ayush jain

Drama Romance

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ayush jain

Drama Romance

"इश्क"

"इश्क"

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क्या कहा तुम लौट आओगी,

पर क्या इन सूजी हुई आँखों को

अपने दुपट्टे से फिर से सेक पाओगी..


और मज़ाक में भी अगर कलम होंठो के लगा लेता था  

तो हो जाती थी  नाराज ,

सच सच बताना अब इन हाथों में सिगरेट देख पाओगी..


और तुझे भुलाने के चक्कर में  कितनी पीने लगा हूं मैं,

खुलवा लूं खाता तो मेरा उधार दे पाओगी..


भला हो उसका जो मुझे एक दिन जिंदगी और देता  है,

अगर कर दूं जिक्र तेरी बेवफाई का मैखाने में-एक बोतल फ्री देता है..


और इश्क कि सभी धाराओं के  तहत तो तेरी फांसी पक्की थी, 

पर  तू भी क्या याद रखेगी ये आशिक तुझे बा-इज्जत बरी देता है..


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