर मनोज और ये मेरे साथी प्राइवेट डिटेक्टिव कैप्टन अविनाश। हम लोग काफी दूर से आए हैं। आपकी पत्नी की मौत के सिलसिले में दो चार सवालात करना चाहते हैं। ”


“ठीक है आप अंदर आ जाइए। ” वे दोनो अंदर चले गए। घनश्याम का रूम में काफी सुसज्जित था। पूरा रूम घनश्याम द्वारा बनायी गयी पेंटिंग से भरा था। अविनाश और मनोज जाकर सोफा पर बैठ गए।


“आप लोग कुछ लेना पसंद करेंगे। ”


“नहीं शुक्रिया। ”


“अगर आपको ऐतराज ना हो तो क्या मैं ड्रिंक कर सकता हूं। ”


“एतराज की कोई बात नहीं है। घनश्याम ने अपने लिए ड्रिंक बनाया और सोफा सेट पर आ करके बैठ गया। अविनाश ने अपना सिगार जला लिया।


“हां बताइए आप क्या पूछना चाहते हैं?”


“मुझे आपकी पत्नी के चले जाने का बहुत अफसोस है। ” 


“लेकिन मुझे तो कोई अफसोस नहीं है। इन फैक्ट मेज़ पे पड़े हुए कार्ड को आप देखिए। अगले हफ्ते मैं जिस स्कूल में पढ़ाता हूं वहाँ एक लड़की है सोफिया उससे हमारी शादी है और कल मैं सगाई कर रहा हूँ। ”


“घनश्याम जी चाहे जो भी था शिल्पी थी तो आपकी पत्नी ही। कोई आदमी किसी से इतना नाराज कैसे हो सकता है? उनको मरे मुश्किल से चंद दिन हुए हैं और आपने सगाई और शादी दोनों की तारीख मुकर्रर कर ली है। ”


“देखिए शिल्पी से मेरा रिश्ता बहुत पहले ही टूट गया था। जब हमारे पास कुछ भी नहीं था तब हम ज्यादा सुखी थे। मैं उसी स्कूल में आज भी टीचर हूँ। लेकिन शिल्पी बहुत महत्वाकांक्षी थी। उसकी किस्मत चमकी और उसने अपने बिजनेस को इतना आगे लाकर के खड़ा कर दिया। जैसे-जैसे बिजनेस बढ़ता गया वैसे वैसे हमारे रिश्तों के बीच दूरियां बढ़ती गई। हम एक बिल्डिंग में रह कर के भी लगभग एक दूसरे के लिए अजनबी ही थे। ”


“सुना है करीब एक साल पहले आपने तलाक की अर्जी दे दी थी। ”


“मैंने तलाक की अर्जी दे दी थी पर वह मुझे तलाक देने के लिए तैयार नहीं थी। और इस एरिया में उसका इतना प्रभाव था कि उसकी बात को कोई नकार नहीं सकता था। आप तो जानते ही हैं कि मेरे पास कोई ठोस रीजन तो था नहीं  जिसके आधार पे आसानी से तलाक मिल जाए इसीलिए मेरा अक्सर उससे इस बात पर झगड़ा हो जाया करता था। मुझे उसके पैसे रुपए जायदाद में कोई भी इंटरेस्ट नहीं है। ”


“जिस रात शिल्पी की मौत हुई उस शाम आप भी उससे मिलने गए थे। ”


“हां आप बिल्कुल सही कह रहे हैं। मैं उससे मिलने गया था। मैंने उसे समझाने की कोशिश की। उससे कहासुनी भी हुई लेकिन वह मुझे तलाक देने के लिए राजी नहीं थी। आप विश्वास नहीं करोगे करीब पिछले एक साल हर दिन ही मैं उससे विनती करता हूं कि वो मुझे तलाक दे दे और छोड़ दे। ”


“आपने शिल्पी के साथ ड्रिंक भी लिया था?”


“हाँ,मैंने दो पेग उसके साथ पिए थे। ” 


“आपको क्या लगता है कि उसने आत्महत्या क्यों की होगी?” 


“वह अपने जिंदगी में क्या करती थी इस बारें में मैंने कभी जानने की कोशिश ही नहीं की। आपको विश्वास नहीं होगा है पर इसी कैंपस में मिल होने के बावजूद मैंने आजतक टैक्सटाइल मिल में कदम तक नहीं रखा है। मेरे पास अपनी एक बाइक है उसी बाइक से मैं अपने स्कूल जाता हूं। ”


“उसके डॉक्टर ने बताया कि शिल्पी डिप्रेशन में थी। नींद की गोली भी खाती थी। ”


“कहते हैं जब आदमी के पास बहुत ज्यादा पैसा हो जाता है तो सबसे उसका सुखचैन ही उसका चला जाता है। पर भगवान की दया से मुझे ऐसी कोई समस्या नहीं है। हाँ शराब और सिगरेट पी लेता हूँ। ”


“क्या शिल्पी ने कोई वसीयत भी बनाई थी?”


“इस बारें में न मुझे पता है और ना मैं जानना चाहता हूं। ” 


“ठीक है घनश्याम जी जानकारी देने के लिए बहुत-बहुत धन्यवाद। ” वे दोनो घनश्याम के रूम से निकल करके दोबारा ऑफिस में चले गए।  डेनियल अभी भी ऑफिस में बैठा हुआ था।


“आपकी बात घनश्याम सर से हो गई?”

 

“हां, हमारी बात घनश्याम सर से हो गई है। ”


“और मैं आपकी क्या हेल्प कर सकता हूं। ”


अविनाश बोला,-“डेनियल,मुझे शिल्पी मैडम के रूम की चाबी दे दो। ” 


“क्यों सर कोई खास बात?”


“फाइनली यहाँ से जाने से पहले एक बार और तलाशी लेकर तसल्ली कर लेना चाहता हूं। ” डेनियल ने चाबी अविनाश को पकड़ा दी। अविनाश और मनोज दोबारा फर्स्ट फ्लोर पर शिल्पी मेहता के रूम में चले गए। मनोज ने आगे बढ़कर लाइट को स्विच ऑन कर दिया और खिड़की पर से लगे हुए पदों को हटा दिया। अविनाश सारी रूम की फिर से बारीकी से तलाशी लेने लगा। ध्यान से सारी चीजों को दोबारा देखने लगा। सब कुछ देखने के बाद वह दोबारा बुक शेल्फ के पास आ गया। शेल्फ का दरवाज़ा खोल दिया। और सारी किताबों को ध्यान से देखने लगा।


“मनोज जरा इधर आना। इस बुक सेल्फ को देख रहे हो। ”


“हाँ, क्या खास बात है?” 


“इसमें तुम्हें कोई चेंज दिखाई दे रहा है।


“नहीं। ” 


“पहले दिन जब हम लोग इस बुक शेल्फ को देखे थे तो इसमें रखी सारी किताबें बाए साइड झुका कर के रखी हुई थी और आज दाएं साइड झुका कर के रखी हुई हैं। ” 


“तो इसमें आश्चर्य की क्या बात है? डेनियल ने तो चाबी इसी शर्त पर ली थी कि वह इस रूम में कुछ फाइल खोजेगा। उसी ने ढूंढते हुए किताबों को दूसरे साइड पलट दिया होगा। ”


“हो सकता है ऐसा ही हुआ हो। ” इसके बाद अविनाश ने सारी किताबों को एक एक कर देखा पर उसे वसीयत की कोई कॉपी नहीं मिली।


“मनोज यहाँ तो वसीयत की कॉपी नहीं है। चलो ऑफिस में चलकर एक बार वहां देख लेते हैं। ” वे दोनो डेनियल के ऑफिस में दोबारा चले गए।


मनोज बोला ,-“हम लोग ऑफिस की भी तलाशी लेना चाहते हैं। आप प्लीज बाहर चले जाओ। ” डेनियल ऑफिस से बाहर चला गया। डेनियल के जाने के बाद मनोज और अविनाश ऑफिस की तलाशी में जुट गए। उन्हें वहाँ भी कोई वसीयत नहीं मिली पर जिस मेज पर शिल्पी बैठकर काम करती थी उसकी ड्रा में उन्हें एक बुक मिली। बुक का नाम था ‘मेरा अतीत पार्ट 4’।  अविनाश ने वो किताब ली उसको उलट पलट के देखा और बुक को अपनी कोट की जेब में डाल लिया।


“अविनाश तुमने ये बुक अपने पास क्यों रख ली?”



