Turn the Page, Turn the Life | A Writer’s Battle for Survival | Help Her Win
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Sanjita Pandey

Inspirational

4.7  

Sanjita Pandey

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इंतजार

इंतजार

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आज रक्षाबंधन है प्रिया सुबह से उदास है उसका मन बार बार अतित की यादों में गोते लगा रहा है।प्रिया एक संयुक्त परिवार में रहती थी उसके चार भाई और आठ बहनें थी,सब आपस में बड़े प्यार से रहते थे लेकिन प्रिया और जय दोनों भाई - बहन एक दूसरे से इतना प्यार करते थे कि किसी से भी एक दूसरे के लिए लड़ जाते थे,एक साथ खाना- पीना ,सोना ,पढ़ना ,उन दोनों यह मित्रता देख घर वाले भी कहते थे कि एक को कोई काम दे दो तो दूसरा अपने आप करेगा,फिर दोनों का एक ही स्कूल मैं एडमिशन हो गया,पहले दिन ही प्रिया को एक लड़के ने धक्का दे दिया,फिर क्या था जय ने उसका सर ही फोड़ दिया। दोनों को बहुत डांट पड़ी और सजा के तौर पे उन दोनो का एडमिशन अलग अलग स्कूल में हो गया। फिर भी वे दोनों एक दूसरे से अपनी सारी चीजे शेयर करते थे।

समय बीतता गया ,वे दोनो स्कूल से कॉलेज पहुंच गए,जय हॉस्टल चला गया , प्रिया घर पर ही रह पढ़ाई करने लगी और हर त्यौहार पर अपने भाई का इन्तजार करती।जय कहीं भी रहता था पर वह राखी पर घर जरूर आता था।और उस दिन प्रिया बावली सी होकर उसके पसंद की सारी चीजे बना डालती थी,सुंदर सी रंगोली बनाती थी और सभी भाई बहन राखी मनाते थे। प्रिया जय से कहती थी कि तुम हमेशा इसी तरह हर राखी पर मुझ से राखी बधवाने आओगे ना और वो हंसते हुए कहता की तुम्हारी शादी तो मैं आस पास ही कराऊंगा इमोशनल क्यों होती हो।

समय के साथ दोनो अपने दुनिया में नए आयाम तलाश रहे थे प्रिया को अपने ही रिलेशन में एक लड़के से प्यार हो गया था और वह जय को ये बताना चाहती थी ,लेकिन वो तो उसको देवी का दर्जा देता था ,कहता था प्यार - व्यार तुम्हारे बस की बात नहीं है तुम बहुत स्वाभिमानी हो,यह सोच प्रिया कुछ कह नहीं पाती।

इधर दोनो ग्रेजुएशन कर लिए,प्रिया की शादी की बात चलने लगी,प्रिया ने जय को फोन कर बोला मुझे किसी से प्यार है पर जब तुम घर आयोगे तब सारी बात होगी,इधर बीच परिवार में सबको प्रिया की प्यार कि खबर हो गई थी,घर में बहुत बवाल हो गया था पर प्रिया को यकीन था कि जब जय आएगा तो सब संभाल लेगा।

प्रिया खुश थी रक्षाबंधन का दिन था और जय आना वाला था।प्रिया पूरा दिन भूखी प्यासी इन्तजार करती रही पर जय उस दिन रात आठ बजे तक आया और आते ही अपने रूम में चला गया । प्रिया राखी की थाली ले के उसके पास गई ,जय ने बहुत बेरुखी से बोला "तुम ये अधिकार खो चुकी हो,तुम मेरी सगी बहन थोड़े ही हो ,मुझे राखी बांधने वाली मेरी अपनी बहनें है",उस दिन प्रिया को एहसास हुआ कि सच में वो उसकी सगी बहन नहीं है। प्रिया ने अपनी सारी सच्चाई बताई ,"भाई वो अच्छा लड़का है मैं उसे बहुत प्यार करती हूं, बहुत खुश रहूंगी" यह कह जय को मनाने की कोशिश की पर जय का इगो बीच में आ गया,प्रिया से बात करना तो दूर वह उसकी शक्ल भी नहीं देखना चाहता था।

प्रिया ने परिवार में अपनी बात कह दी थोड़े लोग नाराज़ थे और कुछ सहमत थे।लड़का अच्छा था तो सबने मिल के शादी कर दी ,शादी में जय नहीं आया और प्रिया उसकी राह देखती रही।आज रक्षाबंधन है और पिछले १८ वर्ष की तरह प्रिया ने इस वर्ष भी जय की राखी लड्डुगोपाल को बांधी ,इस इंतजार में कि दुनिया बहुत छोटी है और उसका वो बचपन वाला भाई एक दिन जरूर आएगा उससे अपनी सारी राखीयांँ बधवाने।।



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