हास्य : श्रीनगर हम एवरो से जा रहे हैं।
हास्य : श्रीनगर हम एवरो से जा रहे हैं।
2005 जनवरी माह की बर्फबारी में जम्मू से श्रीनगर का रोड बंद हो गया पारगमन शिविर में जबरदस्त भीड़ थीं। प्रस्तुत हैये हास्य कविता:
कश्मीर में घुमाने,या साथ रखने के लिए कुछ साथी जी अपनी फैमिली को संग लाए थे। कई दिनों से वो ठीक से सो भी नहीं पाए थे।
आवास की कमी के कारण , एक केबिन में, चार-चार महिलाएं रह रही थी। आशा के विपरीत परेशानियां सह रही थी।
बिस्तर में बैठ-बैठे जब वो तंग हो जाती थी। तब जीने में आकर ख़ास स्टाइल में बतियाती थी।। जीवन की बहारों के बारे में एक दूसरे को बता रहीं थी। कहानी रोमांचक और कामौत्तेजक सुना रही थी।
फुसफुसाती सी उनमें से एक बोली , दीदी.... पति पर एक्स्ट्रा, दबाव बनाकर, पहली बार ही आई हूं। दूसरी ने कहा बहन , चक्कर तो तीसरा है , लेकिन चार दिनों से नहीं नहाई हूं।
तीसरी ने चुटकी लेते हुए कहा, अकेली सोई थी न रात ? फिर नहाने की क्या जरूरत है। अरी अल्हड़, तू तो वैसे ही खूबसूरत है। मानती हूं, छोटा बच्चा होता तो ऐसी सूरत भी होती।। अगर,गंदी होती तभी तो नहाने की ज़रूरत भी होती।।
एक जवान सी दिखने वाली, लगभग दौड़ती सी आई, सबको बोली.......
सुनो-सुनो, एक नई खबर सुनाती हूं। ताजा समाचार, सबको बताती हूं। सारी इक साथ बोली। अरी...... जल्दी , जल्दी बोलना, खबर क्या है ? मुंह खोलना।
वो आंख मुंह चलाते हुए कहने लगी... जब हम, जीने से ऊपर को आ रहे थे। तो नीचे कुछ फौजी, एक दूसरे को बता रहे थे . कि, कश्मीर में इस बार, रिकॉर्ड तोड ठंड है। 'रामसू ' के पास रोड बह गई है, बर्फबारी से टनल बंद है।
बीस-बीस फुट बर्फ पड़ी है सड़क पर, उसे GREF के डोजर हटा रहे हैं। इसीलिए जम्मू से श्रीनगर हम, 'एवरो' से जा रहे हैं।
एक अन्य घबराई सी, ग्रामीण फौजण बोली, ऐ दीदी ! यह 'एवरो' क्या होता है ? जवाब मिला,फ़ौजियों का सामान ढोने का हवाई जहाज होता है।
कुछ फैमलियों के चेहरे पर भय व आशंका के भाव स्पष्ट नज़र आ रहे थे। परंतु वहां भी सब एक दूसरे से छुपा रहे थे।
एक लम्बी, तगड़ी सी हरियाणे वाली महिला देसी भाषा में अपने डर के बारे मे बोली.................. री,बेबे, मन्ने तो कती, घणा डर लागे से। बेरा ना, यो हवाई जहाज किस तरियां उड़े से।।
फिर दूसरी भी उसके समर्थन में बोली। सही में दीदी, मुझे भी बहुत डर लगता है। मालूम नहीं ये 'Avro' कैसे-कैसे उड़ता है।
इसी दौरान एक और नई नवेली ने मधुर मुस्कान संग जुबान खोली। वो चमकीली सी, सबको शांत करते हुए बोली।
सुनो मैं शालू, आप सभी का डर दूर भगा दूं। नीचे फौजी और क्या बोल रहे थे, वो भी बता दूं। फौजियों में भी .....
