इंद्र धनुष
इंद्र धनुष
आज पुष्पकुंज सोसाइटी मे वेशभूषा स्पर्धा का आयोजन था। गणशोत्सव का मंच था। अतः सुखकर्ता- दुखहरता के लिए सभी के मन मे अति श्रद्धा भावना थी।
सभी रहवासी अपने अपने पारंपरिक वेशभूषा मे सज धज कर आये थे। सभी ने अपने अपने जाति , राज्य व परंपरा की जमकर तारीफ की। पर अपने को सर्वश्रेष्ठ जताने के चक्कर मे समारोह वाद विवाद में बदल गया। समारोह का समापन तो हुआ पर सभी के मन में एक खटास सी हो गई।
ये तना तनी छ महीनों से चल ही रही थी। अचानक प्रकृति- नियति- सृष्टि ने क्रूर षड्यंत्र रचा। विश्व मे वैश्विक महामारी ने कदम रखा। जिसका नाम था- कोरोना। कोरोना ने पूरा दृश्य ही बदल दिया।
अस्पताल ले जाते समय, दवाई देते समय, ऑक्सीजन देते समय या खाना बनाकर देते समय किसी को अपनी तना- तनी का ध्यान ही नहीं रहा।
आखिर इतनी संकट मय घडी पर पुष्पकुंज रहवासियों ने अपनी एकता से विजय पा ली।पूरे परिसर मे इन लोगों का दृष्टांत दिया जाने लगा। कोरोना से जीत की खुशी में एक बहुत बड़ा समारोह आयोजित किया गया। जिसमे दस सोसाइटी ने हिस्सा लिया। सारे समाज परिवर्तन के पुरस्कार पुष्पकुंज सोसाइटी को ही मिले।
समारोह समापन के समय जब मुख्य अतिथि ने कहा कि पुष्पकुंज के विविध जाति के पुष्पों से ही उनकी शोभा है इसलिए वो एक छोटा हिंदुस्तान को प्रदर्शित करते हैं, इसलिए ये सारे सिर्फ हिंदुस्तानी हैं। जिस प्रकार इंद्रधनुष सिर्फ एक रंग से नही बनता, सात रंगों से बनता है। उसी प्रकार पुष्पकुंज भी सजी हुई है।
गगनभेदी करताल ध्वनि से पूरा वातावरण गूंज उठा....