राष्ट्रीय ध्वज का असली सम्मान
राष्ट्रीय ध्वज का असली सम्मान
आज पूजा बहुत ही खुश थी उसने बाबा के साथ जाकर बाजार से झंडा खरीदा और स्कूल की तरफ चल दी, आज स्कूल में झंडा रोहण का समारोह था।
स्कूल में झंडा रोहण और राष्ट्र गान के बाद समारोह में बहुत से सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत किए गए। पूजा ने बाबा के साथ सभी का आनंद लिया और उसके बाद वे दोनों घर को वापस आ गए अगले दिन सुबह बाबा के साथ सैर पर जाते हुए, पूजा ने कुछ झंडों को रास्ते में बिखरा हुआ पाया पूजा को यह देख कर बड़ी ही निराशा हुई कि जिस झंडे को कल हम सब ने मिलकर सलामी दी, आज वह झंडा हमारे कदमों में पड़ा है उसने बाबा से पूछा !
बाबा ने कहा हां कुछ मूर्ख लोग इस तरह के कृत्य करते हैं बेटा हमें इसको सुधारना होगा हम जीवन में ऐसी गलती कभी भी ना करें।
जिस तिरंगे को हम सलामी देकर शिरोधार्य करते हैं जिसकी छाया में हम सभी सुरक्षा का अनुभव करते हैं उस झंडे का इस तरह का अपमान हमें अपने जीवन में नहीं करना चाहिए।
पूजा झुक कर आसपास सड़क पर फैले हुए सभी झंडों को उठा लेती है और स्कूल के बाहर , और आसपास के कुछ सार्वजनिक स्थलों पर एक पर्ची चिपका कर एक थैला छोड़ आती है की जिन झंडों को उपयोग में ना लाया जाए वह इस थैले में डाल दिए जाएं कृपया झंडों को इधर-उधर रास्ते पर ना फेंका जाए।
पूजा के इस सार्थक व्यवहार पर बाबा ने पूजा की पीठ थपथपाते हुए कहा तुमने आजादी के पर्व को अपने विचारों से धारण किया है तुम आजादी के असली मायने समझ गई हो तुम्हारे दिल में राष्ट्रध्वज के प्रति जो प्रेम है यही है राष्ट्रध्वज का असली सम्मान !!
राष्ट्रीय ध्वज को सुरक्षा और सम्मान देने के लिए हम और किन उपायों को अपना सकते हैं कृपया अपने सुझाव अवश्य साझा करें आपके सुझाव और आपकी प्रतिक्रिया हमारे लिए अमूल्य है।