इंसानियत
इंसानियत
"अरे वाह मित्र आज तुम्हे यह सब करते देख बड़ी खुशी हो रही है,मैं तो हमेशा ही तुमसे कहता हूँ कि हम अमीरों को अपना कुछ धन इसी तरह गरीबो में बांटना ही चाहिए।जिससे लोग हमें एक व्यपारी की बजाए समाजसेवी समझें और हमारी जयकार करें समाजसेवी तब नगर में हमारा भी नाम हो,पर तुम हो कि हर बार यह कहकर मेरी बात काटते थे कि तुम्हारा इन सब दिखावो में विश्वास नहीं है।
"खैर चलो देर से ही सही पर तुम्हे मेरी बात समझ तो आई"।
"नही कार्तिक दिखावे में मेरा आज भी कोई विश्वास नही है",उसने कार्तिक को फिर टका सा जवाब दे दिया।
"तो फिर अचानक ये सब आखिर क्यो",कार्तिक ने उसे टोकते हुए फिर आश्चर्य से पूछा।
तब वह बोला,"कार्तिक कोरोना महामारी के इस दौर में, लोगो से उनका धंधा रोजगार तक छूट गया है और आज इन लोगो को,इस तरह की मदद की बड़ी आवश्यकता है इसीलिए इस वक्त हम सभी को अपने अपने स्तर पर ऐसे लोगो की मदद करना चाहिए। और कार्तिक, दिखावे में मेरा विश्वास भले ही ना सही पर मैं भी एक इंसान हूँ और हाँ इंसानियत में मेरा आज भी पूरा विश्वास है",उसके इस जवाब ने कार्तिक को आज फिर निरुत्तर कर दिया।
