Anusha Dixit

Children Stories

5.0  

Anusha Dixit

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बुरी लड़की

बुरी लड़की

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लावण्या जैसा उसका नाम था,बिल्कुल वैसी थी वो रंग गोरा,घुंगराले कमर तक लंबे बाल,कत्थई गहरी आँखे।चलती थी तो लगता था जैसे कोई अप्सरा हो।मतलब कोई उसे इग्नोर नहीं कर सकता था।जहाँ एक तरफ लड़कियाँ जलन की वजह से उसकी बारे में बातें बनाती थी और वहीं लड़के उसे इम्प्रेस करना चाहते थे।लेकिन इन सब से अलग लावण्या को केवल अपने काम से काम था।वो खूबसूरत तो बहुत थी साथ ही साथ बुद्धिमान भी।ब्यूटी विथ ब्रेन का बेजोड़ नमूना थी वो।

ये तो रही लावण्या की बात अब मैं अपने बारे में भी बता दूं।मेरा नाम अमित है,मैं भी उसी इंस्टीट्यूट में एक साल से पढ़ा रहा था,जिसमें लावण्या ने अभी कुछ 1 महीने पहले ही जॉइन किया था।हालांकि यहाँ आकर ही मेरी एक गर्लफ्रैंड भी बन गयी थी जिसका नाम सौम्या था।इसके बावजूद भी में लावण्या के आकर्षण से खुद को नहीं बचा पा रहा था।मैं उसकी तरफ से नजरें नहीं हटा पाता था।कभी उसके लुक्स तो कभी विस्डम को देखकर में उसके मोहपाश में बंध चुका था।हालाँकि लावण्या की तरफ से कभी ऐसा कोई सिग्नल नहीं मिला।मैं जब भी उसकी तरफ देखता वो मुझे इग्नोर कर देती।शायद उसे इस सब की आदत थी।लेकिन इधर न जाने सौम्या को क्या होता जा रहा था,वो हमेशा लावण्या को नीचा दिखाने की कोशिश करती रहती।एक बार तो उसने हद कर दी उसने लावण्या की झूठी शिकायत मैनेजमेंट से करदी।दरअसल वो पीरियड लावण्या का था।लेकिन सौम्या ने कहा कि मुझे अपना सिलेबस पूरा करना है,क्या ये पीरियड में लेलूँ।लावण्या ने मना नहीं किया ,इसके बाद सौम्या ने मैनेजमेंट से कहा कि लावण्या अपने पीरियड्स नहीं लेती।इस बात पर लावण्या की डाँट पड़ गयी।और भीगी आँखो से प्रिंसिपल ऑफिस से बाहर निकली। सौम्या ,लावण्या को लेकर इनसिक्योर फील करती थी।

शायद इन सब घटनाओं से मेरा झुकाब लावण्या की तरफ हो रहा था और सौम्या से मेरा मन हट रहा था।मैं हर हालत में लावण्या को अपने मन की बात कह देना चाहता था।एक दिन सौम्या छुट्टी पर थी और लावण्या स्टाफ रूम में अकेली।मैंने सोचा इससे अच्छा मौका नहीं मिल सकता।मैं उसके पास गया और बोला,"मैं तुमसे बहुत प्यार करता हूँ जबसे तुम्हें देखा है तब से एक पल भी मेरा ध्यान तुम्हारी तरफ से नहीं हटता क्या तुम मेरी गर्लफ्रैंड बनोगी।"इसके बदले में मुझे उससे ऐसे जवाब की उम्मीद न थी।उसने कहा"अमित ,सौम्या एक बहुत अच्छी लडक़ी है ,उसे मेरे लिए तो क्या किसी के लिए भी मत छोड़ना।उसके अगले ही दिन उसने ये जॉब भी छोड़ दी।अगले दिन सौम्या को जब ये पता चला तो बोली,"अच्छा हुआ चली गई वैसे भी मुझे बिल्कुल अच्छी नहीं लगती थी,बुरी लड़की।"ये सब सुनकर मैं शर्म से पानी पानी हो गया।और सोच रहा था क्या वो सच में थी एक,"बुरी लड़की।"



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