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Dhan Pati Singh Kushwaha

Drama Horror Thriller

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Dhan Pati Singh Kushwaha

Drama Horror Thriller

इट फालोज-मितान दादा की कहानी

इट फालोज-मितान दादा की कहानी

4 mins
580

"इट फालोज" वर्ष 2014 में अमेरिका में बनी एक अलौकिक मनोवैज्ञानिक हाॅरर फिल्म है।इस फिल्म की कहानी को डेविड राॅबर्ट मिशेल ने लिखा और उन्होंने ही इस फिल्म को निर्देशित किया था।इस फिल्म में कई रहस्यमयी तथ्य प्रदर्शित किए गए।

इस प्रकार की अजीबोगरीब चीजें दुनिया के लगभग सभी क्षेत्रों में किसी न किसी रूप में देखने को मिलती हैं। हमारी भारतीय संस्कृति जो अपने आप में काफ़ी वृहद है।भारत के बंगाल क्षेत्र का काला जादू भी इन्हें में से एक है। जिसमें ऐसा विश्वास किया जाता है कि बंगाल में विशेष तौर पर महिलाएं काले जादू से किसी युवा व्यक्ति को अपनी जादुई ताकत से तोता,नर भेड़,बकरा या मुर्गा बनाकर अपने पास रखती है और वे अपनी इच्छा के अनुसार अपनी जादुई से कभी भी मनुष्य या पशु रूप में बदल लेती हैं।लोक काव्य "आल्हा" जिसमें बावन युद्धों के लिए अलग-अलग खण्डों में लिखा गया है। इसमें इस प्रकार की घटनाओं का बड़ा ही अतिशयोक्तिपूर्ण वर्णन किया गया है। आल्हा में हमारे देश के बुंदेलखंड क्षेत्र के महोबा राज्य की ऐसी वीरतापूर्ण कहानियों का वर्णन है। इसके की पात्र देवकीनंदन खत्री के अय्यारों की तरह अपनी वेशभूषा बदलने में निपुण बताए गए हैं।ये पात्र युद्ध की कला में निपुण होने के साथ ही साथ नृत्य,गायन विविध वाद्य यंत्रों को बजाने में भी निपुण थे।कुछ पात्रों को जादू की कला में भी महारत हासिल थी।ये पात्र दुश्मन राजा के महल में देश बदलकर गुप्त रहस्य पता कर लेते थे। इसके पश्चात अपनी छोटी सी सेना और जांबाजों के बल पर युद्ध जीत लेते थे।यह सारी घटनाएं हमें आश्चर्यचकित करती हैं।

हमारे देश के ग्रामीण अंचलों में भी लोगों के द्वारा आबादी क्षेत्रों से दूर भूत-प्रेतों से सम्बंधित किस्से कहानी रात्रि के दौरान अपने खेतों की रखवाली करते हुए खेतों में ही झोपड़ी बनाकर वहीं अपनी राय बिताने वालों के मुंह से सुनी जाती हैं। ऐसे ही लोगों में हमारे गांव के मितान नामक एक बुजुर्ग व्यक्ति थे। सर्दियों के मौसम में खेत पर बनाई झोपड़ी में उनका अलाव स्थाई रूप से जलता रहता था। वे अकेले ही मस्ती में लोकगीत गाते हुए बड़े ही प्रसन्न रहते थे।देर रात गए सन्नाटे को चीरती हुई उनकी आवाज कभी-कभार गांव में भी सुनी जा सकती थी। गांव के कुछ लोग भी अपने खेतों की रखवाली करने जाते तो उनके संस्मरण उनके पास बैठकर सुना करते थे।वे विविध किस्से सुनाते जो हमारे मन में भय मिश्रित रोमांच उत्पन्न करते थे।

हम थोड़े बड़े होने पर अपने गांव के एक बुजुर्ग मितान दादा के पास उनके खेत में बनी झोपड़ी में पहुंचकर उन्हें घेरकर बैठ जाते थे।सब उनसे कहते-" दादा,दादा ! एक कहानी सुनाइए।

वे पूरी रूचि दिखाते हुए कहते-" अच्छा ! बताओ। सच्ची कहानी सुनानी है या झूठ मूठ वाली।"

हम सब कहते-" झूठ मूठ की राजा - रानी की तो बहुत कहानियां सुनी हैं।आप हमें सच्ची कहानी सुनाइए।

मितान दादा के अनुसार वे आप बीती कहानी सुनाने लगे कि एक बार वे सोने ही जा रहे थे।तभी एक भिनभिनाती आवाज सुनाई दी कि मुझे तम्बाकू पीनी है। वे उठे और उन्होंने अपनी चिलम में तम्बाकू डालकर उसे दी। वह एक भूत था।वह भूत था यह उन्होंने कैसे जाना? यह पूछने पर उन्होंने बताया कि उसके पैर उल्टी दिशा में मुड़े हुए थे। उनके अनुसार अब वह हर रोज आता और तम्बाकू पीकर चला जाता। उन्होंने ने उससे मुक्ति पाने के लिए एक युक्ति निकाली। उन्होंने अपने अलाव में वह ईंट डाल दी जिस पर वह रोज आकर बैठता था। उसके आने समय निर्धारित ही था। उस भूत के आने के थोड़े समय पूर्व ही अलाव से निकाली ईंट उन्होंने रख दी।चिलम लेकर वह गर्म ईंट पर बैठ गया और चीखता हुआ भाग गया।उस दिन के बाद वह फिर नहीं आया।अब यह यह कहानी कितनी सच या कितनी काल्पनिक है यह तो बस मितान दादा जानते रहे होंगे।आज वे हमारे बीच ही नहीं रहे जो इसके बारे में बता सकें।

उनके अनुसार ऐसी घटनाओं से मन में भय को नहीं आने देना चाहिए।अगर हमारे मन में निडरता का दृढ़ भाव रहे तो बड़ी से बड़ी मुश्किल और मुसीबत से छुटकारा पाया जा सकता है।ऐसी कपोल कल्पनाएं और दंतकथाएं हम आज भी सुनते हैं। तांत्रिकों के जाल में आज की नई तकनीक के युग में लोग फंसते और उनके बहकावे में आकर पशु-पक्षियों और यहां तक बच्चों तक की बलि देने के समाचार सुने जाते हैं।आज के वैज्ञानिक युग में ऐसी निराधार कहानियां भले ही सच्चाई से दूर मानी जाती हैं पर आज भी इनकी स्मृति मन को रोमांचित कर जाती है।


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