इलाहाबादी तेवर
इलाहाबादी तेवर
इलाहाबाद एक शहर नही,युवाओं का एटीचुट है,जो ऑक्सीजन की तरह खून में मिल जाता है।
पोस्ट बड़ा है लेकिन अलाहाबादी जरूर पढ़ेगा और ख़ुद को उतना समय इलाहाबाद की बगिया मा पाएगा और किसी मित्र को फोन करके बकैती ............पे..........
पता है इस शहर में जितनी बिल्डिंग्स है ना उससे कहीं ज्यादा इसकी कहानियां है। एक ऐसा शहर जो खुद को भूल कर रात - दिन हजारों लोगों के सपने पूरा करने में लगा रहता है। रवींद्र नाथ टैगोर ने कहा था भारत को जानना है तो विवेकानंद को पढ़ो। पर इलाहाबाद के बारे में ऐसा कुछ नही है। इलाहाबाद की अपनी एक अलग भाषा और व्याकरण है। इलाहाबाद को जानने के लिए खुद यहां रहना पड़ेगा इलाहाबाद को जीना पड़ेगा।
जहां जीवन की शुरुआत सुबह के बर्तन धोने से शुरू होती है फिर एक कटोरी चना चबाकर और एक गिलास चाय गटका के जिंदगी कुर्सी पे 12 बजे तक बैठ जाती है। फिर दोपहर में एक कूकर में दाल, भात और चोखा बना के उसका स्वादापान करते हुए अपने उदर को संतुष्ट किया जाता है। दुनिया में इलाहाबाद ही एक इकलौता शहर है जहां दिन में 1 से 4 बजे तक छोटी गुड नाइट होती है। जहां पूरा इलाहाबाद सोता रहता है। यहां दिन भी आलसी हो जाता है और रात इनके इशारे पर होती है। यहां लड़के बर्तन धोने में इतना कितराते है कि कढ़ाई में चाय बना के पी लेते है।
इलाहाबाद वो गुरु है जो जिंदगी जीना सिखाता है। जो जिंदगी के असली सत्य से परिचय करवाता है। संघर्स, धैर्य, मेहनत, प्रेम, लेखन और दोस्ती ये सब इलाहाबाद के सिलेबस के महत्वपूर्ण टॉपिक है। बाकी यहां रहकर लड़का चाय से मोहब्बत करना तथा भर भर के ज्ञान देना और चाय की टपरी पे बैठ के बकैती करना सीख जाता है। स्वादिष्ट खाना बनाना तो यहां की हवा में है मुर्गा से लेकर पनीर सब में लौंडा यहां मास्टर होता है। ये चाय से कोई समझौता नहीं करते है और दूसरे की चाय इनको पसंद नही आती है। बिना अदरक के चाय ये पीते नही है चाहे अदरक कितना भी महगा हो जाए। अगर इनको भगवान अमृत भी देने आए तो ये उनसे भी बोल देंगे जरा अदरक डाल के पांच मिनट और खौला के दीजिए प्रभु मज़ा ही आ जाएगा।
यहां लौंडा दोस्तो को ब्रो या डूड नही बाबा बोलता है। यहां की एक प्रसिद्ध कहावत है कि असली प्रलय तब आएगा जब लोग इलाहाबाद में बाबा की जगह डूड बोलने लगेंगे। यहां की दोस्ती भी बड़ी मजबूत होती है इतनी की दसरथ माझी जैसे हजारों लोग जीवन भर हथौड़ा मारे तो भी नहीं टूटेगी।
यहां प्रेम में धोखा पाना और बालों का झड़ना हर लड़के की कहानी है।
इसी लिए हर लड़को का यही ख्वाब होता है जल्दी से सलेक्शन हो जाए बाल लगवा के सुन्दर कन्या से विवाह करेंगे।
इलाहाबाद में सुबह दही जलेबी मिलती है और शाम मीठी चाय से होती है। यहां
शाम को हर चौराहे पर लड़के ऐसे दिखते है जैसे कुंभ लगा हो। इलाहाबाद में इतने लड़के है की सिर्फ बघाड़ा के लड़के अगर मूत दे तो पाकिस्तान जैसा देश बह जायेगा।
यहां के लड़के बहुत ज्यादा टैलेंटेड होते है चाहे वो बातो बातो में चूतिया बनाना हो या सब्जी वाले से मोल भाव करना हो या मैगी से तेज खाना बनाना हो सबमें एक नंबर है। सब्जी का मोलभाव तो इतने अच्छे से करते है कि वैसा औरते भी न कर पाए और तो और यहां लड़के तनाव दूर करने के लिए नई नई गालियां भी निजात करते है ऐसी गालियां की सुनने वाला भी सुन के वाह वाह करे।
इलाहाबाद यूनिवर्सिटी के हॉस्टल का भी एक अलग ही इतिहास रहा है। जो यहां का पहला न्यायालय है। जहां विवाद सुलझाए जाते है सजा दी जाती है और सुलह भी कराएं जाते है। जिसकी प्रक्रिया बहुत तीव्र है। इसी लिए यहां बोला जाता है " बवाल होने पर लौंडा थाने में नही पहले हॉस्टल में फोन करता है। " अपने हक के लिए लड़ना, धरना देना और विरोध करना यहां के लड़के बखूबी जानते है।
यहां संगम और कंपनी गार्डेन जोड़ो के लिए गोवा है। जहां वो हाथो में हाथ डालकर इश्क के मंजन घिसते रहते है। संगम, गंगा और यमुना की तरह लाखो प्रेम कहानियों का गवाह है। जहां कसमें खाई जाती है, वादे किए जाते है पर अंत में कटता ही है।
इलाहाबाद एक शहर नही एटीचुट है। आप इससे कितने भी दूर चले जाए पर ये कभी आपसे दूर नही होगा। ये ऑक्सीजन की तरह खून में घुल जाता है। जो यहां पे आता है वो यहीं का हो जाता है। जब भी वापस कभी इलाहाबाद आओ तो यहां की हवा में पहुंचते ही अंदर एक रोब सा आ जाता है जैसे शरीर में इलाहाबाद की प्रोग्रामिंग हो गई हो।
ये शहर मेहनत तो बहुत करवाता है पर इलाहाबाद किसी को खाली हाथ नही भेजता है और सही भी है उस मेहनत के वक्त में जो कुछ सिखाता है, जिनसे मिलवाता है उन सब से ही लड़का एक अच्छे व्यक्तित्व का निर्माण करता है। एक जो अखंड सत्य है कि यहां के लड़के जितना प्यार अपने माता पिता से करते है उतना किसी से नही करते है।
लोग बोलते है मुंबई ड्रीम सिटी है पर शायद उनको नही पता असली ड्रीम तो अपना इलाहाबाद है।
