होने वाली हानि
होने वाली हानि
एकबार एक विद्यालय में सभी शिक्षकों ने अपने प्रिंसिपल के सामने एक अर्जी देनी चाही।
जिसमे वे अकस्मात छुट्टी एक से बढ़ाकर दो करना चाहते थे। सभी शिक्षकों का मंतव्य एक था। उन्हीं शिक्षकों में एक शिक्षक जिनकी लिखावट कमाल थी,अन्य शिक्षकों ने उनकी तारीफ़ के पुल बाँधे तो वे गदगद हो गए। जबकि उन्हें यह अच्छे तरह से पता था कि इस छोटे से आवेदन का क्या प्रभाव पड़ेगा सभी शिक्षकों पर। फिर भी उन्होंने अपने हाथों से सुंदर अक्षरों में आवेदन पत्र लिख डाला।
प्रिंसिपल के स्वभाव से अवगत होने के बावजूद उन्होंने जान बूझ कर उसी काम को किया। अब परिणाम वही हुआ जिसका अंदाजा था। आवेदन अस्वीकृत कर दी गई तथा अलग से उस शिक्षक के लिए व्यक्तिगत नियम और भी बढ़ा दी गई। अन्य सभी शिक्षक यह जानते थे कि परिणाम क्या होगा इसलिए उन्होंने आवेदन पत्र नही लिखा, परंतु इस महाशय ने पत्र लिखा सब कुछ जानते हुए भी और परिणाम को भोगा भी। जानबूझकर की गई गलती से होने वाली हानि ही कहलाती है आ बैल मुझे मार।