“क्योंकि मेरे अतीत पार्ट १, पार्ट २ और पार्ट ३ ऊपर के अलमारी में रखी है और पार्ट ४ यहां रखी हुई है। ”


“इसमें कौन सी आश्चर्य की बात है।  शिल्पी पढ़ने के लिए ऑफिस में ले आई होगी। ”


“नहीं इसमें कोई आश्चर्य की बात नहीं है फिर भी मैं इस किताब को मैं अपने पास रख रहा हूं। डेनियल को इस बारे में नहीं बताना। ”


“कभी कभी मुझे तुम्हारी हरकतें समझ में नहीं आती। ” 


“चलो अब चला जाय। ” वे दोनो ऑफिस से बाहर चले आए।  डेनियल अभी भी बाहर खड़ा था।


अविनाश बोला,-“ठीक है डेनियल साहब धन्यवाद। अब हम चलते हैं। ज्यादा से ज्यादा हम कल और रुकेंगे। परसों तक चले जाएंगे। ” 


डेनियल बोला,-“सर एक बात पूछूं आप बुरा तो नहीं मानेंगे?”


“पूछो। ”


“आपको क्या लगता है कि मैडम ने आत्महत्या की है?”


“मैंने जितनी भी तफ्तीश की है, मैं तो इसी नतीजे पर पहुंचा हूं कि लगता है कि मैडम ने आत्महत्या ही की है। पर हां इतना अवश्य है कि कोई सुसाइड नोट बरामद नहीं हुआ इसलिए आत्महत्या की ठोस वजह हमें पता नहीं लगी है। हम अब चल रहे हैं। ” इसके बाद अविनाश और मनोज कार से वापस आने लगे। जैसे ही उन्होने टेक्स्टाइल मिल का मेन गेट क्रॉस किया अचानक अविनाश ने गाड़ी रोक दी। अविनाश गेट पर खड़े गार्ड को इशारे से अपने पास बुलाया। आते ही गार्ड ने सलाम ठोका।


“क्या नाम है तुम्हारा?”


“गिरधर। ”


“गिरधर एक बात बताओ कि जिस रात शिल्पी मैडम की मौत हुयी उस रात तुम्हीं पहरे पर थे?”


“हाँ सर। ”


“तुमने शिल्पी मैडम को आख़िरी बार कब देखा था?”


“क़रीब रात ११ बजे जब दूसरी शिफ़्ट खतम हो रही थी। मैडम अपने खिड़की पर खड़ी थी और हाथ में सिगरेट था। मैंने उनको जाने वाली सारी औरतों की संख्या बतायी और उन्होंने हाथ से इशारा किया और खिड़की से हट गयी। वैसे उस रात भी बारिश हो रही थी। ”


“तुमने कोई खास बात नोट की?”


“एक बात है पर बहुत ग़ैर ज़रूरी है। ”


“फिर भी बताओ। ”


“उस दिन दूसरी शिफ़्ट में १२३ औरतें काम पर फ़ैक्टरी आयी थी पर थोड़ी देर बाद दो औरतें अपने घर वापस चली गयी थी। रात को जाते समय १२१ औरतें बस में बैठी थे। मैंने शिल्पी मैडम को ये संख्या बतायी पर उन्होंने कुछ भी नहीं पूछा कि दो औरतें कम क्यों हैं? मुझे लगा की उनको पहले से पता होगा इसलिए उन्होंने नहीं पूछा। पर ये घटना उनके आदत के विपरीत थी। अब सोचता हूँ तो लगता है की हो सकता हो वो उस रात बहुत परेशान रही हो। बेचारी मैडम पता नहीं क्यों उन्होंने……………………” 


“गिरधर जानकारी देने के लिए धन्यवाद। ” इसके बाद वे पुलिस गेस्ट हाउस आ गए। उन्होंने सीधे डाइनिंग रूम में खाना खाया और आ करके फायर प्लेस के सामने दोनों बैठ गए।  


“अविनाश तुम किस नतीजे पर पहुंचे हो? सबसे पहले मुझे यह बताओ की ये आत्महत्या है या हत्या की भी कोई गुंजाइश है। वैसे भी यहां की पुलिस आत्महत्या ही बोल रही है। शिल्पी के किसी भी रिलेटिव ने हत्या का शक जाहिर भी नहीं किया है। मुझे लगता है तुम झूठे ही उलझे हुए हो। ”अविनाश मनोज की बात को अनसुना करके अपनी सीट से उठा और अपनी कोट से किताब निकाला और फिर बैठ गया। वो किताब में कुछ पढ़ने लगा। जब उसने वो पूरा पढ़ लिया तो उसने मनोज को पढ़ाया।


“अविनाश ये क्या है?”


“बहुत पुरानी एक पेपर की कटिंग है जो बुक में रखी हुई है। इस कटिंग में किसी रॉबिन का जिक्र है। पर हां इतना अवश्य है कि इस कटिंग में रॉबिन की जो फोटो है वह डेनियल से काफी मिल रही है। कटिंग के लिहाज से तो यही लग रहा है कि यह डेनियल उर्फ रॉबिन अरुणाचल के तवांग क़स्बे से भागा हुआ है। किसी अपराध में वह वांटेड है। ये कटिंग काफ़ी पुरानी है। लेकिन अब प्रश्न यह उठता है कि शिल्पी ने इस कटिंग को किताब ‘मेरे अतीत पार्ट ४’ के बीच में क्यों रखा हुआ है?” 


“कहो तो डेनियल से डायरेक्ट पूछ ले। ”


“एक काम करते हैं डेनियल से इस बारे में बातचीत कल कर लेंगे। अगर सब कुछ कुछ ठीक रहा तो इन्स्पेक्टर पवन से बातचीत करके कल इस केस को क्लोज कर देंगे। ”


“भाई अविनाश मुझे तो बहुत नींद आ रही है।  मैं अब चला सोने। ”


“ठीक हैं तुम सोने जाओ। मैं अभी फायर प्लेस के पास थोड़ी देर और बैठूंगा। ” अविनाश करीब 3 घंटे तक फायर प्लेस के सामने वैसे ही बैठा सिगार पीता रहा और इस केस की उधेड़बुन में लगा रहा। फिर जाकर वो भी सो गया ।



            ५



२१ जनवरी करीब ९ बजे उन दोनों की नींद खुली। वो लोग नाश्ता करके जाने के लिए तैयार हुई रहे थे कि इंस्पेक्टर पवन उनके रूम में चला आया।


मनोज बोला,-“आइए इन्स्पेक्टर पवन हम आपसे कुछ बात करने ही वाले थे। ”


“लगता है केस खत्म हो गया?”


