कोरोना संकट और मृत संवेदना
कोरोना संकट और मृत संवेदना
कोरोना संकट काल में आपदा को अवसर बनाते हुए बहुत से दवा व्यापारियों ने ऑक्सीजन सिलेंडर की कालाबाजारी शुरू कर दी। राम रतन भी इस कालाबाजारी में शामिल हो गया , एक युवती भागती हुई राम रतन की दुकान पर पहुंचती है और हांफते हुए कहती है "भैया आपके पास ऑक्सीजन सिलेंडर है कृपया मुझे दे दीजिए मेरे पति को इमरजेंसी है हॉस्पिटल में ऑक्सीजन लीक हो गई है और अर्जेंट चाहिए" राम रतन बोला" नहीं है बस एक बचा है किसी ने बुक किया है।" युवती रोते हुए बोली" भैया मुझे दे दो "और वह रोने लगी। राजेश ने कहा "यह ₹30000 का है क्या तुम पैसे लाई हो?" युवती के पास 15000 थे उसने कहा "और बाकी रुपये मैं बाद में दे दूंगी।" राम रतन का मोबाइल बज उठा उसकी एकलौती ब्याहता बेटी ममता कॉल कर रही थी। और इधर युक्ति बार-बार ईश्वर की दुहाई देकर रामरतन से कह रही थी"भैया जल्दी दे दो"। मिन्नते कर रही थी!!
राम रतन ने कहा "15000 में नहीं हो पाएगा मैं आपको जानता तक नहीं हूं फिर कैसे आपकी मदद कर दूं?" युवती ने कहा "मानवता के खातिर भैया मेरा फोन नंबर रख लो या मेरा फोन रख लो जब मैं पैसे लेकर आऊंगी तब अपना फोन ले जाऊंगी राम रतन ने कहा इस फोन की कीमत 4000 से अधिक नहीं है कुछ और हो तो दीजिए।"
"अच्छा तुम यह मंगलसूत्र पहनी हो सोने का है? यही उतार कर दे दो।" यह सुनते ही युवती रोने लगी और उसने अपना मंगलसूत्र उतार कर राजेश को दे दिया और ऑक्सीजन सिलेंडर लेकर अस्पताल की ओर भागी।
राजेश के पास तीन फोन बेटी के आ चुके थे।वह बहुत खुश था कि आज इतना पैसा कमा लिया है ।तभी उसकी पत्नी का फोन आया और बोलने लगी कि दामाद के प्राण पखेरू उड़ गए हैं ऑक्सीजन न मिलने के कारण उसकी मृत्यु हो गई ।राम रतन की करनी का फल उसकी इकलौती पिता बेटी पा चुकी थी। राम रतन हताश होकर बिलख बिलख कर रोने लगा । उसके हाथ में युवती का मंगलसूत्र मुंह चढ़ा रहा था।।
"रहिमन पानी राखिए !बिन पानी सब सून" !!