"हमेशा ही अबार्शन जरूरत नहीं"
"हमेशा ही अबार्शन जरूरत नहीं"
आमतौर पर महिलाएं ४७ वर्ष की आयु के बाद माँ नहीं बन सकती, परंतु आजकल महिलाएं बड़ी उम्र में भी माँ बन सकती हैं, और यह भारत में आईवीएफ तकनीक विकसित होने से संभव हुआ है ।
जम्मू-कश्मीर में पुंछ के अस्पताल में ६५ वर्ष की महिला ने एक बेटी को जन्म दिया है और उसने बताया कि वह सामान्य रूप से माँ बनी है। दंपति का १० साल का बेटा भी है, बेटी के जन्म पर ख़ुशियों के साथ ८० वर्षीय पति हकीमदीन ने इसे अल्लाह का नायाब तोहफ़ा बताते हुए शुक्रिया अदा किया है ।
जैसे कि आजकल अबार्शन करा लेते हैं बहुत आसानी से, यह भी नहीं सोचते कि वह नन्ही सी जान पर करता बिछेगी ? इसमें उसका क्या कसूर ?
फिर 65 वर्ष की आयु में एक महिला बेटी को नायाब तोहफे के रूप में स्वीकार कर सकती है तो "बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ" अभियान के तहत सभी महिलाएं बेटी को नायाब तोहफे के रूप में स्वीकार क्यों नहीं कर सकतीं ?