अविनाश बोला,-“आज क्लोज़ कर देंगे। एक दो बातें हैं जिसके बारे में हम लोगों को जानना है। ”


पवन बोला,-“जो कुछ पता करना है आप मुझे बता दीजिए और आप लोग जब से आए हैं इस केस में ही उलझे हुए हैं। थोड़ा यहाँ की वादियाँ घूँम लीजिए फिर चले जाइएगा। यहां आने का मौका सरकार बार-बार आप लोगों को तो नहीं देगी। यहां से करीब २५ किलोमीटर दूर पश्चिम में एक बहुत ख़ूबसूरत वॉटर फ़ॉल है,आज मौसम थोड़ा ठीक है आप लोग वहां जा सकते हैं। उस वाटर फ़ॉल तक कार को ले जाया जा सकता है। धीरे-धीरे संभाल के जाइएगा। ”


मनोज बोला,-“ठीक है पवन हम लोग टहल ही आते हैं। पर तब तुम एक काम लो। मेहता टेक्स्टाइल मिल में जो डेनियल हैं उसके बारें में तवांग से कुछ पता करना है। तुम उसकी जानकारी तब तक इकट्ठा कर लो। ” इसके बाद मनोज और अविनाश ने पवन को बुक में रखी पेपर कटिंग दिखायी और केस की सारी बातें से अवगत कराया। सारी बातें जानने के बाद पवन वहाँ से चला गया। उसके जाने के बाद अविनाश ने डेनियल को फ़ोन लगा कर आज फिर उससे मिलने की इच्छा ज़ाहिर की।


डेनियल ने बताया कि आज शिल्पी के घरवालों को पूरे दिन फुर्सत नहीं है क्योंकि उसके मृत्यु के बाद जो कर्मकांड है उनको पूरे दिन करना है। शाम को ५ बजे के बाद वे सब मिल सकते हैं। अविनाश ने शाम का मिलने का वादा करके फ़ोन काट दिया।


“चलो मनोज आज शाम तक इस ऐरिया का भ्रमण करते हैं। ” शाम ५ बजे तक वे दोनो पुरे एरिया का भ्रमण करते  रहे। शाम ६ बजे के आसपास है वे लोग सीधे टेक्सटाइल मिल पहुंच गए। संजोग से सब लोग घर में उपस्थित थे। मनोज ने फ़ोन करके इन्स्पेक्टर पवन को भी बुला लिया। आते ही सबसे पहले उसने मनोज और अविनाश को रॉबिन उर्फ़ डेनियल के बारें में जानकारी दी। इसके बाद तीनो डेनियल से ऑफिस में मिले।


अविनाश बोला,-“डेनियल मुझे सबसे आख़िरी बार कुछ बात करनी है। पर सबसे पहले मैं आपसे कुछ अकेले में बात करना चाहता हूं। मनोज,अविनाश और पवन कुर्सी पर बैठ गए और डेनियल उनके सामने बैठ गया।


“डेनियल साहब आप कहां के रहने वाले हैं?”


“अरुणाचल में तवांग का रहने वाला हूं। ”


“वहां से इतनी दूर आप इस प्राइवेट जॉब के लिए आए हैं? आपको पता है प्राइवट नौकरी के लिए ये जगह आपके घर से कितनी दूर है? प्राइवेट जॉब आपको कहीं भी मिल सकती थी। अच्छा छोड़िये आप यह बताइए कि इतनी दूर आप कैसे जॉब के लिए आए थे?” 


“कैसे का क्या मतलब?” 


“आपको पता कैसे लगा था की यहाँ जॉब निकली है। ”


“बात दरअसल ये है कि मैं इस एरिया में घूमने आया था।  संजोग से मेरी मुलाकात है शिल्पी मैडम से हो गयी। उन्होंने मुझे अपना सेक्रेटरी बना लिया। ”


“माफ़ कीजीएगा,आपकी सैलरी कितनी है रॉबिन ?”


“₹ २५००० हर महीने। लेकिन आपने मुझे रॉबिन नाम से क्यों पुकारा?मेरा नाम डेनियल है। ”


“लेकिन तवांग में तो आप रॉबिन नाम से जाने जाते हैं। "


“मुझे नहीं पता आप लोग क्या अनाप सनाप बोल रहे है?”


“ज़रा मेइस बुक में इस पेपर कटिंग को देखिए। ” अविनाश उसे पेपर कटिंग दिखा दी। कटिंग देखते ही डेनियल को पसीना आ गया।


“लेकिन ये कटिंग आप लोगों को कहाँ से मिली?मैं इसे पता नहीं कितने समय से तलाश कर रहा हूँ। ” 


“आपने शिल्पी के रूम की तलाशी ली पर ये आपको नहीं मिली लेकिन हमें तो मिल गई। ” 


“ये कहाँ थी?मैडम की बुक 'मेरे अतीत पार्ट 4’ के बीच में रखी थी। ”


“पर मैंने तो बुक शेल्फ की सारी किताबें बड़े ध्यान से चेक की थी। ”


“ये किताब मैडम के रूम में नहीं ऑफ़िस के ड्रॉ से बरामद हुयी है। ”


“ये कैसे हो सकता है?मैं तो ऑफ़िस अक्सर चेक करता था। ”


“ये मैं आपको बाद में बताऊँगा। सबसे पहले यही बेहतर होगा की आप अपने बारे में सब कुछ सही सही बता दें। ”


डेनियल अपने सीट से उठा,ऑफ़िस के दरवाज़े को अंदर से बंद कर दिया और चुपचाप अपनी सीट पर दोबारा बैठ गया।


उसने अपने सर का पसीना पोछा,मेज़ पर रखा एक ग्लास पानी पिया और बोलना शुरू किया,-“मैं तवांग का ही रहने वाला हूं। मेरा असली नाम रॉबिन बाथम है। मैं अपने घर में अपनी माँ के साथ अकेला रहता था। माँ मेरी तवांग के स्कूल में अब भी पढ़ाती है। एक बार जुआ खेलते समय मेरा किसी से बड़ा झगड़ा हो गया और गलती से मेरे हाथों किसी का कत्ल हो गया।  पर विश्वास मानिए मैं ऐसा नहीं करना चाहता था पर मैं बहुत नशे में था। जुआ घर में सबने मुझे बहुत ही ज्यादा उकसा दिया था। उसी रात मैं नशे की हालत में ट्रेन पर बैठ गया और दो दिन चलने के बाद यहाँ पहुँच गया। इतनी दूर आने का मेरा सिर्फ़ यही मक़सद था की मेरी खबर भी दूसरों को ना लगे। मैं इस मिल में आकर सीधे मैडम से मिला। मैडम मुझसे इंप्रेस हो करके मुझे अपना सेक्रेटरी बना लिया। पिछले 5 सालों से मैं मैडम का सेक्रेटरी हूँ। ”


“शिल्पी तुम्हें ब्लैकमेल कर रहे थी?”


“आपको कैसे पता?”


“मैं पूरे दिन सिर्फ़ यही काम करता हूँ। अगर वो तुम्हें ब्लैकमेल ना कर रही होती तो कटिंग को तुमसे इतना छुपा के क्यों रखती। तुम्हारे बारें में सबकुछ जानने के बाद भी तुम्हें काम पे रखा है तो इसके पीछे ज़रूर कोई वजह होगी?वजह तुम हमें बताओगे। ”


“शुरू में १ साल तक को सब कुछ ठीक था लेकिन आज से करीब 4 साल पहले मैडम तवांग गई हुई थी। होटल में किसी समान के साथ ये कटिंग उनके हाथ लग गयी। शिल्पी ने वो पेपर की कटिंग अपने पास रख ली। यहाँ आकर उन्होंने वो कटिंग मुझे दिखा दी। ”



“ब्लैकमेलिंग़ की वजह तो पता लग गयी पर किसलिए ब्लैक्मेल कर रही थी। ”


