Shakuntla Agarwal

Inspirational

3.5  

Shakuntla Agarwal

Inspirational

"ईश्वर है यहीं - कहीं" (जाको राखे साईयां मार सके न कोय)

"ईश्वर है यहीं - कहीं" (जाको राखे साईयां मार सके न कोय)

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मेरे चार भाई हैं। उनमें से दुसरे नंबर के भाई का नाम गौरी शंकर है। उसको निमोनिया की शिकायत थी। मेरे बाऊजी उसे दिल्ली डॉक्टर केवल जैन जी को दिखाने के लिये लेकर गये थे। रास्ते में भीड़ होने के वजह से वह थोड़े लेट हो गये। सो रेलगाड़ी का समय होने की वजह से पुल के बदले, उन्होंने खड़ी रेलगाड़ी के नीचे से निकलना मुनासिब समझा। वो खड़ी गाड़ी के नीचे घुस गये, लेकिन ये क्या ? गाड़ी चल रही थी, अब मरना तो तय था, तो उन्होंने मेरे भाई को गाड़ी के डिब्बों के बीच खाली जगह आई तो प्लेटफार्म पर फेंक दिया और खुद रेल की पटरियों के बीच चिपक कर लेट गये। मेरे भाई को प्लेटफार्म पर लोगों ने उठा लिया और वह समझ रहें थे कि जो शख्स गाड़ी के नीचे है, वह जिन्दा नहीं निकलेगा। 


जब पूरी गाड़ी गुज़र गई तो बाऊजी को लोगों ने पटरियों से उठाया और बैंच पर बिठाकर पानी पिलाया। पर उनकी नज़रें तो अपने बच्चें को ढूंढने में लगी थी। लोगों ने उन्हें कहा - लो सँभालो अपनी अमानत। मेरे बाऊजी लोगों का और ईश्वर का धन्यवाद कर रहें थे कि दोनों इस दुनिया में सही - सलामत थे। मेरे बाऊजी की पूरी शर्ट फट गई थी और उनकी पीठ बुरी तरह घायल हो चुकी थी, पर ईश्वर की रहमत से दोनों इस दुनिया में जिन्दा थे। लोगों की आँखों में ख़ुशी के आँसू थे। लोग कहने लगे कि प्यार की इससे बड़ी मिसाल हो ही नहीं सकती, अपनी जान की परवाह किये बगैर बच्चे को सुरक्षित रखा और ईश्वर की करामात देखिये - "जाको राखे साईयां मार सके न कोय" और इसलिए मैं कहती हूँ - ""ईश्वर है यहीं - कहीं"।



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