सब कमीने हैं...

सब कमीने हैं...

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बात ग्यारहवीं कक्षा की है। मैं मेरे बारे भाई और मेरे गाँव के दो चार मित्र साथ पढ़ते थे।

पहली दफा हमने महाविद्यालय की दीवारों को देखा था, हम सवेरे ट्यूशन से आकर पढ़ते,घूमते,खेलते यही हमारा दिनचर्या था। मेरे दोस्तों की टोली में सभी ब्योरे थे कमीने, सिवा मेरे। लेकिन मैं उनलोगों के साथ पनीर खूब खाता।एक बार हमारे मोहल्ले में एक लड़का आया पढ़ने में बहुत तेज, वैसे हम लोगों से उसकी बात नहीं होती थी पर एक दिन हम लोग क्रिकेट खेल रहे थे, उसने आकर हमसे बड़ी शालीनता से आग्रह किया कि हम लोग उसे भी खेलने का मौका दे।

उस दिन से हम लोगों की बातचीत शुरू हो गई। धीरे धीरे हम लोग दोस्त हो गए। उसका जन्मदिन आया उसने सबको मिठाई खिलाई लेकिन हमारे कमीने मिठाई से कहा मानने वाले थे।

उन्होंने शाम को पार्टी देने की शर्त रख डाली। उसने भी हामी भरी। उस समय उसके पास ज्यादा पैसे भी नहीं थे पर उसने कर्ज लेकर भी खर्च करने की बात की, पर उसने साफ साफ बता दिया कि वो मदिरा सेवन नहीं करता।

शाम हुई सभी लोग के साथ मैं भी गया, हम लोग होटल में बैठे। मैं जब तक बाथरूम से आता पार्टी शुरू थी। वो चुपचाप बैठा था। मेरे साथ अचानक उसे भी बाथरूम जाना पड़ा।जब उसे ज्यादा समय लगा लौटने में तो मैं भी पीछे जाने ही वाला था कि वो इतने में आ गया ।मैने पूछा क्या आर्डर दे,उसने बोला जो मर्जी। मैं पनीर का आर्डर देके जैसे ही वापस आया, मैं तो आश्चर्यचकित हो गया। मेरे मुख से एक ही शब्द निकले- सब कमीने हैं।


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