“मैडम के हस्बैंड से तो उनका किसी क़िस्म का कोई रिलेशन था नहीं। मैडम अपनी फ़िज़िकल नीड पूरी करने के लिए मेरा इस्तेमाल करती थी। मैडम को अपने कामों से अक्सर बाहर जाना पड़ता था तो मैं भी मैडम के साथ बाहर जाता था। हम होटल में अग़ल बग़ल का रूम लेते थे और सारी रात साथ गुज़ारते थे। मैडम ने ही मुझे कहा कि मैं उनकी भतीजी को अपने प्यार के जाल में फँसाकर शादी कर लूँ जिससे मैं हमेशा के लिए मैडम के पास रह जाऊँ। मुझे ये सौदा अच्छा लगा क्योंकि मैडम के बाद काफ़ी कुछ रोज़ी का हो जाता। लेकिन धीरे-धीरे रोज़ी से मैं सच्चा प्यार करने लगा। हर रोज़ मेरे मन में आत्मग्लानि होती थी की मैं रोज़ी को धोखा दे रहा हूँ। मैं अपनी जिंदगी से बोर हो चुका था।  जब भी शिल्पी ऑफिस में नहीं रहती मैं पूरा ऑफिस सर्च करता पर कटिंग मुझे कहीं नहीं मिली। मैडम का रूम तो सर्च किया नहीं जा सकता था। मुझे इस बात का डर था कि यह तो सही है कि वह मुझे ब्लैकमेल कर रही है पर कहीं ऐसा ना हो कि वो कटिंग किसी दूसरे के हाथ पड़ जाए और मैं दूसरे के हाथों भी ब्लैकमेल होने लगूँ। जब मैडम मर  गयी तो कटिंग खोजना मेरे लिए और भी ज़्यादा ज़रूरी हो गया। इसलिए मैंने बहाना करके आप लोगों से चाबी माँगी थी पर मैडम के रूम में भी वो कटिंग नहीं मिली। पर आप लोगों को ऑफ़िस से कैसे मिली ये मेरे समझ में नहीं आ रहा है?मैं ऑफ़िस अक्सर सर्च करता था। ”


“मैडम के मरने के बाद ऑफ़िस सर्च किया था। ” 


“नहीं। मैं तो पहले ही इतना ऑफ़िस में कटिंग खोज चुका था की मैडम के मरने के बाद मैंने ज़रूरी नहीं समझा। मेरे ध्यान में तो सिर्फ़ उनका रूम ही दिखायी दिया। ”


“मैडम के अलावा क्या ये बात किसी को पता है?”


“मुझे नहीं लगता। पर अब क्या फ़ायदा आप सब लोगों को तो पता लग गया है। ”


“अरे मूर्ख जिस आदमी को तुमने गोली मारी थी वो मरा नहीं था वह बच गया था। इन्स्पेक्टर पवन ने वो बात पता लगा ली है। और कटिंग में भी नहीं लिखा है की वो आदमी मर गया था। तुमने कटिंग ढंग से पढ़ी ही नहीं। ”


“कटिंग देखते ही मैं इतना डर गया था की मेरे कुछ समझ में नहीं आया था। शायद इसी का फ़ायदा शिल्पी ने उठा लिया। ख़ैर कुछ मेरी भी लालच थी की मैं और कहीं भाग के जा भी नहीं सकता था। यहाँ मेरी ज़िंदगी आराम से गुजर रही है। शायद इसी वजह से ब्लैक्मेल होता रहा। ”


“पर तुम रोज़ी से शादी करने में दे क्यों कर रहे थे?” 


“मैं रोज़ी से अपनी असलियत छुपा के शादी नहीं करना चाहता था और असलियत बताने की हिम्मत भी नहीं जुटा पा रहा था इसलिए सोच रहा था की जैसे चल रहा है चलता रहे। जब शादी का ज़्यादा दबाव हो जाता तब कर लेता इसलिए बहाने बना रहा था। पर मैं दबाव से मुक्त हो गया हूँ। मैं अब रोज़ी से कुछ नहीं छुपाऊँगा। ”


“बहुत अच्छी बात है डेनियल। एक काम करो शिल्पी मैडम के रूम में सब को कुछ समय के लिए इकट्ठा कर लो। ”


“किसको किसको बुलाना है। ”


“शालू,रॉकी,रोज़ी,घनश्याम,आप खुद और नयन तारा। ” इतना सुनने के बाद डेनियल चला गया।


मनोज बोला,-“तुमने सबको इकट्ठा क्यों किया है?


“जाने से पहले एक बार मैं पूरे केस को सबके सामने इक्स्प्लेन करना चाहता हूं। सबको बता दिया जाए कि ये एक आत्महत्या है और हम लोग इस क्लोज कर के जा रहे हैं।


“ये बात तुमने सही कही। ” करीब २० मिनट बाद डेनियल वापस आया।



            ६



“सर आप लोग भी मैडम के रूम में आ सकते हैं। सब लोग आ गए हैं। ” वे तीनों शिल्पी के रूम में चले गए। शिल्पी के रूम में सोफ़े पर सबसे पहले शालू बैठी थी,उसके बगल में रोजी बैठी थी, उसके बग़ल में घनश्याम और लास्ट में डेनियल। एक तरफ़ उनकी नौकरानी नयनतारा चुपचाप खड़ी थी। अविनाश, इन्स्पेक्टर मनोज और इन्स्पेक्टर पवन बेड पर बैठ गए। अविनाश ने बारी-बारी सभी पर नजर डाली। अविनाश धीरे से उठा और खिड़की के पास पहुंच गया।  उसने खिड़की पर लगा पर्दा हटा दिया और खिड़कियां खोल दी। खिड़की खुलते ही बहुत तेजी से ठंडी हवा आने लगी।  अविनाश खिड़की से टेक ले करके खड़ा हो गया और अपना सिगार को जला लिया।


अविनाश ने कहा,-“यदि आप लोगों को कोई दिक्कत ना हो तो मैं एक ड्रिंक लेना चाहूंगा। घनश्याम जी क्या मेरे लिए ड्रिंक बना सकते हैं। ” घनश्याम धीरे से उठा और एक विस्की की बोतल ले आया। एक ग्लास में अपने और एक ग्लास में खुद को ले लिया।


“आप लोग भी चाहे तो ड्रिंक ले सकते हैं। ” इतना सुनते ही रोज़ी ने भी दो ड्रिंक बनाया। एक अपने लिए और एक डेनियल को पकड़ा दिया।  


“क्या बात है रॉकी तुम इतने शरीफ तो नहीं हो?” रॉकी ने भी अपने एक ड्रिंक बनाया और दोबारा सोफ़े पर बैठ गया।


“शालू जी आप ड्रिंक नहीं लेंगी। ” 


“मैं ड्रिंक की शौकीन हूँ पर आज मेरा मन नहीं ठीक नहीं है। ” ड्रिंक के साथ ही रोजी और रॉकी ने सिगरेट भी जला लिया।


मनोज झुँझलाकर बोला,-“अविनाश मुद्दे की बात करो और चलो यहाँ से। बात दरअसल यह है की जब शिल्पी मेहता ने आत्महत्या की तो सरकार ने मुझे यहां पर इसकी जांच करने के लिए भेजा कि वाकई शिल्पी ने आत्महत्या की है या नहीं। हम लोगों पर दबाव था तो मैंने अपनी सहायता के लिए प्राइवेट डिटेक्टिव कैप्टन अविनाश को ले लिया। पिछले कुछ दिनो से हम लोग इस केस पूरी तफ्तीश कर रहे हैं फाइनली हम लोग इसी नतीजे पर पहुंचे हैं कि शिल्पी मेहता ने आत्महत्या की है। ” 


इन्स्पेक्टर मनोज का इतना बोलना ही था कि अविनाश ने उसे टोक दिया और बोला,-“मनोज तुम नतीजे पर पहुचने में जल्दीबाज़ी कर रहे हो। ” 


“सारी मैं अपने शब्द वापस लेता हूं। अविनाश तुम जारी रखो। ” 


