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Anusha Dixit

Children Stories Drama

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Anusha Dixit

Children Stories Drama

सच या सपना- भाग 1

सच या सपना- भाग 1

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अनिता मैंने सोच लिया तो सोच लिया,मैं अब पीछे नहीं हट सकता।आशुतोष ने अपनी पत्नी अनिता से तठस्थ स्वर में कहा।तुम समझते क्यों नहीं आशु तुम्हारा इस उम्र में बाइक से लेह जाना ठीक नहीं।अनिता ने समझाते हुए कहा।उम्र.......ऐज इस जस्ट आ नंबर डिअर, और तुम्हारा आशु कभी हार नहीं मानता अभी 51 का ही तो हुआ हूँ मै।यह कहकर आशुतोष ने अनिता की बात को हवा में उड़ा दिया।अब अनिता भी क्या कह सकती थी।

आशुतोष एक जिंदादिल इंसान था,बैंक में कार्यरत, एडवेंचर का शौकीन भी।ना ही उत्साह की कोई कमी थी ना पैसे की।लाइफ सेट थी दो बच्चे थे जो अपनी अपनी जॉब पर थे।कोई चिंता न फिक्र।इस बार आशुतोष उसके तीन दोस्तों ने मिलकर बाइक से लेह जाने का प्लान बनाया। वो लोग निकल पड़े।दिल्ली से चंडीगढ़,चंडीगढ़ से हिमाचल बहुत ही रोमांचक सफर था।बीच में मनाली पड़ा तो आशुतोष की 26 साल पुरानी यादें ताजा हो गईं, लेकिन उसने अपने दिमाग से उन्हें झटक दिया क्योंकि वो बहुत आगे बढ़ गया था।तभी उसका ध्यान अपने बाएं हाथ की कोहनी पर गया जिस पर चोट का निशान आज भी था।ये चोट भी तो उसे यहीं लगी थी।तब भी वो लेह जाने के लिए ही निकला था लेकिन उसका सपना पूरा नहीं हो सका।

खैर आज वो अपना सपना पूरा कर लेना चाहता था।लेह अभी 350 किमी दूर था रात होने वाली थी इसलिए उन्होंने वहीं केलौंग नाम की जगह पर ठहरने का फैसला किया। वो लोग एक ढाबे पर रुके चाय पीते पीते आशुतोष के दोस्त अजीत उस ढाबे वाले से बोला.... यार कोई कहानी सुनाओ तुम्हारे यहां तो वो भूत की कहानियाँ बहुत फेमस होती हैं। ढाबे वाला भी बातूनी था बोला क्यों नई शाब जी,आज हम तुमको सच्ची कहानी सुनाएगा।चारों उसकी बात को गौर से सुनने लगे।

आज से कोई पच्चीस छबीस साल पेले की बात होगी शाब जी एक लड़की रेती थी यहाँ उषका नाम सानवी था शाब जी।बोहत अच्छी लड़की थी लेकिन एक दिन.....बस बस बंद करो अपनी ये बकवास,आशुतोष लगभग उसे डाँटते हुए बोला।अरे क्या हुआ आशुतोष उसे क्यों डाँट रहा है सुनने दे ना कहानी अजीत झल्लाते हुए बोला।अरे क्या सुनने दूं ये लोग मनघड़ंत कहानियां बनाते हैं और तुम जैसे इनकी बकवास पर यकीन कर लेते हो।तभी राकेश जो इनका दोस्त था बोल पड़ा यार हमें तो सुननी है कहानी तुझे नहीं सुननी तो जा यहां से।ये सुनकर आशुतोष को गुस्सा आ गया वो वहाँ से उठकर चला गया।

आशुतोष पैदल चलने लगा उसका ध्यान एक बार फिर अपनी कोहनी के निशान की तरफ गया और उसे 26 साल पहले की बात याद आ गयी।


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