काफी, लोग जहाज में, पहली बार ही चढ़ रहे हैं। एवरो में नहीं जाने के लिए वो भी, आपस में झगड़ रहे हैं।
लेकिन, उधर नीचे देखो, वो अधेड़ सा, मूंछों वाला है न। अरे वो नहीं, वो काला, काला है न। जो सबके बीच में खड़ा है। ऐसा बोल रहे हैं, कि वो कई बार चढ़ा है।
अरे दीदी। चिंता मत करो, मैं , सारी बातें कैच कर लाई हूं। मैं जीने से भी दौड़ती हुई सीधी यहां आई हूं।नजदीक आ जाओ सबको बताती हूं। 'एवरो' का डर भी, दूर भगाती हूं।
वो ऐसा बता रहे थे, कि "दो झटके तो बड़े जबरदस्त देता है।" चढ़ते और उतरते समय तो, कलेजा हिला देता है।। और सुनो, डर मत जाना, बडा मजा आयेगा। पहले ही झटके में, जब वो ऊपर चढ़ जायेगा।।
कुछ पढ़े लिखे से, ऐसा भी समझा रहे थे, कि फ्लाइट में तो अलग-अलग क्लास, एयर होस्टेस और हर सीट के साथ, पेटी होती हैं। एवरो में तो सवारियां, पुलिस द्वारा, "पकड़े हुए आंदोलनकारियों के जैसे बैठी होती हैं।"
एक वृद्धा जो कि यू पी की थी, उनका पति सेवानिवृति की तिथि नजदीक कारण कुछ दिन कश्मीर दिखाने को लाया था, बीच में सवाल पूछने लगी बोली। चौं,री शालू ? या सुसर 'एवरो' को फायदोऊ हते कछु ? शालू बोली, क्यों चाची फायदा बहुत हैं । सुनो तो...
अगर बस से श्रीनगर गयी न, 'पत्नीटॉप' तक ही गाड़ी, उल्टियों से भर जाती है। एक दूसरे को देख सारी सवारी उल्टी कर जाती है।। जम्मू से श्रीनगर तक सड़क ,सांप जैसी लहरती है। 'रामबन'से पहले कानवाई भी, कहां ठहरती है ।
266 किलो मीटर में ही ड्राइवर, पूरा दिन गुजार देता है। और एवरो ...... तो 40 मिनिट में जम्मू से श्रीनगर उतार देता हैl
इस बात अधेड़ महिला बोली अरी शालू ! रिपोर्ट , तो तुम वाकई बड़ी दमदार लाती हो। कितने सलीके से हमें समझाती हो ।
सच में गांव, और स्कूल में ..... तुमने इस क्षेत्र में, खूब नाम कमाया होगा। एकाध बार तो तुमने, भाभियों को भी पिटवाया होगा।
गाँव, वाले, नखरों से घायल हो जाते होंगे। तुम्हारी रिपोर्टिंग के तो सब,कायल हो जाते होंगे।।
शालू बोली चाची जी ... शादी के पहले की बात कुछ और था। उसको याद मत कराओ , वो तो अलग ही दौर था ।
एक बार सज-संवर कर , जब रास्ते से गुजर जाती थी। कसम से चाची तेरी ये शालू अलग से ही नजर आती थी।
शादी के बाद की क्या बताऊँ ? किसको बोलूं किसको समझाऊं वो तो मेरे पति, मूए, शक्की से हैं । सिर चाट जाते हैं, झक्की से हैं।
नहीं तो रिपोर्ट का रिपोर्ट से ऐसा मेल कर दूँ । नेशनल मीडिया की सारी महिला एंकरों को फ़ैल कर दूँ ।
हम तो तुमसे ये पूछ रहे हैं, चाचीजी साफ-साफ बता दो। हमारे संग बस में जाओगी "उल्लास" संग Avro में सच बता दो।
✍️उल्लास भरतपुरी