अविनाश ने कहना शुरू किया,-“बड़ी अजीब सी बात है। मैं कहां से शुरू करूं मुझे खुद ही बहुत समझ में नहीं आ रहा  है। कितनी अजीब बात है कि आज शिल्पी तुम लोगों के बीच में नहीं है तभी तुम लोग इतने आराम से ऐश कर रहे हो। मैं सारी बातें छोड़ कर के मुद्दे पर आता हूं। आप लोगों में से जिसने भी शिल्पी मेहता की हत्या की है वह अपने आप क़बूल ले। ” कुछ देरी तक रूम में सन्नाटा छा गया। सभी एक दूसरे को शक की नज़र से देखने लगे।


“लगता है आप लोगों में से कोई बोलेगा नहीं। मैं आपको पूरी कहानी बताता हूं। देखिए आप लोग यह बात अपने मन से बिल्कुल निकाल दीजिए कि शिल्पी ने आत्महत्या की है। शिल्पी की बाकायदा हत्या हुई और यह बात भी सही है कि हत्यारा आप ही लोगों में से कोई है। मैं इसे अभी और यही साबित कर दूंगा इसलिए मैं हत्यारे को एक अवसर दे रहा था। लेकिन लगता है कि वह अपने गुनाह क़बूलेगा नहीं इसलिए मुझे ही बोलना पड़ेगा। शिल्पी को सिगरेट और शराब की आदत थी। सिगरेट भी वो ‘मोर’ ब्रांड का पिया किया करती थी जो बहुत पतली और लंबी होती है। उसके आलमारी में सिगरेट की डिब्बी मौजूद है। नयनतारा आलमारी से सिगरेट की डिब्बी ले आओ और सबको एक एक सिगरेट थमा दो। ” नयनतारा ने ठीक वैसा ही किया।


“क्या आप सभी सिगरेट जलाएँगे। ”


घनश्याम बोला,-“मैं सिगरेट नहीं पीता इसलिए मैं जला नहीं सकता। । ”


शालू बोली,-“मैं सिगरेट नहीं पीती इसलिए मैं भी जला नहीं सकती। ”


“क्या बात कर रही है? उस रात तो अपने जलाया था। "


“किस रात?”


“जिस रात शिल्पी की मौत हुयी। ”


“आप क्या अनाप सनाप बोल रहे हैं। ” अविनाश नयनतारा की तरफ़ मुख़ातिब हुआ।


“नयनतारा याद करो जब तुमसे दोबारा एक जग पानी मंगाया गया था तो मैडम इंटर्काम पर ख़ास रही थी। ”


“हां सर यह बात मैंने ही आपको बतायी थी। ”


“क्योंकि शालू पेशेवर सिगरेट पीने वाली नहीं हैं इसलिए सिगरेट जलाने के बाद उनको ख़ासी आ गयी। और दूसरा खाँसते समय आवाज़ भी साफ़ नहीं होती की कौन बोल रहा है। नयनतारा एक बार नोट कर लो की जिसने तुमसे फोन पर पानी मंगाया था वो शिल्पी मैडम नहीं शालू मैडम थी। अब दूसरी शिफ़्ट खतम होने वाली थी तो शालू मैडम को शिल्पी मैडम बनकर सिगरेट हाथ में पकड़कर खिड़की पे खड़ा होना था। क्योंकि शालू और शिल्पी की क़द काठी एक जैसी है,उस रात बारिश हो रही थी, इन्होंने रूम में अंधेरा कर रखा था और शालू सिगरेट पकड़ कर खिड़की पर खड़ी हो गयी इसी वजह से गार्ड और नयनतारा दोनो को कन्फ़्यूज़न हो गया-


“नयनतारा याद करो जब तुम पानी लेकर के अंदर आई तब शालू सिगरेट हाथ में ले करके तुम्हारी तरफ पीठ किए हुए खिड़की के बाहर देख रही थी?” 


“हां यह बात भी तो मैंने आपको बताई थी। ”


“तुम पानी रख करके चली गई लेकिन तुमने उनका चेहरा नहीं देखा था क्योंकि उन्होंने शिल्पी की ड्रेस पहने हुयी थी और हाथ में सिगरेट ली हुई थी इसलिए इस नतीजे पर पहुँची वो शिल्पी मैडम ही थी पर वो शालू थी। एक अहम बात है जो मैं बताना चाहूंगा कि क्योंकि नयन तारा को आए हुए मात्र १५ दिन हुआ है और शालू ख़ास भी रही थी इसलिए नयन तारा  शिल्पी और शालू की आवाज में बहुत है अंतर नहीं कर पाई। ”


“हो सकता है। मैं आवाज को लेकर अब भी इतनी निश्चित नहीं हूँ। बाक़ी शिल्पी मैडम की आवाज़ खुद ही मैंने बहुत कम सुनी है। वो किसी को भाव कहाँ देती थी। ”


अविनाश बोला,-“शालू जी छुपाने से कोई फायदा नहीं है। मैं चाहता हूं कि आप अपना गुनाह पहले कबूल कर ले। मेरे पास काफ़ी सबूत भी हैं। ” 


शालू ग़ुस्से से बोली,-“हां मैंने ही शिल्पी की हत्या की है। ” 


“क्यों और कैसे?”


“मैं शिल्पी से काफ़ी पहले से बहुत नाराज थी। मैं शिल्पी के बुक शेल्फ से किताबें पढ़ने के लिए ले ज़ाया करती थी। जब मैं ‘मेरा अतीत पार्ट ४’ किताब ले गई थी तो मैंने उसी में रखी हुई उस पेपर कटिंग को पढ़ लिया था जिसमें लिखा था की रॉबिन अभी जो डेनियल है वो फरार अपराधी है जिसकी पुलिस को तलाश है। कटिंग पढ़ करके मुझे बहुत आश्चर्य हुआ कि यदि ये बात शिल्पी को पता थी तो वह क्यों बार-बार डेनियल और रोज़ी की शादी के लिए दबाव डाल रही थी?ज़िंदगी का इतना अनुभव तो मुझे है ही। मुझे अंदाज़ा लग गया था कि शिल्पी और डेनियल के बीच कुछ नाजायज संबंध हो सकते हैं। शायद यही वजह है कि अपने करीब रखने के लिए बार-बार रोजी से उस पर शादी का दबाव डाल रही थी। फिर मुझे अपना डर सताने लगा। रॉकी तो कुछ काम धाम करता नहीं-


मुझे इतना पता था की जैसे ही ये दोनों आपस में शादी कर लेंगे शिल्पी मुझे जायदाद से बेदखल कर देगी। शिल्पी ने सब कुछ खड़ा किया है तो इस सारे प्रॉपर्टी पर उसका ही हक़ था। और वो करती भी अपनी मनमानी। अविनाश जी मैंने आपसे झूठ कहा था कि शिल्पी ने वसीयत की बात मुझसे की थी। एक्चुअल में उसने कोई कोई वसीयत की बात मुझसे नहीं की थी-


हाँ इतना मुझे पता था की अगर वो मर गयी तो प्रॉपर्टी अपने आप हम सब में बट जाएगी क्योंकि वास्तव में ये मिल हमारे पिताजी ने शुरू की थी। पर शिल्पी ज़िंदा रहती तो उससे लड़ पाना किसी के बस की बात नहीं थी। उसने कभी भी किसी की इज़्ज़त नहीं की। कभी भी मुझसे सीधे मुँह बात नहीं करती थी। मेरे मन तो ग्लानि शुरू से ही थी। रोज़ी को भी मैंने रॉकी की तरह पाला है। भले ही आज रोज़ी मेरी इज़्ज़त ना करे पता नहीं क्यों मैं डेनियल से उसकी शादी होना पचा नहीं पा रही थी। मुझे लग रह था की शिल्पी अपने लिए कई लोगों की ज़िंदगी बर्बाद कर रही है। डेनियल अपराधिक प्रवृत्ति का था तो वो कभी भी पुलिस के हाथों पकड़ा जा सकता था। पर आपको कैसे यह पता लगा कि मैंने शिल्पी  की हत्या की है। ” इतना बोलने के बाद शालू रुक गयी और उसकी आँखों में पानी आ गया।


