हमारी हवेली
हमारी हवेली
एक हवेली थी जिसमें में कुछ लोग रहते थे। ज्यादातर हवेली में रहने वाले लोगों की आदतें ,आचार- विचार तो समान ही थे किंतु इसमें रहने वाले कुछ लोगों की आदतें, प्रकृति बिल्कुल भिन्न थी । वैसे तो इन भिन्न आदत वाले लोगों की संख्या तो कम थी साथ ही इनकी गतिविधियां तथा आचरण अत्यंत संदिग्ध थे। इनके आचरण हवेली के अन्य बहुसंख्यक लोगों से एकदम विपरीत थे। ये लोग देखने में सुंदर, मृदुभाषी और वाचाल किश्त के थे। स्वयं को बुद्धिमान और उच्च कोटि का दिखाने की इनकी आदत थी दूसरों को हमेशा हीन भाव से देखते थे। वैसे ये लोग कठिन श्रम से स्वयं को बचाने का भरपूर प्रयास करते थे। इनकी नजरें सदैव कुछ खोजती सी प्रतीत होती थी । ये लोग आपस में बातें करते हैं तो उनका हाव भाव भी भिन्न होता। ऐसा आभास होता था जैसे किसी गुप्त समझौते पर अमल कर रहे हों या फिर किसी साजिश को अंजाम देने की फिराक़ में रहते हों।। इनकी हरकतों से ऐसा लगता था कि ये कम संख्या वाले लोग इस हवेली वालों से बिल्कुल ही न केवल अलग थे, उदाहरण के लिए आचार विचार, व्यवहार सभी में। कभी कभी तो ऐसा भी अहसास होता था कि ये लोग हवेली के मूल वारिसों में से नहीं हैं बल्कि इस हवेली में कहीं बाहर से आकर जबरन, घुसपैठ कर गए होंगे। ये घुसपैठिये प्रवृत्ति के लोग कहीं से यह जानकारी जुटाने में सफल हो चुके थे कि हवेली सोने की ईंटों से बना हुई है । अब इनका एक मात्र लक्ष्य रह गया था कि किसी भी तरह हवेली में से सोने की ईंटों को चुराकर धीरे-धीरे हवेली को छोड़ कर दूर, बहुत दूर भागें। अपने मिशन पर काम करते हुए ये लोग हवेली के निचले भाग से सोने की ईंटों को निकाल कर कहीं दूसरी जगह भाग जाने का गोपनीय प्लान बनाकर भागने में सफल भी हो जाते हैं। वो भागते कैसे हैं ? ...रात के अंधेरे में या फिर दिन में जब भी इनको मौका मिलता सोने की ईंट छुपा कर धीरे से खिसक लेते थे और चुराई गयी सोने की ईंटों को बेचकर मोटी रकम लेकर दूसरे स्थान पर बड़ी शान-ओ-शौकत से रहते थे । इन लोगों की ईंट चोरी की कार्रवाई लगातार जारी रहती है जब भी समय मिलता है हवेली में से सोने की ईंट निकालते हैं और रफू चक्कर हो जाते हैं। इमारत की निचले हिस्से की ईंटें निकाले जाने से हवेली खंडहर और जर्जर हो चुकी है यह किसी भी समय बड़ी दुर्घटना का शिकार हो सकती है । हवेली किसी भी समय भूकंप के मामूली से झटके से भी गिर सकती है। हवेली इसमें में रहने वालों को मौत की दावत दे रही थी । मैं आपसे पूछना चाहता हूँ, बताइये ? अगर हवेली गिरी तो नुकसान किसका होगा? उसमें दब कर कौन मरेगा ? इस हवेली में रहने वाले परिवार के सदस्यों का अथवा उनका जो हवेली से सोने की ईंटों को चुराकर इमारत को कमजोर करके बहुत दूर भाग चुके हैं? यहां और भी बहुत से सवाल पैदा होते हैं जिन पर आप सभी का ध्यानाकर्षण अत्यंत आवश्यक है जैसे कि :
1. क्या कोई अपने ही घर की ईंटों को चोरी से निकाल कर बेच सकता है ? 2. क्या कोई अपने पूर्वजों की निशानी वाली इमारत को खण्डहर बनाना पसंद करेगा? इन सभी सवालों का जवाब होता है " नहीं" मैं ही नहीं बल्कि कोई भी ये कभी नहीं चाहेगा कि अपने आशियाने को कोई खंडहर में तबदील होने दे। जबकि उसके पुरखों ने इसे इमारत को न केवल कठिन मेहनत अपितु बहुत प्यार से बनाया होगा । उस हवेली में उनके पुरखों ने कितना श्रम किया होगा सोचकर ही मन में पूर्वजों के प्रति आदर व सम्मान का भाव पैदा होता है। ईंटें चोरी करने से खंडहर बनी हवेली किसी भी समय गिर सकती है लेकिन यह बात हवेली में रहने वाले लोगों को मालूम ही नहीं हो रहा क्योंकि वे , कभी अपने पूर्वजों की इमारत को घूमकर भी नहीं देखते कि इसकी वस्तुस्थिति कैसी है? कहीं इस इमारत के मरम्मत की आवश्यकता तो नहीं है। उनमें से कोई भी जिम्मेदारी लेने को तैयार नहीं कि हवेली की देखरेख किस तरह की जाए या फिर इसकी जिम्मेदारी किसको दी जाए? मेरे सवाल फिर मुझे बार बार सोचने पर मजबूर कर देते हैं कि.....आखिर ऐसा कैसे संभव है? क्यों हो सकता है? ये सवाल मेरे जेहन में लगातार कौंधते रहते हैं। ऐसा कैसे संभव है कि इस पर गहन विचार करने पर निम्न बातें मस्तिष्क में उभरती हैं।....
