savitri garg

Drama

3  

savitri garg

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होली

होली

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होली का नाम सुनते ही मन में उमंगों तरंगों की लहर सी उठ जाती है। मन में एक अलग सा आनंद उमड़ने लगता है। यह त्यौहार फागुन मास में मनाया जाता है। फागुन मास का अपना एक अलग महत्व है। इस माह में बसंत ऋतु का आगमन होता है और हर तरह से मौसम में बदलाव आता है। मानो! जाते हुए शरद ऋतु हमें कुछ नया दे के जा रही है। और प्रकृति अपना मौसम के अनुसार बदलाव भी कर रही है। यह मौसम बहुत अद्भुत और अनोखा होता है, इस मौसम में कहीं पतझड़ तो कहीं कोमल -कोमल एकदम मुलायम सी उगती हुई पत्तियां ,खेतों में लहलहाती गेहूं ही बालियां; ऐसा लगता कि कुछ गुनगुना रही हैं, चने की फसल कटाई के लिए तैयार है, सरसों के पीले पीले फूलों का नजारा देखने को मिलता है, सारी फसलें कटने को तैयार होती है, आम के पीले पीले बौरों की खुशबू और कटहल जामुन के फूलों की महक एक अलग ही एहसास कराती है। वहीं महुआ के फूलों की महक अलग ही आनन्द देती है।

 मानो! प्रकृति हमारी गोद में छोटा सा उपहार देकर जा रही है। कहीं पलाश के फूल मन मोह रहे हैं, और कहीं हल्की ठंड ,कहीं हल्की गर्मी का अनोखा एहसास महसूस होता है, कहीं लगता कि मौसम सब कुछ ले कर जा रहा है, और वहीं थोड़ी देर में लगता है कि हमें कुछ दे कर जा रहा है। प्यारी- प्यारी सी ठंडी हवाओं के रूप में कुछ लेकर जा रहा है। वहीं हल्की- हल्की ‌ गर्म हवाओं को देकर जा रहा है। और जो ये ठंडी ठंडी हवा और गर्म गर्म हवाओं का जो मिलन है उस मधुर एहसास का वर्णन करना बहुत ही, मुश्किल हो जाता है। पता ही नहीं लगता कि हम किस ओर जाएं। पतझड़ को अपनाएं की उन प्यारी प्यारी मनमोहक पत्तियों को। जाती हुई सर्द हवाएं कि आती हुईं गर्म हवाओं को।  यह मौसम के बदलाव को किस तरह स्वीकार करें, समझ में ही नहीं आता है। इस माह को प्यार का मौसम भी कहते है। फागुन मास में हम होली भी मनाते हैं। यह एक अद्भुत और अनोखा त्यौहार है। प्यार ,उमंग ,सामाजिक रूप से हर तरह से इस त्यौहार को मनाते हैं, सांस्कृतिक पर्व के रूप में भी मनाते हैं ।इस त्यौहार की तरह-तरह की कहानियां भी हैं जो हमें सीख भी देती हैं कि सत्य पर चलने से हमें अग्नि भी नहीं जला सकती और असत्य पर चलने से हम जलकर खाक हो जाएंगे। इसमें भी सत्य और असत्य का महत्व बताया गया है इस त्यौहार को भारतवर्ष में अपने अपने तरीके से हर तरह से हर वर्ग के लोग मनाते हैं। होली का पर्व तो भगवान ने भी मनाया हैं। भगवान ने भी अपने सखा और सखियों के संग होली खेली है। होली उनके धाम, ब्रज में हर तरह से फूलो से, रंग से, ब्रज की रज से सभी खेली जाती है। कोई रंगों से होली खेलता है, कोई गुलाल से होली खेलता है, कोई फूलों से, कोई पानी, कीचड़ से सब होली का आनंद अलग अलग तरह से लेते हैं ।

होली हर उम्र के लोग मनाते हैं, खेलते हैं। बच्चे खेलकूद में मज़े के साथ खेलते हैं और युवा प्यार उमंग मदहोशी के रंगों में रंग कर होली खेलते हैं। गुलाल लगाते हैं बूढ़े सयाने संस्कार और सम्मान से सामाजिक परंपरा के अनुसार होली मनाते हैं सामाजिक सौहार्द के रूप में लोग इकट्ठा होकर एक दूसरे को गुलाल लगाकर गले मिलकर त्यौहार को मनाते हैं। इस त्यौहार में पकवानों का भी बड़ा महत्व है। लोग तरह- तरह के पकवान बनाकर एक दूसरे को खिलाते है और मिलजुल कर एकसाथ त्यौहार का मजा लेते हैं। इस त्यौहार में ठंडाई का बड़ा महत्व है इस त्यौहार में हर उम्र के लोग ठंडाई का मजा लेते हैं और इस त्यौहार में लोग तरह-तरह से पूजा-पाठ भी करते हैं और अपने और अपने कुल परिवार के अनुसार देवी देवताओं को मनाते हैं। कुल देवताओं की पूजा भी करते हैं होली एक प्यारा सा प्यार का पर्व है। होली रंगों का त्यौहार है। इसमें रंगभेद भेदभाव जात पात धर्म कुछ नहीं देखा जाता सब एक दूसरे को रंग गुलाल लगाते हैं और प्यार से सौहार्द से इस त्यौहार को मनाते हैं। यह त्यौहार हम सबको एक दूसरे के साथ मिलकर रहना सिखाता है ।



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