“ये बहुत ही साधारण केस है। बस थोड़ा इसमें ध्यान देने की जरूरत थी। मैं आप लोगों से शुरू से सारी बात बताता हूं जैसा कि मैं हर केस में करता हूं। शालू जी मैं जहां कहीं भी गलत बोलूँगा तो मुझे सही कर दीजिएगा-


कहानी कुछ यूँ शुरू होती है। जब पहली बार मैं और मनोज इस बिल्डिंग में घुसे। हमारी मुलाकात डेनियल से हुयी। उसने हमें बताया की पिछले दिन मैडम ऑफिस आई थी और रोज़ की तरह शाम को करीब ७ बजे ऑफिस से निकल कर अपने रूम में चली गई थी। मैडम सुबह १० बजे ऑफिस चली आती थी और करीब ७ बजे तक अपने ऑफिस में रहती थी। ऑफिस उन्होंने अपने बिल्डिंग में ही बना रखी थी। फ़ैक्टरी दो शिफ्ट में चलती है। ८ घंटे की पहली शिफ़्ट जो सुबह ७ बजे से स्टार्ट होती है और दोपहर ३ बजे तक चलती है। दूसरी शिफ्ट है जो ३ बजे से स्टार्ट होती है और रात ११ बजे तक चलती है।  इनकी पूरी फैक्ट्री में करीब ढाई सौ औरतें काम करती है जो आसपास के एरिया से आती हैं। करीब १२५ औरतें सुबह के शिफ़्ट में और १२५ औरतें रात की शिफ़्ट में काम करती हैं। शिल्पी महिलाओं की सुरक्षा को लेकर काफी सीरीयस थी ख़ासकर रात वाली शिफ़्ट को लेकर बहुत ज़्यादा और होना भी चाहिए। कितनी महिलाएं ३ बजे फ़ैक्टरी गई इसकी जानकारी गार्ड फ़ोन से दे देता था। रात के ११ बजे के जब सारी महिलाएं बस में बैठ जाती थी तो गार्ड उनकी गिनती करता था और गिनती करने के बाद खिड़की के नीचे आ करके वह महिलाओं की संख्या बताता था। जब शिल्पी मैडम यह संतुष्ट हो जाती थी कि ३ बजे वाली शिफ्ट में जितनी महिलाओं ने इंटर किया था वह सारी महिलाएं बैठ गई हैं तब वो बसों को जाने देती थी। बस सारी महिलाओं को उनके घर पर छोड़ करके आती थी। शिल्पी ने पिछले कई सालों से बिजनेस संभाला था और ये उनकी आदत हो चुकी थी। खाना खाने के बाद अक्सर लोग सिगरेट पीते हैं। शिल्पी भी सिगरेट ले करके खिड़की पर खड़ी हो जाती थी और वही से पूरा जायजा लिया करती थी जब तक सारी बस ना चली जाय। यहाँ तक बात बिलकुल साफ़ है और कई बार पूछी भी जा चुकी है-


१७ जनवरी, हत्या की शाम ७ बजे के आसपास डेनियल शिल्पी के साथ उसके रूम में आया। दोनो ने शराब पी, नॉर्मल डिस्कशन किया और डेनियल चला गया। क़रीब ८ बजे के आसपास घनश्याम ने इंटर किया। इन्होंने भी अपना पेग बनाया। पर शिल्पी से इनका डिस्कशन नॉर्मल नहीं था। हॉट डिस्कशन था।  हॉट डिस्कशन इसलिए था की घनश्याम हर दिन शिल्पी पे ये दबाव दे रहे थे कि वह उनको डिवोर्स दे दे।  हर दिन की तरह वो इस दिन भी राजी नहीं थी। तनातनी के बाद घनश्याम अपने रूम में चले गए। घनश्याम के रहते ही रोज़ी भी नाइट क्लब में जाने के लिए इजाज़त लेने आयी थी। वो इजाज़त लेकर चली गयी।


घनश्याम के जाने के बाद शिल्पी ने शालू को अपने रूम में बुलाया। क्योंकि २ दिन पहले रॉकी ने बार में दारू पीकर हंगामा किया था जिसकी वजह से पुलिस उसे पकड़ कर ले गयी थी,शिल्पी ने शालू से कहा कि अगली सुबह वो रॉकी की जमानत करा दे। शालू ने भी ड्रिंक लिया था। इसलिए मेज़ पर चार ग्लास थे और एक दारू की बोतल थी। जब ९ बजे के आसपास नयनतारा ने खाना सर्व किया। मुझे ऐसा लगता है कि खाना खाने के लिए शिल्पी वॉशरूम गई होगी उसी समय का फ़ायदा उठाकर शालू ने शिल्पी की दारू की ग्लास में नींद की टेबलेट डाल दी। शालू जी आपने कितनी टैब्लेट मिलायी थी।


“तीन। ”


“तीन टेबलेट डालकर ये रूम से निकल करके चली गई। तीन टैब्लेट से कोई भी सो जाएगा पर मरेगा नहीं। इनका रूम फर्स्ट फ्लोर पर है। रूम में पहुचने के बाद इन्होंने नयनतारा से अपने लिए भी खाना मंगाया जो सिर्फ इस बात की तरफ इशारा करता था कि अब मैं शिल्पी के साथ नहीं हूं। मैं अपने रूम में आ गई हूं। शालू ने खाना खाया। नयनतारा किचन अपने में जा कर के सो गई होगी। जब शालू ने देखा कि नयनतारा अपने रूम में चली गई तो चोरी से ये दोबारा शिल्पी के रूम में घुस गई। शिल्पी ने दो तीन पैक ड्रिंक ले ही लिया था और उसके बाद नींद की गोली, तो उसे नींद आ गई होगी और वह बेड पर सो गई होगी। शालू आपने दोबारा कितने बजे रूम में इंटर किया था। ” 


“करीब १० बजे मैंने रूम में इंटर किया था। शिल्पी अपने अपने बेड पर सो चुकी थी। ”


“उसने कौन से कपड़े पहने थे?”


“उसने वही कपड़े पहने थे जो कपड़े पहन कर के वह ऑफिस गई थी। उसने नाइट ड्रेस नहीं पहना था। ”


“बस मैं यही जानना चाह रहा था। अब यहां से असली खेल शुरू होता है। इन्होंने रूम की लाइट को बंद किया। शिल्पी के शरीर पे जो कपड़े थे उस कपड़े को इन्होंने खुद पहन लिया। शिल्पी को इन्होंने ने बेड के नीचे लेटा दिया होगा। जब ११ बजने वाले थे तो इन्होंने एक सिगरेट जलाई होगी और इनको सिगरेट जलाने की आदत तो थी नहीं इसलिए इन्हें ख़ासी आने लगी। शालू ने इंटर्काम से दोबारा एक जग पानी मंगाया जिसकी जरूरत नहीं थी- 


नयनतारा इनके रूम में आई और पानी का जग मेज़ पर रख करके चली गई। शालू खिड़की पर खड़ी थी और इनका मुंह बाहर की तरफ़ था। कपड़े भी इन्होंने शिल्पी के ही पहन रखे थे,ये सिगरेट भी हाथ में लिए हुए थी नयनतारा इनको शिल्पी ही समझ बैठी। जब मैंने शिल्पी की पुरानी मेड कमला से बात की थी तो उसने बताय था की शिल्पी और शालू क़द काठी में बिलकुल एक जैसी है पर दिल दोनो का अलग अलग है। कुल मिलाकर नयनतारा और नीचे आया गार्ड दोनो धोखा खा गए। ”


मनोज बोला,-“लेकिन शालू को दोबारा पानी माँगने की क्या ज़रूरत थी?”


