इस तरह ?

इस तरह ?

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यार तुझे हुआ क्या है ? हरदम ऐसे गुमसुम क्यों रहता है आखिर तेरी प्रोब्लम क्या है ? पहले तो तू ऐसा नहीं था मैं तुझे बचपन से जानता हूं तू ऐसा तो कभी नहीं था  कितना बड़बड़ करता था हर वक्त तो अब क्या हो गया है ? एक समय था जब तू मेरे कान खाता रहता था चुप ही नहीं रहता था और अब तू भी ना ! क्लास में भी कभी चुप नहीं बैठता था तेरे चक्कर में अक्सर डांट तो मुझे ही मिलती थी सर तुझे कभी कुछ नहीं कहते थे जब हमारी तरफ देखते तो तू चुप ही दिखाई देता और मैं बोलता हुआ बस फिर न पूछो मेरी अच्छी खासी क्लास ली जाती तब तू मुंह पे हाथ रखकर मुस्कराता रहता सारी डांट मेरे हिस्से ही आती थी मैं कुछ बोल ही नहीं पाता था बल्कि तेरा ख्याल करके चुप ही रहता और तू मुझे बाद में चिढ़ाता डरपोक कह कह कर ! स्कूल काॅलेज तक यही तो चलता रहा है फिर अब क्या हो गया ? इतनी शैतानी करने वाला चंचल नटखट वो मेरा जिगरी यार कहां चला गया ? पिछले एक साल से देख रहा हूं कई बार मेरे पूछने पर भी तू टालता रहा अपनी हर बात बताने वाला अब क्या और क्यों छुपा रहा है मुझसे ? लेकिन अब नहीं अब तो तुम्हें बताना ही पड़ेगा !

कुछ नहीं यार मत पूछ

तुम्हें हमारी दोस्ती की कसम जो अब छुपाया कुछ भी ! समीरिया अब तुम मुझे बता दो वरना मैं पागल हो जाऊंगा नहीं तो फिर कहते-कहते हरीश का गला भर आया आगे कुछ बोल ही न सका ।

 अरे हरिया ऐसा कुछ नहीं क्या बताऊं तुम्हें ? मैं खुद ही पेशोपस में हूं तो तुम्हें क्या बताऊं ? तू इतना इंसिस्ट कर रहा है इसलिए बताने की कोशिश करता हूं अब तो यह बोझ मुझसे भी सहन नहीं होता !

अगर ऐसा है तो पहले ही बता देता इतना लोड लेकर चलने की क्या जरूरत थी बात करता है !

यार गुस्सा मत कर बताता हूं - वो अपनी क्लासमेट प्रीति है ना ?

हां है तो  क्यों क्या हुआ उसे ?

 उसे कुछ नहीं मुझे हुआ है हां प्यार हुआ है और वो भी पहले दिन से ही जब पहली बार उसे देखा था कसम से यार मेरे दिल में गड़ गई है वो नहीं रह सकता उसके बिना नहीं मिली तो मर जाऊंगा ! लेकिन वो मुझे प्यार करती है या नहीं नहीं पता मुझे !

 इसमें क्या प्रोब्लम है ? यह तो उसकी बातों से ही पता चल जाएगा !

 लेकिन हमारी तो कोई बात ही नहीं होती जो भी होता है सब तेरे सामने ही तो होता है अकेले में कभी हिम्मत ही नहीं हुई बस इतना ही जब भी मौका मिलता है चोरी-छुपे उसको ही देखता रहता हूं नज़र मिलते ही हौंसले पस्त होने लगते हैं दिल धौंकनी की तरह धक-धक करने लगता है ! मेरी तमाम कोशिशें धरी रह जाती है !

 तो फिर ?

 यार यही समझ में नहीं आता !

 तो पत्र लिख दे !

 वो तो हर रोज लिखता हूं लेकिन उसे देने की हिम्मत नहीं हुई !

 तो पोस्ट कर दे !

 और उसे मिल गया तो ? सुन कर हरीश ने ज़ोर का ठहाका लगाया अरे मेरी जान प्यार किया है तो ओखली में सिर देना ही पड़ेगा वरना हाथ मलते रह जाओगे और सारा खेत चिड़िया चुग जाएगी समझे मिस्टर आशिक ? पहले तो तुम लोग आपस में बात करते थे ना फिर कौन से पहाड़ टूट पड़े ? अरे हाय हॅलो तो करते ही थे !

