होली कैसे खेले
होली कैसे खेले
वर्तमान परिस्थितियों को देखते हुए कहना होगा कि होली सिर्फ फूलों की या फूल, हरी पत्ती व सब्जियों से बने रंगों से ही खेली जानी चाहिए। हम सभी जानते हैं कि कृत्रिम रंग चलन में हैं जो न केवल विभिन्न त्वचा रोगों के कारण है बल्कि मृदा, जल व वायु प्रदूषण के लिए भी जिम्मेदार हैं। और तो और
अपने एक त्यौहार की खुशियां बांटने के लिए कृत्रिम रंग , होली की पिचकारी, गुब्बारे भी चाइना से ही आते हैं। यानी हम जहर का आयात करते हैं।
यह तो हार-हार वाली बात हुई। भारत जो कि वेदों में, संस्कारों में, आयुर्वेदा में सबसे अधिक रईस है। जहां हर दर्द का बिना किसी साइड इफेक्ट्स के इलाज होता है। कहने का अर्थ भारत खुद एक जादुई चिराग है तो फिर हमें कुछ भी ऐसी चीज जो हमारे लिए व पर्यावरण के लिए नुकसानदायक है बाहर से क्यों बुलाना चाहिए? पहले होली फूलों की व फूलों से बने रंगों से ही खेली जाती थी। यह प्रथा हम सब पुनः शुरू कर सकते हैं इसमें सिर्फ जीत-जीत वाली परिस्थिति ही बनेगी । फूलों से होली खेलने के लिए सभी अपने घर के आंगन के बगीचे में रंग बिरंगे फूल खिला सकते हैं और अगर खरीदते भी हैं तो रोजगार ही बढ़ेगा, किसानों की आमदनी ही बढ़ेगी। कहने का अर्थ यह हुआ कि हमारे कदम प्रकृति की ओर बढ़ेंगे। साथ ही जमीन पर गिरे फूल मृदा के लिए उर्वरा का ही काम करेंगे और कोई जल, वायु प्रदूषण भी नहीं होगा। पानी की बचत होगी वह अलग ।
फूल या फूलों का रंग हटाने के लिए किसी भी प्रकार से अतिरिक्त पानी खर्च नहीं होगा और पानी बचाओ अभियान को भी आघात नहीं पहुंचेगा । वैसे भी लोग डिजिटली फेसबुक, व्हाट्सएप, टि्वटर, इंस्टाग्राम के माध्यम से रंगो की होली तो खेल ही लेते हैं।
फिर भी कई लोग कहते हैं रंग तो रंग ही होते हैं फूल उनका स्थान नहीं ले सकते । ठीक है उनके लिए भी समाधान हैं रंग-बिरंगे फूलों से हम रंग भी बना सकते हैं इसके लिए मंदिरों में चढ़ाए गए फूलों का इस्तेमाल किया जा सकता है क्योंकि मंदिरों में रोज बहुत अधिक मात्रा में एक दिन पुराने फूल फेंके जाते हैं ऐसे में इन फूलों का सदुपयोग रंग बनाने में करने से होली के आनंद को बिना कम किए किया जा सकता है । यानी बेस्ट आउट ऑफ वेस्ट और फिर सब्जियां और फल भी तो हैं । चुकंदर से लाल रंग , लाल पत्ता गोभी से बैंगनी, पालक से हरा ,गाजर से नारंगी और ना जाने कौन-कौन से रंग किन किन सब्जियों से। इन सब्जियों को पानी में उबालकर रंगीन पानी भी होली के रंग के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है और यह त्वचा के लिए हानिकारक भी नहीं होगा ।
और ये सारे रंग हम घर पर ही बना सकते हैं और अगर घर में बनाते हैं तो बच्चे भी यह सब देखेंगे जो उनमें रचनात्मकता को विकसित करने में मदद करेगा। साथ ही घर पर रंग बनाना बच्चों की एक आदत बन जाएगा ।
जाने अनजाने ही सही हम उनके भविष्य को सुरक्षित तो कर ही देंगे।