“अरे भाई ये बार बार सुनिश्चित करना चाहती थी की ११ बजे तक तक शिल्पी ज़िंदा है और अपने होशों हवाश में हैं। पर मैं बता दूँ की शिल्पी ज़िंदा थी पर गहरी नींद में थी। इसके बाद शालू ने जल्दी जल्दी सिगरेट बुझाया होगा और वही कपड़ा दोबारा से शिल्पी को पहना दिया होगा। कपड़ा उतारने और पहनाने के दौरान शिल्पी का एक बटन टूट कर के किसी तरीके से बेड के नीचे चला गया जो मुझे तफ्तीश के दौरान वह बटन मिला। सिगरेट ये पीती नहीं इसलिए इन्होंने बुझा दी। अगर शिल्पी होती तो आदतन पूरी पी जाती। ये सब बातें एक शक पैदा करती हैं। इसके बाद इन्होंने शिल्पी की ग्लास में दोबारा ढेर सारी नींद की गोलियां डाली। शालू आपने कितनी गोलियाँ डाली थी?”


“इस बार मैंने क़रीब २० गोलियां नींद की ग्लास में डाली थी। और वो शराब मैंने शिल्पी के मुँह में उड़ेल दी। ”


“लेकिन शिल्पी के ग्लास पे आपके हाथ के निशान नहीं मिले?”


“मैंने दस्ताना पहन रखा था। ” 


“ढेर सारी नींद की गोली खिलाने के बाद शालू चुप चाप अपने रूम में वापस आ गयी। अब आप ही बताओ की जिसके पेट में इतनी नींद की गोली जाएगी वो कैसे बचेगा? सुबह करीब ३ से ४ के बीच शिल्पी मर गयी। शिल्पी १० बजे के आस पास अपने ऑफिस पहुंच जाती थी। चूँकि उनको कोई डिस्टर्ब नहीं कर सकता था इसलिए वो अपने रूम में मरी पड़ी रही। ११ बजे तक डेनियल साहब ऑफिस में आ करके वेट किए। शिल्पी मैडम जब ११ बजे तक नहीं आई तो डेनियल नयनतारा के साथ रूम में घुसा। शिल्पी बेड पर लेटी हुई थी। घर वालों ने डॉक्टर सेनगुप्ता को बुलाया जिन्होंने शिल्पी को मृत घोषित किया। पोस्टमार्टम रिपोर्ट आई तो यह साबित हुआ कि शिल्पी ने ढेर सारी नींद की गोली खाकर आत्महत्या की। शालू ने वही नींद की गोली खिलायी थी जो शिल्पी खाकर सोती थी। सभी घर वालों ने एक्सेप्ट कर लिया वास्तव में  शिल्पी ने आत्महत्या की है-



मैं बताता हूँ की मुझे हत्या का शक कैसे हुआ। तफ़तीश के दौरान रूम में बेड के नीचे से उसी ड्रेस का बटन मिलना जो शिल्पी ने उसी दिन पहना था। शिल्पी इतनी बड़ी मिल की मालकिन थी वो भला ऐसा ड्रेस पहनेगी जिसका बटन टूटा हुआ होगा। मुझे बार-बार यह बात लग रही थी कि कहीं ऐसा तो नहीं कि कपड़े चेंज के दौरान ही बटन टूटी है। अगर लाश नाइट ड्रेस में बरामद हुई होती तो हो सकता है कि मैं इसे साधारण घटना मान लेता-


दूसरी बात सिगरेट पूरी क्यों नहीं पी गई थी जबकि शिल्पी को आदत थी। हालाँकि ये कोई बहुत बड़ा सबूत नहीं हैं लेकिन गड़बड़ की तरफ़ इशारा करता है-


तीसरा शिल्पी के पेट में ढेर सारी नींद की गोली मिली पर गोली का रैपेर हमें कहीं दिखायी नहीं दिया। हो सकता था कि शिल्पी ने खिड़की से बाहर फेंक दिया हो। कोई रात में आत्महत्या करने के लिए नींद की गोली खाए और रैपर को खिड़की से बाहर फेंके हो सकता है लेकिन मन मानने को तैयार नहीं था। सुसाइड नोट भी बरामद नहीं हुआ-


ज़बरदस्ती दूसरी बार पानी मगाना जबकि पूरा पानी भरा जग बेड की साइड टेबल पर रखा था। । और एक ख़ास बात जिसका मैं ज़िक्र करना चाहूँगा। हमको गार्ड ने बताया की उस रात २ औरतें पहले चली गयी थी पर जब उसने शिल्पी को बताया तो उसने कोई रीऐक्शन नहीं दिया। जिस औरत की सालो से यही आदत है वो एकाएक बदल कैसे गयी? दरअसल वो शालू थी और वो कुछ भी गार्ड से बोलती तो उसके पहचान जाने का डर था- 


जितना हमने शिल्पी के बारें में पता किया,ऐसा लग नहीं रहा था कि केवल घनश्याम से सम्बंध ना होने की वजह से वो आत्महत्या कर लेगी हालाँकि वो डिप्रेसन का शिकार थी। मैं मानता हूं कि शिल्पी के पति से फिजिकल रिलेशन नहीं थे इसका मतलब उसकी सेक्सुअल डिजायर पिछले कई सालों से नहीं पूरी हो रही थी। लेकिन जब मैंने डेनियल से बात की तो फिर मुझे पता लग गया कि वह डेनियल से सम्बंध बनाए हुए है और इसी वजह से रोज़ी और डेनियल की शादी भी करा रही है। मुझे लग रहा है इतना काफ़ी है शक ज़ाहिर करने के लिए की इसे आत्महत्या नहीं हत्या मान के तफ़तीश की जाय-



जब मैंने सबसे बात की केवल दो लोग ऐसे थे जिनके बयान से कुछ हाथ लगा। कमला से बात करने पे ये पता चला की शालू और शिल्पी की क़द काठी एक जैसी है। जब हमने शालू से बात की तो इसने बताया की शिल्पी ने किसी वसीयत की बात इससे की थी। हमने शिल्पी के वकील रवि से बात की तो उसने ऐसी किसी भी वसीयत के होने से इनकार किया। फिर वसीयत खोजने के इरादे से हम लोगों ने शिल्पी के रूम की एक बार फिर तलाशी  ली-


जब मैं पहली बार रूम की तलाशी ले रहा था इनके बुक्शेल्फ में रखी सारी किताबें बाएं साइड रखी थी। उसी में मेरा ध्यान बुक ‘मेरे अतीत पार्ट  १,२ और ३’ पर गया था। फिर जब दोबारा बुक्शेल्फ की तलाशी ली गई तो मैंने देखा की सभी किताबों को दाहिने साइड झुका करके रख दिया गया। इसका मतलब डेनियल ने भी बुक शेल्फ की तलाशी ली थी लेकिन वो तो कह रहा था की उसे फ़ाइल तलाश करनी है तो वो बुक को क्यों चेक रहा था?मैंने ये बात मनोज को बतायी भी थी। जब हमें वहाँ वसीयत नहीं मिली तो हमने ऑफ़िस तलाश किया। शिल्पी के ड़्रा में मेरी नजर बुक ‘मेरे अतीत पार्ट ४’ पर गयी। मैंने देखा उस बुक में एक पेपर कटिंग है जो इस तरफ़ इशारा करती है की डेनियल या रॉबिन पहले कोई अपराध कर चुका है। ब्लैकमेलिंग की सारी कहानी आपको पता ही है-


