जेठालाल का ऑपरेशन
जेठालाल का ऑपरेशन
"जेठालाल जी आप अपनी आंखें धीरे धीरे खोलिए।" डॉक्टर ने कहा।
बड़ा ऑपरेशन था लेकिन सक्सेसफुल हो गया है सब बहुत खुश हैं, जेठालाल ने डॉक्टर के बताए अनुसार आंखें धीरे-धीरे खोली।
"डॉक्टर मुझे कुछ दिखाई क्यों नहीं दे रहा?" जेठालाल जोर से चिल्लाए।
"अरे धैर्य रखिए दिखाई देगा और अभी आप इतनी तेज ना बोले अभी ऑपरेशन हुआ है कुछ दिन तक आपको बहुत सावधानी बरतनी होगी।" डॉक्टर ने समझाया।
जेठालाल को सब कुछ साफ साफ दिख रहा है दया अपने अंदाज में ताली बजाकर बोली, "बऊ सरस......"
जेठालाल के मन में सोचा यह कैसे बोल रही है इस समय तो उसको सीरियस होना चाहिए फिर भी ऐसे बोल रही है। पर उसको आश्चर्य हुआ कि उसको ऐसा विचार क्यों आया मन में? पहले तो दया के लिए ऐसा कभी नहीं सोचता था वह तो हमेशा से ऐसी है।
आज डॉक्टर जेठालाल को घर जाने की इजाजत दे दी है, घर जाते सोसाइटी के सब लोगों ने उसका स्वागत किया। लोग सोच रहे हैं कि जेठालाल ऑपरेशन से वापस आने के बाद बबीता जी के बारे में जरुर पूछेगा लेकिन उसने पूछा ही नहीं सब को बड़ा आश्चर्य हो रहा है की लगता है वाकई दिमाग पर गहरी चोट लगी थी जिसकी वजह से आँखों की रोशनी गई ही थी शायद याद दश्त कुछ कम हो गई।
"आप कमरे में आराम करो मैं आपके लिए कुछ खाने के लिए लेकर आती हूँ।" दया ने कहा।
दया ढोकला और चटनी लेकर आई जेठालाल को देख कर अच्छा नहीं लगा यह नाश्ता, उसका बिल्कुल मन नहीं कर रहा है खाने का।
ये तुम क्या ले आई मुझे नहीं अच्छा लग रहा है मुझे तो थोड़े फ्रूट दे दो।
"फ्रूट!.... आप फ्रूट्स खाएंगे?" दया को बहुत आश्चर्य हुआ।
दया के आश्चर्य करने पर जेठालाल को भी लगाती कि वह तो यही सब खाता है और आज वह देख कर खाने का मन क्यों नहीं कर रहा है उसका।
"आपको यही अच्छा लगेगा आपको फल कहां पसंद है इस समय तो बिल्कुल भी नहीं खाएंगे आप शाम को फल।"
जेठालाल ने पहला टुकड़ा मुंह में डाला ढोकले का उसको बड़ा टेस्टी लगा उसने बोला-" दया तुमने स्वादिष्ट बनाया है......"
"देखा न मैंने कहा था आप से कि आप को यही पसंद है पता नहीं क्यों आप फल मांग रहे थे।" दया बोली।
"मुझे बहुत अच्छा लग रहा है खाने पर लेकिन पता नहीं क्यो मुझे यह सब देखने में बिल्कुल नहीं अच्छा लग रहा है।"
"अरे वह बबीता बेन थी ना......" दया ने कुछ कहने की कोशिश करी जेठालाल ने ज्यादा ध्यान नहीं दिया।
"अरे सुनो ना मेरी बात क्या कह रही हूँ, चुपचाप बिल्कुल सुनो...." दया जोर से बोली।
मुझे बबीता जी की मौत का बहुत दुख है लेकिन आप बच गए इसकी खुशी है और बबीता जी की आंखें आपको लग गई तभी आप दोबारा देख पा रहे हैं वरना आपके जीवन में तो अंधेरा छा गया था उस एक्सीडेंट के बाद।
बबिता की मौत की खबर सुन के जेठालाल जोर से चिल्लाया "नहीं.....ऐसा नहीं हो सकता...."
चिल्लाने के साथ जेठालाल की आंखें खुल गई।
हे भगवान इतना भयंकर सपना मुझे कभी दोबारा मत दिखाना मुझे बबीता की आंखें नहीं चाहिए मुझे बबिता पूरी की पूरी चाहिए। बबीता के बारे में सोच कर जेठा लाल के मोन में लड्डू फूटने लगे।
