हत्यारी माँ
हत्यारी माँ
आज ममता सुबह चार बजे ही उठ गई थी, क्योंकि आज का दिन उसके लिए बहुत खास था। वो नहा धो कर तैयार हुई और उन जेल की दीवारों को गौर से देखने लगी आज उसका आखिरी दिन जो था यहाँ। सारे लोग ममता का बहुत सम्मान करते थे यहाँ तक कि जेल का स्टाफ भी ममता को बहुत मानता था। उसे यहाँ आज दस साल हो गए थे, उसका व्यवहार सबसे बहुत अच्छा था। सबके काम आने वाली सबकी सेवा करने वाली ममता को कोई देखकर कह ही नहीं सकता था की उसने अपने ही बेटे की हत्या की थी।
ममता के पति आर्मी में थे, जब वो देश की सेवा करते हुए बॉर्डर पर मारे गए तो ममता और उसका पाँच साल का बेटा आकाश इस दुनिया मे अकेले रह गए। ममता ने आकाश को पालने में कोई कसर ना छोड़ी थी। आकाश ही उसकी दुनिया था। उसने आकाश की हर जरूरत को पूरा किया और उसे हमेशा अच्छे संस्कार दिए। अब आकाश बीस साल का हो गया था। उसे अपने कॉलेज में पढ़ने वाली नैना से एकतरफा प्यार हो गया। उसने नैना से अपने प्यार का इजहार किया लेकिन नैना ने साफ मना कर दिया।
इसे आकाश ने अपनी बेइज्जती समझा, ऊपर से उसके दोस्तों ने आग में घी डालने का काम किया। "कैसा लड़का है जो एक लड़की से हार गया। "ये सब आकाश को नाक़ाबिले बर्दाश्त हो गया। अब वो नैना से बदला लेना चाहता था। ममता ने सुना कि आकाश किसी से गुस्से में फोन पर बात का रहा है" हाँ, राहुल तूने एसिड ले लिया न, आज उसे ऐसा सबक सिखाऊंगा कि पूरी जिंदगी किसी को अपना मुंह दिखाने के लायक नहीं रहेगी। " ये सुनते ही ममता के पैरों के नीचे से जमीन खिसक गई। उसने कभी सोचा भी नहीं था कि उसका बेटा ऐसा निकलेगा।
उसे कितना नाज था उस पर। उसने आकाश को रोकने की पूरी कोशिश की लेकिन उसने ममता की एक बात नहीं सुनी। और घर से बाहर निकल गया। ममता भी उसके पीछे पीछे अपनी पति की रिवाल्वर लेके निकल पड़ी। ममता का इरादा उसे मारने का नहीं वो केवल उसे डराना चाहती थी। "रुक जा आकाश तुझे मेरी कसम"। लेकिन आकाश नहीं रुका। "देख आकाश रुक जा, नहीं तो मेरे हाथ से गोली चल जाएगी। लेकिन आकाश के सर पर खून सवार था। उसे यकीन था कि उसकी माँ कभी उसकी जान नहीं लेगी।
तभी एक आवाज आई धाएँ और आकाश का शरीर निष्प्राण हो चुका था। ममता ने पुलिस को खुद फोन करके अपना गुनाह कबूल कर लिया। उसे दस साल की सज़ा सुनाई गई। आज उसकी सजा पूरी हो गयी थी। उसे आकाश का दुःख तो बहुत था, लेकिन किसी की जान बचा लेने की तस्सल्ली भी थी।