अब प्रश्न ये उठता है की ये बुक ‘मेरे अतीत पार्ट ४’ अगर शिल्पी के ड्रॉ में थी तो डेनियल को क्यों नहीं मिली। मैं निश्चित था की डेनियल को इसी बुक की तलाश है लेकिन वो तो ऑफ़िस लगातार चेक कर रहा था। तब मेरे समझ में सारी कहानी आ गयी की ऐसी कोई वसीयत बनी नहीं थी। शालू ने हमसे झूठ बोला था। दरअसल उस किताब के ज़रिए वो डेनियल को फ़साना चाहती थी। जबरदस्ती हमारा ध्यान इस बात की तरफ़ दिखाया जा रहा था कि हम ‘मेरे अतीत पार्ट ४’ मिले और हम उस कटिंग को देखें-


बात दरसल ये हुए होगी की जब शालू को पता लगा होगा की एक टीम शिल्पी की मौत की छानबीन करने आयी है तो शालू ने डर के डेनियल को फ़साने के लिए बुक ‘मेरे अतीत पार्ट ४’ शिल्पी के ऑफ़िस में रख दी। और मुझे झूठे ही वसीयत में उलझा दिया। इसको पता था कि हम लोग वसीयत को खोजने के लिए ऑफ़िस की तो ज़रूर तलाशी लेंगे। चूँकि डेनियल ऑफ़िस में रहता था इसलिए शिल्पी की मौत के बाद इसने सबसे पहले शिल्पी के रूम की तलाशी लेना उचित समझा इसे क्या पता था वो बुक शिल्पी की मौत के बात ऑफ़िस में रखी जा चुकी है। ये ओवर कॉन्फ़िडेन्स में फँस गया। इसके बाद मैं लगभग निश्चित ही हो गया की शालू ने ही हत्या की है। और कोई सवाल?”


“मनोज बोला ,-“लेकिन इसने शिल्पी को दो बार में नींद की गोली दी। इससे तो ये फँस भी सकती थी। ”


“इसके कई कारण हैं। पहला ये है की अगर ये पहली बार ही सारी नींद की गोली शराब में मिला देती तो शिल्पी को पता चल जाता। अरे भाई यदि एक पेग में तुम २०-२५ गोली डालोगे तो शिल्पी को दिखेगा नहीं। और नयन तारा के खाना रखने के बाद जैसे ही शिल्पी वाश रूम गयी इसने तुरंत ही तीन गोली डाल दी। तीन गोली घुलने और २० गोली शराब में घुलने में बहुत वक्त का अंतर होता है। अगर पूरी गोली घुलने से पहले शिल्पी वाश रूम से आ गयी होती तो ये पकड़ जाती। दोबारा तो शालू ने इत्मीनान से शिल्पी को नीद की गोली खिलायी। किसी को मारना वो भी इस तरीक़े से ये टाइम टेकिंग है-


दूसरा मान लो की ये पहली बार में ही सारी गोली मिला देती और शिल्पी पी लेती। पीने के बाद अगर शिल्पी ११ बजे खिड़की में खड़ी नहीं होती तो लोग रूम में चेक करने के लिए आ सकते थे और हो सकता था की शिल्पी बच जाती। कोई नहीं आया ये अलग बात थी पर कोई आ सकता था-


पवन बोला ,-“पर जब शिल्पी ने पहली तीन गोली खाकर सो गयी तो भी कोई आ सकता था?”


“हाँ आ सकता था तब सबको लगता कि शिल्पी नशे में सो गयी है। और शायद शिल्पी बाक सकती थी। देखीए अगर आप किसी को तीन गोली खिलाओ और किसी को २० गोली खिलाओ,दोनो में बहुत अंतर है। पहले केस में अगर कोई आ भी जाता तो भी सब यही मानते की शिल्पी नशे में सो गयी है और इस दशा में शालू अपना प्लान चेंज कर देती। और तीन गोली खाकर शिल्पी सुबह मरती नहीं तो कुछ नहीं होता। पर अगर २० गोली खाकर मर जाती तो तब तो सबको यही शक होता की किसी ने ये काम किया है। शालू का प्लान फूल प्रूफ़ था पर कुछ ग़लतियाँ थी।


पहला, इसे दोबारा शिल्पी को नाइट ड्रेस पहना देना चाहिए था। जल्दीबाज़ी में ये वही ड्रेस पहना गयी जो शिल्पी ने दिन में पहना था। दूसरा इसे सिगरेट पूरा जलाना चाहिए था। तीसरा इसे दोबरा पानी का जग नयनतारा से नहीं मंगाना चाहिए था। चौथा वसीयत की झूठी कहानी नहीं बनानी चाहिए थी और बुक को प्लॉट नहीं करना चाहिए था। ”


पवन बोला ,-“एक आख़िरी सवाल?”


“आप को शालू ही पर क्यों शक गया। और भी कोई हो सकता था। ”


“रोज़ी पर हम शक कर नहीं सकते थे क्योंकि जब रोज़ी रूम के अंदर थी तब घनश्याम मौजूद था इसलिए वो गोली कैसे मिला सकती थी । गोली के अंश सिर्फ़ ग्लास में थे दारू की बोतल में नहीं। घनश्याम पर शक इसलिए नहीं गया की जैसे ही शिल्पी मर गयी उसने तुरंत ही शादी का ऐलान कर दिया। अगर कोई आदमी कातिल होता वो पहले इन  सब बातों से बचता क्योंकि सबसे ज़्यादा फ़ायदा उसी को था। वो मामले के ठंडे होने इंतज़ार करता। पर जिस तरह से घनश्याम ने शादी का ऐलान किया तो वो शक के दायरे से बाहर थे। प्रॉपर्टी में उन्हें कभी इंट्रेस्ट था ही नहीं। अब बचता है डेनियल। डेनियल के पास मोटिव तो था पर उसे यहाँ बहुत मज़ा मिल रहा है। अरे रोज़ी से शादी के बाद एक तरीक़े से वो मिल का मालिक हो जाता। रह गयी बात शिल्पी से संबंध की तो ये संबंध डेनियल को अच्छा भी लग सकता है। अगर उसे नहीं पसंद था तो वो अब तक भाग क्यों नहीं गया। इसलिए ये सब कहने की बातें हैं। हाँ वो अपनी पेपर की कटिंग को लेकर परेशान था ना की शिल्पी से सम्बंध को लेकर। रॉकी उस समय जेल में था। केवल शालू ही बचती है। ”


पवन बोला,-“एक्सेलेंट। आप का जवाब नहीं। ”


मनोज बोला,- “बाप रे बाप कभी कभी साधारण लोग भी क्या प्लानिंग कर देते है की अच्छे अच्छे क्रिमिनल भी शरमा जाए। ” पवन अपने साथ शालू को ले गया।


“चलो मनोज अब हम लोग भी चलते है। सभी को गुड नाइट। ” अगले दिन  क़रीब नौ बजे अविनाश और मनोज जाने को तैयार हो रहे थे की इन्स्पेक्टर पवन आ गया।


“मुझसे मिले बिना ही जा रहे हो। ”


अविनाश बोला,-“नहीं यार बस थाने ही आ रहे थे। ”


“तुम लोग नहीं आते तो केस कभी हल नहीं होता। ”


“केस तब भी हल होता पर थोड़ा इंतज़ार करना पड़ता। कोई भी क्राइम पर्फ़ेक्ट क्राइम …………आओ शालू से ये ज़रूर पता कर लीजिएगा की उसने नींद की गोली कहाँ से ख़रीदी थी। अदालत में मदद मिलेगी। और कुछ सबूत मिल जाय तो इकट्ठा कर लेना। मनोज, पवन को बटन दे दो ये एक सबूत है। ”


“बहुत बहुत धन्यवाद”


“थैंक्स पवन इतना अच्छा केस देने के लिए। गुड डे। ”


समाप्त 

  


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