★ संभव है हवेली रहने वालों को अपने इतिहास और हवेली की कीमत का ज्ञान न हो ।
★★हवेली के वारिस मंदबुद्धि हैं जिन्हें कुछ जानने समझने की जरूरत महसूस नहीं होती।
★★★हवेली के लोग लगातार नशे के आदी हैं जिन्हें हवेली से कोई लगाव नहीं है।
★★★★हवेली के लोग नकारा और निकम्मे हैं जिन्हें सिर्फ हवेली ही नहीं आपस में भी किसी से कोई मतलब नहीं।
★★★★★ हवेली के लोग आपस में ही झगड़ते रहते हैं, संभव है किसी ने उनके बीच में फूट तो नहीं डाल रखी है।
इसी प्रकार बहुत से खयाल, सवाल जेहन में आते जाते हैं। आपके ज़ेहन में क्या आ रहा हैआप भी बतायें? साथियों! ये हवेली क्या है ? हवेली में रहने वाले लोग कौन हैं? हवेली को खंडहर बनाने वाले, सोने की ईंटों को निकाल कर भागने वाले कौन लोग हैं? इन सभी सवालों का जवाब हमें मिलकर खोजना चाहिए। मैं अपना काम ईमानदारी से करते हुए हवेली के बारे में बता देता हूँ कि ये हवेली और कुछ नहीं बल्कि अपने प्राणों से प्यारा देश है #भारत जो उस हवेली की तरह खण्डहर बनाया जा रहा है। कुछ लोग इसको लूट लूट कर भाग रहे हैं, सोने की ईंट इसकी संपत्ति है जिसको स्विस बैंक में, और अन्य लोग लूटकर विदेशों में भाग गए हैं या साफ शब्दों में कहूँ भगा दिये गये हैं।
ये हवेली है हमारा देश जिसे हम सबको मिलकर अच्छा बनाना चाहिए था । लेकिन अच्छे बनाने की जगह इसका हाल क्या बना दिया गया है? अब आप सभी बताएं शेष सवालों के जवाब। आप सभी के लिए हैं मेरे सवाल। उम्मीद है आप समझ गए होंगे मेरे सवाल यदि समझ गए हैं तो इन सवालों का जवाब बहुत जरूरी है। बहुत ही जरूरी है कि हम समझने का प्रयास करें कि ये हवेली हमारी आन, बान, शान है। क्या हमको अपनी इस हवेली को और सुंदर, बेहतर तथा शान-ओ-शौकत वाली बना कर अपनी नई पीढ़ी को नहीं सौंपना चाहिए ? क्या हमें हवेली में रह रहे चोरों का पता नहीं लगाना चाहिए? क्या जो लोग हमारी हवेली में से सोने को चोरी करके दूर भाग गए हैं उनको पकड़कर वापस नहीं लाना चाहिए? हमारे पूर्वजों की संपत्ति को वापस लाकर अपने पूर्वजों की मेहनत का सम्मान करना चाहिए कि नहीं?
इसी प्रकार मेरे बहुत से सवाल हैं जिनका जवाब हमें मिलकर खोजना चाहिए कि नहीं। या फिर आप बताइए कि क्या मेरे सवाल गलत हैं? मेरे सवाल साफ है 'हमारी हवेली खण्डहर क्यों हुई '?? कौन है इसको खण्डहर बनाने का जिम्मेदार। मैं, आप, हम सब या कोई और? आओ मिलकर पता करते हैं उन साजिश रचने वाले लोगों की और अपनी हवेली का मिलकर करते हैं "पुनर्निर्माण" अपने पूर्वजों का अदा करते हैं शुक्रिया जिन्होंने हमें सौंपी थी सोने से निर्मित एक खुशहाल और समृद्ध और खूबसूरत हवेली, हमारी हवेली।

