इस बार मैं प्यार करूँगी।
इस बार मैं प्यार करूँगी।
"दीदी देखिये तो इन फोटो में नंदोई जी आपको कितने प्यार से देख रहे है। और आप पता नहीं कहाँ खोई है। दीदी क्या आपको सच में उस टाइम पता नहीं चला था नंदोई जी के बारे में?? "
दीप्ति अभी कुछ दिनों के लिये मायके आई है। तो वहीं दीप्ति की भाभी उसे अपनी बहन की शादी की फोटो जो वो उनके एलबीम से अपने मोबाइल में खींच लाई थी वो दिखा रहीं थी ।
जिन्हें देख दीप्ति के चेहरे पर एक प्यारी सी मुस्कान खिल गई। और वो सारे फोटो अपने मोबाइल में भेजते हुये भाभी से बोली..... "सच में भाभी मुझे पता ही नहीं चला मैं तो अपने आप में ही मगन थी। "
और अपने फोन में सारी फोटो डाउनलोड कर एक एक फोटो को ध्यान से देखने लगी।
हर फोटो में समर बस उसी की तरफ देख रहे थे। और वो कभी हँसते हुये तो कभी चुपचाप बैठ कर शादी की रस्में देख रही थी।
आज से बीस साल पहले कि बात है जब दीप्ति बीस साल की थी। इस उम्र में जहाँ सारी लड़कियाँ लड़कों की बातों और खुद को सँवारने में लगी रहती थी।वहीं दीप्ति इन सब बातों से दूर सिर्फ अपनी पढ़ाई में व्यस्त रहती।
उसके एकांकी स्वभाव के कारण उसकी ज्यादा सहेलियाँ भी नहीं थी। उसे किसी शादी विवाह में जाना भी पसन्द नहीं आता था। अपनी बहन की शादी में भाभी उसे जबरदस्ती लेकर गई थी।
हमेशा झल्ली सी बन कर घूमने वाली दीप्ति उस शादी में पहली बार इतने अच्छे से तैयार हुई थी।
तभी तो बारात में आये समर को वो एक नजर में भा गई।
समर पूरी शादी में बस उसे ही देखता रहा। कई बार उसने कोशिश की दीप्ति से बात करने की, पर दीप्ति को लड़कों से बात करना तो छोड़ो उनकी तरफ देखती भी नहीं थी। उसे लगता था कि सारे लड़के बस लड़कियों का फ़ायदा उठाते है। इसलिए उनसे दूर ही रहना चाहिये।
पर डॉक्टरी कि पढ़ाई कर रहे समर के दिल में सीधी साधी दीप्ति यूँ बस गई कि उसने दीप्ति से शादी करने का फैसला अपने घर वालों को सुना दिया।
उस समय जब सिर्फ लड़की वाले ही लड़के वालों के यहां रिश्ता लेकर जाते थे , समर की जिद के आगे समर के घर वालों को उलटा दीप्ति के यहां रिश्ता लेकर आना पड़ा। दीप्ति के घरवालों को यह रिश्ता पसंद आ गया। और अच्छा सा मुहूर्त देखकर दीप्ति और समर की सगाई भी हो गई।
सगाई के बाद भी समर ने दीप्ति से बात करनी चाही। और एक प्रेमी, प्रेमिका की तरह अपने रिश्ते को प्यार की खुशबु से महकाना चाहा। पर दीप्ति की तरफ से कोई रिस्पोंस न मिलने से समर के अरमान दिल में ही रह गये।
समर ज्यादा दिन दीप्ति से दूर नहीं रहना चाहता था, सो जो सबसे पहला मुहूर्त निकला उसी में दोनों परिणय बंधन में बंध गए। शादी के बाद दीप्ति भी अपने पति से खूब प्यार करती। दोनों का रिश्ता बहुत ही खास और प्यारा है। दो बच्चों के माँ, पापा होने पर भी समर दीप्ति के साथ कुछ प्यार भरे पल चुरा ही लेता है।
पर समर आज भी उसे ये बोल कर चिढ़ाता है , .......
"कि तुम एक अच्छी पत्नी, बहू, माँ सब बन गईं। पर तुमने मेरे प्रेमी और प्रेमिका वाले प्यार का सपना अधूरा छोड़ दिया। "
और दीप्ति बस यही सोचती है कि कितनी बुद्ध थी मैं जो समर से सगाई के बाद भी बात नहीं कर पाई। अगर उसे एक बार अतीत में जाने का मौका मिले तो वो इस बार समर के साथ शादी के पहले के समय को यादगार बना समर की सारी शिकायत दूर कर देगी।
पहले तो सिर्फ समर ने उससे प्यार किया था। इस बार मैं भी उनसे उतना ही प्यार करूंगी।
फिलहाल तो वो शादी के इतने सालों बाद समर को टूट कर चाहने लगी है। और उसकी हर शिकायत दूर करने की कोशिश करती है। और समर तो है ही उसका दीवाना।
सोचते हुये दीप्ति ने सारे फोटो समर को सेंड कर दिये ताकि समर एक बार फिर उन्हें देख उससे शिकायत करे और उसे मनाने का दीप्ति को एक और मौका मिले ।