 बस इतनी बात ही तो होती थी फिर तो कोई बात ही नहीं होती लेकिन जैसे - जैसे प्यार जागृत होता गया वैसे-वैसे मेरी धिग्गी बंधती गई मगर मैं मन ही मन प्यार करता रहा और फिजीकली उससे दूर होता रहा ! मेरी झिझक ने मुझे आगे बढ़ने ही नहीं दिया कहीं उसे बुरा न लग जाय !

समीरिया तू रहा बौड़म का बौड़म अगर बुरा लग भी गया तो क्या बिगड़ जाएगा ? ज्यादा से ज्यादा ना बोल देगी बात नहीं करेगी तो अब तुम लोग कौनसा घंटों बातें करते हो ? और ये चुप्पी भी तो तूने ही ओढ़ रखी है ! कभी-कभी प्रीति कहती भी है - आजकल समीर को क्या हो गया है वाट्स रोंग विद हिम ?

सच में उसने ऐसा कहा ? क्या-क्या कहा ?पर उसने मुझसे तो कभी कुछ नहीं पूछा !

अरे जब तू उससे हाय हॅलो तक नहीं करता तो भला वो तुमसे क्या पूछती !

क्या कैसे पूछती ! अरे मैं उससे हम कितना प्यार करता हम हूं ! और

और क्या उसे क्या सपना आता है कि तू उससे प्यार करता है !

ओके पर यार तू मेरा दोस्त है तू ही कुछ कर ना प्लीज़ !

अरे वाह मैं क्या कर सकता हूं ?‌ प्यार तू करता है !

यार तू चाहे तो सब कर सकता है ! 

ओके बाबा लेट मी नो !

जैसे जो करना है कर लेकिन हेल्प मी यार ! 

और सच में हरीश की कोशिश रंग लाई प्रीति भी समीर से प्यार करती थी इसलिए सारी बातें जान कर प्रीति ने ही पहल की फिर भी कुछ दिन हिम्मत की कमी आड़े आती रही धीरे-धीरे सब नोर्मल होता गया प्यार परवान चढ़ने लगा और उसी साल दोनों की शादी हो गई !

हरीश और रिदिमा दोनों प्यार करते थे सो समीर और प्रीति की शादी के एक महीने बाद उन दोनों ने भी शादी कर ली ! समीर रिदिमा और हरीश एक ही कार्यालय में काम करते थे जबकि प्रीति मुम्बई विश्वविद्यालय में असिस्टेंट प्रोफेसर थी ! अब चारों खुशहाल जिन्दगी जी रहे थे ! शादी के बाद यह पहली दिवाली थी प्रीति सफाई कर रही थी बुकसेल्फ साफ करते समय एक फाइल में कागज़ों का पुलिंदा मिला जो बड़े से लिफाफे में एकदम बड़ी हिफाज़त से रखा हुआ था उत्सुकतावश खोलकर देखा सारे पत्र थे जो उसके नाम थे वो हैरान कि समीर ने इतने सारे रोज़ का एक पत्र लिखा और एक भी न मुझे डाक द्वारा भेजा और न ही कभी हाथ में दिया शादी के बाद भी आजतक नहीं बताया !

वह एक - एक पत्र को पढ़ती जा रही थी पढ़ते-पढ़ते उन्हीं में खो गई जाने कबसे आंखें गंगा-यमुना हो रही थी समीर ने तो अपना कलेजा ही निकाल कर रख दिया था झरती आंखों को पोंछते-पोंछते पत्र पढ़े जा रही थी कि इतने में समीर आ गया चाबी दोनों के पास रहती थी सो डोरबॅल न बजाकर ताला खोलके आ गया ! प्रीति को इस तरह देखा तो घबराहट में पूछा - क्या हुआ ? ये क्या है तुम्हारे हाथ में ?

वो सारे पत्र जो तुमने मुझे लिखें थे मगर कभी एक पत्र भी नहीं भेजा तुम इतना प्यार करते थे लेकिन इस तरह ओह ? 

समीर एकदम अवाक् उसके अश्रुस्नात चेहरे को देखता रह गया !

इस तरह ?


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