STORYMIRROR

Sadhna Mishra

Inspirational

4  

Sadhna Mishra

Inspirational

जहां चाह वहां राह

जहां चाह वहां राह

3 mins
324


बेटी के जन्म के समय से ही बेटी की शादी को ही बड़ी जिम्मेदारी माना जाना समाज की पुरानी रीत रही है। वर्तमान समय में भी कई शहरों और गांवों में यही प्रथा प्रचलित है बेटी के लिए घर और वर खोज कर उसकी शादी कर दी जाए तो समझो परिवार गंगा नहा लिया। यह मान्यताएं आपको आज भी बेटियों के परिवार में दिखाई देंगी शादी और कन्यादान से ऊपर शिक्षा को महत्व नहीं दिया जाता। घर गिरस्ती के कामकाज बच्चियों को बचपन से ही सिखाए जाने की प्राथमिकता रहती है ।


ऐसी ही मान्यता का एक परिवार जिसमें सात बहनों के साथ रहने वाली शानवी भी थी।  एक-एक कर तीन बहनों का कन्यादान हो गया, तब तक शानवी ने भी अपनी कड़ी मेहनत से घर गिरस्ती के काम के साथ-साथ पढ़ाई को भी महत्व दिया और पूरी ईमानदारी से दसवीं की परीक्षा प्रथम श्रेणी में उत्तीर्ण की ।शानवी पढ़ाई में होशियार थी सभी उसकी बड़ी सराहना करते थे, परंतु माता पिता जल्द से जल्द कन्यादान करने के लिए उतावले थे उन्होंने शानवी को आगे दाखिला नहीं लेने दिया ।

और शानवी की शादी कर दी शानवी ने शादी के बाद कुछ ही दिनों में अपनी गृहस्थी को अच्छे से संभाल लिया शानवी के पति शांतनु बहुत ही अच्छे इंसान थे। और शानवी को बहुत प्यार भी करते थे, घर परिवार संभालते हुए एक साल बीत गए थे शादी की सालगिरह पर शांतनु ने शानवी से पूछा तुम्हें उपहार में क्या चाहिए शानवी ने लजाते हुए कहा !

"कुछ नहीं आपने मुझे बहुत कुछ दिया है मुझे किसी उपहार की आवश्यकता नहीं" शान्तनू ने बहुत जोर दिया तब शानवी ने लजाते हुए शब्दों में कहा "मैं आगे पढ़ना चाहती हूं !क्या आप मुझे इसकी अनुमति दे सकते हैं,यही मेरा उपहार होगा।"

 शांतनु ने कोई जवाब नहीं दिया शानवी भी अपने काम में उलझ कर आगे बढ़ गई अगले दिन ही शांतनु ने दफ्तर से आधे दिन की छुट्टी ली और शानवी को लेकर कॉलेज जाकर उसका दाखिला करवा दिया शानवी बहुत खुश थी शानवी अपनी पढ़ाई के लिए समय निकाल सके ,इसलिए शांतनु घर के काम में भी हाथ बटा देता था और सानवी को पढ़ने के लिए समय मिल जाता था। समय व्यतीत होता गया शानवी दो बच्चों की मां बन चुकी थी परंतु उसकी पढ़ाई अभी जारी थी अच्छे नंबरों से संस्थान की डिग्री लेने के बाद दीक्षांत समारोह में शानवी को और पति शांतनु को भी बुलाया गया ।शामवी बहुत घबरा रही थी कि मंच पर क्या कहेगी, बोल पाएगी या नहीं वह कमरे में बार-बार चक्कर लगा रही थी "एक साधारण महिला होने के कारण मेरे सपने भी साधारण ही हैं उनको पंख लगाने का काम तो सिर्फ और सिर्फ शांतनु ने किया है मैं आज शिक्षा के क्षेत्र में जो भी नाम कर पाई हूं वह सिर्फ शांतनु के ही कारण है शांतनु ने ही मेरी उम्मीदों को दुगना कर दिया और मेरे सपनों को पूरा किया जिससे आज मैं एक शिक्षिका के पद पर कार्यरत हूं शानवी ने यही वक्तव्य मंच पर दिया, और साधारण से विशेष होने की कहानी व्यक्त करते हुए शानवी ने बड़े ही कठोर शब्दों में कहा जिस दिन प्रत्येक परिवार की मां कन्यादान से ऊपर शिक्षा दान को महत्त्व देने लगेगी उस दिन कोई भी शानवी साधारण नहीं रहेगी । धन्यवाद 

अगर आपको किसी बात का बुरा लगा हो तो मैं सभी से क्षमा चाहती हूं ।"शांतनु ने सबसे पहले कुर्सी से उठकर ताली बजाना शुरू किया शानवी के सम्मान में सभी गणमान्य व्यक्तियों ने तालियां बजाना शुरू किया और कुलपति महोदय ने मंच पर आकर माला पहनाकर शानवी को सम्मान दिया शानवी आज शांतनु की पत्नी होने पर बहुत ही गर्व महसूस कर रही थी।


"सच होते सपने भी हैं,

साकार अगर कर पाओ तो।

मन की अंधियारी गलियों में,

दीपक एक जलाओ तो।।"



Rate this content
Log in

Similar hindi story from Inspirational