अनुकरण
अनुकरण
अनुकरण उसका जो अनुकरणीय हो। जो सबका आदर्श हो, मनुष्यों में सफलता हासिल करने वाला हो, हौसला बुलंद करे और अच्छे मार्ग पर चलने का मार्गदर्शक बने। अच्छे कार्य करने के प्रति उत्साह बढ़ाने में मदद करे,आर्थिक सहायक बने, योग्यता अर्जित करने के योग्य बनाकर सफलता हासिल करने में मदद करे । नई राहें खोलने में जिंदगी की ऊंची उड़ान भरने में मदद करें ।अनुकरण ऐसे लोगों का जो देश हित, समाज हित, और जिस समाज में हम रहते हैं वहां के आसपास के वातावरण के अनुकूल रहने का स्वाभाविक संस्कार प्रदान करे। ना! की नकल! “नकल वह जो सामने वाला किया वही हम भी करें चाहे गलत हो, चाहे सही”।। बस आंख बंद करके किए जा रहे। अनुकरण उसी का करना चाहिए जो देश, समाज हित में आदर्श हो । जिसकी सफलता और सकारात्मक सोच सबको प्रभावित करे । जिसके प्रति बरसों बरस तक लोगों के मन में सद्भाव और सम्मान का भाव हो। जिसका उदाहरण हर वर्ग के लोग बिना किसी भेदभाव के सम्मान के साथ दें। आज के युग में लोग अनुकरण से ज्यादा नकल में लगे रहते हैं। जिससे इंसान समाज ,परिवार सब का नुकसान तो करता ही है, अपना सबसे ज्यादा नुकसान करवा लेता है। इसका असर तब दिखता है जब इंसान सब कुछ गंवा बैठता है। उसे पता ही नहीं चलता कि उसने किया क्या? “अनुकरण किया कि नकल ” आज के युग में नकल के कारण ही लोगों में द्वेष और जलन की भावना पैदा हो रही है। लोग एक दूसरे की तरक्की नहीं देख पा रहे हैं। अगर कोई आगे बढ़ रहा है, तो उसको गिराने के लिए कुछ भी दांव पर लगाने में लग जाते हैं। सामने वाले व्यक्ति को गिराने के लिए चाहे खुद का नुक़सान हो जाए, लेकिन सामने वाले का फायदा न हो, इसकी भरपूर कोशिश करते है ।आज इंसान के अंदर नकल की भावनाओं के कारण ही,सब में एकता की भावना खत्म हो रही है। समाज के डर की भावना खत्म हो रही है। समाज में आदर- सम्मान की भावना भी खत्म हो रही है। कहते है ना कि “नकल अकल को खा जाती है”! इसीलिए अनुकरणीय वही जो सबका आदर्श हो और सकारात्मक सोच रखता हो, राष्ट्र के प्रति समर्पित हो। और जो सबको साथ लेकर चलने की भावना रखता हो।